बिहार में 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्रों का बकाया: CAG रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

   



बिहार सरकार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में कड़ी फटकार झेलनी पड़ी है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य सरकार अब तक 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) जमा करने में विफल रही है. यह एक बड़ी राशि है, जो विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के लिए जारी की गई थी, लेकिन इसके उपयोग का प्रमाण निर्धारित समय सीमा तक नहीं दिया गया है.



31 मार्च तक 49,649 यूसी नहीं मिले


CAG की रिपोर्ट, जो गुरुवार को राज्य विधानसभा में पेश की गई, बताती है कि 31 मार्च, 2024 तक महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी), बिहार को कुल 49,649 बकाया यूसी नहीं मिले हैं. यह नियमों का सीधा उल्लंघन है, क्योंकि किसी भी योजना की राशि जारी होने के बाद समय पर यूसी देना अनिवार्य होता है.



धन के दुरुपयोग का खतरा


रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यूसी के अभाव में यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि धन का उपयोग वास्तव में तयशुदा उद्देश्य के लिए हुआ है या नहीं. इससे गबन, दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं की आशंका बढ़ जाती है, जो राज्य के संसाधनों के लिए एक गंभीर खतरा है.



सबसे ज्यादा लापरवाह विभाग


रिपोर्ट के मुताबिक, यूसी जमा न करने वाले प्रमुख विभागों में पंचायती राज विभाग सबसे आगे है, जिस पर 28,154.10 करोड़ रुपये का बकाया है. इसके बाद शिक्षा विभाग (12,623.67 करोड़ रुपये), शहरी विकास विभाग (11,065.50 करोड़), ग्रामीण विकास विभाग (7,800.48 करोड़) और कृषि विभाग (2,107.63 करोड़) शामिल हैं. यह दर्शाता है कि इन विभागों में वित्तीय प्रबंधन में गंभीर खामियां हैं.



पुराने बकायों की भरमार


CAG ने यह भी खुलासा किया है कि 14,452.38 करोड़ रुपये की राशि तो 2016−17 या उससे पहले की है, जो अब तक लंबित है. यह सरकार की वित्तीय अनुशासनहीनता को दर्शाता है और यह सवाल उठाता है कि इतने लंबे समय से इन निधियों का हिसाब क्यों नहीं दिया गया.



बजट का पूरा उपयोग नहीं


वित्त वर्ष 2023−24 के लिए राज्य का कुल बजट 3.26 लाख करोड़ रुपये था, लेकिन सरकार ने केवल 2.60 लाख करोड़ रुपये (यानी 79.92% ) ही खर्च किए. इसके अलावा, कुल 65,512.05 करोड़ रुपये की बचत में से केवल 23,875.55 करोड़ रुपये (36.44% ) ही वापस किए गए. यह बजट प्रबंधन में अक्षमता को उजागर करता है.



राज्य की देनदारियां बढ़ीं


रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में राज्य की कुल देनदारियों में 12.34% की वृद्धि हुई है, जो वित्तीय प्रबंधन की स्थिति पर सवाल खड़े करती है.

कुल मिलाकर, CAG की यह रिपोर्ट बिहार सरकार के वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाती है. राज्य सरकार को इन बकायों को निपटाने और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है.


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