फुलवारी अस्पताल में नवजात शिशु की मौत।

   


सुबह के 10.30बजे होंगें।मैं फुलवारी अस्पताल जा रहा था।अस्पताल से बदहवास पति पत्नी नवजात शिशु को गोद में लिए चाईल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर के यहां पैदल ही लेकर भाग रहे थे।पत्नी बार बार यही कह रही थी कि मेरा बच्चे को सुई देकर मार दिया।मैं यह करुणामयी दृश्य को देखकर हतप्रभ रह गया।मैं नवजात के परिजनों को रोकना मुनासिब नहीं समझा ,क्योंकि उस वक़्त वो कहीं निजी डॉक्टर की तलाश में थे। अस्पताल के अंदर गया सभी नर्स व स्टाफ़ परेशान थे । तबतक अस्पताल में क्लियर हो गया था कि नवजात की मौत हो गई है।नवजात की फ़ाइल खोजकर सारा रेकॉर्ड को दुरूस्त करते लोग नज़र आये ।कम्प्यूटर पर फ़ाइल में सब अपटूडेट हो रहा था।कौन सी इंजेक्शन कब दी गई, सब अपटूडेट । बच्चे के परिजन अस्पताल के बाहर रो रहे थे, परिजन मृत बच्चे को लेकर संतुष्टि के लिए निजी डॉक्टर के यहां गये।वहां डॉक्टर बच्चे को मृत घोषित किया, उसके बाद मृतक के साथ परिजन आकर अस्पताल की लापरवाही से बच्चे की मौत को इल्जाम लगाया।इस संदर्भ में अस्पताल के प्रभारी चौधरी ने बताया कि बीसीजी की टीका 7 नवजातों को दी गई थी, उसमें एक छोड़कर सभी स्वस्थ्य हैं। मृतक की हालत इंजेक्शन देने के बाद हालत खराब होने लगी।बच्चे को जीवन रक्षक सिस्टम पर रखा गया लेकिन वो बच नहीं पाया।अस्पताल की ओर से पूरी तरह से बचाने का प्रयास किया गया था।

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