ये अक्कड़ किस बात की ? -प्रो प्रसिद्ध कुमार।
न पहले था ,न आगे रहेगा ।
न राज रहेगा ,न सर पर ताज रहेगा
मिट्टी का बना है ,मिट्टी में मिल जायेगा।
क्यों समझता है ? सर्वशक्तिमान !
ये ढोंग ,पाखंड , ये मान - अभिमान !
इंसान को इंसान से जुदा कर
क्या मिल जाएगा ?
न अविनाशी है, न अमर है ।
एक दिन खाक में मिल जाएगा ।
ये अक्कड़ किस बात की ?
न पहले था ,न आगे रहेगा ।
तन उजला पर मन है मैला ।
जुबान चलती कटार जैसा
बड़बोलेपन के कारण
पहले मुँह को खाई है
अब देर नहीं है ,सब्र कर
फिर मुँह को खानी है
जागीर समझा है बाप का
औकात समझ में आएगा ।
ये अक्कड़ किस बात की ?
न पहले था ,न आगे रहेगा ।
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