सूत्रधार द्वारा खगौल में " गज - फुट - इंच " नाटक का हुआ मंचन।

 





रेलवे सीनियर सेकेंडरी स्कूल खगौल में आज " गज - फुट - इंच "नाटक का मंचन हुआ। इस नाटक में दिखा कि    सच में आज का जीवन सिर्फ और सिर्फ " गज - फुट - इंच " में सिमट कर रह गया है. धन अकूत है पर मधुरता व प्रेम बिलकुल अभाव हो गया. सिर्फ दो ही तीन को संसार हो गया.
             एक जमाना था जब सारे भाइयों व परिजन बैठे एक दूसरे आनंद व प्यार लुटाते. आस - पास के बंधु भी आते. मग्न रहते. एक गज me ही रहना पसंद करते. एक गज में एकता थी. भले ही उतने शिक्षित नहीं थे.एक गज के मायने होते थे.
             जब लोग शिक्षित होने लगे, तो नौकरी के लिए पलायन कर जाते हैं. साथ में संगिनी भी हो लेती है. अब संजुक्त परिवार से धीरे -धीरे अन्य बेटे भी पलायन करने लग जाते हैं. पश्चात परिवार में बच्चों की कमी स्नेह आंसुओं में झलकने लगे. एकता में टूट आन पड़ा. और इस प्रकार इधर भी और उधर भी फुट में आ गए.
              इस प्रकार जब बेटों के बेटे हुए तो पूर्व की तरह ये भी पलायन कर गए और परिवार इंच में ही सिमट कर रह गए. माता - पिता व भाइयों में प्यार छुट गया. पैसा से धनवान तो बन गया पर जीवन से एक दूसरे से प्यार, एकजुटता नगन्य हो गया. परिवार इंच की नाप की तरह रह गया. पुराने बच्चों के बिना सदा के लिए धरती से ही पलायन कर गए. सबों ने ईश्वर की मर्जी मान पुनः एकाकी जीवन की ओर अग्रसर हो गए ।
सूत्रधार, खगौल की प्रस्तुति थी  नाटक  " गज फुट इंच "
लेखक पद्मश्री के पी सक्सेना , परिकल्पना एवं निर्देशन नवाब आलम की थी।  मंच पर कलाकार  लाडली राय , सोनल,  नवीन कुमार अमूल , भारती नारायण , सुजीत कुमार उमा, आजाद शक्ति ,संजय यादव थे।
मंच पर रूप सज्जा : सुमन कुमार
प्रकाश : रितेश परमार,अरुण कुमार
मंच व्यवस्था : आदर्श कुमार,सैफ अली, सुभम
मंच सामग्री : मो राशिद, मो आसिफ
उद्घोषणा : प्रो प्रसिद्ध कुमार
सहयोगी : मो सदीक,अस्तानंद सिंह थे ।

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