राजनीतिक दलों के हिसाब से लगता है परिवारवाद का आरोप !

     


   भोलेभाले लोग  धूर्तों के झांसे में आकर अपने ही सर्वनाश करने पर तूल जाते हैं और  सोशल मीडिया पर अनाप शनाप लिखने लगते हैं। कोई ऐसा राजनीतिक दल नहीं है जहाँ परिवार के लोग राजनीति में शामिल नहीं है और इसमें बुराई क्या है? योग्य राजनीतिज्ञों को क्या इसलिए राजनीति में नहीं आना चाहिए कि उनके परिवार के राजनीति में हैं।  गैर परिवार में भी राजनीति विरासत सौंप कर राजनेताओं ने देख लिया है तो कोई जीतनराम मांझी, चंपई सोरेन ,चंद्रबाबू नायडू आदि बनकर उभरे और भस्मासुर ही बने हैं।  महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित रहे हैं. महाराष्ट्र में महायुति को चुनाव नतीजों में प्रचंड बहुमत मिली.  वहीं झारखंड में एक बार फिर जनता ने सोरेन पर भरोसा जताया है. इस चुनाव में कई बड़े चेहरे हैं जो अपने प्रतिद्वंद्वियों से हार गए हैं. इनमें पूर्व सीएम से लेकर उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं. 2024 के महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में कई प्रमुख नेताओं के रिश्तेदार भी चुनावी मैदान में थे. हालांकि, उनके प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहे।

महाराष्ट्र आदित्य ठाकरे (उद्धव ठाकरे के पुत्र) ने अपनी परंपरागत सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, हालांकि पार्टी का प्रदर्शन राज्य स्तर पर कमजोर रहा. एनसीपी के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बारामती सीट से अपनी परंपरागत जीत दर्ज की. हालांकि, एनसीपी के बंटने का असर पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ा. भाजपा के डिप्टी सीएम फडणवीस ने अपनी सीट सुरक्षित रखी और राज्य में महायुति की जीत सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई. महाराष्ट्र चुनाव में कुल 15 बड़े नेताओं के रिश्तेदार मैदान में उतरे थे, जिनमें से अधिकांश ने परंपरागत सीटों पर अपनी पकड़ बनाए रखी.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी को जनता की सहानुभूति नहीं मिल पाई. वह वांद्रे ईस्ट सीट पर शिवसेना-यूबीटी के वरुण सतीश सरदेसाई से हार गए . स्वरा भास्कर के पति फहाद अहमद को भी हार का सामना करना पड़ा. स्वरा को अजित पवार की NCP की सना मलिक ने हराया है. बता दें कि सना नवाब मलिक की बेटी हैं. नवाब मलिक शिवाजी मानखुर्द सीट पर अबू आजमी से 30 हजार से अधिक वोटों से हार गए . 

पूर्व सीएम विलासराव देशमुख के बेटे धीरज देशमुख को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. धीरज विलासराव देशमुख को लातूर ग्रामीण सीट पर बीजेपी के रमेश काशीराम कराड ने हराया .शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार बारामती से चुनाव हार गए . उन्हें चाचा अजित पवार ने 100899 वोटों के अंतर से हराया. युगेंद्र को  कुल 80233 वोट मिले. पूर्व सीएम वसंत दादा पाटिल की परिवारिक सदस्य जयश्री पाटिल सांगली से चुनाव हार गई हैं. उन्हें बीजेपी के नेता  सुधीरदादा गाडगिल ने हराया .पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण भी कराड दक्षिण से चुनाव हार गए. उन्हें बीजेपी के अतुलबाबा भोसले ने हराया.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के परिवार के चार सदस्यों ने चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई.  हेमंत सोरेन (बरहेट सीट): हेमंत सोरेन ने बरहेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और 95,612 वोट प्राप्त कर भाजपा के गमालियल हेंब्रम को 39,791 वोटों से हराया. यह उनकी लगातार तीसरी जीत है. हेमंत सोरेन की पत्नी, कल्पना सोरेन ने गांडेय सीट से जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड़ा. उन्होंने भाजपा की मुनिया देवी को 9,361 वोटों से हराया. यह उनकी पहली विधानसभा जीत है. हेमंत सोरेन के छोटे भाई, बसंत सोरेन ने दुमका सीट से जेएमएम के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. उन्होंने भाजपा के सुनील सोरेन को 14,588 वोटों से हराया. यह उनकी लगातार दूसरी जीत है. हेमंत सोरेन की भाभी, सीता सोरेन ने जामताड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. हालांकि, उन्हें कांग्रेस के इरफान अंसारी से 43,676 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. कुल मिलाकर, हेमंत सोरेन के परिवार के तीन सदस्यों ने चुनाव जीता, जबकि एक को हार का सामना करना पड़ा.

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबू लाल सोरेन को घाटशिला सीट पर हार का सामना करना पड़ा. रामदास सोरेन (JMM) ने यहां जीत हासिल की.अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को पोटका सीट से JMM के संजीव सरदार ने हराया. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को कांग्रेस के सोना राम सिंकु ने हराया. शिबू सोरेन की बहू सीता मुर्मू को जामताड़ा सीट पर कांग्रेस के इरफान अंसारी ने हराया.जमशेदपुर ईस्ट पर बीजेपी से रघुबर दास की बहू पूर्णिमा साहू ने कांग्रेस के अजय कुमार को हराया. सरायकेला से पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (BJP) ने यहां जीत दर्ज की.धनवार से बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने इस सीट पर जीत दर्ज की.बिहार उप चुनाव में चारों सीट एनडीए की खाते में आये। राजद बेलागंज व रामगढ़ सीट बचाने में नाकाम रहा तो माले तरारी। प्रियंका गांधी लाखों मतों से जीतकर  संसद में बुलंद आवाज करने की मार्ग प्रशस्त की। परिवारवाद पर शोर मचाने वाले उपरोक्त तथ्यों से समझ गए होंगें कि बिना परिवारवाद के कौन सी राजनीति दल है?


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