पहलगाम आतंकी हमले में सरकार व ख़ुफ़िया तंत्र से कैसे व कहाँ चूक हुई ?
पुलवामा घटना के बाद पहलगाम में हुए दुखद आतंकी हमले में सरकार और खुफिया तंत्र की चूक कई स्तरों पर दिखाई देती है: दोनों घटनाओं में मौके वारदात पर कोई मुठभेड़ नहीं हुई। यानी आतंकी बिल्कुल सुरक्षित तरीके से घटनाओं को अंजाम दिया और सरकार तथा ख़ुफ़िया तंत्र को भनक तक नहीं लगी ।
खुफिया तंत्र की चूक:
पूर्व सूचना की कमी: सूत्रों के अनुसार, हमले से कुछ दिन पहले पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी ने हमले का संकेत दिया था, लेकिन खुफिया एजेंसियां इस पर कार्रवाई करने में विफल रहीं।
पर्यटन स्थल पर निगरानी की कमी: पहलगाम एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, फिर भी वहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी का अभाव था। घटनास्थल के पास सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे, जिससे हमलावरों की पहचान और हमले के क्रम को समझने में मुश्किल हो रही है।
आतंकवादियों की पहचान में विफलता: हमलावरों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने में चूक हुई। हमले के बाद पांच आतंकवादियों की पहचान हुई है, जिनमें तीन पाकिस्तानी नागरिक शामिल हैं, जो पहले भी कई हमलों में शामिल रहे बताए जा रहे हैं।
सरकार की चूक:
सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करना: सरकार ने स्वीकार किया है कि स्थानीय अधिकारियों ने पारंपरिक रूप से प्रतिबंधित रहने वाले बैसरन क्षेत्र को बिना सुरक्षा एजेंसियों को सूचित किए खोल दिया था।
सुरक्षा बलों की तैनाती में कमी: घटनास्थल पर पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती नहीं थी। पर्यटकों की भारी संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी होनी चाहिए थी।
त्वरित प्रतिक्रिया में देरी: हमले के बाद त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) को घटनास्थल पर पहुंचने में एक घंटे से अधिक का समय लगा, जिससे पीड़ितों को समय पर सहायता नहीं मिल पाई।
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का अभाव: ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) मौजूद नहीं थी, जिससे बचाव और राहत कार्यों में देरी हुई।
आतंकवाद विरोधी नीति की समीक्षा की आवश्यकता: इस हमले ने जम्मू और कश्मीर में सरकार की आतंकवाद विरोधी नीति की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। केंद्र सरकार को यह आकलन करना होगा कि उसकी निवारण नीति सफल हो रही है या नहीं।
अन्य संभावित चूकें:
सुरक्षा उपकरणों की कमी: ऐसी खबरें हैं कि सुरक्षा बलों के पास पर्याप्त और आधुनिक सुरक्षा उपकरणों की कमी थी।
अग्निवीर जैसी योजनाओं का प्रभाव: कुछ राजनीतिक दलों ने सुरक्षा बलों की संख्या में कमी और अग्निवीर जैसी योजनाओं को देश की सुरक्षा के साथ समझौता बताया है।
इस हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है और सरकार ने सुरक्षा में हुई चूक की जांच का आश्वासन दिया है। यह महत्वपूर्ण है कि इन चूकों की पहचान की जाए और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
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