मनीषा!हम अंधों की दुनिया में रहते है।जलता है यहां इंसाफ!प्रसिद्ध यादव ।शेयर करें।

बाबूचक, पटना,बिहार। अंधों,बहरों की दुनियां में न तेरी चीख सुनाई दी,न कोई छटपटाहट, बेवसी और लाचारी दिखाई दी।इंसाफ धूं-धूं कर आधी रात को जल गई।हम माटी के पुतले टूटने पर बखेड़ा खड़े करने वाले लोग है।किसी धार्मिक स्थल की एक ईंट गलती से खिसक जाये, टूट जाये तो आसमान टूट पड़ते हैं,कोहराम मच जाते हैं,एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं,लेकिन यहां एक दलित की बेटी की इज्ज़त गयी,जान गई।ऐसे लग रहा है जैसे कोई सामान्य घटना घटी है।मनीषा!इस देश में दलित,गरीब होना ही सारे गुनाहों की जड़ है।सीबीआई को भी सबूत नही मिल सकता है।ऐसे भी देश अभी बाबरी मस्जिद के ढहने में सभी आरोपियों की बरी होने की जश्न से छूटी मिले तब न।28 साल में एक सबूत भी नही जुटाई पाई।ये है हमारे देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी।हां, कुछ मामलों में इसकी दिमाग खूब चलती है,गड़े मुर्दे कबार लेती है,थर्ड डिग्री की भी इस्तेमाल करती है,लेकिन सबकी अपनी मजबूरी है। 10 दिन लग गए मनीषा कांड की कार्यवाई करने में।जब सारा देश सो रहा था तब योगी राज में रात के दो बजे इंसाफ जल रहा था।ऐसे भी देश सोया हुआ है।कलम की स्याही सूख गई है।टीवी एंकर के गले में आवाज गाय...