बाख़ुदा शक्ल से तो चोर नज़र आते हैं.

  


यह वाक्य किसी को व्यक्तिगत रूप बोल दें तो कितना बुरा लग सकता है, सहज समझ सकते हैं। फिर ये काम क्यों नहीं बुरा लगता है? चोर के अब हुलिया बदल गया है। अब शक्ल से चोर चोर नहीं लगता है, बल्कि निहायत भोला भला शक्लों में चोर नज़र आते हैं। पहले चोरी छुपकर होती थी लेकिन अब दिनदहाड़े सीनाजोरी ,दबंगई ,बाहुबल ,पद की ताकत का रूप ले लिया है। आज खगौल थाना में मुझे  2 घंटे तक लग गया एक मोबाइल चोरी के मामले में। बात चोरी तक होती तो कोई बात नहीं ,उस चोरी की मोबाईल से एक प्रतिष्ठित व्यक्ति से  रंगदारी व धमकी तक बात आ गई। मामला अभी जांच की चल रही है इसलिए स्पष्ट बताना ठीक नहीं है और न कोई पत्रकार मित्र इस पर कोई सवाल न पूछें । जल्द ही गिरफ्त में होंगें। 

  तबतक किशोर कुमार के गाया हुआ इस गीत के चंद पंक्तियों को गुनगुनाइए और दुनिया को समझिए।

   आप अंदर से कुछ और बाहर से कुछ और नज़र आते हैं

बाख़ुदा शक्ल से तो चोर नज़र आते हैं

उम्र गुज़री है सारी चोरी में

सारे सुख-चैन बंद जुर्म की तिजोरी में

आपका तो लगता है बस यही सपना

राम-राम जपना, पराया माल अपना


Comments

Popular posts from this blog

डीडीयू रेल मंडल में प्रमोशन में भ्रष्टाचार में संलिप्त दो अधिकारी सहित 17 लोको पायलट गिरफ्तार !

जमालुद्दीन चक के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव नहीं रहे !

यूपीएससी में डायरेक्ट लेटरल एंट्री से बहाली !आरक्षण खत्म ! अब कौन धर्म खतरे में है !