लालू प्रसाद यादव पर अंबेडकर के अपमान का आरोप बेबुनियाद: -प्रो प्रसिद्ध कुमार।
बेबाक बोल !
पटना ,राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अपमान का आरोप लगाने वाले विरोधियों को प्रो प्रसिद्ध कुमार ने करारा जवाब दिया है। उनका कहना है कि लालू यादव आजीवन वंचितों और पिछड़ों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे हैं, और उन पर इस तरह के आरोप लगाना बेबुनियाद और राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई थी जिसमें लालू यादव एक कुर्सी पर पैर रखकर बैठे दिख रहे हैं और उनके पैरों के पास बाबा साहेब की तस्वीर रखी हुई है। इसी तस्वीर को आधार बनाकर भाजपा, जदयू और आरएसएस जैसे संगठनों ने लालू यादव पर अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया था।
"लालू यादव वंचितों के सच्चे पैरोकार"
प्रसिद्ध कुमार का कहना है कि लालू यादव ने ही बाबा साहेब के विचारों को आगे बढ़ाया और वंचितों के हक-हकूक की लड़ाई लड़ी। उनका दावा है कि अगर लालू यादव अंबेडकरवादी नहीं होते, तो आज भी समाज के निचले तबके के लोगों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता। इन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लालू यादव उस समय से बाबा साहेब के आदर्शों पर चल रहे हैं जब मनुवादी ताकतें अंबेडकर का नाम लेना भी पसंद नहीं करती थीं।
अमित शाह पर पलटवार
कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी पलटवार किया, जिन्होंने हाल ही में "अंबेडकर, अंबेडकर" कहकर कथित तौर पर बाबा साहेब का अपमान किया था। समर्थकों ने सवाल उठाया कि जो लोग पहले अंबेडकर का सम्मान नहीं करते थे, उन्हें अचानक उनसे "प्यार" कैसे उमड़ आया है।
जदयू नेताओं पर निशाना
कुमार ने जदयू के उन नेताओं को भी आड़े हाथों लिया, जिन्हें लालू यादव ने राजनीति में पहचान दिलाई। उनका कहना है कि ऐसे नेता बेशर्मी से लालू यादव पर अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि वे अभी किसके "स्वामी के दास" बनकर "स्वामिभक्ति" कर रहे हैं। राजद समर्थकों ने भी ऐसे नेताओं को "आस्तीन के सांप" बताया और कहा कि वे केवल अपने स्वार्थ के लिए पाला बदलते हैं।
तस्वीर विवाद पर सफाई
वायरल हुई तस्वीर पर सफाई देते हुए कुमार ने कहा कि लालू यादव इस घटनाक्रम से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। उन्होंने बताया कि लालू यादव कुर्सी पर बैठे थे और एक व्यक्ति उनके सामने पैरों के पास बाबा साहेब की तस्वीर विपरीत दिशा में रखकर सेल्फी ले रहा था। लालू यादव को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि तस्वीर किसकी है और उसे किस तरह रखा गया है। समर्थकों का आरोप है कि यह भाजपा, जदयू और आरएसएस की "नौटंकी" है जिसका उद्देश्य वंचितों को गुमराह करना है।
अंबेडकर का अपमान कौन करता है?
कुमार ने सवाल उठाया कि बाबा साहेब अंबेडकर भारतीय इतिहास की एक धरोहर हैं और कोई भी वंचित समाज उन्हें अपमानित करने की सोच भी नहीं सकता। उन्होंने पूछा कि देशभर में बाबा साहेब की कितनी मूर्तियां तोड़ी गईं और उन्हें तोड़ने वाले कौन लोग थे। इन्होंने कटाक्ष किया कि यह बताने में भी "शर्म" आती है कि अंबेडकर की मूर्तियों को तोड़ने वाले कौन थे, जबकि सच्चाई सबके सामने है।
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