राजनीतिक दल दलबदलुओं ,नॉकरशाहों ,धनवानों को टिकट न देकर जमीनी कार्यकर्ताओं को दे।

किसी भी राजनीतिक दल में वास्तविक ताकत उनके जमीनी कार्यकर्ताओं में ही निहित है न की दलबदलुओं में। आजीवन राजनीति करने वाले दल के झंडा, डंडा ढोने वाले ताकते रह जाते हैं और दलबदलू एक ही झटके में आकर टिकट झटक लेते हैं जो अनुचित है।यही हाल धनवान ,नॉकरशाह भी करते हैं।येन केन प्रकरेण धन कमा लेते हैं और राजनीति में कूद जाते हैं।क्या ऐसे लोगों से राजनीति का स्वरूप नहीं बिगड़ रहा है? आखिर दल के जिंदगी खपाने वाले क्या करेंगे ? कहाँ जाएंगे ? ऐसा नहीं है कि यही लोग सिर्फ क़ाबिल हैं! हकीकत यह है कि जमीनी कार्यकर्ता राजनीति के ग्रास रूट पर होते हैं, उन्हें राजनीति की समझ ज्यादा होती है। जब दलबदलू नेताओं को टिकट मिल जाता है और पार्टी के वफादार और मेहनती कार्यकर्ता जो सालों से ज़मीन पर काम कर रहे होते हैं, उन्हें अनदेखा कर दिया जाता है, तो इससे कई समस्याएँ पैदा होती हैं: यह पार्टी के प्रति कार्यकर्ताओं के समर्पण को कम करता है। जब उन्हें लगता है कि उनकी निष्ठा और मेहनत का कोई मोल नहीं है, तो वे हतोत्साहित हो जाते हैं। यह परंपरा दलबदलुओं को और अधिक अवसरवादी बनने के लिए प्रोत्साहित करत...