नेताओं के तरह -तरह के स्वांग ! चुनाव की आहट है।

    


जय हो ! स्वांग महाराज की! 

बिना बुलाये नेता आपके क्षेत्र में, मोहल्ले में ,घर पर पधार रहे हैं तो समझ लें कि निकट भविष्य में चुनाव आने वाला है। लंबी चौड़ी बातें ,डिंग हांकना ,तीसमारखाँ बनना ,चुनाव लड़ने की तैयारी है। कभी अपनी कमाई नहीं बताएगा,राजा महाराजा की तरह विलासिता पूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे है का जिक्र नहीं करेगा । उसकी फिक्र तो अभी सिर्फ जनता जनार्दन की है, इसीका दिन रात स्वांग रचेगा। 

चुनाव के समय, नेता जनता को लुभाने के लिए कई तरह के स्वांग रचते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

भावनात्मक अपील:

वे लोगों की भावनाओं को छूने वाले भाषण देते हैं, जिसमें देशभक्ति, धार्मिक भावनाएं या क्षेत्रीय गौरव जैसे मुद्दे शामिल होते हैं।

वे पीड़ितों के प्रति सहानुभूति जताते हैं और उनकी समस्याओं को हल करने का वादा करते हैं।

लोकप्रियता का प्रदर्शन:

वे बड़ी-बड़ी रैलियाँ आयोजित करते हैं और अपने समर्थकों की भीड़ दिखाते हैं।

वे मशहूर हस्तियों या प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ मंच साझा करते हैं।

वादे और घोषणाएँ:

वे लुभावने वादे करते हैं, जैसे कि मुफ्त सुविधाएँ, रोजगार और विकास परियोजनाएँ।

वे अपने विरोधियों की कमियाँ उजागर करते हैं और उन्हें जनता के सामने गलत साबित करने का प्रयास करते हैं।

जनता से जुड़ाव:

वे साधारण लोगों के साथ घुलमिल जाते हैं, जैसे कि चाय की दुकानों पर जाना, किसानों के साथ काम करना या स्थानीय त्योहारों में भाग लेना।

वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं और जनता के साथ सीधे संवाद करते हैं।

धार्मिक और जातिगत अपील:

वे धार्मिक और जातिगत भावनाओं को भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिश करते हैं।

वे विशेष समुदायों के लिए विशेष वादे करते हैं।

मीडिया का उपयोग:

वे मीडिया का उपयोग अपनी छवि को चमकाने और अपने विरोधियों को बदनाम करने के लिए करते हैं। हर रोज मीडिया में चेहरा चमकना चाहिए। इसके बदले हर रोज हजारों खर्च किया जाता है।

वे विज्ञापन और प्रचार के माध्यम से जनता तक अपना संदेश पहुँचाते हैं।

अन्य स्वांग:

कई बार नेता, जनता का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए अलग अलग तरह के स्वांग रचते हैं, जैसे की किसी खेल में भाग लेना, या किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेना।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा किए गए सभी वादे और प्रदर्शन वास्तविक नहीं होते हैं। मतदाताओं को सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए और केवल ठोस तथ्यों और नीतियों के आधार पर अपना निर्णय लेना चाहिए। इनके पूर्व क्रियाकलापों को ,चरित्र को देखना परखना जरूरी है। 

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