नये मंत्री राजू सिंह के खिलाफ अनेक आपराधिक मामले हैं।
नीतीश कुमार का नये मंत्रिमंडल विस्तार में रती भर भी नहीं चली। जैसा गुरु वैसा चेला के तर्ज पर आपराधिक पृष्ठभूमि के अनेक लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो जदयू को भाजपा हाईजैक कर लिया है। अब भाजपा जो चाहेगी वही होगा।जदयू माटी की मूरत बनकर रह गई है।राजू सिंह के खिलाफ दिल्ली में एक महिला की हत्या का आरोप लगा है। बिहार में अनुसूचित जाति के लोगों को भद्दी भद्दी गालियां देने मारपीट का भी आरोप है।
मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से भाजपा के विधायक राजू कुमार सिंह आज नीतीश कैबिनेट में शामिल हो गए। उन्हें मंत्री बनाया गया है। राजू सिंह का परिवार दवाओं के कारोबार से जु़ड़ा है। राजू सिंह के पिता आनंदपुर खरौनी पंचायत के कई बार मुखिया रह चुके हैं, जबकि खुद राजू सिंह चार बार अलग-अलग पार्टियों से विधायक चुने जा चुके हैं। उनकी पत्नी रेणु सिंह भी पूर्वी चंपारण से एमएलसी रही हैं।
12 जनवरी 1970 पारू थाना क्षेत्र के आनंदपुर खरौनी गांव में जन्मे विधायक राजू सिंह मुजफ्फरपुर के पारू प्रखंड के बड़ा दाउद गांव के रहने वाले हैं। उनकी गिनती बिहार के रसूखदार सियासतदार के साथ ही उद्योग और व्यवसाय जगत के बड़े लोगों में की जाती है। कारोबारी से इंडस्ट्रियलिस्ट और फिर राजनीति में एंट्री करने वाले राजू सिंह ने साल 2005 में पहली बार लोजपा के टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए थे। इसी साल लोजपा में टूट हो गई, जिसके बाद अक्टूबर में पार्टी बदलकर राजू सिंह जदयू में शामिल हुए और दोबारा साहेबगंज से विधायक चुने गए। साल 2010 में तीसरी बार राजू सिंह साहेबगंज से विधायक चुने गए।
राजू सिंह साल 2009 में अपनी पत्नी रेणु सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ा कर एमएलसी बनाने में सफल रहे थे। राजू कुमार सिंह ने 2015 में जदयू को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। 2020 में एक बार फिर पार्टी बदलते हुए राजू सिंह ने वीआईपी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, दो साल बाद यानी 2022 में राजू सिंह के साथ दो अन्य विधायकों ने मुकेश सहनी की वीआईपी से नाता तोड़ लिया और भाजपा में शामिल हो गए।
अब देखना है कि भाजपा की इस कसमकस को कितना झेल पाते हैं? या बीच में ही फिर मायके का रुख करते हैं।
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