नेताजी सुभाष चंद्र बोस श्यामा प्रसाद मुखर्जी को छक्के छुड़ा दिए थे !


 

   
भाजपा श्यामा प्रसाद को अपना आदर्श मानती है, उसे बोस कलकत्ता के सड़कों पर दौड़ा दौड़ा कर पीटे थे। मुखर्जी हिन्दू मुस्लिम की बात कर अंग्रेजों के समर्थक थे और मुस्लिम लीन सरकार में मंत्री थे। बोस मुखर्जी के इस देश विरोधी करतूतों से सख़्त नफरत करते थे। वे पूंजीपतियों के भी खिलाफ थे ।आज भाजपा मुखर्जी के राह पर है और देश में कोई बोस जैसे मुखर नेता नही हुए।     नेताजी सुभाष चंद्र बोस   पत्रिका फॉरवर्ड ब्लॉक में 4 मई 1940 को ‘कांग्रेस और सांप्रदायिक संगठन’ नामक एक लेख लिखा। इसमें सुभाषचंद्र बोस लिखते हैं “एक समय था… जब कांग्रेस के प्रमुख नेता हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग जैसे सांप्रदायिक संगठनों के सदस्य और नेता हो सकते थे। उन दिनों ऐसे साम्प्रदायिक संगठनों की साम्प्रदायिकता दबे चरित्र की थी। इसलिए लाला लाजपत राय हिंदू महासभा के नेता हो सकते थे और अली ब्रदर्स मुस्लिम लीग के नेता हो सकते थे… लेकिन अब ये सांप्रदायिक संगठन पहले से भी अधिक सांप्रदायिक हो गए हैं। इसलिए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने संविधान में इस विषय पर एक खंड जोड़ा है, कि हिंदू महासभा या मुस्लिम लीग जैसे सांप्रदायिक संगठन का कोई भी सदस्य कांग्रेस की निर्वाचित समिति का सदस्य नहीं हो सकता है।”
इसी तरह नवंबर 1944 को टोक्यो यूनिवर्सिटी में दिए गए एक भाषण में नेताजी ने कहा था “मैं एक मित्रतापूर्ण चेतावनी देना चाहूंगा कि ब्रिटिश प्रचार दुनिया को यह धारणा देने की कोशिश करता है कि भारत के मुसलमान स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन नहीं करते हैं। यह गलत है। अक्सर आप अखबारों में मुस्लिम लीग या हिंदू महासभा जैसे कुछ संगठनों के बारे में पढ़ते हैं। अंग्रेज इन संगठनों को बढ़ावा देते हैं क्योंकि इनकी नीति ब्रिटिश समर्थन की है और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफ है। वे यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि मुस्लिम लीग भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है। लेकिन वह ब्रिटिश दुष्प्रचार है। तथ्य यह है कि मुस्लिम लीग और उसके नेता जिन्ना भारतीय मुसलमानों के सिर्फ एक अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। अधिकांश भारतीय मुसलमान राष्ट्रवादी हैं और वे आज़ादी के आंदोलन का उतना ही समर्थन करते हैं जितना और कोई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष एक मुस्लिम व्यक्ति हैं और कांग्रेस के कई अन्य सदस्य भी मुस्लिम हैं, जिनमें से कई आज जेल में हैं।” अतीत हमें जानना चाहिए ताकि हम वर्तमान को ठीक से समझ पाएं।

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