भ्रष्टाचारियों ने भारतीय रेलवे को दीमक की तरह खा गया !
रेलवे विभाग में घोटाले की कितनी छेद है ,गिनती करना असम्भव है। सही काम करवाने के लिए लोगों के चप्पल घिस जाते हैं, कुछ लोगों के काया बदल गया लेकिन उनके समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। रेलवे भारत सरकार की बहुत बड़ी नियोक्ता वाली विभाग है।यह सीधे देश की जनता की सेवा से जुड़ा हुआ है। एक अधिकारी की भी मनमानी से लाखों जनता प्रभावित होती है और हजारों रेलवे कर्मचारी भी। अब सवाल है कि ये बात किसे समझाया जाये ? प्रायः बड़े ओहदे पर बैठे लोग ऑल इंडिया सर्विसेज कम्प्लीट कर आते हैं । न्यायाधीश यानी न्याय के देवता की ऐसी करतूतें देखकर लगता है कि भले ही हम अदम युग में अच्छे थे ,जहां भ्रष्टाचार नाम की कोई चीज नहीं थी। ईडी ने रेलवे क्लेम घोटाले में छापेमारी की है। यह घोटाला लगभग 100 करोड़ रुपये का है। इसमें फर्जी दस्तावेजों के जरिए रेलवे कर्मचारियों के नाम पर पैसे हड़पे गए हैं। ईडी ने पटना, नालंदा और मैंगलूरु में पांच ठिकानों पर छापे मारे हैं। इस मामले में कई बड़े नाम जांच के दायरे में हैं।
शक है कि इस घोटाले में कई बड़े नाम शामिल हैं। रेलवे के पूर्व न्यायिक अधिकारी आर.के. मित्तल और वकील बी.एन. सिंह के ठिकानों पर भी छापेमारी हुई है। आर.के. मित्तल को कुछ साल पहले भ्रष्टाचार के आरोप में नौकरी से निकाल दिया गया था।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने दर्ज किया था। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस उदय यू. ललित की बेंच ने जांच एजेंसियों को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इस घोटाले में रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दावे बनाए गए थे। इन दावों के आधार पर बड़ी रकम हड़प ली गई। इस रैकेट में कई लोग शामिल थे।
क्या यही है हमारा इक्कीसवीं सदी की विकसित भारत ?
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