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Showing posts from April, 2023

सूदखोर सूद के बदले बेटी ही ले लिया !-प्रसिद्ध यादव।

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       ऐसे कुकृत्य अभिजात्य वर्ग में हो और कोई धर्म की हानि नहीं होता है और ना ही धर्म संकट में दिखता है। देश में केवल नफरत फैलाने के लिए, सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए धर्म संकट में पड़ जाता है। सूदखोर किसी कसाई से कम नहीं होता है ,वो जानवरों की हत्या करता है लेकिन सूदखोर पूरे पीड़ित परिवार को कहीं मुँह दिखाने के लायक नहीं छोड़ता है। ताज्जुब तो इस बात की है कि ऐसे सूदखोरों, दलालों को समाज में मान सम्मान भी खूब मिलता है। सूदखोर महेंद्र पांडेय ने जो कुकृत्य किया है वो कानूनी व नैतिक रूप से भी गलत काम किया है। बिहार के सिवान में  मां ने 2 लाख का कर्ज 40 साल के महेंद्र पांडेय से लिया, मां कर्ज़ न चुका पाई, जिसके कारण बेटी को महेंद्र के घर पर छोड़ दिया था ,माँ के पास कोई चारा नहीं थी,पुलिस उस पीड़िता माँ की सुनती नहीं थी । महेंद्र पांडेय ने इस बच्ची से शादी कर ली , जबकि वह  पहले से ही   शादीशुदा व दो बच्चे हैं । बच्ची सकुशल बरामद कर ली गई है, महेंद्र पांडेय को अलग- अलग धाराओं और पोस्को एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। लड़की पांडेय के दूर की रिश्तेदार भ...

"गांधी शहादत के 75 वर्ष" शांति, न्याय, बंधुत्व और लोकतंत्र !-एक विमर्श ।

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    इस  पर दो दिवसीय विमर्श (29 एवं 30 मार्च 2023) कार्यक्रम के दूसरे दिन आज 30 मार्च को सात शहीद मूर्ति से गांधी स्थल, गांधी मैदान पटना तक पदयात्रा मे सम्मलित हुए । देश के ज्वलन्त मुद्दे  शांति,न्याय, बंधुत्व और लोकतंत्र पर विमर्श हुए। प्रखर विद्वानों ने एक बातों को तर्कपूर्ण रखे। श्याम रजक तर्कों में विश्वास रखने वाले हैं और शुरू से ही  गरीबों की दुर्दशा नजदीक से देखने के लिए पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों में पद यात्रा कर चुके हैं। गरीबों के हक हकूक के लिए कभी किसी से कोई समझौता नहीं किये।  इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के प्रपौत्र श्री तुषार गांधी जी एवं वरिष्ठ पत्रकार सुश्री रजनी बख्शी जी, श्री अमरनाथ जी, श्री संदीप चचरा जी, आयोजक कार्यक्रम के सदस्य सह पूर्व मंत्री व राष्ट्रीय महासचिव राजद श्याम रजक जी, श्री रूपेश जी सहित अन्य  गणमान्य लोग उपस्थित हुए। श्याम रजक अतिथियों को अपने आवास आरा गार्डेन, जगदेव पथ पटना में अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।इस अवसर पर इनकी पत्नी अधिवक्ता अलका सिन्हा ,भतीजा राकेश रंजन भी मौजूद थ...

बाबाओं की अंधी दौड़ ! चमत्कार की होड़ !- प्रसिद्ध यादव।

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   अभी बाबाओं के  प्रकटीकरण का दौड़ चल रहा है।ये लोग यही चाहते थे कि ऐसा राज आये की भोले भाले लोगों के आंखों में धूल झोंककर चमत्कार के नाम पर अपना चमत्कार करते रहे।मीडिया खूब तरजीह दे रही है ऐसे बाबाओं के।मैं ऐसे के नाम लेना भी पाप समझता हूं। बुद्धिजीवी, ज्ञानी कहने वाले इनके पैरों में सर पटकेंगे । चमत्कार देखेंगे। 2024 तक नित्य नए बाबाओं के ज्यादा अवतार होंगे।जानते हैं क्यों ? आपके अंदर जो बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी, निजीकरण के खिलाफ गुस्सा है वो इन बाबाओं के महिमा मंडित में फीकी पड़ जाए और आप धर्म के खतरे वाली स्क्रिप्टेट पाठ पढ़ लें। किसकी प्रवचन सुनने की इच्छा करती है जो आदमी को जानवरों से नीच समझा, कैसा धर्म, जहां छाया पड़ने पर दोष लग जाता है।ऐसे प्रवचन सुनकर कोई डॉ, इंजीनियर, कलेक्टर, जज वैज्ञानिक बना है क्या ?फिर इसके लिए इतनी तामझाम क्यों? प्रवचन सुनना है,संगति करना है तो उसकी करो जो शिक्षा देकर जीवन में बदलाव कर दे।उस किताबों को पढ़ें जो तेरे अधिकार,न्याय की बात करे ,तुम्हे आर्थिक आजादी दिलाने की बात करे,सर उठाकर स्वाभिमान के साथ जीना सिखाये,जो आत्मबल दे ,शोषण,दमन से म...

"मेरी मौत ग़रीबों के हित में है.''!- महात्मा फुले ।

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   सच बोलना हमेशा से जोखिम भरा रहा है और यह जोखिम सब नहीं उठा सकते हैं। गर्व होना चाहिए जिनके पुरखें इतने साहसी थे और मनुवादियों के डटकर मुकाबला किया आज कुछ लोग इनके चमचई कैसे करने लगे ? जिन्हें आप जाति वर्ग के नाम पर नेता,एमपी एमएलए समझ रहे हैं वे कुल्हाड़ी में लगे लकड़ी के बेंत लगकर आपको काट रहे हैं। आज उन्हीं पुरखों के बदौलत नेता बने हुए हैं लेकिन आने वाले पीढ़ियों को मुंह दिखाने के लायक नहीं बचेंगे ,जब वे पूछेंगे की  स्कूल,रेल,सेल,भेल सब निजीकरण कैसे हो गया?नॉकरियाँ कैसे खत्म हो गई? संविधान कैसे कुचला गया,धार्मिक उन्माद क्यों बढ़ा? अंधविश्वास, ढोंग,पाखंड को बढ़ावा क्यों हुआ ?उस वक्त निरुत्तर हो जायेगा।आज बाबा साहेब अंबेडकर, ज्योति बा फुले को नायक मानने की सब नॉटंकि कर रहे हैं, मूर्तियां बना रहे हैं केवल वोट के लिए।ये किनके दिलों में बसे हैं वो दुनिया जानती है।   पुरुखों ने कहा था कि आने वाले समय चमचा युग आयेगा।चारो तरफ चमचई होगा।जिसके जेब में अधिक पैसे होगा वही पद धारक होगा। फुले  अपना जीवन महिलाओं, वंचितों और शोषित किसानों के उत्थान के लिए समर्पित किया था. ...

नया श्रम कानून श्रमिकों के साथ धोखा !-प्रसिद्ध यादव।

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      मजदूर दिवस पर मजदूरों को लाल सलाम ! शहर में मज़दूर जैसा दर-ब-दर कोई नहीं जिस ने सब के घर बनाए उस का घर कोई नहीं हम हैं मज़दूर हमें कौन सहारा देगा हम तो मिट कर भी सहारा नहीं माँगा करते कोरोना काल में केंद्र सरकार ऐसे ऐसे कानून बना दिया जिससे कि उनके कार्य की अनिश्चितता हो गई।कृषि कानून किसानों के दबाव के कारण सरकार वापस ले ली,लेकिन नया श्रम कानून देश में लागू हो गया और श्रमिक संगठन ताकते रह गए। अब 300 से कम श्रमिकों को कोई भी कम्पनी कभी भी बाहर की रास्ता दिखा सकते हैं और वे ताकते रह जाएंगे।संसद ने तीन बिल पारित किए थे जिन्होंने श्रम कानूनों को पूरी तरह से बदल दिया था। सभी मौजूदा 29 श्रम क़ानूनों को समेकित  कर दिया गया है और केवल यह एक नया कानून जो पास किया गया है, वह भारत में श्रम कानूनों को नियंत्रित करेगा। संसद द्वारा पारित किए गए तीन नए बिल औद्योगिक संबंध कोड बिल 2020, सामाजिक सुरक्षा बिल , 2020 पर संहिता, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति बिल , 2020 हैं। इन सभी संहिता में  विभिन्न संशोधन किए गए हैं जो इस प्रकार है। 1946 के  औद्...

पीएम की मन की बात 100 वीं बार।-प्रसिद्ध यादव।

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     आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 100वां एपिसोड है। पीएम मोदी आज रेडियो के जरिए 100वीं बार 140 करोड़ लोगों के साथ संवाद करेंगे। हर महीने के आखिरी रविवार को पीएम मोदी मन की बात के जरिए देश दुनिया के लोगों से संवाद करते हैं। 3 अक्टूबर 2014 से शुरू हुआ मन की बात कार्यक्रम आज अपना 100वां एपिसोड पूरा करने जा रहा है। इस 100वें एपिसोड को ऐतिहासिक बनाने के लिए खास तैयारियां की गई हैं। इस एपिसोड का लाइव प्रसारण देशभर में 4 लाख सेंटरों में होगा।रेडियो जनसंचार का प्रभावी माध्यम है। रेडिया का उपयोग मनोरजन,सामाजिक-सामुदायिक सरोकारों के लिए सशक्त ढग से किया जा सकता है।मन की बात' रेडियो प्रोग्राम कई मायनों में खास है , 9 सालों के दौरान इसे 1 अरब लोग कम से कम एक बार सुन चुके हैं. वहीं लगभग 23 करोड़ लोग नियमित तौर पर इस कार्यक्रम को सुनते और कुछ न कुछ नया जानते हैं. इसके अलावा इसकी सबसे खास बात है कि पीएम सीधे ऐसे लोगों से संवाद करते हैं, जिन्हें कोई नहीं जानता, लेकिन जो देश और समाज के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं. जानिए, ऐसे 10 लोगों को, जिनके सामाजिक या क्रिएटिव का...

बाबा साहेब अंबेडकर के परिचर्चा की बैनर तले इन्ही की निंदा ! -प्रसिद्ध यादव।

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   हम जिस मनुवादियों से लड़ने की बात करते हैं, वो मनुवादी हमारे बीच में ही है और उसे सर आंखों पर बिठा कर लोग रखते हैं। कितने मजबूर ,बेबस,लाचार होते हुए लोगों को देखा है मैंने। जैसे बीच सभा में द्रोपदी की चीर हरण हो रही है और सभी वीर भूप ,विद्वान सर झुका कर बैठे हों। किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि उसे कोई टोके भी ,रोकने की बात तो दूर थी। सिर्फ इसलिए की वो नव धनाढ्य था ,दबंग था ,उसके सर पर बड़े लोगों का हाथ था। फिर वैसी सभा नहीं होना चाहिए और अगर हो तो स्वाभिमानी लोगों को नहीं जाना चाहिए अगर उसे विरोध करने का हिम्मत नहीं रखता है। यहां तेल मालिस कर के पद लिया जाता है।जहाँ चापलूसी हो वहाँ सिर्फ चापलूसों की पूछ होती है।मैंने आज तक न किसी की चापलूसी किया है न कभी किसी पद की लालसा रखा है। चमकते सितारों की जुगनू की जरूरत नहीं होता है। मैं इस परिचर्चा का हिस्सा था। कैसे चीर हरण हो रहा था जरा गौर करेंगे -" अम्बेडकर ! अम्बेडकर ! क्या संविधान केवल यही बनाये थे।299 लोग कमिटी में थे और संविधान को प्रेम बिहारी ने लिखा था। जब उनसे मेहनताना पूछा गया था तो उन्होंने कुछ भी लेने से इनकार कर दिया ...

नो कंपरवाइज ! दल के विरोधी बनता है प्रदेश सचिव ! मेरा तेवर कम नहीं होगा।-प्रसिद्ध यादव।

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     आज पटना सदर अनुमण्डल स्तरीय अम्बेडकर परिचर्चा था।  परिचर्चा चल रहा था, वक्ता अपने अपने स्तर से ज्ञान दे रहे थे।मैं झेल रहा था लेकिन अनुशासन का पालन कर रहा था।हद तब हो गई जब एक वक्ता आकर अम्बेडकर के खिलाफ बोलने लगा ,बात यही तक न हुई वो आगे बढ़कर अपना ज्ञान देते देते भड़काऊ भाषण देने लगा।पूरा हॉउस उसकी लाफ़जी को सुन रहा था, उस वक्त आगे मंत्री डॉ रामानन्द यादव, पटना जिला राजद अध्यक्ष दीनानाथ यादव व अन्य वरिष्ठ नेता बैठे सुन रहे थे और किसी ने टोकना मुनासिब नहीं समझा। उसकी लाफ़जी सुनते सुनते मेरा धैर्य खो गया और मैं  जोरदार विरोध किया और         मंच पर उसकी बोलती बंद हो गई  ।फिर वो सदन को गुमराह करना चाहा लेकिन मैं उसके जवाब देने के लिए समय मांगा और मुझे मिला। हम धन्यवाद देना चाहते हैं उन अनजान साथियों के जो मेरे पीछे मेरे साथ खड़े हो गए और उसे शर्मिंदा होकर मंच से भागना पड़ा। जब मैं मंच पर गया और उसके एक एक झूठ को साबित कर दिया, इस बीच मेरे माइक को ऑफ कर दिया गया लेकिन मैं बिना माइक के ही अपनी बात को पूरा किया। मैं उस सदन में चर्चा का बि...

राजद के पटना सदर में अनुमण्डल स्तरीय अम्बेडकर परिचर्चा हुआ।-प्रसिद्ध यादव।

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   इस अवसर पर बिहार के भू तत्व व खनन मंत्री डॉ रामानंद यादव ने बताया कि आज मनुवादियों से देश और संविधान दोनों खतरे में है।पटना राजद अध्यक्ष दीनानाथ यादव ने कहा कि अम्बेडकर की नीतियों को घर घर पहुंचाने की जरूरत है। राजद नेता देवकिशुन ठाकुर ने कहा कि हमें मनुवादी का नहीं अम्बेडकर के भारत बनाना है। प्रसिद्ध यादव ने कहा कि अम्बेडकरवाद व ब्राह्मणवाद दोनों एक साथ नही चल सकता है। इस अवसर पर ध्रुव यादव, सिद्धनाथ यादव, कौशर खान,जेम्स यादव , विनोद श्रीवास्तव ,ओमप्रकाश चौटाला  सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे।सभा की अध्यक्षता दीनानाथ यादव व मंच संचालन फ़ूडना रविदास ने किया।

तेरे हिस्से में केवल फूल मेरे हिस्से शूल ये कैसा है दस्तूर ? ये कैसा है उसूल ? (कविता )-प्रसिद्ध यादव।

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     तेरे हिस्से में केवल फूल   मेरे हिस्से शूल  ये कैसा है दस्तूर ? ये कैसा है उसूल ?     कभी सोचा है ? हम वंचितों के हक - हकूक के लिए क्यों रहते हैं चिंतित ? हम भी औरों की तरह  पैसे बनाने के लिए  व्यापार या रोजगार किये होते  किसी  स्वामी के यहाँ जाकर   स्वामिभक्ति किये होते  किसी दफ्तर में चपरासी होते  किसी बड़े आदमी के पास   चाटुकारिता किये होते । चंद पैसे होते जेब में । जो औरों के लिए जीता है उसे कमतर न समझो  उसकी आवाज़ को क्रांति समझो  दो कदम साथ न चलो  कोई बात नहीं पथ के बाधा न बनो । सिर्फ सांसें लेना जिंदगी नहीं  उम्र काटना जिंदगी नहीं  भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव  की क्या उम्र थी ? दुष्यंत, भारतेंदु कौन लम्बी उम्र जिये ? जितना भी जिये ,खूब जिये  देशहित, जनहित के लिए जिये  आज भी बड़ी शिद्दत से लोग  करते हैं याद  इनसे हुआ है हमारा  देश आबाद। माना कि आज झूठे मक्कारों की  बढ़  गया है मान -सम्मान। धन ,दौलत के सामने फीका हुआ ईमान । यह गुर...

फिल्म "आजमगढ़" मे पंकज त्रिपाठी अपने चिर परिचित अंदाज में ही अभिनय करते दिखे।-प्रसिद्ध यादव।

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  Movie Review आजमगढ़ कलाकार - पंकज त्रिपाठी , अमिता वाडिया और अनुज शर्मा लेखक - कमलेश के मिश्र निर्देशक - कमलेश के मिश्र निर्माता - चिरंजीवी भट्ट और अंजू भट्ट प्रचारक - संजय भूषण पटियाला  ओटीटी  - मास्क टीवी रिलीज - 28 अप्रैल 2023 रेटिंग    - 2/5 हिंदी सिनेमा में अभिनेता पंकज त्रिपाठी की ब्रांड वैल्यू का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक हां के लिए तमाम ओटीटी के क्रिएटिव हेड कतार में लगे रहते हैं। वह गिनती की फिल्में और वेब सीरीज करते हैं और अपनी एक ऐसी जगह फिल्म जगत में बना चुके हैं, जहां उनको ध्यान में किरदार लिखे जा रहे हैं। नए नए लॉन्च हुए ओटीटी मास्क टीवी को पंकज त्रिपाठी की इस ब्रांड वैल्यू की चमक का कुछ हिस्सा अपने नाम करने का मौका मिला है उनकी दशक भर पहले बनी फिल्म 'आजमगढ़' से। फिल्म के निर्देशक कमलेश के मिश्र राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता फिल्मकार हैं। उन्होंने ही बनाई है पंकज त्रिपाठी स्टारर फिल्म 'आजमगढ़'। फिल्म 'आजमगढ़' में पंकज त्रिपाठी ने एक ऐसे मौलवी की भूमिका निभाई है जो नवयुवकों को बहला फुसलाकर कर आतंकवादी बनने के लिए प्रेरित करता...

इतिहास में भी वंचितों को उचित स्थान नहीं मिला।-प्रसिद्ध यादव।

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      आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ?  देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में  फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं धूसरता सोने से शृँगार सजाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो सिंहासन खाली करो कि जनता आती है । राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की यह पंक्तियां आज भी चीख -चीख कर लोगों को जगा रही है। जो पढ़ेंगे वही ज्ञान होगा । देश की स्वतंत्रता संग्राम 1857 बताया जाता है जबकि  1855 में  सिद्धू-कान्हू के नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता, साहुकारों, व्यापारियों व जमींदारों के खिलाफ  हूल - हूल  के नारा के साथ सशस्त्र युद्ध का शुरूवात किया, जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। संथाल विद्रोह का नारा था-  "करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो"  । 30 जून 1855 की सभा में 5000 से भी ज्यादा आदिवासी एकत्र हुए जिसमें सिद्धू, कान्हू, चाँद एवं भैरव को उनका नेता चुना गया। जबकि अंग्रेजो मे इसका नेतृत्व जनरल लॉयर्ड ने किया जो आध...

नीतीश जी ! कृष्णय्या के हत्यारे को बचाने की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी !-प्रसिद्ध यादव।

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   नीतीश जी आपकी जीवन भर की छवि एक मिनट में धूमिल हो गई, साथ ही महागठबंधन की भी। सिर्फ ठाकुरों के वोट के लिए दलित आईएस जी कृष्णय्या के हत्यारे आनन्द मोहन को जेल से बाहर लाने का कुचक्र रचा है, इसे बिहार के वंचित समाज कभी माफ नहीं करेगा। आपने दलितों और ठाकुरों के वजूद में किसको कितना तरजीह दिया ये जमाना जान गया।जब से ये कानून में बदलाव किया है उसी दिन से मैं नीतीश और महागठबंधन सरकार के कथनी और करनी पर आवाज उठा रहा हूँ।जदयू भीम चर्चा कर रहा है और राजद अम्बेडकर परिचर्चा । इसका मतलब कुछ समझ में आता है? इस परिचर्चा ,चर्चा में जी कृष्णय्या के हत्यारे मोहन की रिहाई के सवाल जरूर पूछें।मैं कल पटना सदर के अनुमंडलीय अम्बेडकर परिचर्चा में गया तो विद्वानों से जरूर पूछूंगा कि - क्या यह बाबा साहेब अंबेडकर का सपना सच हो रहा है कि एक दलित आईएस अधिकारी के हत्यारे को महागठबंधन की सरकार रिहाई कर रही है? यही था बाबा साहेब का सपना? नीतीश जी को लग रहा था कि मोहन की रिहाई में देर हो गई तो कहीं भाजपा न इसका क्रेडिट ले ले।भाजपा से सीखिए।भाजपा इस खेल को विरोध कर रही है लेकिन ठाकुर वोट उसके साथ ही रहेगी। ...

ब्रजभूषण की गुंडई के समर्थन में रामराज्य वाले।-प्रसिद्ध यादव।

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      रामराज्य का टेलर देख लो। अभी पूरा पिक्चर बाकी है।ब्रजभूषण के खिलाफ बुद्धिजीवियों के मुंह में दही जम गई है।बात लम्बी लम्बी करेगा महिलाओं की, संस्कार की ,गुड गवर्नेंस की ,रामराज्य की लेकिन कुकृत्य ऐसा कि निश्चर को  भी शर्म आ जाये।  यही चाल चरित्र है मनुवादियों की। इसके झांसे में आकर बानर की तरह लोग पीछे पीछे उछल कूद कर रहे हैं। ब्रजभूषण की गुंडई ऐसी कि SP ऑफिस में SP पर ही पिस्टल तान दी। राजनीति ऐसी कि लगातार 6 बार से सांसदी का चुनाव जीत रहे हैं। कारोबार ऐसा कि 50 से ज्यादा स्कूल-कॉलेज के मालिक हैं। रसूख ऐसा कि पार्टी लाइन से अलग भी बयानबाजी करते हैं। बेधड़क इतने कि इंटरव्यू में हत्या की बात कबूल करते हैं। दबदबा ऐसा कि 11 साल से भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष हैं।बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सबसे बड़ा विवाद तब हुआ था, जब इन पर अंडरवर्ल्ड के साथ जुड़े होने के आरोप लगे। इनके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से टाडा का मामला दर्ज किया गया। दाऊद से फोन पर बात करने और उसकी मदद करने के आरोप भी लगे थे। बाद में CBI ने इन सभी आरोपों से सिंह को बरी कर ...

राजद के द्वारा अनुमंडल स्तरीय अंबेदकर परिचर्चा का आयोजन आज से 02 मई 2023 तक किया जाएगा: एजाज अहमद

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            28 को पटना सदर व  29 को दानापुर में !       बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने बताया कि  आज दिनांक 26 अप्रैल से 2 मई 2023 तक राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा अनुमंडल स्तरीय बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेदकर पर अनुमंडल स्तरीय परिचर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।      इनहोने बताया कि परिचर्चा के माध्यम से  बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेदकर के विचारों को कार्यकर्ताओं तथा आमलोगों को इसमें अवगत कराया जाएगा । साथ में परिचर्चा से अति पिछड़ा, पिछड़ा ,दलित तथा अल्पसंख्यक समाज के लोग अपने हक और अधिकार को भी जान सकेंगे। और साथ ही साथ शोषितों, वंचितों को आगे लाने का राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद एवं उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी प्रसाद यादव का जो संकल्प है उसको भी समझने का मौका मिलेगा।       इन्होंने आगे बताया कि  प्रत्येक प्रखंड के सभी पंचायतों से 4-4 पदाधिकारी परिचर्चा में भाग लेंगे । ज्ञात हो कि राज्य स्तरीय तीन दिवसीय परिचर्चा के बाद आज से बाबा साहेब डॉक्टर भीम...

वोट का रखें ख्याल ! सरकार से होते हैं सभी प्रभावित !-प्रसिद्ध यादव।

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      " होइहें नृप ,कोई रानी ! चेरी छोड़ न होयब रानी !" रामचरित मानस में कुटिल मंथरा की यह उक्ति कैकेयी को समझाने के लिए कहती है और कैकेयी उसकी बातों में आकर अपनी सर्वस्  गंवा देती है।इसी कुटिल बात को हम राजनीति में हकीकत समझ हम भी सर्वस् बैठते हैं।बहुत ही सहज ढंग से लोग कह देते हैं कि सरकार किसी की बने हमें क्या फर्क पड़ता है ? हम जो काम करते हैं, वो करना ही पड़ेगा। यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। किसी की सरकार बनने या हटने से फर्क पड़ता है ।फर्क इतना पड़ता है कि गुजरात मे बिल्किस बानो के   परिवार से जाकर पूछो ,हैदराबाद में दिवंगत आईएस जी कृष्णय्या की पत्नी उमा  से पूछो की उनके जीवन में क्या फर्क पड़ गया। गुजरात में हत्यारे व दुष्कर्मियों को जेल से रिहा करवाकर फूलों के हार से स्वागत किया गया, बिहार में भी दलित अधिकारी के हत्या आरोपी को बिहार सरकार जेल से निकालने की व्यवस्था कर दी है और इसको भी फूलों की हार से स्वागत होगा। एक जगह मरने वाले अल्पसंख्यक और दूसरी जगह दलित थे। ये सब जनता की एक वोट देने का नतीजा है।यही नहीं देश में केंद्रीय कर्मचारियों के ओ...

मोर पिया मुर्गा , मोर , तितिर लड़ावे !( कहानी )- प्रसिद्ध यादव।

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   " काम तो  वे 18 -18 घण्टे करते हैं, फैशन में कोई जोर नहीं है, मायावी भी हैं कालनेमी की तरह, लेकिन मेरे लिए कोई काम के नहीं हैं!" इतना कहते- कहते राधिका फफक -फफक के रोने लगी।रुक्मिणी समझाते  हुए कहती है कि " बहन तू प्यार की मीठी बोल से अपनी जुल्फों में कैद कर, तू अपनी आंखों की नूर बनाओ । फिर देखना कैसे वो तेरे चरणों के दास बनते हैं!" राधिका " सब कर के हार थक गई ,लेकिन वो मुझसे आंखें मिलाने से डरते हैं।" रुक्मिणी "वो क्यों?"बात उस समय की है जब मैं नई नवेली थी ।एक दिन रात वो  धोखे से मेरे सारे गहने लेकर घर से भाग गए थे। बहुत खोजबीन की लेकिन कोई अतापता नहीं चला।मैं उसी दिन से सर पटक रही हूं।मेरा धन और जवानी दोनों बर्बाद कर दिया।" रुक्मिणी " इसके बाद फिर पति का पता कब चला ?"  मुझे छोड़कर सभी को मेरे पति को पता है, वो मुझे सिर्फ दिल से ही नही निकाला  बल्कि कागजात से भी निकाल दिया।कहीं भी सरकारी काम काज में कुंवारा लिखने लगा छलिया !" रुक्मिणी  - " वो पढ़ा लिखा है कि नहीं ?" खाक पढ़ेगा ,जो भीख मांगकर खाते पीते रहा ,वो क्या प...

महिला पहलवानों का केंद्र सरकार के लाडले ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ आंदोलन !-प्रसिद्ध यादव।

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     जब रावण की लंका में आग लगी थी तो पवन भी तेज हो गया था। ठीक इसी तरह  केंद्र सरकार ब्रजभूषण के खिलाफ उठ रहे बयार को नहीं समझ पा रही है। किसान इसी तरह लगातार आंदोलनरत थे तब सरकार किसानों के सामने घुटनों के बल चल कर आई थी और किसान बिल वापस ली थी।इस मामले में भी  ज्वाला तेज हो रहा है और अंततः सरकार को भूषण से मोह त्यागना पड़ेगा। सरकार अभी मन की बात की शतक लगाने की तैयारी में है ।हर बूथ पर 100 जन को  मन की बात सुनने वाले को खोजा जा रहा है  । जब सरकार जन की बात छोड़ दें राष्ट्र के गौरव बढ़ाने वाली महिला पहलवानों की बात नहीं सुन रही है तो   सरकार की जबरन मन की बात कौन सुनेगा ? तीन महीने के बाद भारत के शीर्ष पहलवान दिल्ली के जंतर मंतर पर एक बार फिर धरने पर बैठ गए हैं. उनकी मांग है कि भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख को तत्काल गिरफ्तार किया जाए. इसी साल जनवरी की कड़कड़ाती ठंड में भारत के कई पुरुष और महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर कई दिनों तक आंदोलन किया था. उन्होंने बृजभूषण शरण...

अश्विनी चौबे और सम्राट चौधरी का बयान भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरा का दर्पण है: एजाज अहमद

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  बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज़ अहमद ने अपने वक्तव्य में केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के अमर्यादित और आपत्तिजनक टिप्पणी पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि भाजपा  चाल, चरित्र चेहरा की बात किया करती थी वह अपनी हरकतों से पूरी तरह से लोगों के बीच बेनकाब हो गयी है।भाजपा के नेता जिस तरह से बयानबाजी करके अपने चरित्र को उजागर किया है उससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा की चाल और चेहरा दोनों जनता के बीच स्वीकार नहीं है। इसी कारण से बौखलाहट और बेचैनी में भाजपा के नेताओं के बीच बयानबाजी की होड़ लगी हुई है ,और किसी भी तरह से स्वयं को खबरों में बनाए रखने के लिए ऐसी ओछी और अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो किसी भी तरह से आम लोगों के बीच स्वीकार्यता प्रदान नहीं करती है। हद तो यह है कि बड़े पदों पर विराजमान नेताओं का इस तरह से ओछेपन का विचार प्रकट करने वाले नेता केंद्र की सरकार में और बिहार में भाजपा के अध्यक्ष पद पर कैसे बने हुए हैं? क्या भाजपा के  शीर्ष नेता इसी तरह के  बयानवीरों को प्रोत्साहित करके राजनीति को अपने ह...

फुलवारी विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रो मे जनसंवाद लगाया :- - -विधायक

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लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ l भगत सिँह -अम्बेडकर के सपनो का भारत बनाओ अभियान कार्यक्रम के तहत पुनपुन प्रखंड के बेहरावा पंचायत के ग्राम चामुचक और पैमार पंचायत के पैमार महादलित टोला मुसहरी व चमटोली सहित दर्जनों गाँवो मे फुलवारी विधायक गोपाल रविदास ने जनसंवाद चलाया l इस जन संवाद मे स्थानीय लोगो ने बढ़-चढ़ हिस्सा लिया और अपने-अपने गाँवो की समस्या को जनसंवाद मे उठाया l इस जनसंवाद मे नली-गली,बिजली, सड़क,नल-जल, शिक्षा, रोजगार और राशन जैसी प्रमुख मुद्दे को स्थानीय लोगो ने उठाया l माननीय विधायक ने पदाधिकारियो से बात कर कुछ समस्याओ को तुरंत हल किया और पदाधिकारियो को निर्देश देते हुए कहा की ग्रामीण क्षेत्रो की जटिल समस्या को जल्द ठीक-ठाक कर समुचित सुविधा बहाल की जाय l           विधायक रविदास ने जनसंवाद कार्यक्रम को सम्बोधित  करते हुए कहा कि केंद्र की फासीवाद सरकार को  आने वाले 2024 के चुनाव मे दिल्ली की गद्दी से उखाड़ फेकना का आह्वान किया और उन्होंने कहा की हमसभी को एक होकर वोट की चोट से भाजपा सरकार को देश की गद्दी से बाहर करना होगा l         ...

कभी वो मेरे दरबार का दरबारी था । ( कविता ) -प्रसिद्ध यादव।

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  कभी वो मेरे दरबार का   दरबारी था । आज वो खुद दरबार लगा रहा है। कभी वो सर पटकता था मेरे पैरों पर आज वो  सर पर पगड़ी बांध  मुझे ही मिट्टी में मिलने की करता है बात  जिसकी कोई अपनी बिसात नहीं  गुब्बारे जैसे फुला है  कब पिचक जाए ,कब फुट जाए  कब खुद मिट्टी में मिल जाये  उसे भी नहीं पता । इतना भी स्वार्थ ठीक नहीं  जन्मदाता को भी भूल जाएं। ये अच्छी संस्कार नहीं। किसी की पहचान चेहरे से नहीं  उसकी वाणी ही बहुत है  उसकी संगति,कहानी ही बहुत है। मुखोटे के ऊपर मुखोटे  लगाकर घूमते हैं लोग  कौन है वहसी ,दरिंदे  पहचानते नही है लोग । इसकी पहचान बड़ी सहज है । जो चीख रहा है, चिल्ला रहा है  वो तो चमन्नी छाप है । जो पर्दे के पीछे सज्जन की  चोला पहने है वही बड़ा षड्यंत्रकारी है । ये मीठी वाणी बोलता है चोला किसी और का ओढ़ता है  करता बात प्रेम ,अहिंसा की नित्य नफरत ,हिंसा फैलता है। ये रट्टू तोता है  इसे न है कोई बौद्धिक दृष्टिकोण जिसके पूर्वजों को कभी आराध्यदेव के  दर्शन होने दिया था  वहाँ प्रवेश वर्जित थ...

चोर को चोर कहने पर राहुल आवास से बेदखल और कसाई को मिल गई रिहाई !-प्रसिद्ध यादव।

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   देश में एक साथ विचित्र घटनाएं हो रही है। राहुल गांधी को चोर को चोर कहना महंगा पड़ गया। इनकी लोकसभा की सदस्यता चली गई और आवास से बेदखल हो गए। सतपाल मलिक को पुलवामा में सैनिकों की शहादत पर केंद्र सरकार को दोषी ठहराए जाने पर इनके पीछे  सीबीआई, ईडी लग गई। दूसरी तरफ गुजरात दंगे के आरोपी हत्यारे को जेल से मुक्त कर दिया गया।यह है मोदी के सबके साथ, सबके विकास का ढकोसला! ऐसे कट्टरपंथी ,चरमपंथी से देश को रसातल में जाने में देर नहीं लगेगी।  दरअसल, राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा चार साल से सूरत कोर्ट में चल रहा था. 2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक की चुनावी रैली में विवादित बयान दिया था. रैली कर्नाटक के कोलार में थी और उन्होंने मोदी सरनेम पर टिप्पणी की थी. गुजरात के बीजेपी नेता और विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के बयान के खिलाफ केस कर दिया था. केस मानहानि का था और सूरत की कोर्ट में किया गया था. जिसको लेकर अब कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने ट्वीट करते हुए राहुल गांधी का समर्थन किया. उन्होंने लिखा, "राहुल गांधी की उम्म...

खुद पेंशन पर जीने वाले पुरानी पेंशन बन्द कर दिया !-प्रसिद्ध यादव।

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      एनडीए सरकार की जनविरोधी नीतियों की शुरुआत बाजपेयी सरकार से शुरू हुई थी, जब देश की अर्थव्यवस्था की हवाले देकर केंद्रीय कर्मचारियों के पुरानी पेंशन योजना बन्द कर दिया था।नतीजा बाजपेयी सरकार सत्ता से बेदखल हो गई थी।अब इस बार केंद्रीय कर्मचारियों में केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ काफी आक्रोश है और हर महीने के 21 तारीख को पूरे देश मे धरणा देंगे। सरकार की माथे से पसीने छूट रही है और लगता है कि कहीं कृषि कानून के तीन बिल जैसे वापस न लिए जाएं। मोदी सरकार सत्ता में बने रहने के लिए लाखों केंद्रीय कर्मचारियों व उनके परिजनों के आक्रोश नहीं झेल पाएगी। क्या जनता के प्रतिनिधि को राजा की तरह रहना चाहिए? यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि 1 अप्रैल 2004 से पेंशन बंद हो गई है, नई पेंशन प्रणाली में बीमा प्रीमियम की तरह सरकारी कर्मचारियों को खुद अंशदान करना पड़ता है। जितना ज्यादा अंशदान, रिटायरमेंट पर उतनी ज्यादा पेंशन। लंबे समय से पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग उठती रही है। आम जनता में यही धारणा बनी है कि चुने हुए नेताजी खुद अपने लिए वेतन-भत्ते बढ़ा लेते हैं, पर कर्मचारि...

ईद के अवसर पर सूत्रधार कार्यालय में मिले रंगकर्मी, लेखक,पत्रकार व अधिकारी!- प्रसिद्ध यादव।

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  आज सूत्रधार के प्रधान कार्यालय जमालुद्दीन चक में  रंगकर्मी, लेखक, पत्रकार व अधिकारी जुटे और इसके महासचिव जनाब नवाब आलम से गले मिलकर एक दूसरे को बधाई दिए। इस अवसर पर डीएसपी संजय पांडेय, खगौल नगर परिषद के अध्यक्ष सुजीत कुमार, पत्रकार संजय पांडेय, निर्भय पंक्षी के  रामनारायण पाठक, अशोक कुणाल ,हिंदुस्तान के पत्रकार रजत कुमार, रंगकर्मी, लेखक, उदय कुमार,  रंगकर्मी अरुण सिंह पिंटू,प्रसिद्ध यादव,  बीइंग ए हेल्पर के रणवीर प्रताप ,समाजसेवी चंदू प्रिंस,रंगकर्मी निर्देशक धर्मेश मेहता, चर्चित निर्देशक मिथिलेश सिंह, खगौल जदयू अध्यक्ष विष्णु गुप्ता, अजय सिन्हा, ईश्वरी चंद्रवंशी आदि एक दूसरे को ईद की बधाई दी और स्वादिष्ट व्यंजन के लुफ्त उठाया। समसामयिक विषयों पर चर्चा हुई,नाटक,गीत ,संगीत की बातें हुईं। सचमुच हमारा देश महान ऐसे ही नहीं है।हम ईद,दीवाली,होली,मुहर्रम ,क्रिसमस, गुरु पर्व,वैशाखी साथ साथ मिलकर मनाते हैं।यही हमारी देश की संस्कृति है।हम एक दूसरे धर्मों को आदर करते हैं।

विवादों से घिरी फ़िल्म " आजमगढ़ " की रिलीज़ का रास्ता साफ, 28 अप्रैल को OTT पर रिलीज़ हो रही फिल्म।

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                       सत्य घटनाओं पर आधारित फिल्में अक्सर कंट्रोवर्सी का शिकार हो ही जाती हैं। और ऐसे में यदि कंट्रोवर्सी किसी फिल्म की रिलीज को लेकर हो तो वह ख़बर अक्सर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच ही लेती हैं । इसी तरह की कन्टेन्ट से सजी और आतंकवादी घटनाओं पर आधारित फिल्म आजमगढ़ अब रिलीज के लिए तैयार है । यह फ़िल्म आगामी 28 अप्रैल को एक OTT प्लेटफॉर्म मास्क टीवी पर रिलीज होने जा रही है । पंकज त्रिपाठी द्वारा फ़िल्म में एक मौलवी का चरित्र निभाया गया है जो कि युवाओं को बरगलाकर आतंकवाद की तरफ धकेलता है । इसी कैमियो रोल की बदौलत फ़िल्म मेकर्स ने पंकज त्रिपाठी को फ़िल्म रिलीज के समय पोस्टर पर जगह दे दिया जिसे देखकर पंकज त्रिपाठी भड़क उठे और उन्होंने फिल्म के निर्माताओं को धमकाते हुए कहा कि जब मेरा कैरेक्टर मात्र तीन दिन का एक छोटा सा कैमियो था फिर उसको इस तरह से बड़े पोस्टर पर लगाकर प्रचारित करने कि क्या आवश्यकता थी ? पंकज त्रिपाठी उस पोस्टर को देखने के बाद इस तरह से आग बबूला हुए की उन्होंने इस फ़िल्म की रिलीजिंग रोकने या फिर पोस्टर से अपन...