दीप जले ज्ञान का। शुभ दीपावली !
दीपक सुंदर देख करि, जरि-जरि मरे पतंग।
बढ़ी लहर जो विषय की, जरत न मोरै अंग॥
-कबीर
दीपक की सुनहरी-लहराती लौ की ओर आकर्षित होकर कीट-पतंगे उसमें जल मरते हैं। इसी प्रकार कामी लोग भी विषय-वासना की तेज लहर में बहकर यह तक भूल जाते हैं कि वे डूब मरेंगे।
'अप्प दीपो भव' का मतलब है, 'अपना प्रकाश स्वयं बनो'. यह भगवान गौतम बुद्ध का एक महत्त्वपूर्ण विचार है.
शिक्षा का मतलब ज्ञान,सदाचार,उचित आचरण,तकनीकी शिक्षा तकनीकी दक्षता,विद्या आदि को प्राप्त करने की प्रक्रिया को कहते हैं। शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं।
जो खुद ज्ञानविहीन अंधकार में है, उससे कोई प्रकाश की उम्मीद क्या कर सकता है ?
दीपक दीया तेल भरि, बाती दई अघट्ट।
पूरा किया बिसाहुणाँ, बहुरि न आवौं हट्ट॥ - कबीर
साधक ने ज्ञानरूपी दीपक प्राप्त कर लिया है। जिसकी बाती कभी खत्म नहीं होने वाली है। अर्थात भक्ति रूपी बाती कभी भी ख़त्म नहीं होगी। अब जब सारा ज्ञान मिल ही गया है तो कौन फिर से बाजार (संसार) में आना चाहेगा। मतलब जिसने बाजार से संपूर्ण सौदा खरीद लिया हो, वह फिर से बाजार में नहीं आना चाहेगा।
दीपावली में दीप जलाने की अनेक कहानियां हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान की ज्योति जलाने की है।
'तमसो मा ज्योतिर्गमय' अर्थात , 'मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो'
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