कर्मचारियों को ही क्यों ? राजनेताओं को भी यूनिफाइड पेंशन स्कीम मिलना चाहिए।
देश के सभी पूर्व सांसदों और विधायकों को पेंशन देने में अनुमानतः प्रतिवर्ष 500 करोड़ से ज्यादा धन खर्च करना पड़ता है।
बेशर्मी की हद नहीं कहेंगे तो और क्या ? खुद के लिए बंगले, गाड़ी ,फोन,नॉकर,चाकर मुफ्त की खाना, ट्रेन ,प्लेन यात्रा,दवाई सब कुछ और सरकारी कर्मचारियों को रिटायर्ड के बाद झुनझुना ! सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन की मांग करते करते थक गए। सेना की बहाली 4 साल की, इसके बाद कम्पनियों में सुरक्षा गार्ड की नॉकरी करने के लिए मजबूर। पेंशन बुढ़ापे की लाठी होती है।अगर सरकार को लगती है कि ओल्ड पेंशन देने से देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाएगी तो सबको न्यू पेंशन या यूनिफाइड पेंशन योजना लागू करे। अरबों रुपये के चेहरे चमकाने वाले विज्ञापन बन्द हो, पूंजीपतियों की अरबों रुपये की ऋण माफ़ी बन्द हो। सरकार केवल कर्मचारियों, युवाओं, किसानों, मजदूरों को दोहन कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी है। अब पुरानी और नई की जगह यूनिफाइड पेंशन स्कीम शुरू की जाएगी। इसके मुताबिक कम से कम 25 साल की नौकरी के बाद बेसिक पेमेंट की 50 फीसदी रकम UPS के तहत मिलेगी यानी यह रकम पेंशन के तौर पर दी जाएगी। वहीं 10 साल की नौकरी के बाद कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलेंगे। कैबिनेट फैसलों की यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी।
वैष्णव ने कहा कि पेंशन की इस नई योजना से 23 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को फायदा होगा। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) और यूपीएस में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाएगा। मौजूदा केंद्र सरकार के एनपीएस ग्राहकों को भी यूपीएस में स्विच करने का विकल्प दिया जाएगा। बता दें कि सरकार ने इस साल मार्च में तत्कालीन वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में NPS में सुधार के लिए एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने देश और दुनिया की कई पेंशन स्कीमों की स्टडी की थी।यही विकल्प देश के राजनेताओं के साथ भी होना चाहिए।
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