स्वत: संज्ञान (Suo Motu ) को जानें!- प्रसिद्ध यादव।

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 तहत हाई कोर्ट जन हित से जुड़े मुद्दे में स्वत: संज्ञान को जानें। जब कोर्ट अपने आप किसी बात या घटना पर संज्ञान लेती है तो उसे स्वत: संज्ञान (Suo Motu Cognizance) कहते है. स्वत: संज्ञान का जिक्र CrPC की धारा 190(1)(c) में किया गया है. इस धारा में बताया गया है की पुलिस अधिकारी के अलावा किसी और से प्राप्त सूचना या स्वयं प्राप्त जानकारी से अगर कोर्ट कार्रवाई करती है तो उसे स्वत: संज्ञान कहा जाएगा. संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 तहत हाई कोर्ट जन हित से जुड़े मुद्दे में स्वत: संज्ञान ले सकती है. जब कोर्ट को पुलिस के अलावा किसी और से या खुद से कोई जानकारी मिलती है तो वह उस मामले की जांच पुलिस से करवाती है. पुलिस उस मामले की जांच करती है और दोषी को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करती है जिसके बाद कोर्ट उस पर कानूनी कार्रवाई करती है. जिला कोर्ट सिर्फ आपराधिक मामलों (Criminal Cases) का ही स्वत: संज्ञान करती है, क्योंकि सिवल केस में दो या दो से अधिक पक्षों में विवाद होता ह...