पूर्व सीओ से आज मेरे घर पर खट्टी मीठी बातें हुईं।



   

जितेन्द्र प्रसाद फुलवारी शरीफ  व  दुल्हिन बाजार के पूर्व सीओ  आज लंबे समय के बाद मुझसे मिलने मेरे घर अपने पुत्र के साथ आये।जब ये फुलवारी में थे तो मुझे मेरे घर पर ही मुलाकात हुई थी।इनके साथ राजस्व कर्मचारी, अमीन भी थे।  काफी समय हम दोनों के मिले हो गये थे ,सिर्फ व्हाट्सएप पर हेलो हाय होती।आज सुबह मुझसे मिलने की इच्छा जताई।मेरे लिए सुखद अनुभूति थी ,क्योंकि साधारण व्यक्ति भी बिना काम के कोई मिलने की ख्वाहिश नहीं रखते । समय से 1 घंटा बाद आये ,रास्ता भटक गए थे। खैर ,आये मिले। हंसी मजाक में एक एडीएम के बारे में मुझसे मुलाकात की बात की।मैं कहा बस एक बार मुजफ्फरपुर उनके कार्यालय में गये थे । ये एडीएम शायरी ,गजल खूब लिखते थे और मैं कभी कभी अपनी पत्रिका में प्रकाशित कर देता था।एक सम्पादक होने के नाते मुझे कॉन्टेंट को चयन करना पड़ता था। बहुत ही एडीएम मिश्रा जी बहुत मजे के आदमी थे।जितेंद्र कुमार वही पर सीओ थे इसलिए इनसे भी परिचित थे। ये भी अच्छा गीत गाते हैं।एक बार मैं इन्हें फोन लगाया।वे फोन रिसीव किये लेकिन उधर से सुरीली आवाज गीत की आ रही थी।करीब 5 मिनट तक गाना मुझे सुनाते रहे। 

 उस वाक्या को मैं आज पूछा तो बोले कि उस वक्त वे नागपुर में थे और बेटी की कुछ ही दिनों में शादी होने वाली थी।इस खुशी में वो हृदय की गान थी। करीब दो सप्ताह बाद मेरे व्हाट्सएप पर इनकी धर्मपत्नी की श्राद्ध की कार्ड मिला।मैं शब्दों से ही सहानुभूति प्रकट किया।

आज हम दोनों जब बात कर रहे थे तो इनके पुत्र हंस रहे थे, क्योंकि बात करने का लहजा हमलोगों में अधिकारी व किसान का नहीं मित्र का था। 

 ऐसे ईमानदार अधिकारी हो जाएं तो क्या कहना है? मेरे कहने पर 4-5किसानों को रसीद कटवाकर घर पहुंचा दिया था, उस वक्त ऑफ लाइन था और रसीद उनलोगों को कटने में परेशानी हो रही थी।

 सरकार आई मेरे द्वार कहावत चरितार्थ किया था।

जितेंद्र जी आप एक मिसाल है ,दुर्लभ हैं।आज भी आप बाइक से ही आये थे। आप आईएएस व्यास जी के सान्निध्य में रहें और मैं भी उन्हें व्यक्तिगत रूप से जनता हूँ।

 

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