राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय अनीसाबाद के नाम पर अल्पसंख्यक कल्याण छात्रवृत्ति के लाखों के घोटाला।

 


प्रो प्रसिद्ध कुमार ने बताया कि यह एक बानगी है, पूरे बिहार में ऐसे करोड़ो रूपये के घोटाले की आशंका है, जो जांच का विषय है।

प्राचार्य, प्रोफेसर सुरेंद्र प्रसाद ने छात्रवृत्ति का किया खंडन व समुचित कार्यवाही  की किये  अनुशंसा।

यह पत्र अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा संचालित पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में संभावित घोटाले का संकेत देता है। राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय, अनीसाबाद, पटना के प्राचार्य द्वारा सहायक निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण, पटना को लिखा गया यह पत्र निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर करता है:

घोटाले का विवरण

छात्रवृत्ति का सत्यापन: अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के तहत कुल 82 छात्रों को ₹11,66,255/- (ग्यारह लाख छियासठ हजार दो सौ पचपन रुपये) की छात्रवृत्ति दी थी। इस छात्रवृत्ति के सत्यापन के लिए मंत्रालय ने महाविद्यालय को एक पत्र (पत्रांक 498/ अ० क०, पटना दिनांक 15/05/2025) और लाभार्थियों की सूची भेजी थी।

महाविद्यालय का खंडन: राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर सुरेंद्र प्रसाद ने इस पत्र के जवाब में स्पष्ट किया है कि:

उनके महाविद्यालय में 'पीएचडी कंप्यूटर' नामक कोई कोर्स नहीं पढ़ाया जाता है।

सूची में नामित किसी भी छात्र का उनके महाविद्यालय में नामांकन नहीं हुआ है।

स्पष्ट विसंगति: यह एक गंभीर विसंगति है। यदि महाविद्यालय में न तो 'पीएचडी कंप्यूटर' जैसा कोई कोर्स है और न ही सूची में दिए गए छात्र वहां नामांकित हैं, तो उन छात्रों के नाम पर इतनी बड़ी राशि की छात्रवृत्ति कैसे स्वीकृत और वितरित की गई?

घोटाले की प्रकृति

यह स्थिति छात्रवृत्ति वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। यह संभव है कि:

फर्जी छात्रों के नाम पर: फर्जी या गैर-मौजूद छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति का दावा किया गया हो।

फर्जी संस्थानों के नाम पर: राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय के नाम का दुरुपयोग किया गया हो, जबकि उनका इस पूरी प्रक्रिया से कोई संबंध न हो।

अधिकारियों की मिलीभगत: छात्रवृत्ति की स्वीकृति और वितरण में संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है, जिन्होंने सत्यापन के बिना या गलत जानकारी के आधार पर छात्रवृत्ति जारी कर दी।

पहचान की चोरी: वास्तविक छात्रों की पहचान चुराकर उनके नाम पर धोखाधड़ी की गई हो, हालांकि इस मामले में महाविद्यालय के प्राचार्य ने छात्रों के नामांकन से ही इनकार कर दिया है।

आगे की संभावित कार्यवाही

इस पत्र के बाद, सहायक निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण, पटना को निम्नलिखित आवश्यक कार्यवाही करनी होगी:

गहन जांच: इस मामले की तत्काल और गहन जांच शुरू की जानी चाहिए।

लाभार्थियों की पहचान: सूची में नामित छात्रों की वास्तविकता और उनके दावों की पुष्टि की जानी चाहिए।

कोर्स की सत्यता: 'पीएचडी कंप्यूटर' जैसे कोर्स की पेशकश करने वाले संस्थानों की जांच की जानी चाहिए, यदि वे वास्तव में मौजूद हैं।

जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान: इस धोखाधड़ी में शामिल सभी व्यक्तियों, चाहे वे मंत्रालय के अधिकारी हों, बिचौलिए हों, या कोई अन्य, की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

प्रक्रिया में सुधार: भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए छात्रवृत्ति सत्यापन और वितरण प्रक्रियाओं में सुधार और उन्हें अधिक सुरक्षित बनाना होगा।

यह पत्र करदाताओं के पैसे के दुरुपयोग और छात्रवृत्ति योजना के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का एक स्पष्ट मामला है, जिस पर तत्काल ध्यान देने और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है। 

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