बिहार में निम्न ,मध्य वर्गीय परिवार के संघर्षरत दूभर जीवन !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

  


इनके पास न विरासत की अचल संपत्ति भूमि ,खानदानी पेशा ना ही  अमीरों जैसे बड़े - बड़े महल अटारी होते हैं। प्रतिदिन घर के पूरा परिवार मजदूरी करते हैं  तब इनके घरों के चूल्हें जलती है। साधारण बीमार होने पर भी इनके भाग्य में आराम करना नहीं लिखा होता है, ज्यादा बीमारी होने पर पैसे के अभाव में सीधे सुरधाम पहुंच जाते हैं । आजादी के करीब 58 साल बाद भी देश में 80 करोड़ से अधिक लोग गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। केंद्र की मौजूदा सरकार भूमि सुधार के लिए स्वामीनाथन आयोग लागू करने की घोषणा की थी ,लेकिन भूस्वामियों के भय से यह सरकार हिम्मत नहीं जुटा पाई। पूर्व में कॉंग्रेस की सरकार ने जमींदारी उन्मूलन कर कुछ हद तक जमींदारी छीन ली थी, जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ा था। समय के साथ जमींदारों ने सीधे राजनीति में प्रवेश कर अपनी जमींदारी ठाठ को आज भी बरकरार रखे हुए हैं। निम्न ,मध्य वर्गीय परिवार से जो राजनीति में प्रवेश किये वो भी इसी ठाठ में जीने लगे और वंचितों को भूल गए।  

बिहार का विकास दर चौथे , जनसंख्या में तीसरे  ,क्षेत्रफल 12 वें ,शिक्षा 36 वें व अपराध में 6ठे स्थान पर है।

बिहार की रकवा देश की 12 वें स्थान पर है लेकिन देश की जनसंख्या का बोझ तीसरे स्थान पर है। यहां क्षेत्रफल और जनसंख्या में भी देश व राज्य स्तर पर बड़ी असमानता है। 

बिहार में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद भारत में सबसे कम है. 

बिहार में कृषि का हिस्सा 24%, उद्योग का 15% और सेवा का 61% है. 

बेरोजगारी  का आलम यह है कि यहां एक चौथाई से अधिक  परिवार को 6 हजार तक मासिक आमदनी है।

 नये आर्थिक ,शैक्षणिक सर्वे में यहां ग्रेजुएशन सिर्फ 7 फीसदी आबादी ने की है।

एक सामाजिक अंकेक्षण के अनुसार बिहार की स्थिति -

बिहार जनसंख्या के हिसाब से हिंदुस्तान का दसवां हिस्सा है ( लगभग), 

*महाराष्ट्र, गुजरात तमिलनाडु* के पास संयुक्त रूप से देश भर के कुल कारखानों का 38.3% है। 

देश की 42% कार्यशील पूंजी *महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु* में कार्य कर रही है।

*गुजरात, महाराष्ट्र और ओडिशा* देश की 39.6% स्थिर पूंजी का उपभोग कर रहे है। 

बिहार की समस्याओं का  यह मूल है । इस मुद्दे पर किसी नेता को इसकी चर्चा करते हुए सुना नहीं सुना होगा ना ही मीडिया को 

जनप्रतिनिधि रूपी महाराजा क्यों चुपी साधे हुए रहते हैं या विवेक शून्य है।


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