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Showing posts from May, 2025

राजनीतिक दल दलबदलुओं ,नॉकरशाहों ,धनवानों को टिकट न देकर जमीनी कार्यकर्ताओं को दे।

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   किसी भी राजनीतिक दल में वास्तविक ताकत उनके जमीनी कार्यकर्ताओं में ही निहित है न की दलबदलुओं में।  आजीवन राजनीति करने वाले दल के झंडा, डंडा ढोने वाले ताकते रह जाते हैं और दलबदलू एक ही झटके में आकर टिकट झटक लेते हैं जो अनुचित है।यही हाल धनवान ,नॉकरशाह भी करते हैं।येन केन प्रकरेण धन कमा लेते हैं और राजनीति में कूद जाते हैं।क्या ऐसे लोगों से राजनीति का स्वरूप नहीं बिगड़ रहा है?  आखिर दल के जिंदगी खपाने वाले क्या करेंगे ? कहाँ जाएंगे ? ऐसा नहीं है कि यही लोग सिर्फ क़ाबिल हैं! हकीकत यह है कि जमीनी कार्यकर्ता राजनीति के ग्रास रूट पर होते हैं, उन्हें राजनीति की समझ ज्यादा होती है। जब दलबदलू नेताओं को टिकट मिल जाता है और पार्टी के वफादार और मेहनती कार्यकर्ता जो सालों से ज़मीन पर काम कर रहे होते हैं, उन्हें अनदेखा कर दिया जाता है, तो इससे कई समस्याएँ पैदा होती हैं: यह पार्टी के प्रति कार्यकर्ताओं के समर्पण को कम करता है। जब उन्हें लगता है कि उनकी निष्ठा और मेहनत का कोई मोल नहीं है, तो वे हतोत्साहित हो जाते हैं। यह परंपरा दलबदलुओं को और अधिक अवसरवादी बनने के लिए प्रोत्साहित करत...

अनुच्छेद 342 अनुसूचित जनजातियों की पहचान और उनके उत्थान के आधार !- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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  अनुच्छेद 342 एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान है जिसने अनुसूचित जनजातियों की पहचान और उनके उत्थान के लिए आधार प्रदान किया है।  संविधान का अनुच्छेद 342 भारत में अनुसूचित जनजातियों  संबंधित है। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में, और राज्य के मामले में राज्यपाल से परामर्श करने के बाद, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा उन जनजातियों या जनजाति समुदायों या उनके हिस्सों या समूहों को विनिर्दिष्ट करने का अधिकार देता है, जिन्हें संविधान के प्रयोजनों के लिए उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजाति माना जाएगा। संसद के पास कानून द्वारा इस सूची में किसी भी जनजाति को शामिल करने या बाहर करने की शक्ति भी है। अनुच्छेद 342 का समाज पर प्रभाव और विकास की स्थिति: अनुच्छेद 342 का मुख्य उद्देश्य उन समुदायों की पहचान करना था जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहे हैं, सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं, और जिनकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। इन समुदायों को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित करके, सरकार ने उनके उत्थान और मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष...

अनुच्छेद 341 अनुसूचित जातियों की पहचान और उनके अधिकारों की रक्षा करता है।

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     भारतीय संविधान का अनुच्छेद 341: अनुसूचित जातियों का निर्धारण और उत्थान भारतीय संविधान का अनुच्छेद 341 "अनुसूचित जातियाँ" शब्द को परिभाषित करने और उन्हें संवैधानिक पहचान प्रदान करने से संबंधित है। यह अनुच्छेद भारतीय समाज के उन वर्गों के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण आधारशिला है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से अस्पृश्यता और गंभीर सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा है। अनुच्छेद 341 क्या कहता है? अनुच्छेद 341 के दो मुख्य खंड हैं: अनुच्छेद 341(1): यह राष्ट्रपति को शक्ति देता है कि वह किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में, उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों या उनके समूहों या उनके भीतर के वर्गों को विनिर्दिष्ट कर सकता है, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जाति माना जाएगा। अनुच्छेद 341(2): यह खंड संसद को अधिकार देता है कि वह कानून द्वारा, अनुच्छेद 341(1) के तहत जारी किसी भी अधिसूचना में निर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में किसी भी ...

मौलिक अधिकार राज्य सरकार की नीतियों का विरोध कर सकते हैं। प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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   भारत में, मौलिक अधिकार राज्य सरकार की नीतियों का विरोध कर सकते हैं। यह भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। कैसे मौलिक अधिकार राज्य की नीतियों का विरोध करते हैं: राज्य पर प्रतिबंध: मौलिक अधिकार मुख्य रूप से नकारात्मक प्रकृति के होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे राज्य (इसमें केंद्र और राज्य सरकारें, विधायिका, कार्यपालिका और अन्य प्राधिकरण शामिल हैं) को कुछ ऐसे कार्य करने से रोकते हैं जो नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। न्यायसंगत और प्रवर्तनीय: मौलिक अधिकार न्यायसंगत  होते हैं। इसका मतलब है कि अगर राज्य सरकार की कोई नीति या कार्रवाई किसी नागरिक के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है, तो वह नागरिक सीधे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में जाकर अपने अधिकार को लागू करने की मांग कर सकता है। अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जाने का अधिकार देता है, जिसे डॉ. अम्बेडकर ने "संविधान की आत्मा और हृदय" कहा है। अवैध घोषित करने की शक्ति: यदि विधायिका या कार्यपालिका का कोई कानून या निर्णय मौलिक अधिकारों का हनन करता है या उन पर अनुचित प्रतिबं...

अनुसूचित जातियों और जनजातियों में सदियों से ऐतिहासिक व सामाजिक भेदभाव ! प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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सदियों से चली आ रही जातिगत असमानता और छुआछूत की प्रथा ने इन समुदायों को सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिये पर धकेल दिया है। शिक्षा, संपत्ति और अवसरों से वंचित रहने के कारण ये समुदाय अभी भी मुख्यधारा में पूरी तरह से शामिल नहीं हो पाए हैं। इसमें   गरीबी का स्तर अपेक्षाकृत अधिक है। भूमिहीनता, रोजगार के सीमित अवसर और पारंपरिक व्यवसायों पर निर्भरता उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर बनाती है। शिक्षा का अभाव: यद्यपि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुए हैं, फिर भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच और ड्रॉपआउट दर अभी भी एक चुनौती है, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में। भूमि संबंधी मुद्दे: जनजातीय समुदायों के लिए भूमि उनके जीवन और संस्कृति का अभिन्न अंग है। वन भूमि अधिकारों, विस्थापन और भूमि अतिक्रमण के मुद्दे उनके लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। स्वास्थ्य संबंधी असमानता: स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और जागरूकता की कमी के कारण इन समुदायों में स्वास्थ्य संकेतक अक्सर राष्ट्रीय औसत से कम होते हैं। प्रशासनिक चुनौतियां: योजनाओं के क्रियान्वयन में कमियां, भ्रष्टाचार और जागरूकता की कमी भी इन समुदायों तक लाभ पह...

भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5% ! पिछले चार वर्षों में सबसे सुस्त रफ्तार ! प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5% रही, जो पिछले चार वर्षों में सबसे सुस्त रफ्तार है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में यह दर 9.2% थी। हालांकि, जनवरी-मार्च 2025 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.4% रही, जो बाजार के अनुमानों से बेहतर है और एक सकारात्मक संकेत है। मुख्य बिंदु: सालाना वृद्धि में गिरावट: वित्त वर्ष 2024-25 में देश की जीडीपी वृद्धि 6.5% रही, जो पिछले चार वित्तीय वर्षों में सबसे कम है। यह रिजर्व बैंक के 6.6% के अनुमान से भी कम है। पिछला प्रदर्शन: वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 9.2% थी। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 7.2% थी। वित्त वर्ष 2021-22 में यह 8.7% थी। चौथी तिमाही में सुधार: जनवरी-मार्च 2025 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.4% रही। यह पिछली तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2024) में 6.2% और उससे पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर 2024) में 5.6% की वृद्धि से बेहतर प्रदर्शन है। यह प्रदर्शन विश्लेषकों की अपेक्षाओं (6.85% अनुमान) से भी बेहतर रहा है। क्षेत्रीय प्रदर्शन: जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में 7.8% की व...

पार्श्व गायक सह अभिनेता संतोष प्रमित से एक मुलाकात !प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    (बीच में संतोष जी) बिहटा में चाय की चुस्कियों के साथ हमदोनों यादों में खो गए। नाट्य संस्था सूत्रधार व नवाब आलम जी की भी चर्चा हुई। दरअसल मैं बिहटा में राजद के साथियों के साथ अहम बैठक में शिरकत करने गये थे,उसके बाद संतोष जी के आवास पर गया।साथ में थे पटना के मनोज कुमार। संतोष जी अपने गाये हुए गीत को अपने स्टूडियो में सुनाए। खनकती ,सुरीली आवाज मन मोह लिया। भरी दोपहरी में सकूं मिला ।   संतोष प्रमित (पार्श्व गायक सह अभिनेता) बिहटा के हैं।    वह मुख्य रूप से हिंदी , भोजपुरी गानों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई भोजपुरी गाने गाए हैं, जिनमें  "जल्दी आजा ये राजा अब रोकत नईखे" जैसे गाने शामिल हैं। उन्होंने  खुशबू उत्तम, तूफानी लाल यादव , चिंटू सिंह और चंदू लाल यादव जैसे अन्य कलाकारों के साथ भी काम किया है। उनके गाने "चंदा रिकॉर्ड्स" और "संजिवनी म्यूजिक" जैसे संगीत लेबल पर उपलब्ध हैं।   उन्होंने बहुत सारे हिन्दी और भोजपुरी गाने गाए हैं जिनका पहला भोजपुरी एल्बम "ई हसीन लागेली" ने सफलता हासिल किया। आगे भी मैं चंदा कम्पनी के माध्यम से"मैं दीवाना भोल...

बिहटा नगर परिषद राजद के अध्यक्ष मुन्ना यादव व प्रखंड अध्यक्ष राजू यादव निर्विरोध निर्वाचित हुए।

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     29 मई ,बिहटा। प्रो प्रसिद्ध कुमार निर्वाची पदाधिकारी व सहायक निर्वाची पदाधिकारी मनोज कुमार की पर्यवेक्षण में  नगर परिषद बिहटा के राजद अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए। प्रो कुमार ने अनिकेत होटल में उपस्थित डेलीगेट से अन्य उमीदवारों को खड़े होने का सुझाव दिया, लेकिन सभी डेलीगेट ने एक स्वर में मुन्ना यादव को निर्विरोध चुने। बिहटा प्रखंड राजद अध्यक्ष का भी चुनाव निर्विरोध निर्वाचन अधिकारी अभिनव प्रकाश सिंह  की पर्यवेक्षण में सम्पन्न हुआ।  निर्वाचित प्रतिनिधियों को  फूलों के हार पहनाकर अभिनंदन किया गया।  प्रो प्रसिद्ध कुमार ने डेलीगेट्स व राजद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि एक एक कार्यकर्ताओं को व्यस्था के खिलाफ लड़ना होगा, जहां हर काम के लिए रिश्वत देने पड़ते हैं ,बेरोजगारी, महंगाई चरम पर है।जब यह लड़ाई आमजन की होगी तो व्यवस्था खुद बदल जाएगी। तब वोट का राज मतलब छोट का राज चरितार्थ होगा। सहायक निर्वाची पदाधिकारी मनोज कुमार ने लोगों को अपने संतान को शिक्षित करने का आह्वान किया।वही प्रखंड निर्वाची पदाधिकारी अभिनव प्रकाश सिंह  ने 2025 में त...

शिक्षा ही जीवन का मूल है , न कि ढोंग ,पाखंड ,चमत्कार!

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  शिक्षा हमें ज्ञान, रोजगार और सम्मान दिलाती है, न कि ढोंग, पाखंड, अंधविश्वास या किसी दैविक शक्ति पर निर्भरता। यह एक मूलभूत सत्य है जिसे समझना और अपनाना हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा हमें दुनिया को समझने का एक वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह हमें तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर सोचने, विश्लेषण करने और निर्णय लेने में मदद करती है। ढोंग और अंधविश्वास अक्सर तर्कहीनता और अवैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देते हैं, जबकि शिक्षा हमें हर चीज़ पर सवाल उठाना और सत्य की खोज करना सिखाती है। शिक्षा हमें विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक कौशल और योग्यताएं प्रदान करती है। चाहे वह इंजीनियरिंग हो, चिकित्सा हो, व्यापार हो या कोई अन्य क्षेत्र, औपचारिक शिक्षा हमें उस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने में मदद करती है। यह विशेषज्ञता ही हमें बेहतर रोजगार के अवसर दिलाती है। पाखंड या दैविक शक्तियों के भरोसे कोई नौकरी नहीं मिलती; इसके लिए कड़ी मेहनत, सही ज्ञान और आवश्यक कौशल की आवश्यकता होती है। जब व्यक्ति शिक्षित होता है, तो वह समाज में अधिक सम्मान का पात्र बनता है। उसक...

पहले की पत्रकारिता: निष्पक्षता और जनता की आवाज ,आज पेड न्यूज, पीत पत्रकारिता की बोलबाला! प्रो प्रसिद्ध कुमार, मास्टर इन मास कॉम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म।

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      30 मई 1826 को हिंदी भाषा का पहला समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' कोलकाता से प्रकाशित हुआ था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इस साप्ताहिक समाचार पत्र की शुरुआत की थी, जिसने हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी। यह दिन हिंदी पत्रकारिता के योगदान को सराहने और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में इसकी भूमिका को याद करने का अवसर होता है। एक समय था जब पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता था। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं थीं: निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता: पत्रकारों का मुख्य उद्देश्य तथ्यों को बिना किसी लाग-लपेट के प्रस्तुत करना था। खबरों में व्यक्तिगत राय या पूर्वाग्रह कम ही देखने को मिलता था। जनता की आवाज: पत्रकारिता समाज के वंचित और कमजोर तबकों की आवाज बनती थी। यह सरकार और व्यवस्था पर निगरानी रखती थी और उनकी जवाबदेही तय करने में मदद करती थी। सामाजिक सरोकार: अखबार और पत्रिकाएं सामाजिक सुधार, राष्ट्रीय चरित्र निर्माण और लोकमंगल की भावना से ओत-प्रोत होती थीं। सत्य और विश्वसनीयता: खबरों की विश्वसनीयता पर विशेष ध्यान दिया जाता था। झूठी खबरों को रोकने के लिए कड़ी मेहनत की जाती थी। संपादकीय ...

सिंदूर और सातों वचन ( कविता ) -प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    चुटकी भर सिंदूर, मस्तक पर जब सजता है, यह केवल एक रंग नहीं, सात जन्मों का बंधन है। हर वचन जो दिया था, अग्नि को साक्षी मानकर, उन सभी वचनों को, हृदय में सदा रखना संभालकर। तेरे नाम का मंगलसूत्र, मेरे गले का हार है, यह केवल धागा नहीं, सुहाग का श्रृंगार है। सदा जीवन में मंगल हो, यही मेरी अरदास है, खुशियों से भरा रहे आँगन, यही मेरी आस है। सिंदूरी शाम की कल्पना अगर सिंदूरी शाम में, हम दोनों होते साथ-साथ, हाथों में हाथ डाले, करते जीवन की हर बात। आज गोद में होते मुन्ना-मुनिया, खिलखिलाते पास, उनकी किलकारियों से गूँजता, हमारा प्यारा आवास। हर स्वप्न होता साकार, हर इच्छा होती पूरी, प्रेम के धागों से बँधकर, रचते अपनी कहानी अधूरी। यह सिंदूर की लाली, इस रिश्ते की पहचान है, तेरे साथ ही मेरा हर पल, हर जीवन महान है। -प्रो प्रसिद्ध कुमार ।आप अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।

अद्भुत है भारत के "ढांचा" या "निर्माण" ! प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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      गया के छात्र  पंकज कुमार के जिज्ञासा पर यह मेरा सरल भाषा में  आलेख है।  भारत को एक लोकतांत्रिक, न्यायपूर्ण, स्वतंत्र और समानता पर आधारित देश बनाने की हमारी साझा आकांक्षाओं को दर्शाते हैं। भारत के "ढांचा" या "निर्माण" से  मतलब भारतीय संविधान से है। यह संविधान ही वह आधारशिला है जिस पर भारत देश खड़ा है। इस संविधान के निर्माण में कई महत्वपूर्ण शब्दों और अवधारणाओं का उपयोग किया गया है, जो भारत के स्वरूप को परिभाषित करते हैं।  संविधान की प्रस्तावना (Preamble) संविधान की शुरुआत एक प्रस्तावना से होती है, जो पूरे संविधान का सार है। इसमें कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द हैं, जिनसे भारत के निर्माण का पता चलता है: "हम, भारत के लोग" (We, the People of India): यह शब्द दर्शाता है कि भारत की शक्ति और सत्ता लोगों में निहित है। यानी, यह देश किसी राजा या शासक का नहीं, बल्कि यहाँ के हर नागरिक का है। "भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए": ये शब्द भारत के मूल स्वरूप को बताते हैं: संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न (...

महात्मा बुद्ध का 'मध्यम मार्ग' अतिवादी व्यवहार से बचने का ज्ञान देता है।

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  यह हमें अत्यधिक सुख और अत्यधिक दुख दोनों से दूर रखकर एक संतुलित, नैतिक और संतोषजनक जीवन जीने का रास्ता दिखाता है। महात्मा बुद्ध का 'मध्यम मार्ग' (पाली: मज्झिमा पटिपदा, संस्कृत: मध्यमप्रतिपद्) उनके दर्शन का एक केंद्रीय सिद्धांत है। यह किसी भी प्रकार के अतिवादी व्यवहार से बचने का अभिप्राय रखता है। बुद्ध ने स्वयं अत्यधिक भोग-विलास और कठोर तपस्या दोनों का अनुभव किया और पाया कि दोनों ही दुख से मुक्ति के लिए अपर्याप्त हैं। इसी अनुभव के आधार पर उन्होंने बीच का रास्ता सुझाया, जिसे मध्यम मार्ग कहा गया। मध्यम मार्ग क्या है? मध्यम मार्ग आर्य अष्टांगिक मार्ग का ही दूसरा नाम है। यह आठ अंगों से मिलकर बना है, जो जीवन को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाने में मदद करते हैं: सम्यक दृष्टि (Right Understanding): सही समझ या विचारों को सही रूप से देखना, चार आर्य सत्यों में विश्वास करना। सम्यक संकल्प (Right Intention): मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना, सही विचार और इरादे रखना, हिंसा और घृणा से दूर रहना। सम्यक वाणी (Right Speech): सत्य बोलना, अहिंसक और मधुर भाषा का प्रयोग करना, किसी को नुकसान पहुँचा...

राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय अनीसाबाद के नाम पर अल्पसंख्यक कल्याण छात्रवृत्ति के लाखों के घोटाला।

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  प्रो प्रसिद्ध कुमार ने बताया कि यह एक बानगी है, पूरे बिहार में ऐसे करोड़ो रूपये के घोटाले की आशंका है, जो जांच का विषय है। प्राचार्य, प्रोफेसर सुरेंद्र प्रसाद ने छात्रवृत्ति का किया खंडन व समुचित कार्यवाही  की किये  अनुशंसा। यह पत्र अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा संचालित पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में संभावित घोटाले का संकेत देता है। राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय, अनीसाबाद, पटना के प्राचार्य द्वारा सहायक निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण, पटना को लिखा गया यह पत्र निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर करता है: घोटाले का विवरण छात्रवृत्ति का सत्यापन: अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के तहत कुल 82 छात्रों को ₹11,66,255/- (ग्यारह लाख छियासठ हजार दो सौ पचपन रुपये) की छात्रवृत्ति दी थी। इस छात्रवृत्ति के सत्यापन के लिए मंत्रालय ने महाविद्यालय को एक पत्र (पत्रांक 498/ अ० क०, पटना दिनांक 15/05/2025) और लाभार्थियों की सूची भेजी थी। महाविद्यालय का खंडन: राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर सुरेंद्र प्रसाद ने इस पत्र के ज...

बिहार में बढ़ती अपराध चिंताजनक !

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   अपराधियों को या तो कानून का भय नहीं है या फिर अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हो रहा है। पुलिस प्रशासन राजनीतिक दबाव में ठीक से काम करने में असहज है। राजनीतिक सिफारिश पर तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों को संटिंग पोस्ट दिया जा रहा है और दागियों को मेन स्ट्रीम में लाया जा रहा है।चुनावी वर्ष होने के कारण पुलिस की मनोबल को गिराया जा रहा है। हाल ही में राजधानी पटना में बेखौफ बदमाशों ने कई हत्यायें दिनदहाड़े कर चुके हैं लेकिन सीएम " शाम के बाद कोई घर से निकलता था जी " तकियाकलाम सुनाते नहीं अघाते हैं। हाल ही में कुछ घटनाओं को देखें।   पटना: युवक की गोली मारकर हत्या (27 मई, 2025): रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र के चांगर मोहल्ले में जिम से लौट रहे एक युवक कुंदन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अपराधी ने पहले उसके पैर में गोली मारी और फिर मुंह में पिस्टल डालकर गोली चला दी। खटाल संचालक की हत्या (26 मई, 2025): पटना के रामकृष्ण नगर के जगनपुरा में एक खटाल संचालक, चंद्रकांत प्रसाद (48 वर्ष), को दिनदहाड़े गोली मार दी गई। हत्या का आरोप मृतक के दामाद और समधी पर लगा है। रामकृष्ण नगर में फ...

अधिवक्ता शिव कुमार यादव बने अधिवक्ता संघ दानापुर के निर्वाची अधिकारी !

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      कानूनविद अधिवक्ता शिव कुमार यादव  के अधिवक्ता संघ दानापुर  के निर्वाची अधिकारी बनने पर अधिवक्ता संघ खुशियों की लहर है। यादव लंबे समय से न्यायिक कार्य से जुड़े हुए हैं और गरीब गुरबों को जरूर होने पर कानूनी मुफ्त सलाह देते हैं व सहयोग करते हैं। इस अवसर पर बधाई देने वालों में अधिवक्ता मिथिलेश यादव ,  राजेश्वर यादव ,अनिल कुमार सिंह , नवाब आलम , नवाब लाल यादव , महेंद्र यादव , विनय कुमार , के. मिश्रा,  रवि शंकर सहित अन्य अधिवक्ता शामिल थे।

मा तेजस्वी यादव को पुत्र रत्न की हुई प्राप्ति ! बधाई!💐

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    राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है। उनकी पत्नी राजश्री यादव ने कोलकाता के एक निजी अस्पताल में एक बेटे को जन्म दिया है। यह उनका दूसरा बच्चा है; इससे पहले, मार्च 2023 में उनकी एक बेटी कात्यायनी का जन्म हुआ था। इस अवसर पर राजद परिवार में और उनके समर्थकों में खुशी का माहौल है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अस्पताल पहुंचकर तेजस्वी यादव और उनके परिवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह बच्चा शुभकामनाएं लेकर आया है। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी भी इस अवसर पर कोलकाता में मौजूद थे। प बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अस्पताल जाकर तेजस्वी यादव को बधाई दी, वही राजद कार्यालय पटना में कार्यकर्ताओं व नेताओं ने मिठाईयां बांटकर खुशियों का इज़हार किये। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर यह खुशखबरी साझा की, और उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने अपने भतीजे को 'जूनियर टूटू' नाम दिया। परिवार के अन्य सदस्य भी खुशी मना रहे हैं, जिनमें तेज प्रताप यादव भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने "बड़े पापा" बनने पर खुशी जताई।  

नीतीश कुमार अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ के सिर पर पौधा रखकर आश्चर्यचकित कर दिया !

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      फिर से नीतीश ! यह बात अब किसी को नहीं पच रहा है। चुनाव प्रचार में और क्या क्या हरकतें होंगीं ,ऊपर वाले ही जानें। नीतीश के आगे पीछे चलने वाले के अलावा पूरे बिहार के लोग आशंकित रहते हैं कि अगली हरकत क्या होगी ?  नीतीश कुमार द्वारा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ के सिर पर पौधा रखने की घटना हाल ही में सुर्खियों में आई है। यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार सार्वजनिक मंच पर ऐसी असहज करने वाली हरकतें करते दिखे हैं। उनके कुछ अन्य चर्चित और विवादित सार्वजनिक व्यवहारों में शामिल हैं:  कई बार उन्हें राष्ट्रगान के दौरान हंसते हुए या बगल में खड़े व्यक्ति से बात करते हुए देखा गया है, जिस पर विपक्षी दलों ने राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाया है। एक अवसर पर, वे राष्ट्रगान के दौरान अपने बगल में खड़े मुख्य सचिव का हाथ पकड़े हुए भी दिखाई दिए थे। एक अन्य अवसर पर, शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते समय भी उनका हंसता हुआ वीडियो वायरल हुआ था। नीतीश कुमार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से तीखी बहस करते हुए भी देखा गया है।  वे सार्वजनिक मंच पर अपने मंत्रियो...

एक बार मैनपुर अंदा मेरे पंचायत का दर्शन कर लें ,जीवन धन्य हो जाएगा।

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     वास्तव में जीवन सफल करना है तब आ जाइए मेरे आदर्श पंचायत में। झूमते हुए लोग  आपके स्वागत करेंगे।अगर आप भी झूमने के शौकीन है तब  क्या कहना है ,बिना झूमे नहीं रहेंगे। जितना उदार यहां के लोग है,उतने वीर रसिक भी हैं।शायद ही कोई ऐसा दिन हो जिस दिन वीरता दिखाई न दे।उदारता में पैसा नहीं है,कोई बात नहीं मेहमानवाजी में एक बोतल महुआ दारू पिलाने में कोई कंजूसी नहीं है। डरिये मत!   5 थानों का प्रवेश द्वार  है तब क्या हुआ  ? सब मैनेज है। खगौल व आसपास से सैकड़ों लोग ,कुछ जनेऊ धारण किये,कुछ ललाट पर चंदन लगाये, लंबी टीक रखे , अब  बेफिक्र मदिरा पान करते हैं।   खगौल ,शाहपुर,जानीपुर,  नेउरा  थाना का आगमन होता है। फुलवारी शरीफ थाना के क्षेत्र होने का सौभाग्य है कि इसके अधीन है।आर्थिक सम्पन्नता की प्रतियोगिता होती है।ऐसे में दूसरों कि जमीन बिक जाए या कब्जा हो जाए कोई बात नहीं , चलता है।विकास की गंगा बहती है,लेकिन दारू से कम ही।अब थोड़ी लूट खसोट चलेगी ही,क्योंकि यह मौलिक व प्राकृतिक अधिकार हो गया है।अब इतना पावन भूमि की कोई दर्शन न करे...

कठोर निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं लालू यादव!

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  लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहारके लिए अपने पुत्र तेजप्रताप को किया दल से 6 साल के लिए निष्कासित! लालू यादव ने अपने बेटे तेज प्रताप यादव को राष्ट्रीय जनता दल  और परिवार से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात की जानकारी दी है। लालू यादव ने अपने इस फैसले को तेज प्रताप की "गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार" से जोड़ा है, जो उनके पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। लालू यादव अपने राजनीतिक जीवन में कई कठोर फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। तेज प्रताप को पार्टी से निकालना उनका एक और ऐसा ही कठोर कदम है। उनके कुछ अन्य कठोर फैसले और उदाहरण इस प्रकार हैं: चारा घोटाला मामले में इस्तीफा और पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना (1997): जब चारा घोटाले में उनका नाम आया और गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी, तब लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया। यह उस समय एक बहुत ही साहसिक और अप्रत्यासक राजनीतिक कदम था, जिसने सबको चौंका दिया था। अपनी शर्तों पर गठबंधन बनाना और तोड़ना: लाल...

भारत चुनौती के बीच अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था !-प्रो प्रसिद्ध कुमार,अर्थशास्त्र विभाग।

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   भारत की अर्थव्यवस्था लगभग $4 ट्रिलियन (4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर) की है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के अनुसार, भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसने जापान को पीछे छोड़ दिया है। भारत से आगे जो देश हैं और उनकी अर्थव्यवस्था का अनुमानित आकार (2025 के लिए IMF के अनुमान के अनुसार) इस प्रकार है: संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): लगभग $30.507 ट्रिलियन चीन: लगभग $19.231 ट्रिलियन जर्मनी: लगभग $4.92 ट्रिलियन नीति आयोग के सीईओ के अनुसार, अगर भारत वर्तमान विकास दर पर कायम रहता है, तो अगले 2.5 से 3 वर्षों में जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसके बावजूद प्रति व्यक्ति आय, रोजगार, स्वास्थ्य, कुपोषण और शिक्षा जैसे सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में पिछड़ा होना एक जटिल समस्या है जिसके कई कारण हैं: 1. विशाल जनसंख्या और प्रति व्यक्ति आय पर प्रभाव: भारत की विशाल जनसंख्या (दुनिया में सबसे अधिक) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को बड़ा बनाती है, लेकिन जब इस GDP को इतनी बड़ी आबादी में बां...

मनुवादी युग में वंचितों को व ब्रिटिश साम्राज्य में भारतीयों को शोषण होता था।

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    मनुवादी युग में, विशेष रूप से मनुस्मृति जैसे ग्रंथों में वर्णित वर्ण व्यवस्था के अनुसार, ब्राह्मणों और तथाकथित 'वंचित' (शूद्र और अस्पृश्य) वर्गों के बीच आय, प्रतिष्ठा और पद में गहरा भेदभाव और अंतर था। यह अंतर अंग्रेजों के शासनकाल में भी मौजूद था, लेकिन इसका स्वरूप और आधार अलग था। मनुवादी युग में भेदभाव के मुख्य बिंदु: जन्म आधारित व्यवस्था: मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था को जन्म से जोड़ दिया गया, जिससे व्यक्ति का सामाजिक और आर्थिक स्तर उसके जन्म से ही तय हो गया। इसका अर्थ था कि शूद्र वर्ग में जन्मा व्यक्ति आजीवन उसी स्थिति में रहेगा, भले ही उसमें अन्य गुणों का विकास हो। पेशा और आय: प्रत्येक वर्ण के लिए विशिष्ट पेशे निर्धारित थे। ब्राह्मणों का कार्य अध्ययन, अध्यापन, यजन, याजन (पूजा-पाठ) आदि था, जिसके बदले उन्हें दान-दक्षिणा मिलती थी और समाज में उन्हें उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त थी। इसके विपरीत, शूद्रों के लिए मुख्य रूप से सेवा कार्य निर्धारित थे, जिन्हें "निकृष्ट" माना जाता था और उनसे प्राप्त आय प्रायः बहुत कम होती थी। कानूनी और सामाजिक असमानता: दंड व्यवस्था: मनुस्मृति में...

ब्रिटिश उपनिवेशवाद की तरह थी जनविरोधी "लैटरल एंट्री" !

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     मोदी सरकार को   कई  जनविरोधी कार्यों को  विपक्ष व जनता के दबाव में वापस लेना पड़ा है।  चाहे वो कृषि बिल हो या "लैटरल एंट्री" !अगस्त 2024 में, 45 मध्य-स्तरीय नौकरशाहों की लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती की योजना को राजनीतिक विरोध के कारण स्थगित कर दिया गया था। यह सच है कि ब्रिटिश शासन के दौरान, अंग्रेजों को भारतीय कर्मचारियों की तुलना में अक्सर अधिक वेतन और भत्ते मिलते थे। यह ब्रिटिश उपनिवेशवाद की एक विशेषता थी, जहाँ ब्रिटिश अधिकारियों को उच्च पदों पर रखा जाता था और उन्हें बेहतर सुविधाएं दी जाती थीं, जबकि भारतीयों को अक्सर कम वेतन और अधीनस्थ भूमिकाओं में रखा जाता था। इसका एक कारण यह भी था कि ब्रिटिश प्रशासन भारतीयों को कम वेतन पर काम करने के लिए तैयार करना चाहता था ताकि प्रशासन पर होने वाले खर्च को कम किया जा सके और अपने प्रति वफादार भारतीयों का एक वर्ग तैयार किया जा सके। "लैटरल एंट्री"  ब्रिटिश काल की असमानताओं की तरह  हैं। लैटरल एंट्री का अर्थ है सरकारी सेवाओं में उन पदों पर सीधे तौर पर विशेषज्ञता वाले व्यक्तियों को नियुक्त करना, जो...

भाजपा नेता मनोहर लाल धाकड़ का एक आपत्तिजनक वीडियो !

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       यही है संस्कार!जानवरों से भी बदतर है चाल - चलन !      ऐसे नेताओं की पहल घटना नहीं है । इससे पहले भी कई नेताओं के  शर्मनाक करतूत सामने आए हैं। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले से भाजपा नेता मनोहर लाल धाकड़ का एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के 8 लेन पर लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हुआ है। वीडियो में मनोहर लाल धाकड़ और एक महिला कार से आपत्तिजनक हालत में बाहर निकलते दिख रहे हैं। यह घटना 13 मई की रात की बताई जा रही है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद से काफी हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। हालांकि, भाजपा का कहना है कि वीडियो में दिख रहा शख्स पार्टी का प्राथमिक सदस्य नहीं है, जबकि उसकी पत्नी भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य हैं। पार्टी प्रवक्ता ने कहा है कि पूरा मामला प्रदेश नेतृत्व के संज्ञान में है और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।

देश के शहीदों पर राजनीति क्या उचित है ?

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    नीचता की पराकाष्ठा ही है जो देश की शहीदों पर राजनीति कर रहे हैं। शहीदों के परिजनों पर क्या बिता ? इनके घर कोई सुध लेने गया ? नहीं । देश के वीरों के मां ,बहनों की सिंदूर सुरक्षित नहीं रख पाए, उल्टे सिंदूर ऑपरेशन के नाम पर हर दिन नॉटंकी ! कुछ तो शर्म करो। रक्षा बलों के बलिदान को स्वीकार करना और उनका सम्मान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्र की सुरक्षा में उनके योगदान को कभी कम नहीं आंका जाना चाहिए। शहीदों के परिवारों की देखभाल और उन्हें उचित मुआवजा प्रदान करना सरकार का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है। यह सुनिश्चित करना कि उन्हें आवश्यक सहायता मिले, प्राथमिकता होनी चाहिए। ऑनलाइन ट्रोलिंग, खासकर उन लोगों के खिलाफ जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है, बिल्कुल अस्वीकार्य है। ऐसी गतिविधियों की निंदा की जानी चाहिए और इसे रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। पहलगाम/पुंछ जैसे  घटनाओं की गंभीरता को समझना और इसमें शामिल सभी पहलुओं की जांच करना आवश्यक है, जिसमें सुरक्षा व्यवस्था और पीड़ितों के लिए समर्थन शामिल है। यह एक आम चिंता है कि राजनीतिक लाभ के लिए घटनाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है और...

लालू यादव दलितों, वंचितों व हाशिये के लोगों की आवाज़।

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      तेजस्वी यादव इसी राह पर चल पड़े हैं और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार का नेतृत्व करना तय है।यह बात जनता की मूड व भाजपा जदयू की लूट खसोट राज से लोग निजात पाने का मिजाज बना लिया है।  लालू जी  एक साधारण परिवार से उठकर बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों तक पहुँचे।  लालू प्रसाद यादव को भारत में, खासकर बिहार में, हाशिये पर पड़े लोगों, दलितों और वंचितों की आवाज़ उठाने वाले नेता के तौर पर व्यापक रूप से जाना जाता है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में इन समुदायों के उत्थान और सामाजिक न्याय के लिए लगातार प्रयास किए हैं। उनकी नीतियों और कार्यों के कुछ प्रमुख पहलू जो इस बात का समर्थन करते हैं: सामाजिक न्याय का नारा: लालू यादव ने सामाजिक न्याय को अपनी राजनीति का केंद्र बिंदु बनाया। उन्होंने पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों को राजनीतिक रूप से सशक्त करने पर जोर दिया। जातिगत जनगणना की वकालत: उन्होंने लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग उठाई है, जिसका उद्देश्य इन समुदायों की सही संख्या और स्थिति का पता लगाकर उनके लिए बेहतर नीत...

बानू मुश्ताक की 'हार्ट लैंप' हाशिये के लाग की कहानी संग्रह कन्नड़ कृति को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार ।

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        यह देश के लिए गर्व की बात है कि हाशिये के लाग के जीवन से भी लोग रूबरू हुए। 'हार्ट लैंप' उन आवाज़ों को सामने लाती है जो अक्सर समाज में अनसुनी रह जाती हैं, और यही इस कहानी संग्रह की सबसे बड़ी विशेषता है।   लेखिका बानू मुश्ताक के कन्नड़ लघु कथा संग्रह 'हृदय दीप' के अनूदित संस्करण 'हार्ट लैंप' को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार हाशिये पर रहने वाले लोगों, विशेषकर दक्षिण भारत में मुस्लिम महिलाओं के दर्द और संघर्षों को उजागर करने के लिए दिया गया है। 'हृदय दीप' में 12 कहानियाँ शामिल हैं जो 1990 से 2023 के बीच लिखी गई हैं। ये कहानियाँ इन समुदायों की महिलाओं के दैनिक जीवन, उनके सामने आने वाली चुनौतियों और पितृसत्तात्मक समाज में उनके संघर्षों का मार्मिक चित्रण करती हैं। यह संग्रह भारतीय साहित्य में पहली बार किसी कन्नड़ कृति को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने वाली पहली लघु कथा संग्रह भी है। इस पुरस्कार ने न केवल बानू मुश्ताक के लेखन को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है, बल्कि भारतीय साहित्य और हाशिये पर रहने वाले समुदायों की...