Posts

Showing posts from June, 2025

भारतीय संविधान का मूल दर्शन को जानें !

Image
      भारतीय संविधान का मूल दर्शन उन सिद्धांतों और आदर्शों पर आधारित है जिन पर हमारे राष्ट्र की नींव टिकी हुई है। ये सिद्धांत संविधान सभा की महान दूरदर्शिता और भारत की जनता की आकांक्षाओं का प्रतीक हैं। संविधान की प्रस्तावना (Preamble) इन मूल दर्शनों का सार प्रस्तुत करती है, जो पूरे संविधान में निहित विभिन्न प्रावधानों में परिलक्षित होते हैं। संविधान सभा के शक्ति स्रोत जनता में निहित भारतीय संविधान की सबसे मौलिक विशेषता यह है कि इसकी शक्ति का स्रोत भारत की जनता में निहित है। संविधान की प्रस्तावना "हम भारत के लोग" (We, the People of India) शब्दों से शुरू होती है, जो स्पष्ट रूप से घोषणा करता है कि संविधान को किसी राजा, किसी बाहरी शक्ति, या किसी विशिष्ट समूह द्वारा नहीं, बल्कि स्वयं भारत के लोगों द्वारा अधिनियमित, अंगीकृत और आत्मार्पित किया गया है। यह लोकप्रिय संप्रभुता (Popular Sovereignty) के सिद्धांत को स्थापित करता है, जिसका अर्थ है कि सरकार की सभी शक्ति अंततः लोगों से ही निकलती है। संविधान सभा के उद्देश्य संविधान सभा ने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करने का लक्ष्य रखा जो अपन...

संविधान में समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक और गणराज्य का मतलब समझें !- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
      समाजवादी (Socialist) समाजवादी शब्द का अर्थ है एक ऐसा समाज बनाना जहाँ समता और सामाजिक न्याय हो। इसका लक्ष्य है कि समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार मिलें और किसी भी प्रकार का शोषण न हो। तथ्य: मूल संविधान में यह शब्द नहीं था। इसे 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। भारतीय समाजवाद लोकतांत्रिक समाजवाद है, जो उत्पादन और वितरण के सभी साधनों के राष्ट्रीयकरण के बजाय मिश्रित अर्थव्यवस्था में विश्वास रखता है। इसका उद्देश्य गरीबी, असमानता और बीमारियों को समाप्त करना है। यह गांधीवादी समाजवाद की ओर अधिक झुकाव रखता है, जिसका अर्थ है सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करना और सभी के लिए जीवन स्तर में सुधार लाना। पंथनिरपेक्ष (Secular) पंथनिरपेक्ष का अर्थ है कि राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा। राज्य सभी धर्मों को समान रूप से देखेगा और किसी विशेष धर्म को बढ़ावा नहीं देगा। नागरिकों को अपनी पसंद का कोई भी धर्म मानने, आचरण करने और प्रचार करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। तथ्य: यह शब्द भी 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया...

संविधान सभा: भारत के भाग्य का निर्माण

Image
      भारत का संविधान, जो आज हमारे देश की आत्मा है, एक लंबी और विस्तृत प्रक्रिया का परिणाम है। इस महान दस्तावेज़ को गढ़ने वाली संविधान सभा का गठन भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। आइए, इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्यों पर एक नज़र डालें: संविधान सभा के गठन से जुड़े मुख्य तथ्य प्रथम अस्थायी अध्यक्ष: संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई थी। इस बैठक में, सबसे वरिष्ठ सदस्य होने के कारण, सच्चिदानंद सिन्हा को सर्वसम्मति से अस्थायी अध्यक्ष चुना गया था। उनके नाम का प्रस्ताव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सुचेता कृपलानी ने रखा था। स्थायी अध्यक्ष का चुनाव: ठीक दो दिन बाद, 11 दिसंबर, 1946 को, बिहार के गांधी के नाम से प्रसिद्ध डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने संविधान निर्माण की पूरी प्रक्रिया का कुशल नेतृत्व किया। उद्देश्य प्रस्ताव: 13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में एक ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस प्रस्ताव में भारत के संविधान के मूल दर्शन, उसके उद्देश्यों और नागरिकों को मिलने वाले अधिकारों का उल...

अगर भारतीय संविधान नहीं होता तब क्या वंचितों को अधिकार मिलता ?

Image
    संविधान की अनुपस्थिति में यदि मनुस्मृति भारतीय समाज का आधार होती, तो यह संभावना बहुत कम होती कि वंचित लोगों को अधिकार मिलते और वे सम्मानपूर्वक जीवन जी पाते। मनुस्मृति और वंचितों के अधिकार  मनुस्मृति एक प्राचीन हिंदू धर्मशास्त्र है जो समाज को वर्ण व्यवस्था के आधार पर विभाजित करती है। इस व्यवस्था में, लोगों को उनके जन्म के आधार पर चार मुख्य वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) और विभिन्न उप-वर्णों में बांटा गया है। शूद्रों और तथाकथित अछूतों (जो वर्ण व्यवस्था से बाहर थे) को मनुस्मृति में बहुत निम्न स्थान दिया गया है और उनके लिए कई प्रतिबंध और असमान नियम निर्धारित किए गए हैं। अधिकारों का अभाव: मनुस्मृति के अनुसार, शूद्रों और अछूतों को शिक्षा, संपत्ति रखने और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने जैसे मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया था। भेदभावपूर्ण व्यवहार: उन्हें अक्सर समाज के अन्य वर्गों द्वारा भेदभावपूर्ण और अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ता था। दंडात्मक प्रावधान: मनुस्मृति में विभिन्न वर्णों के लिए अलग-अलग दंडात्मक प्रावधान थे, जहाँ निचले वर्णों के लिए कठोर दंड ...

संजीव भट्ट का मामला : मोदी पर अघोषित आपातकाल का लगा आरोप !

Image
     यह भारत में एक जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा रहा है. यहाँ इस घटना का वास्तविक स्वरूप प्रस्तुत है: संजीव भट्ट भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के पूर्व अधिकारी हैं, जिन्हें 2011 में निलंबित कर दिया गया था और बाद में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. उन्हें मुख्य रूप से 1990 के एक हिरासत में मौत के मामले और 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित उनकी गवाही के लिए जाना जाता है. 1990 का हिरासत में मौत का मामला संजीव भट्ट पर 1990 में गुजरात के जामनगर में एक व्यक्ति की हिरासत में मौत के संबंध में आरोप लगाए गए थे. उस समय भट्ट जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) थे. आरोप है कि उन्होंने और उनकी टीम ने एक दंगे के दौरान लगभग 133 लोगों को हिरासत में लिया था, जिनमें से एक प्रभुदास माधवजी वैश्नानी की रिहाई के कुछ दिनों बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. वैश्नानी के परिवार ने आरोप लगाया कि उनकी मृत्यु पुलिस हिरासत में यातना के कारण हुई थी. इस मामले में, संजीव भट्ट को 2019 में जामनगर की एक सत्र अदालत ने हत्या के लिए दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई. संजीव भट्ट ने इन आरोपों का लग...

वंचित समाज: संघर्ष, सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन !- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
    भारत में वंचित समाज, जो देश की लगभग 85% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, सदियों से उपेक्षा, शोषण और अधिकारों से वंचित होने का सामना कर रहा है। यह विडंबना ही है कि समाज का सबसे मेहनतकश तबका होने के बावजूद, इन्हें आज भी कई लोग 'कमजोर' समझते हैं। हालांकि, इतिहास गवाह है कि इसी वर्ग से बुद्ध, डॉ. अम्बेडकर, कांशीराम, मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे महान व्यक्तित्व उभरे, जिन्होंने इन मानवीय त्रासदियों के खिलाफ आवाज़ उठाई और वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। लालू यादव और वंचितों का उत्थान लालू प्रसाद यादव का उदाहरण इस बात का एक सशक्त प्रमाण है कि कैसे एक व्यक्ति वंचितों को जगाकर उनके हक-हकूक के लिए लड़ सकता है। उन्हें तथाकथित 'संभ्रांत' वर्ग से घृणित गालियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने उस यथास्थिति को चुनौती दी थी, जिसने वंचितों को हाशिए पर रखा था। उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि देश में एक ऐसी लकीर खिंच गई है, जहाँ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री जैसे सर्वोच्च पदों पर भी वंचित समाज के लोग आसीन हो रहे हैं। आज किसी भी राजनीतिक दल में यह हिम्म...

रूह कंपा देने वाला सच: एक बेगुनाह की दास्तान (कहानी )

Image
    (पीड़ित की तस्वीर ) मैसूर के पास एक छोटे से गाँव में सुरेश नाम का एक सीधा-सादा युवक अपने बूढ़े, अस्थमा पीड़ित माता-पिता और पत्नी, मिल्की, के साथ रहता था। गरीबी ने उनके घर में डेरा डाल रखा था, लेकिन सुरेश की मज़दूरी से जैसे-तैसे घर का चूल्हा जल रहा था। उसके पिता उम्र के इस पड़ाव पर घर से बाहर नहीं निकल पाते थे, इसलिए सारा दारोमदार सुरेश के कंधों पर था। उनकी दुनिया छोटी थी, लेकिन खुशियों से भरी थी, कम से कम तब तक, जब तक किस्मत ने क्रूर मोड़ नहीं ले लिया। एक मनहूस सुबह, मिल्की घर से गायब हो गई। सुरेश ने दो-तीन दिन तक उसे हर मुमकिन जगह ढूँढा, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। दिल में डर और आँखों में बेबसी लिए, वह पुलिस थाने पहुँचा। वहाँ उसे दिन भर बैठाया गया और शाम को जैसे-तैसे उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई। रिपोर्ट लिखाकर वह घर लौटा और उम्मीदों के साथ सो गया। अगले ही दिन, एक भयानक ख़बर ने गाँव को हिला दिया। जंगल में एक जली हुई महिला का नरकंकाल मिला। पुलिस ने बिना देर किए सुरेश को उसके घर से उठा लिया। थाने में उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया, उसे बेरहमी से पीटा गया और एक ऐसे...

हम सभी को मिलकर वक्फ, दस्तूर के साथ वोटर बचाने के अभियान में सजग रहकर भाजपा की साजिशों को नाकाम करना है: तेजस्वी प्रसाद यादव

Image
पटना  आज पटना के गांधी मैदान में "वक्फ बचाओ -दस्तूर बचाओ "कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम हिंदुस्तान की सरजमीन का हरेक इंच, हरेक पन्ने और  इतिहास चीख -चीख कर इस बात की गवाही दे रहा है कि देश की आजादी और स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई  हमसबों ने मिलकर लड़ी। चाहे हिंदू हो, या मुसलमान ,  सिख हो या ईसाई हरेक ने आजादी की लड़ाई लड़ी और देश के लिए कुर्बानी दी है। यह देश किसी के बाप का नहीं ,ये देश सबका है। देश की आजादी में अशफ़ाक उल्लाह खान हो या भगत सिंह सब लोगों ने शहादत दी, तब हम लोगों को आजादी मिली। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा सभी का अधिकार छीनना चाहती है।  भाजपा सत्ता से जाने वाली है तो हम सबके गरीब, पिछड़ा, दलित ,अति पिछड़ा ,आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज के वोट के अधिकार को ही छिनना चाहती है। अभी इलेक्शन कमिशन का नोटिफिकेशन जारी हुआ है जिसमें 8 करोड़ वोटर की नई सूची बनाने की बात की गई है वह भी मात्र 25 दिनों में। ध्यान रखिएगा सभी लोग कि किसी का नाम हटे नहीं।  नहीं तो ये वोटर लिस...

अलविदा, रामनारायण पाठक: एक अनमोल साहित्यिक यात्रा का अंत!😢😢-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
   आज सुबह एक दुखद समाचार मिला कि मेरे अजीज मित्र और निर्भय पंक्षी पत्रिका के सहकर्मी, फुलवारी शरीफ के कुरकुरी निवासी रामनारायण पाठक जी अब हमारे बीच नहीं रहे। यह मनहूस खबर पत्रिका के सहायक संपादक अशोक कुणाल ने दी, जिन्होंने बताया कि पाठक जी के भतीजे ने रात दो बजे उन्हें इस दुखद घटना की जानकारी दी। पाठक जी को देर रात अचानक पेट में दर्द हुआ, और परिजन उन्हें एम्स ले गए, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें बचाया नहीं जा सका। यह खबर हमारे लिए किसी सदमे से कम नहीं है, खासकर जब कल शाम ही हमने खगौल में एक और मित्र, बबलू जी, को कुणाल जी के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की थी। रामनारायण पाठक जी से मेरी आखिरी मुलाकात 20 जून को श्री राम जानकी मंदिर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान हुई थी, जहाँ हमने घंटों बातें की थीं। वह न केवल निर्भय पंक्षी के लिए एक समर्पित लेखक थे, बल्कि एक भावुक रंगकर्मी भी थे। उन्होंने सूत्रधार नाट्य संस्था के लिए भी काफी काम किया और कई अखबारों में रिपोर्टिंग भी की। उनका निधन साहित्य और रंगमंच जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। इस दुख की घड़ी में संत कबीर की वाणी याद आती है: अधिवक्ता रं...

अजित अकेला: एक नाम, एक आवाज़, एक अनमोल विरासत

Image
    आज 28 जून, 2025 है, और आज ही के दिन 2017 में हमने एक अनमोल रत्न, अजित अकेला को खो दिया था। उनके जाने को आठ साल हो गए हैं, लेकिन उनकी आवाज़ का जादू, उनके गाए गीतों की धुनें, और उनकी यादें आज भी हमारे दिलों में ताज़ा हैं। उन्हें भूल पाना सचमुच नामुमकिन है, और क्यों न हो, उनकी गायकी में वो आत्मा थी जो सीधा हृदय को छू जाती थी। पटना में कई बार उनके साथ बैठकर गीत संगीत का संगति करने का अवसर मिला था। पटना जिले के फत्तेपुर गांव के रहने वाले अजित अकेला सिर्फ एक गायक नहीं थे, बल्कि एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने भोजपुरी संगीत को एक नई पहचान दी। संपतचक प्रखंड के इस छोटे से गांव से निकलकर, वह अपनी आवाज़ का जादू देश-विदेश तक बिखेरने में कामयाब रहे। मॉरीशस और सूरीनाम जैसे देशों में उनके कार्यक्रम इस बात का प्रमाण हैं कि उनकी कला की कोई सीमा नहीं थी। पटना कॉलेजिएट स्कूल में शिक्षक के रूप में अपने कर्तव्य का पालन करते हुए भी उन्होंने संगीत के प्रति अपने प्रेम को कभी कम नहीं होने दिया। यह दर्शाता है कि वह सिर्फ एक कलाकार ही नहीं, बल्कि एक प्रतिबद्ध व्यक्ति थे जो अपने हर काम को पूरी निष्ठा से क...

Voter Roll Revision: A Challenge in Bihar _ prof prasidh kumar.

Image
    Revising voter rolls is a challenge! With only a few months left until the elections in Bihar, undertaking a fresh voter roll revision in such a short time is inherently difficult, especially with elections so close. While this process is theoretically essential for updating the voter list and maintaining the integrity of elections, potential errors or deliberate manipulations during its implementation could disenfranchise genuine voters. The opposition's distrust can therefore be considered rational, as ensuring transparency and fairness in the electoral process is paramount, and any oversight or manipulation can pose a threat to democracy. The Election Commission bears a significant responsibility to ensure this exercise is completed with complete impartiality and without any political influence.

मतदाता पुनरीक्षण करना एक चुनौती है !

Image
        बिहार में चुनाव के अब कुछ महीने बच गए हैं     । कम समय में नए सिरे से मतदाता पुनरीक्षण करना अपने आप में एक चुनौती है, खासकर जब चुनाव नजदीक हों। यह प्रक्रिया सैद्धांतिक रूप से मतदाता सूची को अद्यतन करने और चुनावों की शुचिता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। हालांकि, इसे लागू करने में उत्पन्न होने वाली संभावित त्रुटियां या जानबूझकर की जाने वाली गड़बड़ियाँ वास्तविक मतदाताओं को वोट देने से वंचित कर सकती हैं। विपक्ष का अविश्वास इसलिए तर्कसंगत कहा जा सकता है क्योंकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, और किसी भी प्रकार की चूक या हेरफेर लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकता है। चुनाव आयोग पर यह सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी है कि यह अभियान पूरी निष्पक्षता और बिना किसी राजनीतिक प्रभाव के पूरा हो।

राजकिशोर गुप्ता 'बबलू' को भावभीनी श्रद्धांजलि: एक जीवन, एक सीख !😢😢-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
    आज खगौल में राजकिशोर गुप्ता 'बबलू' जी को उनके तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस श्रद्धांजलि सभा में खगौल के गणमान्य व्यक्तियों, उनके परिजनों और मित्रों ने उन्हें याद किया, और उनके योगदान को सराहा। यह अवसर केवल उनके निधन पर शोक व्यक्त करने का नहीं था, बल्कि उनके जीवन से मिली सीखों को आत्मसात करने का भी था। दानापुर विधानसभा के वरिष्ठ राजद नेता दीनानाथ यादव ने बबलू जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि खगौल के एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजद के सच्चे सिपाही को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यह दर्शाता है कि बबलू जी ने अपने जीवन में समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वहीं, रंगकर्मी और अधिवक्ता जनाब नवाब आलम ने भावुक होकर कहा कि जो कभी साहित्य संगोष्ठी, समसामयिक विषयों पर, रंगकर्म के लिए स्वयं महफ़िल सजाते थे, आज वीरान लग रहा है। उनकी ये बात बबलू जी की बहुमुखी प्रतिभा और उनकी उपस्थिति के महत्व को दर्शाती है। साहित्यकार प्रो. प्रसिद्ध कुमार ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि वे सिर्फ एक अच्छे इंसान ही नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों से भी मतलब रखते ...

देश किस ओर जा रहा है? हमारे राष्ट्र के भविष्य पर एक गंभीर दृष्टि

Image
      एक राष्ट्र का भविष्य केवल उसके नेताओं द्वारा ही नहीं, बल्कि उसके लोगों की सतर्कता और आवाज़ से भी निर्धारित होता है। जैसे-जैसे हम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं, यह सोचना अनिवार्य है कि हमारा देश किस दिशा में बढ़ रहा है और इसका आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या अर्थ है।  हस्तिनापुर का प्राचीन महाकाव्य एक मार्मिक सबक देता है: असली त्रासदी केवल एक अंधे या भ्रष्ट राजा की नहीं थी, बल्कि अन्याय के सामने चुप और कायर बनी हुई जनता की थी। द्रौपदी से बेहतर इस सच्चाई को और कौन समझ सकता है? यह ऐतिहासिक समानता भारत में वर्तमान स्थिति के साथ गहराई से मेल खाती है। आज, हमारा राष्ट्र व्यापक दबंगई, अंधाधुंध लूट और व्यापक भ्रष्टाचार से जूझ रहा है। आम जनता तबाह है, और समाज, ऐसा लगता है, असहाय बना हुआ है। सत्ता के उच्चतम सोपानों से लेकर स्थानीय पुलिस स्टेशनों और अदालतों तक, दिनदहाड़े जनता के शोषण के आरोप हैं। फिर भी, जनता के बीच एक परेशान करने वाली चुप्पी छाई हुई है। मणिपुर में चल रहे संकट पर विचार करें। दो साल से अधिक समय से, यह राज्य अशांति में घिरा हुआ है। फिर भी, देश का शीर्ष नेतृत्...

प्रकृति का आदर: राष्ट्रपति मुर्मू के शब्दों में एक गहरा सबक

Image
     प्राकृतिक को दोहन - क्षरण करने वाले को सबक लेना चाहिए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने अपने पिता द्वारा लकड़ी काटने और जमीन खोदने से पहले प्रकृति का नमन करने और क्षमा याचना करने की बात कही, मानवीय संवेदनाओं और पर्यावरण के प्रति गहरे सम्मान का एक मार्मिक उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह केवल एक व्यक्तिगत स्मृति नहीं, बल्कि एक शाश्वत दर्शन है जो आज के समय में अत्यधिक प्रासंगिक है। आज जब हम जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण की चुनौतियों से जूझ रहे हैं, तब राष्ट्रपति के ये शब्द हमें उस मौलिक रिश्ते की याद दिलाते हैं जो मनुष्य और प्रकृति के बीच सदियों से रहा है। उनके पिता का यह कार्य केवल एक रस्म नहीं था, बल्कि एक गहरी समझ का प्रतीक था कि हम प्रकृति के अंश हैं, उसके स्वामी नहीं। लकड़ी काटना या जमीन खोदना, जीवन यापन के लिए आवश्यक कार्य थे, लेकिन इन्हें कभी भी निर्दयता या अधिकार की भावना से नहीं किया गया। इसके बजाय, इसमें कृतज्ञता और एक प्रकार की विनम्रता थी – यह स्वीकार करना कि हम जो कुछ भी प्रकृति से लेते हैं, वह उसकी देन है, और उसके लिए हमें आभारी ...

पंचम मांझी: एक युवा क्रांतिकारी को लाल सलाम! -प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
     आज दानारा (प्रखंड बिक्रम , जिला पटना) की धरती पर "पंचम मांझी अमर रहें" और "पंचम मांझी को लाल सलाम" के नारों से आसमान गूँज उठा। यह महज एक श्रद्धांजलि सभा नहीं थी, बल्कि एक युवा, जुझारू और संघर्षशील साथी के सपनों को आगे ले जाने का संकल्प था। 23 वर्ष की अल्पायु में ही एम्स पटना में कामरेड पंचम मांझी का निधन हो गया, लेकिन उनका संघर्ष, साहस और गरीबों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेगी। न उम्र की थी परवाह, न मौत का था डर, क्रांति की ज्वाला दिल में, लब पे इंकलाब। पंचम मांझी तुम अमर हो, लाल सलाम तुम्हें, तुम्हारा संघर्ष, तुम्हारा जज़्बा, बन गया इंकलाब! एक युवा चिंगारी जो शोला बनी पंचम मांझी एक गरीब परिवार से निकलकर आए थे, लेकिन उनकी सोच और इरादे हिमालय से भी ऊँचे थे। उन्होंने इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य सह सचिव और भाकपा (माले) के पटना जिला के सक्रिय युवा नेता के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई। वे सिर्फ 23 साल के थे, जब नियति ने उन्हें हमसे छीन लिया, लेकिन इन छोटे से सालों में उन्होंने जो मिसाल कायम की, वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेग...

कैसा हो हमारा जनप्रतिनिधि: विचारों का योद्धा या सत्ता का सौदागर?

Image
     आज के राजनीतिक परिदृश्य में यह प्रश्न अत्यंत प्रासंगिक हो उठा है कि हमारा जनप्रतिनिधि कैसा हो। क्या हमें ऐसा नेता चाहिए जो केवल सत्ता के गलियारों में सौदेबाजी करे, या एक ऐसा व्यक्तित्व जो विचारों का सच्चा योद्धा हो और जनहित के लिए संघर्ष करे? दुर्भाग्यवश, वर्तमान राजनीति में अवसरवादी प्रवृत्तियां हावी होती दिख रही हैं, जहां विचारधारा और संघर्ष की जगह निजी महत्वाकांक्षाओं और सत्ता हथियाने की होड़ ने ले ली है। राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों की यह सर्वोच्च जिम्मेदारी है कि वे ऐसे व्यक्तियों को टिकट दें जो न केवल पार्टी के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध हों, बल्कि जिनकी वैचारिक जड़ें गहरी हों। एक सच्चा नेता विचारों से पैदा होता है और संघर्षों से सींचा जाता है, न कि रातोंरात किसी अवसर के बल पर खड़ा हो जाता है। जब दल ऐसे अवसरवादियों को प्रश्रय देते हैं जो केवल सत्ता प्राप्ति का माध्यम ढूंढते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव लोकतंत्र की गुणवत्ता पर पड़ता है। ऐसे लोग जनता के हितों को साधने के बजाय अपने और अपने गुट के हितों को प्राथमिकता देते हैं। एक वैचारिक योद्धा की पहचान एक...

गहरे दुख के साथ:मित्र के भाई रेलकर्मी ज्ञानेश्वर प्रसाद की दुखद मृत्यु !😢😢

Image
   आज मैं अपने एक प्यारे मित्र और छोटे भाई समान ज्ञानेश्वर प्रसाद के आकस्मिक निधन की खबर सुनकर गहरे सदमे और दुख में हूं। यह खबर मुझे देर से मिली, और मेरा हृदय इस दुखद घटना से मर्माहत है। रविवार सुबह बिहिया रेलवे स्टेशन पर एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में, 63233 अप ईएमयू ट्रेन की चपेट में आने से ज्ञानेश्वर (53 वर्ष) का निधन हो गया। वह पटना जिले के मनेर थाना के नगवा गांव के निवासी थे और रेलवे के सिग्नल विभाग में सिग्नल मेंटेनर (MCM) के पद पर बानही स्टेशन पर कार्यरत थे। बानही स्टेशन जाने के लिए वह बिहिया स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर अप पटना-वाराणसी मेमू ट्रेन में चढ़ने का प्रयास कर रहे थे, तभी वह गिर गए और गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत बिहिया के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल आरा भेजा गया है। इस घटना से पूरे रेलकर्मी समुदाय में शोक का माहौल है। ज्ञानेश्वर, मेरे मित्र अरविंद कुमार सुमन (कोडरमा में ट्रैफिक इंस्पेक्टर) के छोटे भाई थे। उनके बड़े भाई मधेश्वर कुमार निगम पटना ...

इटावा की घटना: क्या यही है इक्कीसवीं सदी का 'सनातन धर्म'?

Image
      इटावा में वंचित समाज से आने वाले यादव कथावाचकों के साथ चोटी काटने जैसी अमानवीय घटना ने एक बार फिर समाज में गहरे तक पैठी जातिगत गैर-बराबरी और मनुवादी सोच को उजागर कर दिया है। यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत अपमान नहीं, बल्कि उन सभी दावों पर करारा प्रहार है जो इक्कीसवीं सदी में भारत को आधुनिक और समानतावादी होने का दम भरते हैं। क्या सचमुच यही हमारा "हिन्दू सनातन धर्म" है, जहां ज्ञान और भक्ति का मार्ग भी जाति की बेड़ियों से जकड़ा हुआ है? जिस देश में ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जैसे महान सुधारकों ने आजीवन जातिविहीन समाज का सपना देखा और उसके लिए संघर्ष किया, वहां आज भी इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं। यह सिर्फ एक संयोग नहीं हो सकता कि वंचित समाजों पर होने वाले इस तरह के अत्याचारों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। जब देश में सत्ताधारी दल और उससे जुड़े संगठन लगातार हिंदुत्व और सनातन धर्म की बात करते हैं, तब ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या उनकी विचारधारा इस तरह की गैर-बराबरी को बढ़ावा दे रही है? भाजपा और आरएसएस जैसे ...

बिहार में भ्रष्टाचार: एक गंभीर संकट !- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
    बिहार में नीतीश सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिससे आम जनता त्रस्त है। विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त अनियमितताएं और शिकायतों पर धीमी कार्रवाई ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। प्रमुख क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के उदाहरण: खनन क्षेत्र में अवैध उगाही: बिहार में अवैध खनन एक बड़ी समस्या है। बालू, गिट्टी और पत्थर के अवैध खनन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसमें अधिकारी, ठेकेदार और बिचौलिए सभी शामिल होते हैं। अक्सर देखा जाता है कि अवैध खनन की शिकायतें होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, या अगर होती भी है तो खानापूर्ति मात्र। इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता है और पर्यावरण को भी क्षति पहुंचती है। मद्य निषेध में विफलता और भ्रष्टाचार: बिहार में शराबबंदी लागू है, लेकिन यह अपने साथ भ्रष्टाचार का एक नया द्वार खोल गई है। अवैध शराब की बिक्री और तस्करी खुलेआम जारी है, जिसमें पुलिस और उत्पाद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की शिकायतें आम हैं। जगह-जगह छापे पड़ते हैं, लेकिन असली गुनहगार अक्सर बच निकलते हैं। शराबबंदी के बावजूद लोगों को आसान...

हमारे सामुदायिक भवन पर अवैध कब्जा: न्याय की पुकार!

Image
     नमस्ते ! मनोहरपुर कछुआरा और संपतचक के मेरे प्यारे निवासियों! मैं, शशिकला देवी, वार्ड पार्षद (वार्ड नं-07), ग्राम-मनोहरपुर, कछुआरा, आज एक ऐसे मुद्दे पर बात करने आई हूँ जो हम सभी को प्रभावित करता है – हमारे अपने सरकारी सामुदायिक भवन का कुप्रबंधन और उस पर अवैध कब्जा. यह बात हम सभी जानते हैं कि हमारे गांव में एक सरकारी सामुदायिक भवन है, जिसे हमारे सामूहिक उपयोग, आयोजनों और कल्याण के लिए बनाया गया था. लेकिन, पिछले कुछ समय से यह भवन कुछ व्यक्तियों के अवैध कब्जे और उनके गलत इरादों का शिकार हो गया है. क्या हो रहा है? कुछ व्यक्तियों (जिनमें मनोज  कुमार, चंदन कुमार, उपेंद्र कुमार, श्याम मोहन प्रसाद और श्री गणेश जी शामिल हैं) ने मिलकर एक अवैध प्रबंधन समिति बना ली है. ये लोग न केवल भवन पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा जमाए हुए हैं, बल्कि भवन से होने वाली आय का भी अपनी मर्जी से इस्तेमाल कर रहे हैं – और दुर्भाग्य से, यह इस्तेमाल हमारे समुदाय के भले के लिए नहीं, बल्कि व्यक्तिगत लाभ के लिए हो रहा है! हमने क्या किया? हमने चुप नहीं बैठे! मैंने और हमारे समुदाय के कई जागरूक नागरिकों ने ...

हृदय विदारक: दहेज लोभियों की भेंट चढ़ी 24 वर्षीया खुशी राज, मेरे चचेरे मामा की इकलौती बेटी की मौत से परिवार सदमे में !😢- प्रसिद्ध यादव।

Image
  पटना सिटी के खाजेकलां थाना क्षेत्र में एक 24 वर्षीया विवाहिता खुशी राज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। खाजेकलां पुलिस ने सोमवार तड़के लगभग साढ़े चार बजे खुशी की लाश उसके ससुराल से बरामद की। यह खबर पुनपुन प्रखंड के नीमा बैसा स्थित उसके मूल निवास पर पहुंचते ही मातम छा गया। मृतका के पिता महेश कुमार, जो कभी हमारे साथ बचपन में खेला करते थे और LIC एजेंट के रूप में अपना जीवन संवार रहे थे, अपनी इकलौती बेटी को खोकर गहरे सदमे में हैं। पुनपुन की पूर्व मुखिया रहीं पुनपुन मुखिया की बहू और महेश कुमार की बेटी खुशी राज की शादी वर्ष 2023 में सचिवालय में कार्यरत हर्ष कुमार यादव से हुई थी।  महेश ने अपनी बेटी को बड़े लाड़-प्यार से पढ़ा-लिखाकर धूमधाम से शादी की थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पुलिस का कहना है कि विवाहिता की मौत किन परिस्थितियों में हुई है, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एफएसएल की टीम की जांच से ही स्पष्ट होगा। हालांकि, मृतका के पिता महेश कुमार ने दहेज प्रताड़ना में बेटी की हत्या की आशंका जताई है। पुलिस ने महेश कुमार के दामाद हर्ष कुमार यादव को हिरासत में ले लिया है ...

नीतीश सरकार के 12 वर्षों में10 पेपर लीक ! कुछ बोलिये जनाब!

Image
  अब इसे डबल इंजन ,गुड गवर्नेंस कहें तो बैड गवर्नेंस किसे कहा जाये ? पेपर लीक से सबसे अधिक प्रभावित मेधावी छात्र हुए हैं और रसूख तथा लक्ष्मी पुत्र अयोग्य होते हुए सेट हो गये। प्रमुख पेपर लीक मामले (तथ्यों के साथ): NEET UG 2024: यह परीक्षा 5 मई, 2024 को आयोजित हुई थी। परीक्षा के बाद पेपर लीक और कुछ उम्मीदवारों के नंबर बढ़ाने के आरोप लगे। छात्रों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसके बाद संशोधित रिजल्ट जारी किया गया। इस मामले में बिहार में पेपर लीक माफिया की संलिप्तता सामने आई और कई गिरफ्तारियां हुईं। नीट यूजी 2024 पेपर लीक मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने कई लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें संजीव मुखिया गैंग का नाम भी सामने आया है। UGC NET 2024: यह परीक्षा 18 जून, 2024 को आयोजित हुई थी। अगले ही दिन, 19 जून को शिक्षा मंत्रालय ने इसे रद्द कर दिया, क्योंकि पेपर डार्कनेट पर लीक हो गया था और टेलीग्राम के माध्यम से फैलाया गया था। परीक्षा की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इसे रद्द कर दोबारा आयोजित करने का निर्णय लिया गया। BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग) परीक्षाएं: 70...

श्री राम जानकी देव लोक धाम मंदिर में 24 घंटे का अखंड कीर्तन: प्रेम और सद्भाव का महापर्व!

Image
  श्री राम जानकी देव लोक धाम मंदिर, श्री राम जानकी चौक, बाबूचक खगौल रोड में मनोविनोद नारायण कल्याण ट्रस्ट के तत्वावधान में अपने वार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य में 24 घंटे के अखंड कीर्तन का दिव्य आयोजन कर रहा है। यह उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रेम, सद्भाव और सांस्कृतिक एकता का एक अनूठा संगम है। कार्यक्रम विवरण: 19 जून 2025: पूर्वाह्न 10:30 बजे से मंडप पूजन और दोपहर 12:15 बजे से अखंड कीर्तन का शुभारंभ होगा। 20 जून 2025: दोपहर 12:15 बजे अखंड कीर्तन का समापन, जिसके बाद पूर्णाहुति, आरती और एक भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन हमें भगवान श्री राम और माता जानकी के पवित्र नाम का निरंतर जाप करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार होगा। ट्रस्ट की सेवा भावना: मनोविनोद नारायण कल्याण ट्रस्ट समाज सेवा के कई पुनीत कार्यों में संलग्न है: निःशुल्क विवाह: यह ट्रस्ट गरीब वर-वधू के लिए निःशुल्क शादी-ब्याह की व्यवस्था करता है, और इस मंदिर में अब तक सैकड़ों शादियां संपन्न हुई हैं, जो सामाजिक समरसता का एक अद्भुत उदाहरण है। निःशुल्क शिक्षा: ट्रस्ट ...

क्या आपकी कलम में है वो धार जिसकी आपको तलाश है?प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
 विज्ञापन! क्या आपके पास बेहतरीन विचार हैं, लेकिन जब उन्हें कागज़ पर उतारने की बात आती है, तो शब्दों की माला बिखर जाती है? क्या व्याकरण की त्रुटियां और वाक्य विन्यास की गलतियां आपकी कहानियों, आत्मकथाओं या किसी भी लेखन के प्रवाह को बाधित कर देती हैं? अगर आप उपमा अलंकारों का सुंदर प्रयोग करना चाहते हैं, महान कवियों और लेखकों को उद्धृत करना चाहते हैं, और अपने विचारों को तार्किक व तथ्यात्मक रूप से प्रस्तुत करना चाहते हैं, तो आपको निरंतर अभ्यास और एक विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी। प्रसिद्ध कुमार: आपकी कहानियों को दें शब्दों का सशक्त रूप! मैं, प्रोफेसर प्रसिद्ध कुमार, आपकी लेखन संबंधी सभी चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करता हूँ। चाहे आप अपनी कहानी, आत्मकथा, जीवनी , राजनीतिक कॉन्टेंट ,विज्ञापन आलेख,पुस्तक समीक्षा या किसी भी अन्य विषय को कलमबद्ध करवाना चाहते हों, मैं आपकी सहायता के लिए तैयार हूँ। व्याकरण और वाक्य विन्यास की त्रुटियों से मुक्त, सुसंगठित और प्रभावशाली लेखन मेरा वादा है। क्यों चुनें मेरी सेवाएँ? व्याकरण और वाक्य विन्यास में शुद्धता: आपके लेखन को त्रुटिहीन बनाने की मेरी व...

शेखपुरा: हाथ काटने की सज़ा पर अदालत का ऐतिहासिक फ़ैसला!

Image
         शेखपुरा, बिहार: 16 जून 2025 को बिहार के शेखपुरा में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया, जहाँ एक अदालत ने 'शोले' फिल्म के गब्बर सिंह की तर्ज पर एक व्यक्ति के दोनों हाथ काटने के आरोप में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले को अपराधियों के लिए एक कड़ी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। क्या था मामला? यह खौफनाक घटना 16 नवंबर 2023 की है। शेखपुरा के कारे गांव में बबलू यादव अपने खेत में पटवन कर रहे थे, तभी दानी यादव और मनीष यादव ने उनके दोनों हाथ काट दिए। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि आरोपियों ने कटे हुए हाथों को भी अपने साथ ले जाकर फेंक दिया, ताकि बबलू को किसी भी तरह का मेडिकल उपचार न मिल पाए। न्याय की लंबी लड़ाई इस मामले में बबलू के पिता राजेंद्र प्रसाद यादव ने मनीष यादव और दानी यादव सहित 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोपियों ने पुलिस से बचने के लिए पटना उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने पुलिस को 3 महीने के भीतर जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा, उच्च ...

राज किशोर गुप्ता 'बबलू' पंचतत्व में विलीन: एक मर्माहत विदाई !😢😢-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
  आज खगौल ने एक प्रिय शख्सियत को नम आँखों से अंतिम विदाई दी. राज किशोर गुप्ता 'बबलू' जी दीघा के जनार्दन घाट पर गंगा नदी के तट पर पंचतत्व में विलीन हो गए. यह क्षण संत कबीर दास जी के अमर वचनों की याद दिला गया: "क्या लेकर तू आया बन्दे, क्या लेकर तू जायेगा?" वास्तव में, जीवन की क्षणभंगुरता और नश्वरता को इससे बेहतर और कोई पंक्ति व्यक्त नहीं कर सकती. बबलू जी के अंतिम दर्शन के लिए खगौल के गणमान्य व्यक्तियों, कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा. हर आँख में उनके जाने का ग़म और उनके प्रति गहरा सम्मान साफ झलक रहा था. सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम, सामाजिक कार्यकर्ता चंदू प्रिन्स, मोहम्मद शाहनवाज उर्फ रिंकू, वार्ड पार्षद पिंटू कुमार, भरत पोद्दार, गोपी कुमार, चंद्रशेखर कुमार उर्फ गुड्डू, अरुण कुमार सिन्हा उर्फ छोटू, रंजन कुमार सिन्हा, सुजीत कुमार सिन्हा, और अर्जुन प्रसाद गुप्ता सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस दुःखद घड़ी में उपस्थित थे. बबलू जी ने जीवन में जो भी कार्य किए, जो संबंध बनाए, और जो प्रेम अर्जित किया, वही उनकी सच्ची पूँजी है. कबीर दास जी ने हमें सिखाया कि ...

लालू प्रसाद यादव पर अंबेडकर के अपमान का आरोप बेबुनियाद: -प्रो प्रसिद्ध कुमार।

Image
    बेबाक बोल ! पटना ,राष्ट्रीय जनता दल  के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अपमान का आरोप लगाने वाले विरोधियों को   प्रो प्रसिद्ध कुमार ने करारा जवाब दिया है।  उनका कहना है कि लालू यादव आजीवन वंचितों और पिछड़ों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे हैं, और उन पर इस तरह के आरोप लगाना बेबुनियाद और राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई थी जिसमें लालू यादव एक कुर्सी पर पैर रखकर बैठे दिख रहे हैं और उनके पैरों के पास बाबा साहेब की तस्वीर रखी हुई है। इसी तस्वीर को आधार बनाकर भाजपा, जदयू और आरएसएस जैसे संगठनों ने लालू यादव पर अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया था। "लालू यादव वंचितों के सच्चे पैरोकार" प्रसिद्ध कुमार का कहना है कि लालू यादव ने ही बाबा साहेब के विचारों को आगे बढ़ाया और वंचितों के हक-हकूक की लड़ाई लड़ी। उनका दावा है कि अगर लालू यादव अंबेडकरवादी नहीं होते, तो आज भी समाज के निचले तबके के लोगों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता। इन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लालू यादव उस समय से बाबा साहेब के...