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Showing posts from February, 2022

स्वामी सहजानंद सरस्वती की कर्मभूमि बिहटा !/ प्रसिद्ध यादव

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      ।  आज इनके विचारों को यहां ढूंढता हूँ, लेकिन उल्टे  सब दिखाई दिया । रोम रोम में धर्मान्धता, पाखण्ड का मेला देखा।स्वामी सहजानंद सरस्वती की कर्मभूमि पटना बिहटा जहां 4 मार्च 1936 को किसानों के आंदोलन के लिए सीताराम आश्रम बनाया था। आज बिहटा के बाबा बिटेश्वर नाथ मंदिर को सभी जानते हैं, लेकिन यही से अखिल भारतीय किसान आंदोलन शुरू हुआ था, जो रामगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश , बंगाल में किसानों के हक के लिये अधिवेशन शुरू हुआ था, इसमें सुभाष चंद्र बोस, आचार्य नरेंद्र देव भी शामिल हुए थे, भुला दिया। बोस इन्हें युग पुरुष कहते थे और इन्हीं का देन था कि देश से जमींदारी उन्मूलन हुआ था और बिहार पहला सूबा था। अभी बिहटा में इनके नाम पर एयरपोर्ट का नामकरण करने की मांग उठी है। काश ! इनके विचारों को हम आत्मसात कर लिया होता । सहजानंद कहते थे-  जमींदारों ने किसानों पर इतने अत्याचार किये हैं और करते हैं कि इंसान का कलेजा थर्रा जाता है और मनुष्यता पनाह मांगती है। अंग्रेजों की औपनिवेशिक शासन जमींदारों पर टिका है।अंग्रेजी साम्राज्य का देशी आधार यही जमींदार है।यदि इन्हें उखाड़ फेंक...

सम्यक दृष्टि वाले अनाथों के नाथ भोलेनाथ! / प्रसिद्ध यादव।

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    जिसका कोई नहीं, उसके भोलेनाथ होते हैं। भूत प्रेत, पिचाश, किन्नर, साँप, बिच्छु सभी भोलेनाथ नाथ के साथी हैं अर्थात संम्भाव, समतामूलक दृष्टि रखते हैं। यही कारण है कि बिना भेदभाव के सभी इनके शादी में बाराती बन कर गये थे। लोकहिकारी हैं, तभी तो अमृत छोड़ हलाल विष को पीकर नीलकंठ महादेव हो गये। शमशान की राख को अपने बदन में लगाते हैं ताकि लोग समझें कि मृत्यु सारभौम सत्य है और कभी अनैतिक कार्य नहीं करे।ये बाघ की छाला पहनते हैं इसका मतलब है कि मजबूत से मजबूत को भी उसके   चमड़ी  उधेर कर शरीर पर धारण करते हैं। इसलिए कोई अपने बल का दुरुपयोग न करे। भगवान शिव ने जिस तरह से सृष्‍ट‍ि में सामंजस्‍य बनाए रखने के लिए असर, तेज और तम गुण को त्रिशूल रूप में धारण किया था। ठीक उसी प्रकार सृष्टि के संतुलन के लिए उन्‍होंने डमरू धारण किया था। कहते हैं क‍ि जब देवी सरस्‍वती का प्राकट्य हुआ तो उन्‍होंने वीणा के स्‍वरों से सृष्टि में ध्‍वन‍ि का संचार किया। लेकिन कहा जाता है कि वह ध्‍वन‍ि सुर और संगीत हीन थी। तब भोलेनाथ ने नृत्‍य किया और 14 बार डमरू बजाया। मान्‍यता है डमरू की उस ध्‍वनि से ही स...

2 लाख 37 हजार 691 करोड़ का बिहार बजट पेश / प्रसिद्ध यादव।

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            बिहार  राज्य के  बजट  का आकार वर्ष 2021-22 में दो लाख 18 हजार 302 करोड़ 70 लाख रुपये था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर दो लाख 37 हजार, 691 करोड़ 19 लाख रुपये हो गया है। वित्तीय वर्ष 22-23 में वार्षिक स्कीम का कुल  बजट  अनुमान एक लाख करोड़ रुपये है जो वित्तीय वर्ष अनुमान के बराबर है।बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बजट पेश करते हुए बताया कि इस साल के बजट में समाज कल्याण के लिए 12375 करोड़ का आवंटन है। बिहार के वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि बजट बेहद महत्वपूर्ण है, सरकार बेहतर कर रही है. सात निश्चय-2 को लेकर काम किया जा रहा है. कोरोना के बावजूद विकास दर बरकरार रखा गया है. लंबित कार्यों को वित्त वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। बजट की मुख्य बातें बिहार का बजट 2 लाख 37 हज़ार 691 करोड़ 19 लाख राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य है शिक्षा के लिए 39 हज़ार 191 करोड़ की राशि दी गयी हेल्थ के लिए 16 हज़ार 134 करोड़ कृषि एवम आधार भूत संरचना के लिए 29 हज़ार 749 हज़ार करोड़ समाज कल्याण के लि...

लालू यादव की रफ़्तार रोकने के लिए जदयू के विष की घूंट भी पी रही है भाजपा !- प्रसिद्ध यादव।

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   यूपी में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह दो टूक कहा कि जदयू से बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन परिस्थितियों वश है। हालांकि परिस्थितियों का जिक्र नही किया। ललन सिंह का बयान राजनीति करने वाले और पत्रकारों के दिमाग झनझनाने वाली है। ये बात भाजपा कहती तब हकीकत लगता कि बिहार में दूसरी बड़ी पार्टी है, जदयू तीसरे नम्बर की, लेकिन उल्टे जदयू कह रही है और सीएम की गद्दी भी हथियाए हुए हैं। आखिर इतना भला बुरा सुनने के बाद भाजपा जहर पीकर क्यों रह जा रही है? इसका आसान उत्तर है लालू यादव और अब तेजस्वी यादव के बढ़ते प्रभाव। अगर भाजपा की थोड़ा सा भी आत्मसम्मान की अंतरात्मा जागती है तो बिहार में तेजस्वी यादव की सरकार बन जायेगी। इसलिए भाजपा पत्तल छिनने, मंत्रियों  के निरादर, विधानसभा अध्यक्ष की बातों को वरीय अधिकारियों द्वारा खिल्ली उड़ाने  पर भी लालू यादव के लिए विष वमन कर सकती है। 10 मार्च के बाद जदयू के तेवर दिखते बनेगा। अगर यूपी में भाजपा की सीटें कम आती है तो सबसे ज्यादा खुशी जदयू को होगी । अभी से ही जदयू के चेहरे खिले खिले हैं,इन्हें पता है कि यूपी में ये जीतने नही गये है बल्कि बिह...

गणतिज्ञ भाष्कर को जानें !/ प्रसिद्ध यादव।

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           भास्कर प्रथम का जन्म एक निषाद परिवार में लगभग 600 ईस्वी के आसपास में में हुआ(600 ई – 680 ईसवी) भास्कर प्रथम भारत भारत के सातवीं शताब्दी के गणितज्ञ थे। संभवतः उन्होने ही सबसे पहले संख्याओं को हिन्दू दाशमिक पद्धति में लिखना आरम्भ किया। उन्होने आर्यभट्ट की कृतियों पर टीका लिखी और उसी सन्दर्भ में ज्या य (sin x) का परिमेय मान बताया जो अनन्य एवं अत्यन्त उल्लेखनीय है। आर्यभटीय पर उन्होने सन् ६२९ में  आर्यभटीयभाष्य  नामक टीका लिखी जो संस्कृत गद्य में लिखी गणित एवं खगोलशास्त्र की प्रथम पुस्तक है। आर्यभट की परिपाटी में ही उन्होने महाभास्करीय एवं लघुभास्करीय नामक दो खगोलशास्त्रीय ग्रंथ भी लिखे। उन्होने अभाज्य संख्या P के लिये संबंध 1+(P-1) दिया जो भाज्य है मख्यादिरहितं कर्मं वक्ष्यते तत्समासतः। चक्रार्धांशकसमूहाद्विधोध्या ये भुजांशकाः॥१७ तच्छेषगुणिता द्विष्टाः शोध्याः खाभ्रेषुखाब्धितः। चतुर्थांशेन शेषस्य द्विष्ठमन्त्य फलं हतम् ॥१८ बाहुकोट्योः फलं कृत्स्नं क...

अनुप्रिया पटेल पिता के दुश्मनों के साथ सत्ता की साझेदारी! -प्रसिद्ध यादव।

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          सोने लाल पटेल  पिछड़े वर्गों के लिये ताउम्र लड़ते रहे । यूपी के भाजपा सरकार में एक सभा में इनपर इतनी लाठियां बरसाई की शरीर का अंग अंग टूट गया था, मारने की पूरी साजिश रची गई थी, क्योंकि पटेल यूपी में पूरे कुर्मी जाति और पिछड़े को गोलबंद कर दिया।ये पिछड़े के चैंपियन नेता और असमानता के ख़िलाफ़ जीवन भर मुखर रहे। दुर्घटना के बाद ठीक होकर फिर अपने नये तेवर में आये, लेकिन 2009 में कानपुर में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, जो आज भी रहस्यमय है। तब बेटी अनुप्रिया पटेल इस घटना को सीबीआई जांच की मांग की और पिता के राह पर चलने के कसमें खाई थी। पिता के विरासत और संघर्ष से नेता बनी अनुप्रिया पटेल पिता के दुश्मनों से मिलकर केंद्र सरकार में मंत्री बनकर राज सुख भोग रही हैं और पिता की मौत की सीबीआई जांच की मांग भूल गई। यूपी के चुनाव में अनुप्रिया के कदम से परिवार में विद्रोह हुआ और पूरे कुर्मी जाति भाजपा के खिलाफ है। इसकी टिस बिहार के सीएम नीतीश कुमार को भी है तभी तो जदयू भी भाजपा को यूपी में औकात दिखा दिया।  यूपी में कुर्सी जाति की दर्जनों सीट पर निर्णायक वोटर ...

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को जानें।/ प्रसिद्ध यादव।

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            जहां इतने महान वैज्ञानिक जन्म लिया, वहां आज भी झाड़ फूंक, चमत्कार, ढोंग, आडम्बर, झूठे कल्पनाओं में अपनी बुद्धि भ्रष्ट करने वाले को विज्ञान की खोज से दिमाग पर रमन खोज की प्रभाव की अपेक्षा है।  राष्ट्रीय  विज्ञान दिवस रमन प्रभाव की खोज के कारण मनाया जाता है। इस खोज की घोषणा भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (सर चन्द्रशेखर वेंकटरमन) ने 28 फरवरी सन् 1928 को की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था।   सीवी रमन ने साबित किया था कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी वस्तु के बीच से गुजरता है तो प्रकाश का कुछ हिस्सा विक्षेपित होता है, जिसकी वेब लेंथ में बदलाव होता है। उनकी इसी खोज को ‘रमन इफेक्ट’ कहा जाता है। सीवी रमन ने रमन इफेक्ट की खोज अपने छात्र और वैज्ञानिक रहे केएस कृष्‍णन के साथ मिलकर की थी। रमन इफेक्ट का इस्तेमाल आज भी कई जगहों पर हो रहा है। जब भारत के चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने का ऐलान किया था, तो इसके पीछे भी रमन इफेक्ट का ही कमाल था। फोरेंसिक साइंस में भी रमन इफेक्ट काफी उपयोगी साबित हो रहा है। अब य...

गरीबी और अशिक्षा में चोली दामन का संबंध!- प्रसिद्ध यादव।

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          यह गंभीर आलेख लिखने की प्रेरणा राजद के प्रदेश महासचिव श्री देवकिशुन ठाकुर जी से मिली। आज मोबाइल पर हुई बातचीत में इन विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई थी। गरीब लोगो को  शिक्षा के प्रति जागरूक करना अति आवश्यक है। जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षित होना ज़रूरी है। आजकल के जीवन मे शिक्षा कितना महत्वपूर्ण हो गया है यह गरीब लोगो को समझना ज़रूरी है।  गरीब बच्चो को शिक्षित करना बेहद आवश्यक है जिससे वह  गरीबी से बाहर निकल सके।-40 वर्ष की आयु समूह के घर से काम करने वाले श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर, मिड डे मील श्रमिक, सिर पर बोझ ढोने वाले श्रमिक, ईंट-भट्टा मजदूर, चर्मकार, कचरा उठाने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मजदूर, खेतिहर मजदूर, निर्माण मजदूर, बीड़ी मजदूर, हथकरघा मजदूर, चमड़ा मजदूर, ऑडियो-वीडियो श्रमिक तथा इसी तरह के अन्य व्यवसाय के श्रमिक होंगे, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये प्रति महीने या उससे कम है। गरीब परिवार गरीबी को नियति मानकर अपने बच्चों को पढ़ने के उम्र में  कमाने के लिए भेज देते हैं। शहरों के चौक चौराहे पर सुबह- सुबह...

रूस यूक्रेन युद्ध अविलम्ब बन्द हो!/ प्रसिद्ध यादव।

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                युद्ध  का  अंतिम  परिणाम विनाश ही होता है।रूस की तरफ़ से ये कार्रवाई पुतिन के मिन्स्क शांति समझौते को खत्म करने और यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों में सेना भेजने की घोषणा के बाद की गई है. रूस की तरफ़ से इन राज्यों में सेना भेजने की वजह 'शांति कायम करना' बताया गया है. रूस ने हाल के महीनों में यूक्रेन बॉर्डर के पास लगभग 2 लाख सैनिकों को तैनात किया हुआ था, जिसके बाद यूक्रेन पर हमले की अटकलें काफ़ी वक़्त से लगाई जा रही थीं. हालांकि रूस लगातार इन अटकलों को ख़ारिज करता रहा. अब जब हालात और ख़राब हो चुके हैं और यूक्रेन के कई शहरों पर रूस के हमले की ख़बरें और तस्वीरें आने लगी हैं, तो ऐसे में सब के मन ये सवाल आता है कि आख़िर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते क्या हैं? इसे समझने के लिए हमें 8 साल पीछे यानी साल 2014 में चलना होगा. तब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था. उस वक़्त रूस समर्थित विद्रोहियों ने देश के पूर्वी हिस्से में एक अच्छे खासे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया था. उस वक़्त से लेकर आज तक इन विद्रोहियों की यूक्रेन की ...

भारतीय राजनीति में मानसिक गुलामी हावी!/ प्रसिद्ध यादव।

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          मानसिक ग़ुलामी वह स्थिति है, जब कोई व्यक्ति अपने आपको किसी के हवाले कर दे, या फिर शारीरिक दंड के भय के बिना भी किसी का आधिपत्य स्वीकार कर ले और वो काम भी करे जो उसके अपने हितों के खिलाफ हो. ऐसी गुलामी भारत में पाई जाती है. भारत में ग़ुलामी का स्वरूप ज्यादातर मानसिक ही रहा है. हालांकि भारतीयों की मानसिक ग़ुलामी का एक कारण उपनिवेशवाद भी रहा लेकिन ये कहना सही नहीं होगा कि भारतीयों की मानसिक गुलामी अंग्रेजों के आने के बाद शुरू हुई. अंग्रेजों के भारत में आने से पहले भी यहां मानसिक ग़ुलामी ख़ूब फली-फूली, जिसके पीछे सामाजिक/धार्मिक मूल्य और रूढ़िवादी परम्पराएं रहीं. मानसिक ग़ुलामी को शास्त्रों का डर फैला कर क़ायम किया जाता रहा है. पहले यह डर जन्म-मरण-पुनर्जन्म, भूत-पिशाच, देवी-देवता, शाप-वरदान, अवतारवाद आदि के नाम पर फैलाया जाता रहा, अब किसी जाति, धर्म या समुदाय विशेष का डर फैलाकर मानसिक गुलामी का लक्ष्य हासिल किया जाता है.अब्राहम लिंकन,  ज्योति बा फुले , महात्मा गांधी, डॉ. बी.आर. आंबेडकर,  मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मण्डेला आदि ने ग़ुलामी समाप्...

गलती करने का एहसास होने चाहिए!/प्रसिद्ध यादव।

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        हर आदमी से जीवन में कोई न कोई गलती हो जाती है, लेकिन सज्जन पुरुष को इसका सहज एहसास हो जाता है और वो माफी माँगकर सुधार कर लेते हैं, लेकिन दुर्जनों का यह जन्मसिद्ध अधिकार हो जाता है। गलत काम का परिणाम गलत ही होता है, लेकिन इसके लिए दोष किसी और पर मढ़ता है।आज सत्ता और धनार्जन के जो तरीक़े अपनाये जा रहे हैं इसमें अनैतिकता और गैर कानूनी रूप भी सही दिखने लगता है।हम देशभक्त होने की बात करते हैं, सज्जन,साधु संत होने का स्वांग रचते रहते हैं। क्या कभी सोचा है कि भ्रष्ट तरीके से या गैर कानूनी तरीके से कमाया हुआ धन भी देशद्रोह और दुष्ट बना देगा?  कभी हाड़तोड़ कमाने वाले, मजदूरों,  किसानों, सीमा पर तैनात माईनस डिग्री और 50 डिग्री तापमान पर पहरेदारी करने वाले जवानों के बारे में सोचना  तब शायद गलत सही की समझ आ जाये। एक हीं गलती को बार-बार दोहराने वाले लोग क्षमतावान होने के बावजूद खुद अपने पीछे रहने का कारण बनते हैं. अगर आप सचमुच किसी की भलाई चाहते हैं, तो किसी की भी गलती अकेले में बताइए. ना कि सबके सामने. जिंदगी में ऐसा शख्स जल्दी नहीं मिलता है, जो आपके गलत होने ...

अमर शहीद जय गोविंद सिंह यादव हो, चरन पखारीं तोहार। - प्रसिद्ध यादव।

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            1      1965 के शहीद जय गोविंद सिंह यादव के गाँव बाबूचक!  शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा...। जगदंबा प्रसाद मिश्र हितैषी की देशभक्ति में पगी यह रचना 1916 में लिखी थी, लेकिन आज भी लोगों के जुबां पर रहती है। 27 सितम्बर 1965 सोमवार को  बिहार के पटना जिला के फुलवारी शरीफ अंचल के बाबूचक गांव के स्व मिश्री लाल यादव के सुपुत्र जय गोविंद सिंह यादव भारत पाक युद्ध में शहीद हो गये। तत्कालीन प्रधानमंत्री मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की एक सांत्वना पत्र आयी थी। गांवों में मातम छा गई थी, लेकिन लोगों को फख्र भी था कि आज गांव के लाल भारत माँ के काम आये, लेकिन इसके बाद शहीद जय गोविंद सिंह यादव की इस गांव में न कोई प्रतिमा, न स्मारक, न कोई द्वार है, जिससे कि लोग जानें कि यहां के लाल भी देश के लिए शहीद हुए थे। प्रखंड और जिला मुख्यालय पर इनकी स्मृति और प्रतिमा की बात कौन करे? न लोगों को इनके जन्मदिन और शहीद दिवस भी नही मालूम है कि इनका स्मरण कर सके। शहीदों को इतना उपेक्षित कतई उचित नही है। यहां क...

दूसरों की लड़ाई खुद लड़ लेते हैं बाबूचक के लोग-प्रसिद्ध यादव।

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      दो पक्ष के विवाद में तीसरे पक्ष के खून बहे । इसे बहादुरी कहें या बेवकूफी। न लेना , न देना और मुफ़्त में जान गंवाना। काश! इतना एफर्ट अपने बच्चों के तरक्की के लिए किया होता तो आज लोग दीन हीन, लाचार, बेवस नही होते। बाबूचक में एक घर लोहार और  6 - 7 घर कोइरी लोग रहते हैं। ये दोनों पक्षों में विवाद हुआ, पंचायती हुई सुलझाने के लिए, लेकिन उल्टे यादव एक पक्ष लोहार के तो दूसरे पक्ष कोइरी समुदाय के हो गये।  ये दोनों के विवाद यादवों के बीच हो गया और फिर समय समय पर दो यादवों की हत्या हो गयी। यह सिलसिला जारी रहा इसके बाद अन्य कई लोगों को आपसी रंजिश में भी जान गई। गांव से 10 -12 परिवार इसमें यादव, कोइरी, लोहार भी गांवों से सदा के लिए पलायन कर गए। पढ़े लिखे लोग भी गांवों की हिंसक घटनाओं से दूर रहे।बहुत समय बाद यादवों की कड़वाहट , मनमुटाव को दूर करने के लिए गांव में पंचायत हुई, इसमें पूर्व विधायक आशा सिन्हा के पति सत्यनारायण सिन्हा भी आये, समझौता हुआ।  विधायक रीतलाल यादव का भी इस गांव से पुराना संबंध है।यहां के पुराने वेटननरी डॉक्टर जगदीश यादव, इनके पुत्र डीएसपी योगेंद्र...

हिंसा की आग में बर्बाद हुआ था शहीद जय गोविंद सिंह यादव का गांव बाबूचक - प्रसिद्ध यादव भाग 2

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     27 सितम्बर1965  को जब बाबूचक के लाल जय गोविंद सिंह यादव  शहीद हुए तब यह गांव सुर्खियों में आया था, राजनेताओं का दौड़ा शुरू हुआ था पूर्व सांसद कॉम रामावतार शास्त्री, पूर्व प्रमुख कॉमरेड रामनारायण यादव, पूर्व मुखिया राम लक्षण यादव, रामायण मुखिया, परमेश्वर मुखिया, जुगल मुखिया, पूर्व विधायक राम नाथ यादव, पूर्व विधायक दानापुर सुखसागर यादव, बुद्धदेव यादव आदि के लिए एक पवित्र भूमि और वामपंथी का गढ़ बन गया था। इससे आसपास के समन्तियों को यह रास नही आया और इस पंचायत के पूर्व मुखिया ने अपनी बंदूक देकर शहीद के परिवार में आपस में तीन हत्या करवा दी। सबकुछ धूमिल हो गया और तो और इस तिहरे हत्याकांड पर गाना बनाकर चौक चौराहे मेले में गाना शुरू कर दिया और गीत की पुस्तकें बेचना शुरूं कर दिया। शहीद की शहादत को गुमनाम करने की साजिश कामयाब हो गया। इस मुकदमें में लोगों के जमीन जायदाद बिक गये, जो पढ़ने वाले थे, सबकी पढ़ाई छूट गई थी। कई को सजाए मौत , कई को आजीवन कारावास हुआ था।इस मुकदमे को देख रहे अधिवक्ता पूर्व सांसद गणेश यादव व अन्य नेताओं के सहयोग से समझौता हुआ और पटाक्षेप हुआ। जीवन क...

सदैव चुप रहना उचित नहीं !/ प्रसिद्ध यादव।

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            एक चुप सौ को हराए, एक चुप सौ को सुख दे जाए और इसलिए हम कई बार चुप रहते हैं, मौन रह जाते हैं क्योंकि यह सच भी है कि एक मूर्ख व्यक्ति के सामने मौन रहने से अच्छा उत्तर और कुछ भी नहीं हो सकता। परंतु जीवन में सदैव चुप रहना उचित नहीं होता है। गीता में कहा गया है- जहां पाप का बल बढ़ रहा हो, जहां छल-कपट हो रहा हो वहां पर मौन रहने से अधिक गंभीर अपराध और कुछ नहीं हो सकता। कभी-कभी हम सबके जीवन में एक समस्या अवश्य आती है कि हम किसी ताकतवर के समक्ष मौन हो जाते हैं। ऐसा क्यों? प्राय: उसकी ताकत से बचने के लिए हम मौन रह जाते हैं। मानते हैं कि ऐसा करने से हम एक विवाद से बच जाते हैं। हो सकता है कि एक संघर्ष से भी बच जाते हों। परंतु ऐसा बचाव देर-सबेर एक बड़े संघर्ष को जन्म दे देता है। हमारा मौन रहना अनजाने में उस व्यक्ति का समर्थन बन जाता है और वह अपने आपको और अधिक शक्तिशाली अनुभव करने लगता है। यहीं से हमारा दमन प्रारंभ हो जाता है। एक के बाद एक, हम अन्याय में अनचाहे रूप से सम्मिलित होते चले जाते हैं जो आगे चलकर बड़े टकराव का कारण बनता है।  राष्ट्र कवि रामध...

पुरानी पेंशन योजना लागू करे सरकार ! /प्रसिद्ध यादव।

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       आज कोई 5 सालों के लिए विधायक, सांसद बन जाता है तो उसे ताउम्र पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलती रहती है, लेकिन जो कर्मचारी अपने पूरे जीवन के 60 साल तक सेवा दे फिर भी उसके भविष्य को अनिश्चितता की अंधेरे में धकेल देना कहाँ तक न्यायोचित है ? अगर देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो विधायकों , सांसदों को नई पेंशन योजना क्यों नहीं दिया गया? शायद देश के नीति निर्धारण संसद से होती है, मनमाफिक नियम बना लेते हैं।  तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की केंद्र  सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद के नियुक्तियों के लिए  पुरानी पेंशन  को  बन्द कर दिया था और नई  पेंशन  योजना लागू की गई थी ,   पुरानी पेंशन योजना  में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50 फीसदी तक निश्चित  पेंशन  मिलती है. NPS में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन  की कोई गारंटी नहीं है. - पुरानी पेंशन  योजना में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता  लागू  होता है. NPS में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू  नहीं होता है. ...

1965 के शहीद जय गोविंद सिंह यादव की स्मारक बने- बाबूचक से प्रसिद्ध यादव।

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       शायद गरीब के लाल होने के कारण उपेक्षित रह गए! हमारा संघर्ष जारी रहेगा। साथियों!साथ दें! हम इनके नाम को इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखकर ही दम लेंगे।  शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा...। जगदंबा प्रसाद मिश्र हितैषी की देशभक्ति में पगी यह रचना 1916 में लिखी थी, लेकिन आज भी लोगों के जुबां पर रहती है। 27 सितम्बर 1965 सोमवार को  बिहार के पटना जिला के फुलवारी शरीफ अंचल के बाबूचक गांव के स्व मिश्री लाल यादव के सुपुत्र जय गोविंद सिंह यादव भारत पाक युद्ध में शहीद हो गये। तत्कालीन प्रधानमंत्री मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की एक सांत्वना पत्र आयी थी। गांवों में मातम छा गई थी, लेकिन लोगों को फख्र भी था कि आज गांव के लाल भारत माँ के काम आये, लेकिन इसके बाद शहीद जय गोविंद सिंह यादव की इस गांव में न कोई प्रतिमा, न स्मारक, न कोई द्वार है, जिससे कि लोग जानें कि यहां के लाल भी देश के लिए शहीद हुए थे। प्रखंड और जिला मुख्यालय पर इनकी स्मृति और प्रतिमा की बात कौन करे? न लोगों को इनके जन्मदिन और शहीद दिवस भी नही मालूम है कि इ...

विद्या सर्वोपरि धन ! नंदलूरु, आंध्रप्रदेश से प्रसिद्ध यादव।

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     हम ऋषि दयानन्द जी के उदाहरण पर दृष्टि डालते हैं। ऋषि दयानन्द के पास अपना किसी प्रकार का धन नहीं था। न उन्होंने धन कमाया और न अपने व्यय के लिए कभी किसी से धन मांगा। उनके पास विद्या का धन व ज्ञान इतना अधिक था कि धनी लोग उनसे आकर्षित होते थे और उन्हें किसी प्रकार का कष्ट अनुभव न होने देते थे। उन्हें लेखन व प्रचार के लिए जिन साधनों की आवश्यकता होती थी, वह भी उनके शुभचिन्तक व अनुयायी उन्हें प्रदान करते थे। अतः विद्यासम्पन्न होकर और बिना किसी धनोपार्जन का काम किये भी उन्होंने देश व विश्व में सम्मान पाया और अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखते हुए वेद प्रचार वा धर्म प्रचार का कार्य किया। उन्हें कभी धन का अभाव नहीं आया। उनके जीवनकाल में सहस्रों व लाखों लोग उनके समर्थक थे। लोग उनसे ईर्ष्या भी करते थे। ईर्ष्या करने वालों को ऋषि दयानन्द के मानव व प्राणीमात्र के हितकारी कार्यों का ज्ञान नहीं था। अतः वह उन्हें हानि पहुंचाने के उपाय करते रहते थे। अन्त में वह सफल भी हुए। विष देकर उनका प्राणान्त कर दिया गया। इस बलिदान से ऋषि दयानन्द हमेशा के लिए अमर हो गये। आज भी उनकी कीर्ति गाते हुए उनके ...

विद्वानों की धरती के अवलोकन कर अभिभूत हुए - प्रसिद्ध यादव।

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       कितना साधारण सा जीवन जीते हैं, यहां के लोग।  नंदलूरु  एक छोटा सा नगर पंचायत है। पूर्व के आलेख में मैं बताया था कि एक यादव की अनाथ बच्ची दूध बेचकर आईएस बनी थी अन्य कई आईपीएस हैं।सुदूर गांव से भारत के आरबीआई के गवर्नर होना  डॉ. यागा वेणुगोपाल रेड्डी , जिन्हें वाई वी रेड्डी नाम से जाना जाता है, (जन्म 17 अगस्त 1941) जो आंध्र प्रदेश कैडर से संबंधित 1964 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। रेड्डी ने 6 सितंबर 2003 से 5 सितंबर 2008 तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) (भारत का केंद्रीय बैंक) के गवर्नर के रूप में कार्य किया था। 2010 में, उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।. यगा वेणुगोपाल रेड्डी का जन्म 17 अगस्त 1941 को वर्तमान आंध्र प्रदेश , भारत के कडपा जिले के पाटूर गांव में एक तेलुगु परिवार में हुआ था।  यह जानकर मुझे खुशी हुई कि यह धरती सिर्फ अन्न के लिए उर्वरक नही, बल्कि घर घर में यहां सरस्वती वास करती हैं। मैं खुद को यहां रहकर गौरान्वित महसूस...

किसानों के सीने के खून से लिखी जायेगी कहानी ! प्रसिद्ध यादव।

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     लखीमपुर खीरी  में किसानों के सीने पर गाड़ी घुमा घुमा कर  रौंदी  गयी थी, इसमें चार किसान सहित अन्य और चार लोगों की मौत हो गई थी। इसके आरोपी देश के गृह राज्य मंत्री के पूत सहित  अन्य थे। काफ़ी मशक्कत के बाद मंत्री पुत्र पर धारा 302 के तहत गिरफ्तार हुए, लेकिन केंद्र सरकार मंत्री को हटाना मुनासिब नहीं समझी और  यूपी के चौथे चरण के चुनाव के पूर्व न्यायालय द्वारा बेल मिल गया। लखीमपुर खीरी में किसानों के गुस्सा सातवें आसमान पर है। किसान आंदोलन रत हैं।  भाजपा प्रत्याशी उस क्षेत्र में घुस नही पा रहे हैं। मंत्री भाजपा को कितना लाभ पहुंचायेंगे, ये भविष्य की बात है, लेकिन फिरहाल किसानों के ज़ख्म ताजा हो गया।  आज लाखों लोग छोटे जुर्मों में जेल में सड़ रहे हैं लेकिन जब पावर और पैसे हों तो , जेल की दीवारें भी छोटी हो जाती है। कानून सत्ता की रखैल बनने लगती है तो आम अवाम में क्रांति, आंदोलन होना लाजिमी है। क्या किसानों के खून से अब रामराज्य स्थापित होगा? उत्तम प्रदेश बनेगा? काशी क्वेटो बनेगा? या बाबा जी के मठ नेसनबूत होगा ? इसके लिए 10 मार्च का सभी का इं...

जब थानेदार नही सुधरे तब लोग ख़ाक सुधरेंगे । प्रसिद्ध यादव।

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    तूने ओ रंगीला कैसा जादू किया!!! ... बोले मतवाला किया। सहरसा सदर के sho जयशंकर प्रसाद बंगाल के सोनागाछी में बालाओं के साथ शराब पीने के साथ मस्ती भी खूब किया।2009 बैच के दारोगा हैं। वीडियो वायरल हुआ और फिर अधिकारी लिपि सिंह के हाथों  गिर गई गाज। शराबबंदी के लिए शपथ ली थी। बिहार में शराब बन्द नहीं होने के कारण पुलिस की शराब माफिया से मिलीभगत है। तभी तो बिहार के कोने -कोने , चप्पे- चप्पे में शराब है। होली की आगमन हो गई है, हल्का हल्का सरूर है ,सब तेरी नजरों की कसूर है। कोई पास है, कोई दूर है, कमीशन मिलता जरूर है, सब तेरी नजरों की कसूर है। इसमें भ्रष्टाचार कितना है? अब कोई मुद्दा नहीं रहा, यह समाज में अंगीकार हो गया, लोग आत्मसात कर लिया, ये तो चलेगा ही।

नीतीश न पक्ष के, न विपक्ष के विश्वासपात्र !प्रसिद्ध यादव।

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    राजनीति अटकलें राजनीति के पंडित जो लगा लें,लेकिन राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार न पक्ष के पसंद हैं, न विपक्ष के। खुद नीतीश सीएम पद को नही त्याग सकते हैं। भाजपा आरएसएस की पसंद कभी नही हो सकते हैं, मजबूरी के नाम नीतीश कुमार हैं। भाजपा खुद  अपने अन्य सहयोगियों के साथ शीर्ष पद काबिज होने में सक्षम है , तो एक्सपायरी को ढोने से क्या फायदा ? रही बात विपक्ष को भले दूसरे राज्यों में भाजपा के विपक्षी नीतीश कुमार को अपनी पसंद हो सकते हैं, लेकिन बिहार में राजद और इनके सहयोगी कभी  नीतीश को वोट नही दे सकते हैं। भले राजद को वोट का बहिष्कार करना क्यों न पड़ जाये। जब घर में ही ढाक के तीन पात हैं तो पीके क्या कर लेंगे। भाजपा पहले ही राज्यसभा के उपसभापति जदयू को ढो रही है। सभी की नज़र 10 मार्च के यूपी चुनाव पर है की  भाजपा को क्या होगा? जदयू का हश्र क्या होगा ? ये मायने रखती है। अगर जदयू के कारण भाजपा को यूपी में नुकसान हुआ तो  नीतीश के शीर्ष पद की बातें छोड़ दें, बिहार में भी दिन में तारे दिखने लगेंगे। भाजपा राष्ट्रीय पार्टी और मजबूत पार्टी है, इसे जदयू के बैशाखी क...

दक्षिण भारत का अयोध्या ओंटिमिटा - ओंटिमिटा , आंध्रप्रदेश से प्रसिद्ध यादव।

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           ओंटिमिटा मंदिर क्षेत्र में सबसे बड़ा वास्तुकला की विजयनगर शैली में बनाया गया है, "संधारा" क्रम में  दीवारों से घिरे एक आयताकार यार्ड के भीतर।  यह 16 वीं सदी में बनाई गई थी, लेकिन आज भी इसकी मजबूती गजब की है। सिद्धौत से बकरपेटा होते हुए 16 किलोमीटर  की दूरी पर स्थित यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से सुंदर और प्रभावशाली है।  यह नेशनल हाईवे के किनारे ( तिरुपति- हैदराबाद) है और चेन्नई मुम्बई, सिकंदराबाद मेन रेल लाइन  ओंटिमिटा रेलवे स्टेशन के पास है।  यह यहां के मुख्यमंत्री के पैतृक निवास कड़प्पा से करीब 20 किमी पर अवस्थित है। चारो तरफ छोटी छोटी पहाड़ियां, झाड़, वन और जलाशय मन को मोह लेती है। इसका निर्माण द्रविड़ राजा हरिहर राय के पुत्र ने करवाया था। द्रविड़ क्षेत्र यादवों राजाओं के सबसे सुरक्षित और मजबूत गढ़ माना जाता था। यहां से बगल में ही अल्ट्राटेक सीमेंट उद्योग के साथ अन्य तीन कंपनियां भी है। यहां से करीब 200 किमी दूर  कृष्णपट्टनम बन्दरगाह है, जहाँ से विदेशों से माल आते जाते हैं और सबसे ज्यादा श्रीलंका से कोय...

56 इंच के सीने वाले देश को किया बंटाधार !/ प्रसिद्ध यादव।

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               सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड और उनके निदेशकों पर FIR दर्ज किया है. दरअसल एबीजी शिपयार्ड और उनके निदेशकों पर कथित तौर पर 28 बैंको से 22,842 करोड़ रुपये    2019 में लोकसभा में एमओएसएफ के जवाब के अनुसार, भगोड़े के  हिट-लिस्ट में व्यक्ति और परिवार दोनों शामिल थे । इसमें विजय माल्या, नीरव मोदी, नीशाल मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी, नितिन जे. संदेसरा, दीप्ति चेतनकुमार संदेसरा, सनी कालरा, संजय कालरा, एस.के. कालरा, आरती कालरा, वर्षा कालरा, उमेश पारेख, कमलेश पारेख, नीलेश पारेख, आशीष जोबनपुत्र, प्रीति आशीष जोबनपुत्र, हितेश एन.पटेल, मयूरी पटेल, राजीव गोयल, अलका गोयल, पुष्पेश बैद, जतिन मेहता, एकलव्य गर्ग, विनय मित्तल, सब्या सेठ और रितेश जैन के नाम शामिल हैं।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 लाख करोड़ रुपए की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) की घोषणा कर दी है. एनएमपी के तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियमों को प्राइवेट हाथों में देकर सरकार पैसे जुटाएगी. बड़ी बात यह है कि इस योजना का आधे से ज्यादा हिस्...

सरकार की अड़ियल रवैया के कारण बढ़ती बेरोजगारी !/प्रसिद्ध यादव।

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             वास्तव में, सरकार अगर बेरोजगार युवाओं के प्रति चिंतित होती तो देश में लाखों पद खाली नही पड़े रहते। जो बहाली निकल भी रही है, वो  चयन होने में इतना समय लग जाता है कि 3-4 सालों में फिर उतने पद रिक्त हो जाते हैं। केंद्र सरकार की हर साल दो करोड़ की और बिहार सरकार के 19 लाख को रोजगार देने की वादे चुनावी जुमले साबित हुआ। अगर देश के युवाओं को अगर यह वादाखिलाफी याद रहती तो शायद सरकार की इतनी दुःसाहस नही होती कि युवाओं से भद्दी मज़ाक उड़ाते। राजनेताओं को पता है कि युवाओं को धर्म जाति के आग में झोंक दो फिर मनमानी काम करो।देश में बढ़ती इस बेरोजगारी के दो मुख्य कारण है. पहला कारण सरकार का वह अड़ियल रवैया है, जिसमें सरकार पैसे खर्च नहीं करना चाहती. जिससे लोगों के हाथ में पैसा आना कम हो गया है. जब पैसा नहीं है तो लोग खर्च नहीं कर पा रहे हैं. जिससे बाजार और प्राइवेट सेक्टर पर बुरा असर पड़ता है. दूसरा, सरकार बेरोजगारी या आर्थिक मंदी को लेकर गंभीर नहीं दिखती हैं, जो उसके मंत्रियों के बयानों से साबित हो जाता कि वे सच्चाई को स्वीकार करने की जगह उलटे-सीधे बया...

11 वीं सदी के स्वामी सौम्यनाथ मंदिर नंदलूर /नंदलूरु, आंध्रप्रदेश से प्रसिद्ध यादव।

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    जब हम धरोहर को देखते हैं, उसकी वास्तुकला को, निहारते हैं तो मन प्रफुल्लित हो जाता है और  समझने का प्रयास भी करते हैं। 11 वीं सदी में बना यह स्वामी सौम्यनाथ मंदिर  कड़प्पा जिला के नंदलूरु में अवस्थित है। मन्दिर की नक्काशी, कला और पत्थरों पर उकेरे गये मूर्तियां हमें समृद्ध विरासत की बताती है। करीब एक हजार वर्ष पूर्व बनी दीवारों, मूर्तियां, विशाल दरवाजे बहुत कुछ कहती है। यह चेरवू नदी के तट पर पहाड़ियों के नीचे है, काफी रमणीय, मनमोहक दृश्य लगता है। गर्भ गृह में निर्मित मूर्ति वेंकटेश्वर बाला जी से मिलता जुलता है। अंदर में द्वीप जलते  रहते हैं, कोई बिजली या अन्य चीजें जलाना  वर्जित हैं। आरती के बाद परसाद स्वरूप तुलसी पत्र दिया जाता है। सुबह शाम आरती होती है और यह भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन है। चाहरदीवारी के अंदर ही एक छोटा सा तालाब है, इसमें पानी था।भक्ति और मोक्ष के लिए गोविंदा नाम "हरि के सभी अवतार हरि के देवता हैं।  ब्रह्मंडंबुलु हरिनाममुले सभी मंत्र " येदुकोंदलावदागोविंदा स्ट्रीपुनरूप गोविंदा शिवकेशवमूर्ति गोविंदा गोविंदा हरि गोविंदा गोविंदा...

सुपर हॉट पाखी हेगड़े का नया गाना समर सिंह के साथ 'कमरिया ऑटोमेटिक लेफ्ट राइट' मचा रहा धमाल/ प्रसिद्ध यादव।

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  भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री की सुपर हॉट अदाकारा पाखी हेगड़े ने एक बार फिर से धमाल मचा दिया है समर सिंह के साथ। उनका नया गाना 'कमरिया ऑटोमेटिक लेफ्ट राइट' रिलीज के साथ खूब वायरल हो रहा है। देखते ही देखते इस गाने को लाखों व्यूज मिल चुके हैं। यह गाना काफी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उनके साथ भोजपुरी के लोकप्रिय गायक समर सिंह भी नज़र आ रहे हैं। समर और पाखी की केमेस्ट्री दर्शकों को खूब पसंद भी आ रही है। पाखी का यह गाना तड़का भोजपुरी से रिलीज हुआ है। गाने को लेकर भोजपुरी श्रोता भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं और गाने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। लिंक : https://youtu.be/b_LhhY23TEQ बात अगर पाखी की करें ,तो पाखी इंडस्ट्री की सफल अभिनेत्री और मेकर्स रही हैं। उन्हें दर्शकों के मिजाज को पढ़ना आता है। उसी हिसाब से वे अपने प्रोजेक्ट्स भी करती हैं। पाखी एक लंबे समय तक इंडस्ट्री से दूर थीं, लेकिन वापसी खेसारीलाल यादव के साथ बंगलिनिया गाने से की। इस गाने ने धूम मचा दी। फिर क्या था एक के बाद एक हिट जवानी जर्दा के पान और नाच के मलकिनी से धमाल मचा दिया था। अब एक बार फिर से उसी सिलसिले को गाना 'कमरिया ...

"मातृभाषा में साहित्य और समाज पर उसका प्रभाव"-प्रसिद्ध यादव।

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                          मातृभाषा  हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है।  मातृभाषा  ही किसी भी व्यक्ति के शब्द और संप्रेषण कौशल की उद्गम होती है। ...  मातृभाषा  से इतर राष्ट्र के संस्कृति की संकल्पना अपूर्ण है।  मातृभाषा  मानव की चेतना के साथ-साथ लोकचेतना और मानवता के विकास का भी अभिलेखागार होती है।   हिंदी स्वाधीनता आंदोलन की भाषा थी, आधुनिकता के गर्भ से जन्मी स्वाधीनता आंदोलन की भाषा, तभी इसने तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशज, सब तरह के शब्द-समूहों को एक पांत, एक चटाई पर बिठाया। ऐसा ही अन्य मातृभाषाओं में भी हुआ, पर सरकारी समितियां इस सहज सहकारी प्रवृत्ति के विरुद्ध आचरण करके शुद्धता रचती हैं। जैसे हर व्यक्ति अपने ढंग से अनूठा है, हर भाषा भी। ठीक है, कुछ भाषाओं के पास अधिक समृद्ध साहित्य की विरासत है पर जनतंत्र में विरासत शब्द भी 'मूंछ' पर ताव देने का माध्यम नहीं बनना चाहिए। कोई अनाम-गोत्र है, उसके पीछे विरासत की गठरी ...

नवादा में जघन्य अपराध! /प्रसिद्ध यादव।

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          आज इक्कीसवीं सदी में भी  लोग  इतने ढोंगी, अन्धविश्वाशी  हैं, यह सोच कर कलेजा कांप जाता है। विश्व गुरु के चाह रखने वाले देश में विज्ञान के ज्ञान से दूर चमत्कार  और जादू टोना पर विश्वास रखने वाले  कुछ लोग राक्षसी जीवन जी रहे हैं। पंचायत में मुखिया, सरपंच, वार्ड पार्षद भी होंगे।क्या सभी मुंह ताकते रह गए। कल नवादा जिला के रजौली में  कुछ लोगों ने सभी सीमाओं को पार कर महिला पर पेट्रोल छिड़कर उसे जिंदा जला दिया. घटना के बाद महिला किसी तरह अपना जान बचाने के लिए पास के तालाब में कूद गई, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी.  परिजन जब शव को निकालने के लिए तालाब में गए तो लोगों ने उनकी भी पिटाई कर दी. घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव है और पुलिस गांव में कैंप कर रही है. मृतक महिला के बहन और बहनोई ने रजौली थाने पहुंचकर इस मामले की जानकारी पुलिस को दी। घटनास्थल पर एक व्यक्ति नही बल्कि एक समूह वहसी बना हुआ था। क्या यह लोकतंत्र और सुशासन तंत्र है। यह घटना एक दिन का दुष्परिणाम नही ,बल्कि कई दिनों से पीड़िता को पड़तारित किया जा रहा था। सरकार ...

कुशीनगर में हृदयविदारक घटना !प्रसिद्ध यादव।

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     शादी व्याह के अवसर पर कोई दुखद घटना घटती है, तो पूरा माहौल गमगीन हो जाता है और रंग में भंग हो जाता है। आखिर ऐसी घटनाएं होती हैं  क्यों ? इसे होनी या नियति के खेल मानकर संतोष नही कर लेना चाहिए, बल्कि इनके  कारणों  को जानना और इससे बचने का उपाय करना चाहिए ताकि भविष्य में कोई अप्रिय घटना न घटे। खुशी के मौके पर हर्ष फायरिंग करना सीधे सीधे काल को आमंत्रण करना है।अगर किसी को लगता है कि उनके यहां हर्ष फायरिंग होने से शान शौकत बढ़ेगी तो ये उनकी नादानी से ज्यादा कुछ नहीं है। कभी कभी  शादी के रस्मों को देखने के लिए छत और रेलिंग पर चढ़ जाते हैं और घटना घट जाती है। कभी कभी भोज में खाना बनाने में  या बिजली के शार्ट सर्किट से आग लग जाती है और भारी नुकसान भी होता है।ऐसे ही कुशीनगर में रस्में निभाने के लिए कुआँ के स्लैब पर जरूरत से ज्यादा महिलाएं चढ़ गई, मंगल गीत गाने में ध्यान ही नही रही होगी कि वेलोग कुआँ पर हैं कि जमीन पर हैं, नतीजा, 23 महिलाएं कुआँ में गिर गई, जिसमे 10 किसी तरह  जिंदा निकाली गई, लेकिन 13 असमय काल कल्वित हों गयी। खुशी का माहौल पलभर में ...