वक़्फ़ बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में सरकार की दलीलें कमजोर होती।

        


   केन्द्र सरकार समय रहते कृषि बिल मजबूरन वापस लेकर  स्याह पोछने की काम की थी लेकिन वक़्फ़ बोर्ड बिल में जो आज सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई, उसमें सरकार की दलीलें कमजोर होते दिखी। बिल पर आज कोर्ट का अंतरिम आदेश मिल  जाता लेकिन सरकारी वकील ने अपनी पूरी बात बताने के लिए और समय मांगा ,जिसकी सुनवाई कल होगी और कुछ न कुछ अंतरिम आदेश जारी होने की संभावना है। कोर्ट के निर्णय का पूर्वानुमान लगाना ठीक नहीं है, निर्णय कुछ भी हो सकता है लेकिन कल्पना कीजिए कि अगर कोर्ट का निर्णय बिल के खिलाफ गया तो सरकार की स्थिति क्या हो सकती है?  इनके सहयोगी को कहीं मुँह छुपाने की जगह नहीं मिलेगी।

 आज की दलील की मुख्य अंश को देखें -

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि कैसे “उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” को अस्वीकार किया जा सकता है, क्योंकि कई लोगों के पास ऐसे वक्फ पंजीकृत कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं होंगे।

अंतरिम आदेश, जिसे न्यायालय ने सुझाया था, लेकिन आज पारित नहीं किया, यह दर्शाता है कि न्यायालय द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्तियों को गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा, चाहे वह उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ की गई हो या नहीं। 

बेंच ने कहा, "आप उपयोगकर्ता द्वारा ऐसे वक्फ को कैसे पंजीकृत करेंगे? उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे? इससे कुछ पूर्ववत हो जाएगा। हां, कुछ दुरुपयोग है। लेकिन कुछ वास्तविक भी हैं। मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसलों को भी पढ़ा है। उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को मान्यता दी गई है। अगर आप इसे पूर्ववत करते हैं तो यह एक समस्या होगी। विधानमंडल किसी निर्णय, आदेश या डिक्री को शून्य घोषित नहीं कर सकता। आप केवल आधार ले सकते हैं।"

शीर्ष अदालत वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे सुनवाई जारी रखेगी।

विधेयक को 3 अप्रैल, 2025 को लोकसभा में पारित किया गया था , जिसमें 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया और 232 ने इसका विरोध किया, तथा 4 अप्रैल, 2025 को राज्यसभा में इसे पारित किया जाएगा, जिसमें 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 95 ने इसके विरोध में मतदान किया।

सुनाई के अंश वेव के सौजन्य से।

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