स्वामी सहजानंद सरस्वती की कर्मभूमि बिहटा !/ प्रसिद्ध यादव
। आज इनके विचारों को यहां ढूंढता हूँ, लेकिन उल्टे सब दिखाई दिया । रोम रोम में धर्मान्धता, पाखण्ड का मेला देखा।स्वामी सहजानंद सरस्वती की कर्मभूमि पटना बिहटा जहां 4 मार्च 1936 को किसानों के आंदोलन के लिए सीताराम आश्रम बनाया था। आज बिहटा के बाबा बिटेश्वर नाथ मंदिर को सभी जानते हैं, लेकिन यही से अखिल भारतीय किसान आंदोलन शुरू हुआ था, जो रामगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश , बंगाल में किसानों के हक के लिये अधिवेशन शुरू हुआ था, इसमें सुभाष चंद्र बोस, आचार्य नरेंद्र देव भी शामिल हुए थे, भुला दिया। बोस इन्हें युग पुरुष कहते थे और इन्हीं का देन था कि देश से जमींदारी उन्मूलन हुआ था और बिहार पहला सूबा था। अभी बिहटा में इनके नाम पर एयरपोर्ट का नामकरण करने की मांग उठी है। काश ! इनके विचारों को हम आत्मसात कर लिया होता । सहजानंद कहते थे- जमींदारों ने किसानों पर इतने अत्याचार किये हैं और करते हैं कि इंसान का कलेजा थर्रा जाता है और मनुष्यता पनाह मांगती है। अंग्रेजों की औपनिवेशिक शासन जमींदारों पर टिका है।अंग्रेजी साम्राज्य का देशी आधार यही जमींदार है।यदि इन्हें उखाड़ फेंक...