बांटोगे तो बचोगे , मिक्स हैं तो नेक हैं !
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
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क्यों न हम पॉजिटिव एनर्जी और हकीकत के साथ छद्म स्लोगन को इतिश्री कर चश्मे की धूल को साफ करें। एकता ही बल है।यह पुरानी कहावत है लेकिन इधर कुछ दिनों से दूसरी कहावत प्रचलित है कि' बांटोगे तो काटोगे ' ", एक हैं तो सेफ हैं "। सवाल है कि कौन बांट रहा है और कौन काट रहा है? यहां तो लोग बांट रहा है। साधारण लोग स्वजातीय से इतर शादी कर ले तो खैर नहीं ,लेकिन बड़े बड़े लोग धर्म के डंका पीटने वाले दूसरे धर्मों में अपनी बेटियों की शादी करने में गर्व महसूस कर रहे हैं।यह लंबी लिस्ट है और प्रायः सब के सब सब धर्म के ठेकेदार लोग ही हैं। अब किसे बंटने और किसे कटने की बात रहे हैं, समझ से परे हैं। एक करीब 50 वर्षों से अपनी जीवन संगनि से न बोला, न मुँह देखा वो भी एक और सेफ की बात कर रहे हैं। अकबर के दरबार में 9 रत्न थे और सभी ब्रह्मा के मुख से पैदा होने वाले लोग थे तब धर्म खतरे में नहीं था। सैंकड़ों साल भारत में मुसलमानों का राज रहा , बड़े बड़े रियासत एस्टेट के मालिक किसे बनाया,जमींदार किसे बनाया ,ये जानने की जरूरत है। मुसलमानों के नाम पर आज भी आपके इर्द गिर्द अनेक गांवों के नाम मिल जाएंगे ,उनके जमीन कहाँ गये, उनके विरासत को कौन वारिस है? यह गहन चिंतन का विषय है। मुस्लिमों के विरासत पर एशोआराम करने वाले आज हिन्दू धर्म ,सनातन धर्म खतरे की बात कर रहे हैं। जो अपनी इज्जत आबरू से समझौता नहीं किया, जंगलों, नदियों के किनारे चला गया था वो वंचित और यहां का मूल निवासी हैं जो आज भी भूमिहीन हैं, कमेरा वर्ग हैं। अफसोस कि आज अपने गौरवशाली अतीत को न जानकर मनुवादियों की झांसे में आकर कलम की जगह तलवार पकड़ रहा है। नफरती लोग न रोजगार, शिक्षा, महंगाई, न सद्भाव की बात कर केवल दिन रात देश में नफरत ,द्वेष की भाषा बोल रहे हैं। ऐसे नफरती लोगों के बयान पर संग्यान लेने की जरूरत है।
घरों में क़ैद हैं बस्ती के शोरफ़ा
सड़क पर हैं फ़सादी और गुंडे
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