भारतीय संविधान का मूल दर्शन को जानें !
भारतीय संविधान का मूल दर्शन उन सिद्धांतों और आदर्शों पर आधारित है जिन पर हमारे राष्ट्र की नींव टिकी हुई है। ये सिद्धांत संविधान सभा की महान दूरदर्शिता और भारत की जनता की आकांक्षाओं का प्रतीक हैं। संविधान की प्रस्तावना (Preamble) इन मूल दर्शनों का सार प्रस्तुत करती है, जो पूरे संविधान में निहित विभिन्न प्रावधानों में परिलक्षित होते हैं। संविधान सभा के शक्ति स्रोत जनता में निहित भारतीय संविधान की सबसे मौलिक विशेषता यह है कि इसकी शक्ति का स्रोत भारत की जनता में निहित है। संविधान की प्रस्तावना "हम भारत के लोग" (We, the People of India) शब्दों से शुरू होती है, जो स्पष्ट रूप से घोषणा करता है कि संविधान को किसी राजा, किसी बाहरी शक्ति, या किसी विशिष्ट समूह द्वारा नहीं, बल्कि स्वयं भारत के लोगों द्वारा अधिनियमित, अंगीकृत और आत्मार्पित किया गया है। यह लोकप्रिय संप्रभुता (Popular Sovereignty) के सिद्धांत को स्थापित करता है, जिसका अर्थ है कि सरकार की सभी शक्ति अंततः लोगों से ही निकलती है। संविधान सभा के उद्देश्य संविधान सभा ने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करने का लक्ष्य रखा जो अपन...