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Showing posts from January, 2024

भारत रंग महोत्सव नाटकों का महाकुंभ का आगाज !

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     भारत में टीवी सिनेमा, ओटीटी के बावजूद आज भी रंगमंच जीवंत है ।  दुनिया का सबसे बड़ा नाट्य महोत्सव ‘भारंगम’ का 1 फरवरी से आगाज होने जा रहा है. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय  (एनएसडी )  का यह वार्षिक उत्सव देश के पंद्रह शहरों में आयोजित किया जाएगा, जो 21 फरवरी तक चलेगा. इसमें देश-दुनिया के 150 से अधिक नाटक खेले जाएंगे.  एनएसडी का भारत रंग महोत्सव दुनिया का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल होगा. अब तक सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल न्यूयॉर्क में होता रहा है जिसमें 75 नाटक खेले जाते हैं. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी  के अनुसार  1999 से शुरू हुआ भारंगम का सफर 25वे वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है. इस बार भारंगम का उद्घाटन समारोह मुम्बई में होगा और महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस इसका उद्घटान करेंगे. उद्घाटन समारोह में आशुतोष राणा के नाटक हमारे राम का मंचन किया जाएगा. समारोह का समापन दिल्ली में ‘समुद्र मंथन’ के साथ होगा. ‘समुद्र मंथन’ एनएसडी रंगमंडल का नाटक है इसका निर्देशन एनएसडी के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी ने किया है. एनएसडी के सम्मुख हाल में...

हम सपनों की दुनिया मे नही हक़ीक़त में जीने वाले लोग हैं, नीतीश जी अपने विधायकों को बांध कर रखिये - राणा सुजीत सिंह .!

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                    बिहार विधानसभा में बीते दिनों नीतीश कुमार ने पाला बदलते हुए एकबार फिर से पलटी मारी और राष्ट्रीय जनता दल व कांग्रेस के महागठबंधन को तोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन बनाकर सरकार बना लिया , इसबात से महागठबंधन के घटक दलों में व्याप्त नाराजगी को ज़ाहिर करते हुए कांग्रेस नेता राणा सुजीत सिंह मीडिया से रूबरू होते हुए कहते हैं कि हमने हक़ीक़त में चुनाव जीतकर सदन में आये थे, हमने किसी को झूठा सपना नहीं दिखाया था । नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के साथ धोखा किया है , जनता जल्द ही इनका हिंसाब लेगी। हमलोग पूरी तरह से तैयार हैं । अभी तो नीतीश कुमार ने सिर्फ कागज पर हस्ताक्षर कराकर सरकार बनाया है न !? अभी तो फ्लोर टेस्ट होने वाला है, फ्लोर टेस्ट होने दीजिए इसके बाद जल्द ही भगदड़ मचने वाली है, नीतीश कुमार और भाजपा दोनों पार्टीयां अपने विधायकों को बांध कर रख लें, क्योंकि बिहार की जनता के साथ कि गई ये नाइंसाफी नाकाबिलेबर्दाश्त है । भाजपा की तो नीति ही रही है फूट डालो और राज करो कि । यही भाजपा कल तो नीतीश कुमार को गालियां दे रहे थे , ये कह रहे थे क...

ईडी के डर से भाजपा में शामिल होने वाले पापमुक्त !

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    भाजपा विपक्ष को भयादोहन कर रही है भाजपा ! जदयू के कुछ नेताओं के यहां पड़ी छापा तो पाप धोने चल गई भाजपा के शरण में। अगर किसी ने ‘बड़ा पाप या अपराध’ किया है और भाजपा में शामिल हो जाता है, तो केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आयकर विभाग के अधिकारी कभी उसे छूने की हिम्मत नहीं करेंगे। कौन भ्रष्ट है? भ्रष्ट वे नहीं हैं, जिन्हें ईडी ने पकड़ा है और सलाखों के पीछे भेजा है। भ्रष्ट वे हैं, जो ईडी के डर से भाजपा में शामिल हो गए। जिन्हें ईडी ने पकड़ा है, लेकिन भाजपा में शामिल नहीं हुए, वे कट्टर ईमानदार हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि आज नहीं तो कल वे बाहर आ जाएंगे। लेकिन जो बेइमानी में संलिप्त हैं, वे जानते हैं कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी, इसलिए तुरंत भाजपा में शामिल हो जाते हैं। इसलिए समझिए कि कौन भ्रष्ट है और कौन ईमानदार। 2019 में मोदी राज में पीएमएलए में बदलाव कर ईडी को ये शक्ति दी गई कि वो लोगों के आवास पर छापेमारी, सर्च और गिरफ़्तारी कर सकती है. इससे पहले किसी अन्य एजेंसी की ओर से दर्ज की गई एफ़आईआर और चार्ज़शीट मे...

गुरुजी जबरन प्यार के इंट्री में दो गुरुजनों कि की हत्या !

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    कभी - कभी ऐसी घटनाएं घटती है जिससे समाज हतप्रभ और सोचने के लिए मजबूर हो जाता है। अगर गुरुजी को ही इतना प्यार के बुखार चढ़ गया कि अपने ही सहकर्मी एक शिक्षिका व एक शिक्षक को  स्कूल में ही गोली मारकर हत्या कर दी और खुद भी गोली मार ली।  गुरुजनों के आदर्श ,चाल चलन ,चरित्र अनुकरणीय होना चाहिए ,लेकिन ऐसे मानसिक रोगी शिक्षक देश समाज के लिए कलंक हैं।झारखंड के गोड्डा जिले में एक सरकारी स्कूल के एक शिक्षक ने ‘प्रेम प्रसंग’ को लेकर अपने दो सहकर्मियों की कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी और बाद में खुद को भी गोली मारकर बुरी तरह घायल कर लिया। यह  घटना रांची से करीब 300 किलोमीटर दूर पोरइयाहाट के चतरा अपग्रेडेड स्कूल में पूर्वाह्न करीब 11 बजे घटी। दो शिक्षकों के शव स्कूल के एक कमरे में खून से लथपथ मिले जिनमें एक महिला थी। वहीं आरोपी शिक्षक भी गंभीर रूप से घायल अवस्था में मिला है। किसी को भी खासकर जिम्मेवार लोगों को हमेशा प्रयास होना चाहिए कि उनका चरित्र उत्तम हो।

राजनीतिक लड़ाई लड़े, नौकरी और रोजगार देने के कार्य को बाधित न करें: प्रो0 मनोज कुमार झा

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राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता प्रो0 मनोज कुमार झा ने कहा कि बिहार में बदल रही घटनाक्रम से आप सभी वाकिफ हैं कि किस तरह से रोजगार और नौकरी देने वाले सरकार को समाप्त करने के दिशा में साजिश की गई। किस दबाव, डर, खौफ और प्रभाव से आप निकल गये ये सब जानते हैं। राजनीतिक लड़ाई लड़े लेकिन रोजगार और नौकरी को बाधित न करे। इन्होंने कहा कि बिहार में 9 अगस्त, 2022 को महागठबंधन की सरकार बनने से पहले तेजस्वी जी की शर्त थी कि बिहार में नौकरी और रोजगार का जो संकल्प है और राष्ट्रीय जनता दल की घोषणा पत्र में जो बातें हैं उसे हमें पूरा करना है और उस दिशा में सरकार पहल करेगी। आज उसी का परिणाम है कि बिहार की चर्चा इस बात पर हो रही है कि तेजस्वी जी संकल्प के अनुसार लाखों नौजवानों को नौकरी दी गई और जो काम 17 वर्षों में एनडीए की सरकार ने नहीं किया उसे 17 महीने में तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने संकल्पो और कार्यों से पूरा किया। श्री झा ने आगे कहा कि सरकारें बनती हैं युवाओं के रोजगार, आम लोगों के बेहतर चिकित्सा, शिक्षा, सड़क, विकास और गरीबों के चेहरे पर मुस्कान के लिए न कि मंदिर-मस्जिद और गुरूद्वारे के...

नक्सली हिंसा छोड़ देश की मुख्यधारा में लौटे !

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       सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं हकारण हो रहे नक्सली हमले!  हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है । नक्सलियों को अपनी बात सरकार के समक्ष खुल कर रखनी चाहिए और सरकार को भी इसे प्राथमिकता से सुनना ,समझना चाहिए। लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी है. सरकार चाहती ही नहीं है कि लोग हिंसा का रास्ता छोडें. एक प्रशासनिक आवश्यकता के तहत नीति बनाई गई है और बनाने के बाद इसे फाईलों में बंद कर रख दिया गया है. कुछ नक्सली आत्मसमर्पण करने की कोशिश भी करता है तो उसे सलाखों में बन्द कर दिया जाता है।देश  में जितना बाहरी हिंसा नहीं हो रहे हैं, उससे ज्यादा आंतरिक हिंसा से पुलिस व नागरिक हताहत हो रहे हैं।  दस नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं. इन राज्यों के राज्य सरकार व केन्द्र सरकार मिलकर नक्सलियों को हिंसा के राह छोड़ देश के मुख्यधारा में लौटने का प्रयास करना चाहिए। छत्तीसगढ़ में सुकमा-बीजापुर सीमा पर मंगलवार को हुई एक घटना में नक्सलियों के साथ गोलीबारी के दौरान तीन जवान शहीद ...

मतगणना में धांधली कर भाजपा बना चंडीगढ़ का मेयर !

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       रामराज्य का नमूना चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में देखने को मिला ।जिसकी बुनियाद ही झूठ फरेब,मुखबिरी करना है, उससे रामराज्य की कल्पना करना ही बेमानी है।  जब भाजपा मेयर के चुनाव में धांधली करवाकर चुनाव जीत सकती है तो लोकसभा, विधानसभा में क्या क्या करवाती होगी। मतगणना में पीठासीन अधिकारी द्वारा कलम से 8  मतपत्र पर कलम चलाकर उसे रद्द कर दिया। इस पूरे प्रकरण पर चुनाव आयोग व न्यायालय को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। अन्यथा भाजपा लोकतंत्र की गला घोंटने से बाज नहीं आयेगी।चंडीगढ़ नगर निगम में जीत के लिए 19 वोट के आंकड़े तक पहुंचना जरूरी था. बीजेपी के पास उसके अपने पार्षदों, सांसद मिलाकर कुल 15 वोट थे. निर्दलीय शिरोमणि अकाली दल के एकमात्र पार्षद का वोट भी जोड़ लें तो बीजेपी का वोट 16 तक ही पहुंच रहा था. बीजेपी उम्मीदवार को इतना ही वोट मिला भी है. दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी के 13 और कांग्रेस के 7 मिलाकर वोटों का आंकड़ा 20 था. वोटिंग के बाद गिनती पूरी हुई तब बताया गया कि कांग्रेस और आप के साझा उम्मीदवार के पक्ष में पड़े 20 में से 8 वोट रिजेक्ट हो गए.  इसके बाद दोनों दलो...

केंद्र सरकार रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां करे !

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  युवाओं के देश में युवाओं की अनदेखी सरकार को महंगी पड़ेगी ।पहले ट्रेन के ठहराव को खत्म किया।अब झंडी दिखाकर ठहराव की नॉटंकी हो रही है।   देश में बेरोजगारी एक संकट बनी हुई है । केंद्र सरकार के अधीन लाखों पद खाली हैं ।इससे सरकार के कामकाज भी प्रभावित हो रही है और देश में युवाओं की बेरोजगारी की फौज भी।  देश में करोड़ों लोगों को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती है लेकिन सरकार को जितनी जरूरत है, उसे पूरा तो किया जाना चाहिए। युवा सरकार की रोजगार विरोधी नीति से  हतोत्साहित हैं ।  रेलवे में कर्मियों की कमी से आवंटित पद से कम कर्मचारियों से काम हो रही है ।नतीजा , एक -एक के कर्मचारी कई शिफ्टों में तनाव में काम कर रहे हैं । रेलवे के पायलट काम के घण्टे खत्म होने से ट्रेन खड़ी कर उतर जा रहे हैं। रेलवे देश की सबसे बड़ी नियोक्ता मंत्रालय है। रेलवे में दिन पर दिन ट्रेनें बढ़ रही हैं, स्टेशन, हॉल्ट  बढ़ रही है, नये रेलवे लाईन बन रहे हैं लेकिन कर्मचारी घट रहे हैं। सरकार टुकड़ों में रेलवे को बेच रही है, निजीकरण कर रही हैं। निर्माण ,खानपान, सफाई व्यवस्था, वाणिज्य को निजीकरण तो कर ही रही...

सूत्रधार और स्पेस द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई गई।

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   लघु नाटिका "हे राम" की हुई प्रस्तुति  खगौल। सूत्रधार,खगौल  एवम स्पेस,फुलवारी शरीफ,पटना के संयुक्त तत्वावधान में महादेव स्थान छोटी खगौल स्थित वायरस डांस अकैडमी, के परिसर में   राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि (बलिदान दिवस) पर श्रद्धांजलि सभा एवं   लघु नाटिका हे राम नाटक की प्रस्तुति की गई। सबसे पहले  गांधी जी के तैल चित्र पर श्रद्धा के पुष्प अर्पित किया गया एवं    विचार गोष्ठी -"बापू और वर्तमान भारत का परिदृश्य ' परिचर्चा हुई।कार्यक्रम की अध्यक्षता सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम ने बताया कि महात्मा गांधी जी के विचार आज और भी प्रासंगिक हो गया है।चर्चित रंगकर्मी उदय कुमार ने बताया कि  गांधी जी के विचारों को आज पूरे विश्व की जरूरत है ।ये सत्य अहिंसा के साथ ही प्रकृति और पर्यावरण को भी  सुरक्षित व स्वच्छ रखने की प्रेरणा देते थे।साहित्यकार प्रसिद्ध यादव ने लोगों से धर्मांधता व कट्टरता से बचने की सलाह दी क्योंकि बापू इसी के शिकार हुए थे। स्पेस नाट्य संस्था के कलाकारों के द्वारा ' हे राम' नाटक की सुंदर प्रस्तुति की गई ।...

धर्मान्धों ने महामानव बापू की हत्या कर दी थी ! शत- शत नमन!

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  धर्म का ज़हर जब देश समाज में फैल जाता है तो आदमी सनकी हो जाता है, उसे अच्छा, बुरा का फर्क मिट जाता है। राजनीतिज्ञों द्वारा  धार्मिक कट्टरता जानबूझकर फैलाई जाती है ताकी नफरत की बीज में राजनीति फसल लहलहाए ! इसी धर्मांधता के शिकार सत्य -अहिंसा के पुजारी महामानव की हत्या कर दी गई थी । सभी लोग जो गांधी की हत्या में शामिल थे, स्वभाव में बहुत अलग-अलग थे. पर उन सबके अंदर एक बात बिल्कुल एक जैसी थी. सारे ही धर्मांध थे. एक औरतों से नफरत करने वाला रोगी  नाथूराम गोडसे , एक जिंदादिल पर व्याभिचारी  नारायण दत्तात्रेय आप्टे , एक अनाथ फुटपाथ पर रहने वाला बदमाश लड़का जिसने कट्टर बनकर खुद को बड़ा आदमी बनाना चाहा, एक धूर्त हथियारों का व्यापारी  दंडवते और उसका नौकर, एक बेघर शरणार्थी जो बदला लेना चाहता था मदनलाल पाहवा , एक भाई जो अपने भाई को हीरो की तरह मानकर पूजता था  गोपाल गोडसे  और एक डॉक्टर जिसका बचाने से ज्यादा मारने में विश्वास था डॉ. दत्तात्रेय सदाशिव परचुरे । इनका हथियार था एक बंदूक. जो कि गांधी के हत्यारे के हाथ में पहुंचने से पहले तीन महाद्वीपों में घूम चुकी थी। ...

प्रदेश में काम करने गए प्रकाश पासवान की मौत पर पीड़ित परिवार से मिलने पहुँचे :- - विधायक गोपाल रविदास।

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गुजरात के बालासार में मजदूरी करने गए पुनपुन प्रखंड के चामुचक निवासी प्रकाश पासवान (21वर्ष )की मौत भारत सरकार के रेलवे ब्रिज में काम करने के दौरान सरिया गिरने से डबकर हो गया l घटना की सुचना मिलने पर स्थानीय विधायक गोपाल रविदास ने संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ जन अभियान पद यात्रा को बीच में स्थगित कर पीड़ित परिवार से मिलने चामुचक पहुँचे l और घटना पर दुःख प्रकट करते हुए भारत व बिहार सरकार से दस दस लाख रूपये मुआवजा की मांग किया है l विधायक ने घटना की सूचना प्रशासन को मोबाइल से दिया l जिसमे  प्रखंड विकास पदाधिकारी तत्काल ही  विधायक के साथ पीड़ित परिवार से मिले और पीड़ित परिवार का आवश्यक कागजात को लिया l स्थानीय विधायक ने बताया की बिहार सरकार द्वारा दो लाख मुआवजा प्रवासी मजदूरों को मिलने वाली लाभ के तहत  पीड़ित परिवार को दी जाएगी l जिसपर विधायक ने श्रम विभाग के अधिकारियो से मोबाइल से बात किया है l और पीड़ित परिवार को हर सम्भव मदद का भरोसा दिया है l               इस दौरान माननीय विधायक के साथ पूर्व मुखिया जय प्रकाश पासवान, सरपंच विजय प्रसाद, निजी सहाय...

कुर्सी को अब भजले मन ! ये जग है पराया ! (कविता ) -प्रसिद्ध यादव।

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    कुर्सी ही साथ जाएगी  बाकी सब है माया ! जो न पहचाना कुर्सी को  वो  हैं बड़े अभागे ! कुर्सी के लिए नओ  बार  विधवा होकर  होनी पड़े सुहागन  फिर भी ये  है कम  कह गया धर्म पुराण ! कुर्सी है तो सर पे  है ताज ! इसी से होता सब काज ! इसी से चलता शासन राज !  जो करे इसकी निंदा  वो कभी न होय नेता !  कुर्सी सब को प्यारी है  जिसे नसीब नहीं हुआ  वो किस्मत के मारी है । छल कपट ये गुण हैं इसके  जो अपना लिया वो नेता हैं । जो मीन मेख निकाला इसमें  वो नाक के नेटा है । जय बोलो कुर्सी की  जय हो ! इसकी शोभा बढ़ाने वाले की। कुर्सी की महिमा जो कोई गावे  कम से कम जरूर चापलूस बन जाये । कुर्सी की शोभा बड़ी न्यारी  अति सुंदर बड़ी प्यारी ! कुर्सी को गले लगाओ  भव सागर से पार हो जाओ। कुर्सी को अब भजले मन  ये जग है पराया !  

अखिलभारतबर्षीय यादव महासभा ओड़िसा में हुआ आयोजन !

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       शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक बौद्धिक चेतना को जगाना है-जगदीश यादव।       अखिलभारतबर्षीय यादव महासभा ओड़िसा राज्य इकाई द्वारा, दिनांक 27,01,2024को भुवनेश्वर स्थिति रेलबे इंस्टीच्यूट में यादव जागृति समावेश कार्यक्रम के माध्यम से यादव समाज के शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक, बौद्धिक चेतना एवं आर्थिक विकास के मुद्दों पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सह ओबीसी के चेयरमैन(दिल्ली सरकार)श्री जगदीश यादव ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया और कहा कि समाज को मजबूत करने के साथ साथ शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक बौद्धिक चेतना को जगाना और समाज में फैली कुरीतियों को दूर करना है, ओड़िसा में22प्रतिशत यादवों की संख्या है मगर ओड़िसा सरकार और केंद्र सरकार यहाँ के बड़ी आबादी यादव समाज को अनदेखी कर रही है, हम अपने हक अधिकार के लिए मजबूती के साथ खड़े होकर अधिकार को लेंगें, ओड़िसा की सरकार यहाँ आरक्षण के दायरे को बढ़ाये, महासभा के राष्ट्रीय महासचिव श्यामनंदन कुमार यादव ने सभा को संबोधित करते ह...

अच्छा हुआ डरपोक का साथ छूटा !

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   डर जो न करा दे ! जदयू के जितने वितीय सहायक थे,उन सभी पर केंद्र की तोता नज़र गड़ा दिया था।चाहे आरा के जदयू एमएलसी राधाचरण सेठ हो या बिक्रम के गब्बू सिंह। सबके आर्थिक साम्राज्य ध्वस्त कर दिया जा रहा था, उधर मुजफ्फरपुर में भी इनके एक पूर्व मंत्री सुबोध राय पर नकेल कस दिया गया था।जान बचे तो लाख उपाय।यही कारण है कि नीतीश ने भाजपा के सामने आत्मसमर्पण किया। हिम्मत नहीं है तो राजनीति भी नहीं है। जो डर गया ,समझो वो मर गया।नीतीश ने अभी तक गठबंधन तोड़ने का राजद पर कोई आरोप नहीं लगा सके हैं। कुर्सी के लोभ की पराकाष्ठा है और यह राजनीति में कैंसर की तरह प्रयोग है। किस मुँह से जनता के बीच वोट मांगने जाएंगे। तेजस्वी यादव को भी अब मुर्दे लोगों की चिंता छोड़ जनता के बीच होना चाहिए। हर दिन किसी न किसी न किसी गांवों में बिताना चाहिए। सब चालीस लोकसभा सीटों पर ग्रुप बनाकर पदयात्रा करना चाहिए और अपनी बातों को रखना चाहिए। हारे थके लोग से 17 महीने में बिहार में बेमिसाल काम किये हैं।यह जगजाहिर है। राजद को खोने के लिए कुछ नहीं, पाने के लिए सब कुछ है। बिहार में हर बार  सरकार नीतीश की होती है बदलती है...

बिहार में सीएम सुरक्षित, उप - मुख्यमंत्री की ही कुर्सी जाती है!

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    भाजपा लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार को दिखाएगी बाहर के रास्ता। सम्राट चौधरी व विजय सिन्हा से जी हुजूरी की उम्मीद नीतीश को पड़ेगी भारी। ये भाजपा के दोनों नीतीश को साधने के लिए ही गये हैं। सही इलायाज अब होगी। बिना अविश्वास प्रस्ताव के बिहार में सरकार जाती है और फिर वही सरकार के मुखिया होते हैं।कुर्सी जाती है तो सिर्फ उप मुख्यमंत्री की । कल तक सीएम को मानसिक इलायाज करवाने के सलाह देने वाले अब  मानसिक स्वस्थ्य होने की सर्टिफिकेट दे रहे हैं।यही नहीं जंगलराज, मंगलराज में शिफ्ट हुआ।कल तक जनगणना में जातियों की गिनती में भेदभाव का आरोप लगता था।सब ठीक हो गया। सीएम बोले -अब इधर उधर कहीं नहीं जाएंगे? आखिर ऐसी सफाई क्यों देनी पड़ी? क्या बिहार का विशेष राज्य का दर्जा मिल गया? पूरे देश में जातीय जनगणना होगी?  क्या देश में  आरक्षण का दायरा 75 फ़ीसदी होगा ? उक्त सवाले जनता की जेहन में है और इसका जवाब जरूर मांगेगी। दोनोँ उप मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री के करीब कितना सकून से रह पायेंगे ?यह समय बतायेगा। चिराग मोदी को जानते हैं, नीतीश से तल्खी जारी है, कहीं विगत विधानसभा चुनाव वाली कह...

बिहार में 3 टर्म में 9वीं बार सीएम का शपथ ! हठधर्मिता व व्यक्तिवाद का नमूना!- प्रसिद्ध यादव।

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  राजनीति में चरम आनंद! कुर्सी से सम्मोहन आज देश दुनिया देखा। देश दुनिया में कुर्सी से इतना बेतहासा प्यार कहीं देखने को न मिला है न मिलेगा। जनमत की एक गरिमा है लेकिन इस जनमत  को नीतीश कुमार पॉकेट में लेकर घूमते फिर रहे हैं, इससे चरित्र हनन ही होगा। इतना बड़ा क्षणभंगुर कोई नेता नही हुआ है।   इस कुर्सी मोह से  बिहार की जनता बेवस ,लाचार, मायूस है।  अगर भाजपा के साथ सरकार बनाने का जनादेश मिला था तो यह नॉटंकी क्यों?  अगर नीतीश यह समझते हैं कि बिहारियों के वे चहेता हैं तो यह भ्रम है। जनता किसी की बंधुआ मजदूर नहीं है और वे समय  - समय पर तख्ता पलट करते रहती है।इस राज्य में बहुजनों को मानसिक रूप से आजाद किये  हैं तो वो लालू यादव ही है और यहाँ के बहुजन इसे कभी भूला नहीं सकते हैं । राजनीति में नैतिकता ,सिद्धांत ,राजधर्म की बात अब बेमानी हो गई है। परिवारवाद पर आरोप लगाते वाले व्यक्तिवाद से ग्रसित हो गए हैं। चेहरा चमकाने की सनक आदमी को कितना पतित कर देता है, वो लोग समझते हैं। सवाल है कि क्या भाजपा के रजामंदी से ये सीएम बने हैं, नहीं हठधर्मिता से।हठधर्मिता ...

अडिग लालू यादव के ख़िलाफ़ सारे यंत्र - तंत्र !- प्रसिद्ध यादव।

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     विश्वासघाती पर भी भरोसा करने वाले का नाम है यादव! सच्चे दिल के, शीघ्र ही किसी पर विश्वास करने वाले हैं। लालू यादव जी सब के हुए लेकिन इनका  कोई अपना नहीं हुआ ।जिसे अंगुली पकड़कर राजनीति के एबीसीडी पढ़ाया, वो भी खुद को चाणक्य बन बैठा है। सबको आवाज बुलंद किया,मान सम्मान ,पद प्रतिष्ठा दिलवाए ।आज सभी इनके उपहास उड़ाते हैं । कोई ऐसा विश्वासी नहीं हुआ जिस पर भरोसा करें। कितने के राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा, विधानपरिषद में भेजे,मंत्री पद पर आसीन किये,लेकिन एक एक कर साथ छोड़ता चला गया।यही हाल यादव जाति का भी है।किसी भी कमजोर को कोई सताने का काम किया ,यादव डटकर सामने खड़ा हो गया, लड़ाई ,केस मुकदमे, सलाखों तक गये ,हत्या हुई । आज सभी के आंखों के किरकिरी बने हुए हैं। पिछड़ा,अति पिछड़ा कुछ अन्य बहुजन भी इसे शत्रु की तरह देखते हैं। यही स्थिति देखकर अब यादव भी मूकदर्शक के रूप में बने हुए हैं।बहुत हुआ शोषण ,जुर्म से लड़ना ।अब अपनी लड़ाई लोग खुद लड़े।जिसके पीछे लोग चल रहे हैं, ये कितना भला करेंगे ?यह जल्द ही सामने आने वाले हैं।लालू यादव को बिहार की राजनीति से हटाने के लिये सारे हथकण्डे अपनाए...

भाजपा के सीएम चेहरा सम्राट चौधरी को नीतीश लगाया ग्रहण। !

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   2025 में भाजपा सबक सिखाएगी जदयू को। अब तक भाजपा मजबूरी में नीतीश कुमार को पसंद कर रही है। केंद्रीय नेतृत्व यह भली भांति जानती है कि बिहार भाजपा में कोई ऐसा ताकतवर नेता नही है जो सीएम का चेहरा हो। खुद को चेहरा बनाने में कई चेहरे सामने आए, लेकिन उनकी करिश्मा नही हुआ। नंदकिशोर यादव, नवल यादव यादव के चेहरे बने लेकिन अपने जाति के वोट ट्रांसफर नहीं करवा पाए। भाजपा को स्वर्ण चेहरा से परहेज है। सम्राट चौधरी दिन रात मेहनत कर रहे हैं और अपने जाति के वोट ट्रांसफर करने में शत प्रतिशत सफल दिख रहे थे लेकिन नीतीश की इंट्री के कयास से पानी फिरता दिख रहा है।  नीतीश के कारण तेजस्वी वेटिंग में है तो उधर सम्राट के कद को कम करने की कोशिश में है। जब तक बिहार में नीतीश सीएम बने रहेंगे तब तक भाजपा के कोई सीएम नहीं होगा और यही हाल राजद में रहने पर भी है। भाजपा लोकसभा चुनाव तक नीतीश कुमार को झेल रही है।2025 के चुनाव में भाजपा जदयू को औकात में ला देगी।उस वक़्त सीएम के चेहरा भाजपा की होगी और मनमानी सीटों पर लड़ेगी ।नीतीश उस वक्त बेचारा बन जाएंगे। चिराग साहनी कुछ करिश्मा जरूर करेंगे नीतीश को असहज कर...

यहां वसन्ती की राज चलती है बाबू !

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   अब तेरे पगड़ी का क्या होगा  बाबा ?  इतना सन्नाटा क्यों है भाई ! मैं वसन्ती हूँ ! देख कर काहे मन कुलकुला रहा है।हम अपने आप में मस्त रहते हैं।मन मस्त हुआ फिर क्या बोलें ? मेरे पीछे दुनिया दीवानी है।फिर ये जय और बीरू किस खेत की मूली है।ऐसे को ठेंगे पर नचा रही हूँ।कौन कहता है कि लोकतंत्र की ताकत जनता में निहित है ,कुछ नहीं सब मुँह तक़वा है।दो दशकों से अपने पीछे ठाकुर,गब्बर जय बीरू को नचा रही हूं।वो शोले वाली वसन्ती नहीं हूं कि किसी के बंदूक के नोख पर नाचूँ ।यहां अपनी अदाओं से सब को नचा रही हूं। वसन्ती की बातें सुनकर झा जी बोले - असमन्स दूर करो प्रिय ! वसन्ती बोली - दिमाग नहीं है तो काहे प्रोफेसर बने हुए हैं।अभी तक असमंजस ही लग रहा है। झा जी की बोलती बंद है।सब गुड़ गोबर हो गया।वसन्ती को सहज रूप से सहेज को कोई भी रख सकता है लेकिन असहजता बर्दाश्त नहीं होता है।  अब पगड़ी वाले को अपनी पगड़ी की सौगंध याद आ रही है।जान जाए पर पगड़ी न खुले ।यहां तो पगड़ी की सत्यानाश होने वाला है। बिना सोचे पगड़ी बांधने का नतीजा अब भुक्तो !  जहाँ मेरे पैर पड़े वही हरियाली है।मैं पारस हूँ।मेरे ...

अब धीरे - धीरे घुँघटा सरकाइये सरकार !

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  जब तक तेरी बाहों में मेरी पनाह है तब तक मेरे हुश्न की जलवा है। तेरे हुश्न के दीवाने क्या शत्रु क्या मित्र ?दुनिया मुरीद है। मुस्कुराती इठलाती लाजो बोली - ऐसा भी क्या है हुजूर ? तू चंचला है, गतिमान है ,बहती झरना, सनसनाती हवा ... है। तुझे कोई स्थिर रखना चाहे तो असम्भव है। आखिर लाजो !ये गुण कहाँ से आया ? मेरा यही डीएनए है। मैं बड़ी नाज़ुक, छुईमुई ,कलमुई हूँ।मैं जरा सा असहज हो जाती हूँ तो फिर अपना ठिकाना बदल लेती हूं। इस बार घूंघट उठाने में कुछ ज्यादा शरमा रही है।क्या बात है? उधर से जल्दी पल्लू छोड़ ही नहीं रहा था। तेरे दर्द अभी गया नही है फिर भी अनायास मेरी बाहें तुझे आगोश में लेने के लिए बेचैन है।आइये! अब धीरे-  धीरे घुँघटा उठाइये सरकार !

गज़ब तेरे तेवर ,गज़ब है नाजो - नख़रे ! - प्रसिद्ध यादव।

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   गज़ब बेवफाई, गज़ब बेहयाई !  तू किस मिट्टी का बना है ? तुझे कौन है बनाई ?  इस ठंढ़ में भी छीन ली रजाई ! तू कभी इधर,कभी उधर  नैन मटकाना छोड़ दे । जब तक है जोश  चक्कलस उड़ा ले  ढल जायेगी जवानी  फिर कौन पूछेगा ? तेरे नाम पर   गली के कुत्ते भी थूकेगा । क्या कमी रह गई थी मुझ में जो किसी और कि बाहों में चले गए  जाते -जाते यार  नाम बदनाम कर गए । मर गई अंतरात्मा  ईमान खो गया  मुझ से नहीं   जमाने से तो शर्म करो । गज़ब है जगहंसाई ! गज़ब तेरे तेवर ,गज़ब है  नाज़ो - नख़रे। गज़ब बेवफाई, गज़ब बेहयाई ! 

कुर्सी तंत्र ! बेमिसाल, अद्भुत ,अनोखा,अनुपम ,अखंड सौभाग्य!- प्रसिद्ध यादव।

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   मजा दोनो तरफ से है।चाहे करवट जिधर मारो !जा ये भाजपा !राजद ! राजतंत्र, लोकतंत्र दुनिया देखी ,लेकिन कुर्सी तंत्र देखने के लिए बिहार आना होगा। बिहार में कुछ वर्षों से  प्रजातांत्रिक तरीके से कुर्सी तंत्र कायम है । विधायकों की संख्या भले ही राज्य में तीसरे पायदान पर है लेकिन हर समय बहुमत में रहती है। कुर्सी तंत्र में कौन पक्ष और कौन विपक्ष यह मायने नहीं रखता है। जिधर हाथ किया उधर हाथ लड्डूए पर पड़ता है। इसमें कुर्सी तंत्र की कोई दोष नहीं है। कोई बल ,छल से यह नहीं हो रहा है यह दोनों बड़ी पार्टियों की बोकापन से हो रहा है। कुर्सी तंत्र को पता है कि भाजपा राजद दोनों सौतन है तो क्यों न फेरा फेरि दोनों से मजा लिया जाए और दोनों से ले रहा है। आम आदमी के यह सब चाल चलन  देखकर होश खराब है। कितनी बार तलाक हुई और कितनी बार तीनों में गठबंधन ?याद भी नहीं। करीब 19 साल में एक बार गलती से मांझी के हाथ में पतवार मिल गया था और कुर्सी तंत्र के आगोश से बाहर हो गए तो कुर्सी खींच ली गई।  कुर्सी तंत्र में नैतिकता, अंतरात्मा को तिलांजलि देनी पड़ती है। कुर्सी तंत्र जल्द ही एक खेमा से असहज हो ...

राजनीति की रस्साकस्सी में रस्सी टूट की कगार पर ! - प्रसिद्ध यादव।

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   गुलाटी मारना व पहचानना बच्चे भी जानते हैं, नहीं कोई जानता है तो बुजुर्ग! लोकतंत्र में न चाल चरित्र ,न विचारों का कोई मायने हैं।सिर्फ कुर्सी देव सुरक्षित रहे इसी की आराधना होती है।इस बार बिहार में सत्ता की रस्सी टूटी तो रस्सी तोड़ने वाले रसातल में होंगें। जिनके आगोश में जाने की तैयारी है वो कुछ अलग पटकथा लिख रहा है।सवाल किसी की पगड़ी की है, स्वप्न का है। राजनीति में जब किसी प्रश्न का उत्तर न में हो तो उसे हाँ समझना चाहिए और हाँ हो तो वो ना होता है। बॉडी लैंग्वेज बहुत कुछ कह देता है। कर्पूरी जयन्ती के ही दिन रस्सी टूटने की आवाज़ आई थी लेकिन ये सामान्य घटना लग रही थी।मीडिया में ये बात कुछ दिन पहले आई तो आल इज वेल कह कर आग पर पानी डालने का प्रयास हुआ। रस्सी तोड़ने वाले के चरित्र से बच्चा -बच्चा वाकिफ़ है लेकिन नहीं  समझे तो भाजपा और राजद ।ये भी समझते हैं लेकिन सत्ता मोह जो न करवा दे। दोनों बड़ी पार्टी के नेता रस्सी खिंचवा से देह में दर्द करवाया । दे दनादन ..। सौदा हो गया है ,गड़बड़ मालिकाना हक पर है। हो सकता है विधानसभा भंग हो जाये ।ये भाजपा की चाहत है कि हिसाब किताब इस बार बराबर ...

भूमिहीनों को भूमि देने में सरकार की आनाकानी क्यों ? - प्रसिद्ध यादव।

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    आर्थिक असमानता, सामाजिक असमानता भारत जैसे समाजवादी देश में कलंक है। देश में जितनी गैर मजरुआ, मालिक गैर मजरुआ जमीन हैं, उस पर बड़े लोगों जमीन वाले का कब्जा है । एक तरफ भूमिहीन सड़क किनारे, नहर किनारे रहने के लिए विवश हैं  , दूसरी तरफ बड़े जोत - जमीन वाले  एशोआराम से रह रहे हैं। कोई नॉकरी, व्यवसाय किये बिना भी जमीन के टुकड़े से राजशाही जिंदगी जी रहे हैं। इस असमानता को दूर करना सरकार का काम है । स्वामीनाथन आयोग में भूमि सुधार के उपाय बताए गए हैं ।मोदी सरकार की घोषणा में इसे लागू करना था,लेकिन ठंढे बस्ते में चले ।बिहार सरकार भूमिहीनों को तीन डिसमिल जमीन देने की वादा की थी, कुछ जमीन के पर्चे भी बंटे, लेकिन आज भी बहुत से उन जमीन पर पर्ची धारक के कब्जा नहीं है।भारत में ग्रामीण इलाकों में गरीब लोगों का नया आवास बनाने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना केंद्र सरकार की ओर से लागू की गई है। इस योजना के तहत साल 2024 के अंत तक भारत के सभी ग्रामीण इलाकों के आवास विहीन लोगों को आवास प्रदान करने का काम केंद्र सरकार की ओर से किया जाने वाला है। ...

सिर्फ समाजवाद का चोला बच गया है ! - प्रसिद्ध यादव।

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    बिरले अब समाजवादी होंगें ! अब इसके आर में पूंजीवाद ,परिवारवाद पोषित हो रहा है । जिस देश में हर 41 मिनट में 1 किसान आत्महत्या करते हैं, इससे बड़ा समाजवाद का मजाक और क्या हो सकता है ? केंद्र सरकार की चुनावी घोषणा पत्र में भूमि सुधार के लिए स्वामीनाथन आयोग लागू करने की वादा किया गया था लेकिन शायद ही अब किसी को याद  होगी।।अगड़ा-पिछड़ा ,दलित,महादलित ,अल्पसंख्यक चुनावी स्टंट है। राजनीति में कोई दल के नेता समाजवाद का भले ही कितनी ढोल पीट ले ,लेकिन समाजवादी चाल चरित्र नहीं देखने को मिलता है। इस अर्थयुग में हर कोई आरामदायक, विलासिता पूर्ण जीवन जीने का आदि हो गया है बचा है तो शेष समाजवाद का चोला। राजनीतिज्ञों में संवेदनहीनता भर गई है। चापलूसी, तेल मालिस इतना चरम पर हो गया है कि एक बुलाओ सौ हाजिर है। राजनीति में इतना अविश्वास बढ़ गया है कि बाप बेटे पर भरोसा नहीं रहा ,बाकी बात बेमानी है। मरते दम तक कुर्सी की लालसा समाजवाद के जनाजे का उदाहरण दूसरा और क्या हो सकता है ? राजनीति में अब स्पर्धा नहीं शत्रुता घर कर गई है। साथ  रहने वाले राजनेताओं के अंतिम संस्कार में भी जाने की फुर्सत ...

कर्पूरी तेरे अरमानों को दिल्ली तक पहुंचाएंगे ! कर्पूरी जी भारत रत्न के योग्य थे - लालू यादव

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    कांशी राम व लोहिया को भी भारत रत्न मिले ! - तेजस्वी यादव।आज कर्पूरी ठाकुर की जन्मशताब्दी राजद द्वारा श्रीकृष्ण मैमोरियल हॉल में मनाई गई , जदयू वेटनरी कॉलेज में तो भाजपा मिलर स्कूल में । लालू यादव ने कर्पूरी जी के साथ बिताए गये पल को सुनाते -सुनाते भावुक हो गए।  कर्पूरी जी कभी किसी के पिछलगुआ नहीं बने ।अब्दुलबारी सिद्दिकी ने कहा कि कर्पूरी जी को भारत रत्न मिलना समाजवादियों की जीत है। अगर भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर अपमान भरे जीवन के मुकाबला नहीं किये होते ,पीड़ितों, गरीबों के दर्द को नहीं समझे होते ,उसके लिए काम नहीं किये होते तो आज भारत रत्न से नहीं नवाजे जाते । आज से 100 वर्ष पूर्व समस्तीपुर के पिंटझौरिया ग्राम में एक गरीब नाई परिवार में जन्म लिये थे।  शोषण,जुर्म,अत्याचार की समझ पढ़ने के बाद आई । गांव में भी ये संभ्रांतों से अपमानित हुए थे। कर्पूरी जी इस जिल्लत भरी जिंदगी से खुद व बहुजनों के छुटकारा पाने के लिए भारतीय संविधान पर ,लोकतंत्र पर भरोसा किये और इसके बाद राजनीति में प्रवेश किये ।जब विधानसभा में विपक्ष के नेता होते थे तब भी इनके साथ सत्ता पक्ष बदसलूकी की जाती...

भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर जैसा होना दुर्लभ ! प्रसिद्ध यादव।

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     शत शत नमन! बहुजनों की ताक़त का एहसास है भारत रत्न ! बिहार के जातीय जनगणना ने राजनीतिज्ञों के होश उड़ा दिए हैं। राजनीति में एकक्षत्र राज करने वाले दिन में तारे दिखने लगे हैं। बिहार सरकार पिछड़े अति पिछड़े वर्ग के लिए 75 फीसदी आरक्षण देकर केंद्र सरकार की बोलती बंद कर दी है।केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को इनके जन्मशती पर भारत रत्न से सम्मानित किया जो धन्यवाद के पात्र है।जदयू राजद लगातार इन्हें इस पदक से सम्मानित करने की मांग अरसे समय से करते आ रही थी। कर्पूरी जी जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी भागीदारी के वकालत करते थे, जिसके कारण सम्भ्रांत लोग उन्हें कई तरह के गालियां देते थे लेकिन आज सभी इनके सामने नतमस्तक हैं।   कर्पूरी जी के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर सभी दल के नेता अपना आदर्श मानने लगे हैं, भले चाल चलन इनके विपरीत ही क्यों न हो? इनको जीते जी अपमानित करने वाले लोग भी इनके कार्यशैली के मुरीद हो गए हैं। कर्पूरी जी जनप्रतिनिधि का मतलब सेवा समझते थे। आज राजनीति का इतना क्षरण हो गया है की राजनीति किसी ग्लैमर, उद्योग , बाहुबली ,स्टार की तरह देखने लगे हैं। अब निर्धनों, स...

केंद्रीय विद्यालय खगौल में चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित

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  खगौल। छात्रों की रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिनांक 23 जनवरी, 2024 को केंद्रीय विद्यालय खगौल में चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई। महान नेता के जीवन पर छात्रों को प्रेरित करने और उनमें देशभक्ति की भावना जगाने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य श्रीमती स्निग्धा आनंद द्वारा किया गया। प्राचार्य ने सुभाष चंद्र बोस को नमन करते हुए कहा कि छात्रों के बीच परीक्षा के तनाव से निपटने की एक अनूठी पहल के तहत देश भर के 500 विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों (केवि) में एक राष्ट्रव्यापी पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है और यह जानकर अच्छा लगा कि इस पेंटिंग प्रतियोगिता में विभिन्न सीबीएसई स्कूलों के छात्रों, राज्य बोर्ड, नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों से विचारों की इस अनूठी रचनात्मक अभिव्यक्ति में विविध भागीदारी देखने की उम्मीद है। प्रतियोगिता का उद्देश्य प्रधानमंत्री द्वारा लिखित पुस्तक पर आधारित 'परीक्षा योद्धा' बनना है। इस चित्रकला प्रतियोगिता में ...

जे एन लाल कालेज में सिने सेमिनार का हुआ आयोजन

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  खगौल। सोमवार को मनोविज्ञान विभाग,जगत नारायण लाल कॉलेज के  द्वारा सिने सेमिनार का   आयोजन किया गया। यह सेमिनार प्रभारी प्राचार्य डॉ सर सैयद इमाम सर की अध्यक्षता में हुई। सेमिनार की संयोजिका मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्षा सुश्री अर्चना भारती और  सहायक प्रोफेसर डॉ किरण बाला ने एक फिल्म 12th fail दिखाई गई। यह एक प्रेरणादायक फिल्म हैं, जिसके हीरो मनोज कुमार शर्मा हैं, जो 12th में फेल हो गए थे। दूसरे प्रयास में वो 3rd डिविजन  से पास किया ।उनके पास पढाई के लिए पैसे नहीं थे, न ही उन्हें कोई कुछ बताने वाला था। UPSC क्या होता है? ये भी नहीं जानते थे। फिर भी उन्होंने काफ़ी मेहनत की, और UPSC की परीक्षा पास की और IPS बन गए। सीखना के प्रेक्षण सिद्धांत के अनुसार बच्चे सुनने से ज्यादा देख कर सीखते हैं। इसलिए ये फिल्म दिखाया गया, ताकि छात्र एवं छात्राएं ज्यादा से ज्यादा सीख ले सके।  इस फिल्म में दिखाया गया कि  परीक्षा में नकल नहीं करनी चाहिए और  विपरीत परिस्थिति में भी घबराना नहीं चाहिए, संयम और लगन से काम करें, तभी हम कुछ कर पाएंगे। इस कार्यक्रम में सभी...

हाय रे ठंढ़ ! - प्रसिद्ध यादव।

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   डीएम कमिश्नर में ठंढ़ की नूरा कुश्ती ! अंपायर नीतिवान ! ठंढ़ भी अमीरी गरीबी देखकर अपना कहर बरपाता है।  जिसके माथे पर छत नहीं है, तन पर कपड़े नहीं है, खाने को ठिकाने नहीं है, उसे ठंढ़ पहले आगोश में ले रही है। अमीरों के पास ठंढ़ नहीं फटकती है ।घर में ब्लोअर , गीज़र, रजाई ,घर से बाहर निकलने पर गाड़ी में ब्लोअर ,ऑफिस में ब्लोअर .. ठंढ़ में गर्मी का मजा और गर्मी में ठंढ़ का मजा । लाखों खर्च कर  के मीडिया में चेहरा चमकाने वाले नेताजी से  गरीबों के लिए मुँह से आह भी नहीं निकलता है।  गरीबी से बाहर आंकड़ों में दिख रहा है, जमीन पर कुछ और दिख रहा है।इस ठंढ़ में  कमाऊ व्यक्ति, नॉकरी पेश वाले , किसान, मजदूर, व्यवसायी, फुटकर विक्रेता आदि की मजबूरी है। चुनावी नेताजी को ठंढ नहीं लगती है।नेताजी जनता को ढूंढ रहे हैं, जनता नदारद ।काफी प्रतीक्षा के बाद जनता जनार्दन की दर्शन परसन होती है। 5 साल की बदला है।नेताजी के स्टाफ भी नहीं पहुंच रहे हैं इसलिए नेताजी को देरी हो रही है नही तो इनका सूर्योदय किसी सुदूर गांव में जनता के पास होती ।नेताजी चल रहे हैं बाएं तो जनता दाएं। जनप्रतिनिधि अ...

खगौल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126 वीं जयंती मनाई गई। - प्रसिद्ध यादव।

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  खगौल आर्यभट्ट निकेतन स्कूल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126 वीं जयंती प्रसिद्ध यादव की अध्यक्षता में मनाई गई।रामकृपाल यादव ने बताया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस देश के आजादी के लिए लड़ने वाले बहादुर योद्धा थे ।इन्होंने विदेशों में फ़ौज बनाकर देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़े थे । प्रसिद्ध यादव ने बताया कि नेताजी देश के लिए कठोर यातनाएं सहे ,उन्होंने ' तुम मुझे खून दो ,मैं तुझे आजादी दूंगा ' नारे देकर देश में क्रांति को बुलंद कर दिए थे। नवाब आलम ने बताया कि नेताजी 27 अगस्त 1939 को  कच्ची तालाब  मोती चौक  खगौल में एक महती सभा किये थे ,जिसे हमलोग स्मरण दिवस के रूप में मनाते हैं। सर्वप्रथम  नेताजी  सुभाषचंद्र बोस के तैल चित्र पर सांसद रामकृपाल यादव, अधिवक्ता, रंगकर्मी नवाब आलम , प्रसि5 यादव ,सामाजिक कार्यकर्ता  चंदू प्रिंस ,आशुतोष कुमार ,राजद नेता सुजीत कुमार ,अरुण कुमार ,पत्रकार आदम परवेज ,मो कुरैशी ,रंजीत सिन्हा ,उमा गुप्ता ,भाजपा नगर अध्यक्ष अमन कुमार आदि ने पुष्पांजलि अर्पित की   व बड़ी संख्या में महिलाओं की भी उपस्थित रही

भिखारी ठाकुर के अनुसार -लीप पोत के कई लीं साफा , तब लागल पंडित के दफा।" -डॉ सकलदेव सिंह -

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 मनुष्य और प्रकृति ही  इस जगत का निर्माता और निर्देशक है। प्रकृति की गोद में मनुष्य ने अपने विवेक से  विज्ञान की छत्रछाया में सब कुछ  शोध कर  इस संसार में बसने वाले ( प्रकृति वस्तुओं को छोड़कर,) सभी वस्तुओं का निर्माण किया है। अक्षर का ज्ञान मानव ने ही किया है।जब अक्षर ( क, ख...........A,B.......) का खोज मानव ने किया तो  भगवान,ईश्वर का निर्माण मनुष्य ने ही किया है क्योंकि कल्पना के  आधार पर मनुष्य  (अर्जक) ही मूर्ति का निर्माण कर्ता है  क्योंकि यही  अक्षरश  सत्य है। सच्चाई भी है "सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।"   विश्व स्तरीय  भोजपुरी भाषा के विद्वान भिखारी ठाकुर के शब्दों में ," लीप पोत के कई लीं साफा , तब लागल पंडित के दफा।"  कहने का मुख्य तात्पर्य यह है कि   इस धरती पर  अर्जक वर्ग ही  सारी  वस्तुओं का निर्माणकर्ता,शोधकर्ता और उपार्जन कर्ता है कोई और नहीं। जब  अर्जक कोई वस्तु का निर्माण कर देता है तभी  काल्पनिक चरित्र के धर्म के ठिकेदार उस धर्म का दर दिखाकर हावी हो जाता ...

22 जनवरी 2024 को पांच सौ वर्षों के संघर्ष का सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से हुआ स्वप्न साकार !- प्रसिद्ध यादव।!

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   आज अयोध्या में  दोपहर 12.29 मिनट पर 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में श्री राम के 5 वर्ष की आयु के समतुल्य प्रतिमा के मंत्रों द्वारा प्राण प्रतिष्ठा का  विग्रह हुआ ।मैसूर के मूर्ति कलाकार  अरुण योगीराज  छह महीने की अवधि में इस मूर्ति को तैयार किया है। आसन सहित आठ फीट की ऊंचाई पर खड़ी यह मूर्ति साढ़े तीन फीट चौड़ी है, जिसमें इसके चारों ओर अलंकृत 'प्रभावली' भी शामिल है। प्रतिमा के जटिल विवरण में भगवान राम को धनुष और बाण पकड़े हुए दिखाया गया है, जो उनके बचपन के दिव्य व्यक्तित्व का प्रतीक है। अयोध्या में श्री राम की प्रतिमा स्थापित की संघर्ष की गाथा करीब 5 सौ वर्षों की है जो धैर्य की एक पराकाष्ठा है। इस संघर्ष में हजारों बलिदान दिए । मुगल साम्राज्य ,ब्रितानिया सरकार से लेकर आजाद भारत तक श्री राम मंदिर के लिए संघर्ष होते रहे। 1992 में 6 दिसम्बर को विवादित ढांचे को कार सेवकों द्वारा जमींदोज कर दिया गया। हजारों  - हजार राम भक्त  अपने जान की परवाह किए इस में लहूलुहान हुए तो सैंकड़ों बलिदान हुए।  आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अयोध्या में श्री राम मंद...

श्रेया शर्मा जूनियर एकाउंट असिस्टेंट से बनी डिस्ट्रिक्ट फायर आफिसर, खगौल क्षेत्र में खुशी की लहर

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  खगौल। पूर्व मध्य रेल हाजीपुर में जूनियर एकाउंट असिस्टेंट के पद पर कार्यरत श्रेया शर्मा का चयन डिस्ट्रिक्ट फायर आफिसर के पद पर होने से पूरे खगौल में खुशी की लहर दौड़ गई है। खगौल भर से एकमात्र उनका चयन इस पद पर होने पर खगौल नगर अध्यक्ष सुजीत कुमार ने रविवार को लखनीबिगहा स्थित उनके घर पर पहुंचकर उन्हें पुष्पगुच्छ देकर बधाई दी है। गौरतलब है कि खगौल नगर परिषद के वार्ड नंबर एक लखनीबिगहा के बिनोद कुमार शर्मा एवं सीता शर्मा के घर पैदा हुई श्रेया शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा सेंट केरेंस स्कूल में हुई। उन्होंने आरपीएस महिला काॅलेज से केमिस्ट्री विषय में ग्रैजुएशन करने के बाद सेल्फ स्टडी के जरिए बीपीएससी की तैयारी शुरू की। उसके बाद जूनियर एकाउंट असिस्टेंट के पद पर नियुक्ति मिलने के बाद पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर में कार्य किया। तीसरे प्रयास में मिली सफलता  जूनियर एकाउंट असिस्टेंट पद पर चयनित होने के बाद भी उन्होंने शुरू से ही प्रशासनिक सेवा में जाने के अपने लक्ष्य को लेकर अपनी तैयारी को जारी रखा। इसके लिए उन्होंने अपना अधिकतर समय बीपीएससी परीक्षा की तैयारी में बिताया। इनकी कड़ी मेहनत और कर्...

रहौ एक दिन अवधि अधारा। समुझत मन दुःख भयउ अपारा।।

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     कैसे  बड़े भाई श्री राम के तड़प में भरत द्वारा कही गई दोहे भाई -भाई में अटूट प्रेम को दिखाता है। भाई के लिए अपने सिंहासन को त्यागने के लिए व्याकु भाई की भावनाएं सहज समझा जा सकता है। आज सिंहासन के लिए कोई भी पतित काम करने से लोग न डरते हैं, न शर्म करते हैं।श्री राम के प्रति श्रद्धा उनकी मर्यादाओं का पालन करना है । आज 5 सौ साल के की अवधि के एक दिन पहले है। है कोई भरत जैसा भाई से प्यार करने वाले, सिंहासन त्याग करने वाले? अब स्थिति उल्टा है, सिंहासन के लिए कुछ भी करने को तैयार है तो रामराज्य का स्वप्न कितना साकार होगा ? श्री राम को मन कर्म, वचन से मानना होगा तब रामराज्य का स्वप्न साकार होगा। करन कवन नाथ नहिं आयउ।  जानि कुटिल किधौं मोहि बिसंताउ।। अहा धन्य लछिमन बड़भागी। राम पदारबिन्दु अनुरागी।। कपटि कुटिल मोहि प्रभु चीन्हा। ताते नाथ संग नहीं लीन्हा।। जौं करन समुझि प्रभु मोरी। नहिं निस्तार कल्प सत कोरी।। जन अवगुण प्रभु मन न काऊ। दीन बंध्या अति मृदुल सुभाउ।। मोरि जियँ भरोस दृढ़ सोई। मिलि मिलहिं राम सगुन सुभ होइ।। लक्षण अवधि रहहि जौं प्राण। अधम कवन जग मोहि समाना।। रा...