मनमोहन सिंह से लेकर रतन टाटा ,पंकज उधास ,किशोर कुणाल ,शारदा सिन्हा तक…2024 में इन हस्तियों का हुआ निधन!

 

 



नए साल की ओर बढ़ने से पहले एक बार फिर उन्हें याद कर लेते हैं जो अब नहीं रहे. वर्ष 2024 इतिहास में उन दिग्गजों को खोने के लिए भी याद किया जाएगा, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया. राजनीति, संगीत, कला, सिनेमा, साहित्य और व्यापार जैसे क्षेत्रों में देश ने कई महान विभूतियों को खो दिया.
पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के शिल्पकार डॉ. मनमोहन सिंह  का 26 दिसंबर को निधन हो गया. 1990 के दशक में आर्थिक संकट से देश को उबारने वाले मनमोहन सिंह की नीतियों ने भारत का भविष्य बदल दिया. वहीं, इसी वर्ष, उद्योग जगत के दिग्गज रतन टाटा के निधन से भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र में अपूरणीय शून्य पैदा हुआ. टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा ने भारतीय व्यापार को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. 9 अक्तूबर 2024 को दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया था. साल जाते जाते अमेरिकी राष्ट्रपति कार्टर को भी अपनी मौत की आगोश में ले ली।
29 दिसंबर को पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया । ये मानव कल्याण के लिए अनेक ऐतिहासिक कार्य किये हैं।  बिहार के नेता सुशील कुमार मोदी, पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह,फ़िल्म निर्माता रामो जी राव आदि
इस वर्ष संगीत और कला जगत से भी बड़ी हस्तियों ने हमें अलविदा कह दिया. तबला वादक ज़ाकिर हुसैन (निधन 15 दिसंबर 2024), शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खान (9 जनवरी 2024), ग़ज़ल गायक पंकज उधास (26 फरवरी 2024), और भरतनाट्यम नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति (3 अगस्त 2024) का निधन हुआ. ज़ाकिर हुसैन ने तबले को वैश्विक पहचान दिलाई और अपने करियर में चार ग्रैमी पुरस्कार जीते थे. भोजपुरी और मैथिली लोकगीतों को लोकप्रिय बनाने वाली शारदा सिन्हा (5 नवंबर 2024) भी इस साल हमारे बीच नहीं रहीं. उनके छठ गीत भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा बन गए थे.
साहित्य जगत में मुनव्वर राना (14 जनवरी 2024), केकी एन दारूवाला (26 सितंबर 2024), उषा किरण खान (11 फरवरी 2024) और मालती जोशी (15 मई 2024) जैसे नामचीन हस्तियों का निधन हुआ. मुनव्वर राना ने अवधी और उर्दू में अपनी कविताओं से हर दिल को छुआ. सिनेमा की दुनिया ने श्याम बेनेगल (23 दिसंबर 2024) और कुमार शाहनी (24 फरवरी 2024) जैसे फिल्मकारों को खो दिया. भारतीय समानांतर सिनेमा के ये स्तंभ “अंकुर”, “मंथन”, “माया दर्पण” और “कस्बा” जैसी कालजयी फिल्मों के लिए याद किए जाएंगे.
खानपान की दुनिया में दमपुख्त शैली को पुनर्जीवित करने वाले शेफ इम्तियाज़ कुरैशी (16 फरवरी 2024) और सार्वजनिक कला को नई पहचान देने वाले हनीफ कुरैशी (22 सितंबर 2024) भी अब हमारे बीच नहीं हैं. आकाशवाणी की पहचान और लाखों श्रोताओं की आवाज़ बने अमीन सयानी (20 फरवरी 2024) के निधन से रेडियो जगत ने एक बड़ा सितारा खो दिया. 2024 को इन दिग्गजों के जाने के गहरे दुख और उनकी विरासत को सहेजने के वर्ष के रूप में याद किया जाएगा.

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