मूर्खाधिराज की जय हो ! हास्य व्यंग्य - प्रो प्रसिद्ध कुमार।

  


 जो जितना अधिक मूर्ख ,वो उतना अधिक लोकप्रिय !

मूर्खों पर हमें गर्व महसूस करना चाहिए। यह सकूं देने वाला पल होता है। मूर्खों की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसे कोई समझदार नहीं बना सकता है। चाहे शिक्षक, प्रोफेसर कोई हो ।इनके आगे किसी की बुद्धि नहीं चलती है। मूर्ख दर्शन के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है, वो आपके इर्दगिर्द मंडराते रहेंगे।जरूरत है पहचानने की। मूर्ख न खाएंगे न खाने देंगे की सिद्धान्त पर चलते हैं। यक्ष प्रश्न है कि मूर्खों की पहचान कैसे हो? कई बार लोग मूर्खों व चतुरों में पहचान नहीं कर पाते हैं। मूर्ख - जो अपनी बातों पर अड़ा रहा ,खुद को स्वम्भू समझे ,अहंकारी हो ,बकबक करने वाले हो ,हर विषय का ज्ञानी समझे ,बेवजह किसी को सलाह दे, अपना घर परिवार न बसाए और दुनिया के सफल घर बसाने का टिप्स दे , जो कभी कॉलेज,स्कूल नहीं गया हो और स्टूडेंट्स को पढ़ाई का टिप्स दे, जिसके आगे पीछे लाखों अनुयायी चले ,दिन को रात कहे और रात को दिन और लोग मान ले ,झूठ को सच की तरह आत्मविश्वास के साथ धाराप्रवाह बोले ,झगड़ा-झंझट ,विवादों को बढ़ावा दे , नई नवेली दुल्हन की तरह नित्य नये परिधान पहने  , अपनी करनी पर कोई  पश्चाताप न करे आदि।  मूर्ख तर्कवादी व वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले नहीं होते हैं, इनके नस नस में ढोंग ,पाखंड, आडम्बर ,अंधविश्वास भरा होता है।ऐसे लोगों को देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है । मूर्ख सर्वसम्पन्न गुण वाले होते हैं। इस कलियुग में मूर्खों की पूजा होती है, गणेश परिक्रमा से लेकर चरण वंदन होते हैं।

मूर्खाधिराज की जय हो !

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