भ्रष्टाचार की आग में सरकारी राजस्व का करोड़ों की चुना लगाते हैं भूमाफिया !
फुलवारी शरीफ अंचल व निबंधन में आदमी को गदहा बनाने की जादूगरी होती है।
डॉ चंदन यादव की जमीन क्रय में चोरी भी सीनाजोरी भी।
मेरे गांव में igms के डॉ चंदन यादव की खरीदी गई जमीन की जब मैं M R I किया तो बिहार सरकार की नॉकरशाह की पोल खुलती नज़र आई। फुलवारी शरीफ अंचल व निबंधन कार्यालय में बंगाल की जादूगरी है ।यहाँ एक ही फूंक में आदमी को गदहा व गदहा को आदमी बना दिया जाता है।डॉ चंदन थाना संख्या 41 में पलॉट संख्या 14 में 5 कट्ठा जमीन आहर के सटे विगत साल खरीदे। विगत साल जमीन की कीमत 20-25 लाख रुपये कट्ठा थी ,लेकिन ये धरती के भगवान उस जमीन को मात्र 7 लाख कट्ठा खरीदा।यानी 1 कट्ठा जमीन में सीधे 18 लाख की बचत । कुल 90 लाख का मुनाफा।यह जमीन कृषि योग्य के नाम पर खरीदा गया, जिस पर टैक्स फ्री होता है। यह जमीन किसान के रिकॉर्ड में पलॉट संख्या 18 है जो बन्द पलॉट है।इस लफड़े के चलते कोई जमीन नहीं खरीदता था,क्योंकि किसान 14 no पलौट पर कब्जा था, जो किसी और के नाम पर है। आदमी से गदहा बनाने की हुनर डॉ में थी और फुलवारी अंचल व निबंधन कार्यालय फैक्ट्री ही है। अब 90 लाख की बचत में से 10-10 लाख भी दान दक्षिणा मिल गया तो कोई भी नामुकिन काम मुमकिन हो जाता है और गदहा आदमी हो गया। ये डॉ की निजी मामला था,इसे हमलोगों को लेना देना नही था।अब इसकी फुंफकार आगे बढ़ी ।इस सर्प दंश से मैनपुर अन्दा पंचायत, रामपुर फरीदपुर, कोरियावां, भुसौला पंचायत की जल निकासी सीधे प्रभावित हो रहा था यानी जलमग्न की व्यवस्था कर रहा था।अब इसकी शातिराना हरकतों को पकड़ लिया है। अब उस जमीन में जनसेवा के लिए नर्सिंग होम बनाने जा रहा है।ये अच्छी बात है, स्वागत है धरती के भगवान को, लेकिन मन में कुटिलता रखोगे,किसानों के आंखों में धूल झोंकोगे तो बहुत महंगा पड़ जायेगा। यहां कोई जातीय समीकरण काम नहीं आएगा।इस देश में दो ही जाति है एक अमीर दूसरा गरीब। इसलिए किसी को भी सजातीय होने खुशफहमी नही पालना चाहिए। कुछ जमीन सम्बन्धी नियमों को जरूर जानें।
. हमारे देश में जमीन खरीदने और बेचने का बड़ा व्यापार है. इससे ना जाने कितने धंधे चलते हैं. ये तो आप जानते ही होंगे कि जमीन-खरीदने और बेचने पर टैक्स वसूला जाता है. मगर कौन सी जमीन पर टैक्स लगता? गांव और शहर की खेती की जमीन बेचने पर क्या लगेगा टैक्स?
खेती की जमीन दो तरह की होती है. पहली ग्रामीण खेती की जमीन होती है. जिसपर गांव के किसान खेती करते हैं. दूसरी होती है शहरी खेती की जमीन. जो शहरी इलाकों के आसपास होती है. ग्रामीण क्षेत्र की जमीन बेचने पर कोई Tax Liability नहीं बनती. यानी की ग्रामीण इलाके की खेती वाली जमीन बेचने पर कोई टैक्स नहीं लगता है. इसका सारा प्रोसेस टैक्स फ्री है.
अगर खेती की जमीन शहरी है, तो इसमें कुछ शर्तें लागू होती हैं. पहला की ये ग्रामीण इलाके वाले जमीन की तरह टैक्स फ्री नहीं होता है. हालांकि, इसमें आप सेक्शन 54B के तहत कुछ टैक्स बचा सकते हैं. जो जमीन 10 लाख से अधिक की आबादी वाली नगरपालिका या नगर निगम की सीमा के आठ किमी भीतर है 1 लाख से 10 लाख के बीच है तो यह ग्रामीण कृषि जमीन नहीं मानी जाएगी.
इसलिए यह टैक्स के दायरे में आएगी. टैक्स बचाने के लिए या तो मकान में इन्वेस्टमेंट करें ( धारा 54F), या वापिस कृषि भूमि में इन्वेस्ट करें. जमीन बेचने से मिली मूल रकम को आप लोन पर भी दे सकते हैं.
धारा 54बी में छूट लेने की शर्तें
बेची जाने वाली कृषि भूमि पर बेचने से पहले दो वर्ष तक खेती हुई हो.
कैपिटल गेन की रकम को बचाने के दो वर्ष के भीतर नई कृषि भूमि में निवेश कर दें.
नई खरीदी गई खेती की जमीन को तीन वर्ष तक बेच नहीं सकते हैं.
अगर आयकर रिटर्न भरने की तारीख तक नई कृषि भूमि में निवेश संभव नहीं हो तो किसी राष्ट्रीय बैंक में कैपिटल गेन डिपाजिट स्कीम में खाता खोलकर निवेश कर दें. ध्यान रखें की आप कैपिटल गेन ही निवेश कर सकते हैं. अगर आपके पास कृषि भूमि है और आप खेती या उससे जुड़ी गतिविधियों से कमाई कर रहे हैं तो आपको उस आमदनी पर किसी तरह का Income Tax नहीं चुकाना पड़ता है.
डॉ साहेब पत्रकार सोशल सर्जन होता है। जब हमलोग सर्जरी करते हैं तो सरकार भी चली जाती है।ये डॉ की क्या बिसात है?
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