" मिट्टी का माधव " नाटक की नाट्य समीक्षा- प्रो प्रसिद्ध कुमार ।

     




*हद से ज्यादा जी हुजूरी है घातक* 

उदय कुमार द्वारा लिखित व नवाब आलम द्वारा निर्देशित नाटक  ' मिट्टी का माधव '  रविवार की शाम  सूत्रधार   द्वारा खगौल पूर्व मध्य रेलवे सीनियर सेकेंडरी स्कूल में मंचन किया गया ।

 मंच संचालक प्रो प्रसिद्ध कुमार ने अपने दमदार शैली से दर्शकों को नाटक की विषय- वस्तु से अवगत कराया, जिससे दर्शकों का नाटकों से लगाव शुरू से ही रहा और उत्सुकता बनी रही। यह नाटक केवल दर्शकों का भरपूर मनोरंजन ही नहीं किया ,  बल्कि सामाजिक ताने- बाने का भी खोल कर रख दिया है।  जब माधो को मजदूरी के बदले  मौत मिली ।

हृद से ज्यादा किसी की जी हुजूरी करना भी घातक होता है। समय आने पर इंसान अपनों को भी अपने से दूर फेंकने में देर नहीं करता। और समय आने पर उसकी हत्या करने में भी संकोच नहीं होता। गरीबी का फायदा उठाने वाले मालिक भी अपने नौकरों का शोषण जीवन भर करते रहते हैं। जब नौकरों के अपने मालिकों के प्रति विद्रोह के स्वर समुख उठता है तो उसके साथ कई जिंदगी भी बर्बाद हो उठती है। कुछ ऐसे संवाद रविवार को पूर्व मध्य रेलवे सीनियर सेकेंडरी स्कूल के मंच पर सुनने को मिल रहा था। अवसर था संगीत नाटक अकादमी,नई दिल्ली के सहयोग से  सूत्रधार संस्था के बैनर तले उदय कुमार लिखित एवं नवाब आलम द्वारा निर्देशित नाटक 'मिट्टी का माधो' के मंचन का। कलाकारों ने अपने अभिनय एवं भाव भंगिमा से मजदूरों की कहानी को बयां कर दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। गांव का मजदूर माधो मालिकों की सेवा करने में तत्पर रहता है। माधो के बाप-दादा भी मालिकों की जी-हुजूरी करते हुए अपने जिंदगी को गुजारा था। माधो मालिक का ऐसा अंधा भक्त जिसे मालिक की सेवा करने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं आता। मालिक के घर गाय-बैल की सेवा करने के बाद माधो मालिक की सेवा कर अपने आप को धन्य समझता है। बचपन का माधो समय के साथ बड़ा हो जाता है। माधो के लिए मालिक ही उसका भगवान होता है। बड़े होते ही माधो की शादी हो जाती है। दुल्हन की बातों का असर माधो के ऊपर होता है और वह मालिक से अलग होकर अपनी जिंदगी को नई दिशा देना चाहता है। माधो में आए परिवर्तन को देखकर उसका मालिक आश्चर्य में पड़ जाता है और अपने मूल स्वरूप में वापस लौटने की जिद करता है। मालिक अपनी असफलता को देख माधो से उसकी पत्नी का मांग करता है। जिसे सुन माधो मालिक के प्रति विरोध के स्वर फूंक देता है।नाटक  देख दर्शक  भावविभोर  हो गए।   मंच पर अंबुज कुमार,अनिल कुमार सिंह, संजय पाल ,शगुन श्रीवास्तव, लवली श्रीवास्तव,बिरेन्द्र कुमार ओझा, साधना श्रीवास्तव, शालिनी श्रीवास्तव، आदि कलाकारों ने अपनी उम्दा अभिनया से दर्शकों को बांधे रखा और वाहवाही लूटी, वहीं मंच से परे कलाकारों में राजेश कुमार की मनमोहक संगीत ,नालवादक  प्रमोद कुमार, मो. राशिद (मंच सामग्री), आसिफ हसन(प्रकाश व्यवस्था) आदर्श कुमार शूभम, सैफ अली,अंजुम इमाम, मो जुनैद का सराहनीय प्रयास रहा।

 

 

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