दो पत्रकारों में गाली - गलौज युद्ध ! तहर माई ...तेरी बहिन के ...😢😢
कन्हैया भेल्लारी व संजय वर्मा दोनों बिहार के वरिष्ठ पत्रकारों में गिने जाते हैं। वर्मा की लेखनी व कन्हैया की आवाज काबिले तारीफ़ है।मैं दोनों को बहुत ध्यान से पढ़ता सुनता हूँ।कन्हैया से मेरी मुलाकात हुई है लेकिन वर्मा के केवल लेखनी से।
दोनों न्यूज़ हार्ट के लिए काम करते हैं।दोनों बिहार विधानसभा में कार्यवाही देखने के लिए पास निर्गत करवाये हुए हैं । कन्हैया राजपूत तो वर्मा बनिया हैं।ये जाति दोनों के गाली गलौज से मालूम हुआ। पत्रकार इतने गालीबाज होता है, पहली बार जाना ।जो गाली आज तक हम नहीं सुने थे वो सुन लिया। कोई बार बार सुन ले तो उसकी बोलचाल बिगड़ जाएगी। दोनों तरफ़ से इतनी गालियां फोन पर एक दूसरे को दी गई कि दोनों अपने अपने माँ बहन को सार्वजनिक रूप से कहीं के नहीं छोड़ा।दोनों के गाली के एक वाक्य या अंश भी लिखना पाप होगा।कन्हैया की गाली भोजपुरी में तो वर्मा की गाली मगही में दी जा रही थी। पत्रकारिता जगत के साथ साथ मगही व भोजपुरी भाषा भी तार तार हो गई।इस बीच सीएम नीतीश कुमार को भी गालियां दी गई। गालियां देने में अब तक लोग यादव को बदनाम करते थे लेकिन 5 दिन पहले दी गई गालियां सारे रिकॉर्ड तोड़ दिया।
एक पत्रकार ,बुद्धिजीवी वर्ग के लिए इस तरह की गाली गलौज करना निंदनीय व अक्षम्य है।
भेल्लारी व वर्मा जी गालियां देते वक़्त कभी सोचे थे कि इससे क्या मिलेगा? निर्दोष अपने माँ बहनों को सरेआम नंगा कर रहे थे। छी!😢
बाद के कॉल में दोनों सुलह कर साथ में दारू पीने की बात करते हैं और पूर्व में साथ साथ दारू पीने की पुष्टि की है। शराबबंदी प्रदेश में एक पत्रकार को दारू पीने की शर्त पर दोस्ती करना क्या उचित है?
आप दोनों वरिष्ठ पत्रकार हैं। मेरे आलेख से बुरा लगता है तो हमें माफ़ करेंगे, लेकिन आप दोनों के असली चेहरा दुनिया के सामने लाना जरूरी था।
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