उपभोक्ताओं के जान से खिलवाड़ करते मिलावटी कारोबारी!

 



कारोबारी धर्म की खूब दिखावे करते हैं। सुबह उठकर गायों की रोटी खिलाना , घण्टों तक मन्त्र जाप कर देवी देवताओं को प्रसन्न करने का ढोंग ,लेकिन कुकृत्य ऐसा कि उपभोक्ताओं के नित्य जान लेने पर तुले हुए हैं। यह कैसा धर्म है? या धर्म के मर्म को नहीं जानते हैं या धर्म में विश्वास नहीं रखते हैं।मिलावटखोरों कारोबारियों का एक ही धर्म   होता है सिर्फ मुनाफाखोरी । चाहे इसके लिए उपभोक्ताओं की जान ही क्यों न लेना पड़े। खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले आम होने की वजह से आज हालत यह है कि कुछ भी खाकर आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता कि वह सुरक्षित और सेहत के लिए फायदेमंद है। मिलावट के कारोबारियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मिलावटी चीजें खाकर लोग बीमार हो गए या उनकी जान ही चली गई। सामान्य दिनों की इस विडंबना के बीच हैरानी की बात यह है कि पर्व-त्योहार के मौकों को भी नहीं बख्शा जाता और सिर्फ कमाई के लिए मिलावटी या फिर खराब हो चुके खाद्य पदार्थ बेचने में कुछ लोगों को हिचक नहीं होती।

कई त्योहारों के मौकों पर खबर आती है कि  कट्टू  का आटा खाने से कई लोग बीमार हो गए। कई बार इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं और अगर कभी कोई मामला तूल पकड़ लेता है तब यह आश्वासन जरूर दिया जाता है कि इस संबंध में जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मगर हकीकत यह है कि कुछ दिनों के बाद सब भुला दिया जाता है और हादसे होते रहते हैं।

गौरतलब है कि वर्ष भर में आने वाले पर्व-त्योहारों के मौकों पर बहुत सारे लोग फल या अन्य खाद्य पदार्थों के साथ-साथ कुट्टू के आटे का भी सेवन करते हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मथुरा और आगरा में कृष्ण जन्माष्टमी पर उपवास के दौरान कुट्टू के आटे से बना ‘फलाहार’ खाने से पांच गांवों के सौ से ज्यादा लोग बीमार हो गए। कई लोगों की स्थिति ज्यादा गंभीर हो गई।

 आखिर खाद्य उपभोक्ता, संरक्षण मंत्रालय क्या करती है? मिलावट को रोकने के लिए सरकार की कई विभाग हैं लेकिन यह विभाग भी चढ़ावा लेकर अपने कर्तव्यों को इतिश्री कर देते हैं।


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