भारत के 284 अरबपतियों की संपत्ति देश के जीडीपी का 1 फ़ीसदी हो गया।
भारत आर्थिक मामलों में दुनिया के एक असमानता वाला देश बनता जा रहा है। लोकतांत्रिक देश में अमीरों को अधिक अमीर बनने के लिए बैंकों के अरबों रुपये के कर्ज माफ़ी कर दी जाती है ताकि अमीर और अमीर बन सके।
भले ही भारत अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रहा है, इस प्रगति का लाभ हर किसी तक नहीं पहुँच रहा है, विशेष रूप से उन लोगों तक जो हाशिये पर स्थित हैं।
आर्थिक विकास पर विशेष केंद्रित बने रहने के दृष्टिकोण पर भारत में चिंता बढ़ रही है। वृहत समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये नीतिगत हस्तक्षेप और व्यापक सरकारी कार्रवाइयों की तत्काल आवश्यकता महसूस की जा रही है।
वर्ष 2024 में वैश्विक जीडीपी रैंकिंग में भारत 5वें स्थान पर रहा। देश की अर्थव्यवस्था 3.7 ट्रिलियन डॉलर की बताई गई है, जो एक दशक पहले 1.9 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की स्थिति से एक उल्लेखनीय प्रगति को इंगित करता है। भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर और वर्ष 2035 तक 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने की ओर अग्रसर है।
भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ में बदलने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
भारत में धन असमानता: भारत विश्व के सबसे असमान देशों में से एक है, जहाँ शीर्ष 10% आबादी के पास कुल राष्ट्रीय संपत्ति का 77% भाग पाया जाता है। भारतीय आबादी के सबसे समृद्ध 1% के पास देश की 53% संपत्ति मौजूद है, जबकि आबादी का आधा गरीब हिस्सा राष्ट्रीय संपत्ति के मात्र 4.1% के लिये संघर्षरत है।
आय असमानता: विश्व असमानता रिपोरट 2022 के अनुसार भारत विश्व के सबसे असमान देशों में से एक है, जहाँ शीर्ष 10% और शीर्ष 1% आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का क्रमशः 57% और 22% हिस्सा है, जबकि निचले 50% की हिस्सेदारी घटकर 13% रह गई है।
गरीबों पर कर का बोझ: देश में कुल वस्तु एवं सेवा कर का लगभग 64% निचली 50% आबादी से प्राप्त होता है, जबकि इसमें शीर्ष 10% का योगदान मात्र 4% है।
स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच का अभाव: कई आम भारतीयों को आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल नहीं मिल पाता है। उनमें से 63 मिलियन (लगभग प्रति सेकंड दो लोग) हर वर्ष स्वास्थ्य देखभाल की लागत के कारण गरीबी में धकेल दिये जाते हैं।
भारत की लगभग 74% आबादी स्वस्थ आहार ग्रहण कर सकने की वहनीयता नहीं रखती जबकि 39% को पर्याप्त पोषक तत्व प्राप्त नहीं होता।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2023: भारत का वर्ष 2023 का GHI स्कोर 28.7 रहा, जो GHI भुखमरी गंभीरता पैमाने पर गंभीर स्थिति है।भारत में बच्चों की वेस्टिंग दर 18.7 है, जो कि रिपोर्ट में सर्वाधिक है।
लैंगिक असमानता: ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में भारत 146 देशों में 127वें स्थान पर रहा और कार्यबल में ‘महिलाओं की अनुपस्थिति’ लगातार बनी रही समस्या का सामना कर रहा है जो एक जटिल समस्या है।
भारत के 284 अरबपतियों की संपत्ति 2024 में 10 फीसदी बढ़कर 98 लाख करोड़ रुपये या घरेलू जीडीपी का एक-तिहाई हो गई है। खास बात है कि भारत ने हर अरबपति की औसत संपत्ति के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। चीन के 29,027 करोड़ की तुलना में भारत में हर अरबपति की औसत संपत्ति 34,514 करोड़ है।
समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी की संपत्ति दुनिया में सबसे ज्यादा एक लाख करोड़ बढ़ी है। इसके साथ ही, उनकी दौलत 8.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है। वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी की संपत्ति 13 फीसदी घटकर 8.6 लाख करोड़ रह गई।
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