रंगकर्मी ज़नाब नवाब आलम रात में मेरे घर पर चन्द्रबिंद लिखित 'सृजन और सार्थकता ' पुस्तक भेंट की।

  


करीब एक महीने से कठिन रोजा रख कर दिन भर वकालत का कार्य ,नाटकों पर कार्य एवम मित्रों से रात में आकर मिलना सचमुच जीवट कार्य है।मैं अपने नियत समय 9 बजे रात में सो गया था। इस पुस्तक के लेखक केंद्रीय विद्यालय, खगौल के शिक्षक हैं, जहां मेरे दो पौत्री व एक पौत्र पढ़ते हैं। लेखक को मैं जानता हूँ लेकिन शायद वे मुझे नहीं जानते हैं। पुस्तक पढ़ना मेरी पहली पसंद है और इसके बाद इसकी समीक्षा करना । 

 नवाब जी अपने पुत्र के साथ मेरे घर पर आये और कुछ औपचारिकता पूरी किये पुस्तक भेंट कर चल दिये। वे समझ गए कि मैं सो कर उठा हूँ।घर के बाहर ही आम के पेड़ के पास बैठकर कुछ गप्प हुए । साथ ही ईद में आने का निमंत्रण भी दिये।ऐसे भी हर साल इनके यहां जाना मेरा रूटीन है। मेरे अलावा बड़ी संख्या में खगौल, फुलवारी आदि के गण्यमान्य लोग पहुंचते हैं।

  सहृदय आभार ज़नाब नवाब भाई !

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