सावित्री बाई फुले व अम्बेडकर की सपनों को साकार करतीं बिहार की बेटियां !
ये बेटियां किसी ढोंग, पाखंड ,तंत्र मंत्र जप तप या कोई चमत्कार से टॉप नहीं बनी है, बल्कि कड़ी मेहनत, लग्न ,मेहनत से। इसके बावजूद लोग अभी भी किसी दैवीय शक्ति से कुछ अजूबा होने की आस में अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं। ये सब धंधा से ज्यादा कुछ नहीं है जो एक बार इसके गिरफ्त में आ गए तो बिना सर्वनाश हुए नही रुकते हैं। अभी एक बार फिर ढोंग का बढ़ावा जोरों से है और उस पर प्रहार कीजिए तो मिर्ची लगती है। चाहे जितनी मिर्ची लगे ,हम रुकेंगे नहीं और न कभी तेरे झांसे में आएंगे। हमारे देश में बेटियों की शिक्षा का अधिकार नहीं थी। बेटियों को पढ़ाना पाप व फिजूल समझा जाता था ,उस वक्त हमारे देश में बेटियों की शिक्षा को महत्व को सावित्री बाई फुले समझती थी और स्वम बेटियों को पढ़ाने के लिए आगे आईं और पठन पाठन शुरू किया। इसके लिए भी सावित्री बाई को समाज के ठेकेदारों द्वारा ज़लील किया गया, लेकिन वो अपनी कदम पीछे नहीं हटाई। नतीजा ,बेटियां आज अंतरिक्ष से लेकर समुद्र तक झंडा बुलंद की। बिहार जहां देश में साक्षरता में सबसे अंतिम पायदान पर है, वही की बेटियां उच्च माध्यमिक परीक्षा की तीनों सांकयों में टॉपर होकर बिहार का नाम रौशन की है। स्टेट टॉपर बनी ऑटो चालक सुधीर कुमार की बेटी रौशनी बचपन से ही मेधावी छात्रा रही है. रौशनी ने चांदपुरा उच्च विद्यालय से 10 वीं करने के बाद घर से 15 किलोमीटर दूर स्थित हाजीपुर के जमुनीलाल महाविद्यालय में कॉमर्स संकाय में दाखिला लिया. परिजनों के अनुसार रौशनी ने परीक्षा के किए काफी मेहनत की थी.
उसे उम्मीद था कि वह स्टेट टॉपर बनेगी. वहीं रौशनी के संघर्ष और सफलता में उसके माता पिता का भी अहम योगदान है. लेकिन, सबसे अधिक मां आरती ने उसका साथ दिया और अपनी बेटी के साथ वह भी रात भर जागा करती थी. बहरहाल टॉपर बनने की जिद ने आज सचमुच रौशनी को स्टेट टॉपर बना दिया है और अब रौशनी अपनी सफलता से ना सिर्फ अपने घर को रौशन कर दिया है बल्कि जिले का नाम भी रौशन कर दिया है.
जहां चाह वहां राह कहावत को चरितार्थ कर दी है।
गर्व है हमारे तर्कशील, वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली बेटियों पर।हार्दिक बधाई!👌
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