10 वीं पास पत्नी की अंगूठे छाप पतिदेव !

   


पति को अपने निरक्षरता पर कोई शर्म लाज नहीं है ,बल्कि गर्व से कहता है कि जब बाप अनपढ़ थे तो बेटा को अनपढ़ रहने में कोई खराबी नहीं है। वे बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं और पत्नी घर पर भी बच्चों को पढ़ाती हैं। पत्नी को पढ़ीलिखी होने पर गर्व से कहता है कि गांव में बीए एमए पास लोगों की पत्नी अनपढ़ है लेकिन मेरे जैसे अनपढ़ को पढ़ी लिखी पत्नी मिल गई।  काम शारिरिक मेहनत वाला करता है। ठेका पर बालू ईंट, गिट्टी ढोता है।इससे करीब ढाई तीन हजार रुपये प्रतिदिन कमा लेता है। शारीरिक रूप से काफ़ी मजबूत है और हो भी क्यों नहीं। मोटी मोटी 9 रोटियों से नाश्ता  और खाना के बारे में क्या कहना है?  क्षुदा की पूर्ण संतुष्टि किसी भोजभात में ही होती है। इसकी मान्यता है कि पैसा के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है। इसलिए एक बार वे अपने पिता के साथ साइकिल पर बिठाकर काम से लौट रहा था तो धक्का मार दिया।पिताजी को गम्भीर चोट लगी, पैर की हड्डी टूट गई। जुबान पर  पैसे याद आ गई।कराहते पिता को छोड़ घर से पैसा लेकर गया तब डॉक्टर से दर्शन करवाया। पिता जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गया। पत्नी से पढ़ने के नाम पर हँस कर शरमा जाता। खाओ पीओ यस्स करो के सिद्धांत पर जिंदगी चलती है। चिंता न भूतो, न भविष्येत ! दानव दहेज प्रथा ने पढ़े लिखे लड़कियों के गले में अनपढ़ लड़का बन्ध जाता है। कितनी विवशता ,लाचारी ,कुंठित भरी जिंदगी को झेल रही होगी। शिक्षित बनें,निरक्षरता का कलंक मिटायें।

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