जातीय दंश - समाज की रीढ़ पर चोट !


 




इक्कीसवीं सदी में लोग ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने में लगे हैं लेकिन आज भी हम जातीय भेदभाव को मन से नहीं मिटा रहे हैं। जाति ,वर्ग मानव निर्मित है लेकिन इसके आर में छुआछूत मानवता पर कलंक है।

समाज की रीढ़ पर चंद लोगों ने ऐसी चोट की, जिसने सभ्य समाज के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दीं। जिला अस्पताल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नीरज के साथ जो हुआ, वह बेहद शर्मनाक था।  उन्होंने आत्महत्या से पहले जो वीडियो बनाया, उन शब्दों पर गौर करें...'मैं वंचित जाति के परिवार में पैदा हुआ, इसमें मेरा क्या कुसूर है ? कुछ लोग जातिसूचक शब्द बोलकर अपमानित करते हैं। क्या वंचित जाति में जन्म लेना गुनाह है। ऐसा लगता है कि मैं वंचित जाति का होने के कारण खुद से घृणा करने लगा हूं...।  यह वीडियो पुलिस को सौंपकर आरोपितों पर कार्रवाई की मांग की गई।

शुक्रवार को नीरज का शव फंदे से लटका मिलने के बाद स्वजन भी नहीं समझ पा रहे थे कि ऐसा कदम क्यों उठाया। बाद में उनका मोबाइल फोन देखा तब वीडियो मिला। उसमें वह कह रहे कि कैलाशपुरम में 20.50 लाख रुपये का खरीदा था। जब से मकान खरीदा तब से पड़ोसी अपमानित करता था। कहता था कि वंचित जाति के युवक को मकान क्यों दे दिया गया। वह शब्दों से टार्चर करता था।

वंचित जाति के परिवार में पैदा होना क्या गुनाह है? मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि नया आदेश लाएं, इस तरह के शब्दों को हटा दें। लोग जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित करते हैं।


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