मैनपुर अन्दा पंचायत में पैक्स अध्यक्ष की कुर्सी अम्बिका यादव ने बरकरार रखी !
गोनपुरा राजीव रंजन, रामपुर फरीदपुर सुबोध सहित फुलवारी के प्रायः सभी पुराने सीट बचाने में रहे कामयाब! जो किसी कारण से नही लड़ पाए वहीं बदला।
80 फ़ीसदी पुराने अध्यक्ष कुर्सी बचाने में रहे सफल।
मैं कल अपने एक्जिट पोल में इस जीत पर प्रबल संभावना जताई थी जो आज परिणाम में सामने आया। अम्बिका यादव की इस सीट पर लगभग 30 वर्षों से नाबाद कब्जा है। हर बार चुनाव में सीधा मुकाबला किसी से नहीं हो पाया ।हाँ रननर में दो -तीन बार कोइरी समुदाय से रहे तो एक बार भूमिहार समाज से। बीच बीच में हर बार लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने के लिए अध्यक्ष के उम्मीदवार के गांव बसन्तचक से ही प्रतिद्वंद्वी रहे ,लेकिन वे उतना वोट नहीं ला पाये की सीधे मुकाबले में आ जाये।इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। अम्बिका यादव के साथ अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक ,यादव ,भूमिहार व कुर्सी वोट एकमुश्त साथ रहते हैं और इस समीकरण को तोड़ने में पंचायत के कोई सफल नहीं हो सके। इस बार इस पद पर बदलाव के लिए अध्यक्ष के स्वजातीय मुखिया ,गांव के ही सरपंच सहित अन्य लोग लगे ,लेकिन दुर्भाग्य से बदलाव वाले लोग इसमें वोटर्स ही नहीं थे और ना ही उनके समर्थक व परिवार के लोग। पैक्स के वोटर बनना बहुत हद तक पैक्स अध्यक्ष की मर्जी से होती है और वे जानते हैं कि कौन समर्थक व कौन विरोधी है? अम्बिका यादव को सबसे अधिक समर्थन उनके गांव बसन्तचक, बोधगवाँ, मंझौली, खड़कचक ,बाबूचक, महम्मदपुर, धर्मपुर में था वही प्रतिद्वंद्वी अन्दा पकौली में ही सिमट कर रह गए।अम्बिका यादव की तरफ से अन्दा में सूरज यादव ,बाबूचक में अर्जुन यादव, महमदपुर रामवचन राय ,मंझौली में विष्णु राम ,बोधगवाँ में मो हकीम ,बसन्तचक में कुर्मी समाज से शैलेंद्र सिंह मैनपुर में इसी समाज से दिनेश सिंह ,खड़कचक में भूमिहार समाज से सतेंद्र सिंह ,मंझौली से भी भरपूर सहयोग रहा। ये लोग खुलकर अम्बिका के साथ थे। विगत चुनाव में अम्बिका करीब 140 वोट से विजयी थे इस बार 180 वोट से विजयी हुए।
पैक्स अध्यक्ष को सभी के काम करना चाहिए, चुनाव में प्रतिद्वंद्वी होते हैं, इसका मतलब यह नहीं होता है कि कोई शत्रु है। सबका साथ, सबका काम मन्त्र को याद रखें।
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