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Showing posts from August, 2025

बिहार से रोजगार के लिए पलायन: एक गंभीर समस्या !- प्रो प्रसिद्ध कुमार, अर्थशास्त्र विभाग।

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   ​बिहार, एक ऐसा राज्य जहाँ की धरती उपजाऊ है, लोग मेहनती हैं और जहाँ का इतिहास गौरवशाली है। लेकिन आज इस राज्य की पहचान एक 'श्रम आपूर्ति राज्य' के रूप में हो गई है। बिहार से रोज़गार के लिए पलायन एक ऐसी गंभीर समस्या है जो विकास के सभी दावों की पोल खोल देती है। ​बदहाल बिहार: विकास के दावों की हकीकत ​जब भी कोई दिल्ली, मुंबई या पंजाब की ओर जाने वाली ट्रेन को देखता है, तो उसकी सामान्य बोगी में जानवरों की तरह ठसाठस भरे हुए मजदूर दिखते हैं। ये मजदूर कोई और नहीं, बल्कि हमारे ही बिहारी भाई हैं, जो अपने घर से दूर, दूसरे राज्यों में सम्मानजनक जीवन और दो वक़्त की रोटी की तलाश में जा रहे हैं। ​सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं, विकास की गंगा बहाने की बात करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। खेतों में मुनाफा घट रहा है, और नक़द आमदनी का कोई जरिया नहीं है। नतीजतन, लोग अपने परिवार को पालने के लिए दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं। ​पलायन के प्रमुख कारण ​रोजगार के अवसरों की कमी: बिहार में औद्योगीकरण की कमी के कारण रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं हैं। बड़े कारखाने और उद्योग न होने के कारण यहाँ के यु...

फुलवारी - दानापुर से हजारों लोग 1 सितंबर को पटना वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होंगे। -प्रसिद्ध यादव।

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     फुलवारी में श्रवण व दीपक मांझी तथा दानपुर में दीनानाथ यादव व खगौल में नवाब आलम के नेतृत्व में पहुंचेंगे। बिहार में चल रही वोटर अधिकार यात्रा का समापन 1 सितंबर को पटना  में होगा। गया से इंडिया गठबंधन के हजारों कार्यकर्ता और समर्थक इस महारैली में शामिल होंगे। इस गठबंधन में कांग्रेस, राजद, सीपीआई, सीपीआई (एम), माले और वीआईपी पार्टी शामिल हैं। यह यात्रा 17 अगस्त से चल रही है। इसका नेतृत्व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कर रहे हैं। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी इस यात्रा का हिस्सा हैं। गांधी मैदान की महारैली में इंडिया गठबंधन के सभी प्रमुख नेता मौजूद रहेंगे।  फुलवारी राजद के अध्यक्ष श्रवण यादव ,  एम्स गोलंबर से सुबह 8 बजे पटना के लिए रवाना होंगे। माले ,सीपीआई के नेता भी रहेंगे। विभिन्न प्रकोष्ठों के नेता इस रैली की तैयारियों में जुटे हैं।  युवा कांग्रेस, एनएसयूआई, सेवादल, किसान कांग्रेस, महिला कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी तैयारियों में शामिल हैं।  दानापुर से राजद नेता दीनानाथ यादव के नेतृत्व में ,खगौल से अधिवक्ता ,राजद ने...

भारत में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता ! बिहार में उच्च शिक्षा में 55 छात्रों पर एक शिक्षक !

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     ​भारत में उच्च शिक्षा का विस्तार तो हुआ है, लेकिन गुणवत्ता के मोर्चे पर अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में से, 68% विश्वविद्यालयों और 91% कॉलेजों को "औसत" या "औसत से कम" दर्जा दिया गया है। इसका मुख्य कारण अनुसंधान क्षमताओं की कमी, योग्य शिक्षकों की कमी और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों से जुड़ा है। फिर भी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 जैसी पहलें और प्रधानमंत्री अनुसंधान फैलोशिप जैसे कार्यक्रम गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित हैं। ​छात्र-शिक्षक अनुपात ​भारत में उच्च शिक्षा में छात्र-शिक्षक अनुपात 23:1 पर स्थिर बना हुआ है। हालांकि यह एक औसत आंकड़ा है और विभिन्न शिक्षण संस्थानों में काफी भिन्नता हो सकती है। समग्र शिक्षा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने 1:30 का अनुपात रखने की सिफारिश की है। ​बिहार के संदर्भ में ​बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति चिंताजनक मानी जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 51% छात्रों का मानना था कि बिहार में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बेहद खराब है और 29% ने इस...

भारत की आर्थिक वृद्धि दर और सामाजिक विकास पर एक रिपोर्ट! -प्रो प्रसिद्ध कुमार, अर्थशास्त्र विभाग।

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   ​भारत की जीडीपी वृद्धि दर ​भारत की अर्थव्यवस्था ने हाल के वर्षों में मजबूत वृद्धि दिखाई है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की जीडीपी में 7.8% की वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही की 6.5% की वृद्धि से काफी अधिक है। विभिन्न एजेंसियों ने भी भारत के लिए सकारात्मक वृद्धि का अनुमान लगाया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5% की वृद्धि का अनुमान लगाया है। ​विकास दर लक्ष्य ​भारत सरकार ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए अर्थव्यवस्था को $30 ट्रिलियन तक पहुंचाना होगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को लगातार 8% की आर्थिक वृद्धि दर बनाए रखने की आवश्यकता है। वर्तमान वृद्धि दर इस लक्ष्य के करीब है, लेकिन इसे बनाए रखना एक चुनौती है। ​शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में उपलब्धियां और चुनौतियां ​भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कई चुनौतियां भी अभी मौजूद हैं। ​शिक्षा ​उपलब्धियां: ​सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में स्कूल...

बिहार सरकार ने 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' को दी मंजूरी ! पहले चरण में मिलेंगे 10,000 रुपये !

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    इस योजना के तहत, जैसा कि आपने बताया, हर परिवार की एक महिला को अपना रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। ​खबर के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं: ​योजना का नाम: मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना। ​आर्थिक सहायता: पहले चरण में 10,000 रुपये की पहली किस्त दी जाएगी। छह महीने बाद काम का आकलन करने पर जरूरत के हिसाब से 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता दी जा सकती है। ​लाभार्थियों के लिए: बिहार के हर परिवार की एक महिला को इस योजना का लाभ मिलेगा। ​आवेदन प्रक्रिया: इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन जल्द ही शुरू किए जाएंगे। ​आवश्यक दस्तावेज़: आवेदन के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, इनकम सर्टिफिकेट, आवासीय प्रमाण पत्र और बैंक अकाउंट जैसे दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी। ​कार्यान्वयन: यह योजना ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित की जाएगी।

​मनुष्य का धर्म: अच्छा संवाद !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    यह पोस्ट उन पढ़े लिखे लोगों के लिए ही ज्यादा है, जो ऊंचे ओहदे पर होते हुए एक दूसरे से बदतजमी से बात करते हैं, व्यवहार करते हैं। ऐसे लोगों को अक्ल कभी आने वाला नही है।  ​आज की दुनिया में, जहाँ हर कोई अपने विचार व्यक्त करना चाहता है, संवाद का महत्व और भी बढ़ गया है। लेकिन क्या हम सही तरीके से संवाद कर रहे हैं? ​सोशल मीडिया पर अक्सर हम देखते हैं कि लोग अपने निजी जीवन से जुड़ी बातें इस तरह शेयर करते हैं, जो दूसरों के लिए आपत्तिजनक या अपमानजनक हो सकती हैं। यह वह संवाद नहीं है, जिसकी हमें ज़रूरत है। ​पुराने समय में, जब अख़बारों और पत्रिकाओं में कार्टून, व्यंग्य और चुटकुले छपते थे, वे न सिर्फ़ हास्य पैदा करते थे, बल्कि परिवार और समाज से जुड़े होते थे। उनका मक़सद किसी को ठेस पहुँचाना नहीं, बल्कि चेहरे पर मुस्कान लाना था। प्रिंट मीडिया आज भी इस धर्म का पालन कर रहा है। ​आइए, संवाद के कुछ उदाहरणों से समझते हैं कि अच्छा संवाद क्या होता है: ​व्यक्तिगत बातचीत: मान लीजिए, आपके दोस्त ने एक ग़लती की है। आप उसे सबके सामने शर्मिंदा करने के बजाय अकेले में समझाते हैं। यह संवाद का सही तरीक़...

भाजपा द्वारा पटना कॉंग्रेस मुख्यालय पर हमला : एक राजनीतिक विश्लेषण!😢😢- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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   लोकतंत्र पर भारी पड़ता लाठी तंत्र ! रामराज्य व बुद्ध की दुहाई देने वाले हो गये नंगे। ​परिचय ​पटना में हुई एक घटना को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता एजाज अहमद ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं ने मंत्रियों की मौजूदगी में कांग्रेस मुख्यालय, सदाकत आश्रम, में तोड़फोड़ और मारपीट की। इस घटना को एजाज अहमद ने लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक खतरा बताया है। ​घटना का विवरण ​एजाज अहमद के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब बिहार में कांग्रेस और राजद द्वारा आयोजित 'वोटर अधिकार यात्रा' को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा था। उनका कहना है कि इस यात्रा की सफलता से भाजपा बौखला गई और इसी बौखलाहट में उसने कांग्रेस मुख्यालय में घुसकर तोड़फोड़ और मारपीट की। वहीं कॉंग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि दरभंगा में महागठबंधन के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी  इन्हीं (भाजपा) के एजेंट ने की है। वे केवल मुद्दा बनाना चाहते हैं ताकि हमारी (वोटर अधिकार)यात्रा से ध्यान भटका सकें। इनकी चोरी पकड...

दुखद दास्ताँ: बाबूचक का वो मनहूस दिन!

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    अंतिम पायदान के मुशहर समाज के   दीपक मांझी ,साधु मांझी और श्री भगवान मांझी  विकट स्थिति में डटे रहे! ​बाबूचक गाँव, 27 अगस्त, 2025। दिन सामान्य था, सूरज अपनी दिनचर्या पूरी कर ढल रहा था। शाम होते-होते, गाँव में एक भयानक मातम पसर गया। मधु राय के घर से आती चीख-पुकार ने पूरे गाँव को हिलाकर रख दिया। हर कोई बदहवास होकर उस ओर दौड़ा। पता चला कि उनके तीन मासूम पोते—आयुष (12), बजरंगी (10), और पंकज (8)—खेत में भरे पानी के एक गहरे गड्ढे में डूब गए थे। ​बच्चों को ढूंढने की जद्दोजहद शुरू हुई। गाँव के लोग, पुलिस, हर कोई कोशिश में लगा था। कुछ ने हिम्मत करके पानी में छलांग भी लगाई, पर 15 फुट गहरे गड्ढे में अंधेरा और पानी का दबाव उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर रहा था। चारों ओर मायूसी छा गई थी, जब तक कि दो नाम सामने नहीं आए: साधु मांझी और श्री भगवान मांझी। ​ये दोनों, पास के ही गोरगावा बड़ी मुशहरी के निवासी थे। समाज की नजरों में भले ही वे 'अंतिम पायदान' पर खड़े थे, फटेहाल जीवन जीने को मजबूर, पर उनके अंदर का जज्बा और हिम्मत किसी से कम नहीं थी। बिना कुछ सोचे, रात के अंधेरे और गहरे...

​बाबूचक का काला दिन 27 अगस्त !60 साल बाद फिर ।😢😢-प्रसिद्ध यादव।

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    ​बाबूचक गाँव में 27 अगस्त की तारीख जब भी आती, तो गाँव वालों के मन में एक गहरा दर्द उभर आता। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि 60 साल पहले लिखी गई एक दुखद कहानी की याद थी। 27 अगस्त, 1965 को इसी गाँव के लाल जय गोविंद प्रसाद यादव ने जम्मू-कश्मीर की सरहदों पर देश की रक्षा करते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। उनकी शहादत की याद आज भी गाँव के हर दिल में ज़िंदा है। ​लेकिन 60 साल बाद, नियति ने फिर से उसी तारीख को गाँव पर एक और कहर ढाया। इस बार, मौत की वजह कोई जंग नहीं, बल्कि इंसान की लापरवाही थी। 27 अगस्त, 2025 को गाँव का माहौल बिलकुल सामान्य था। लेकिन  शाम होते-होते, गाँव में मातम पसर गया। मधु राय के घर से चीख-पुकार की आवाजें आने लगीं। पता चला कि उनके तीन मासूम पोते, आयुष (12), बजरंगी (10), और पंकज (8), खेत में भरे पानी में डूब गए थे। ​गाँव वालों की दौड़-भाग और पुलिस की मदद के बाद जब तीनों बच्चों के शव घर लाए गए, तो पूरे गाँव में कोहराम मच गया। घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई थी, लेकिन सभी की आंखें नम थीं। सुजीत और सोनू कुमार की जिंदगी में तो जैसे अंधेरा छा गया था। अपने बच्चों को...

बाबूचक में सूर्योदय एक सन्नाटा व मातम के साथ हुआ !-प्रसिद्ध यादव।😢😢 फॉलो अप ख़बर।

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     सूर्य का उदय तो आज भी बाबूचक में हुआ, लेकिन एक सन्नाटा और मातम लिए हुए। प्रतिदिन मंदिर में गूंजने वाला लाउडस्पीकर भी खामोश था और मंदिर की घंटियों की आवाज़ भी नहीं सुनाई दी। पूरे गांव में सिर्फ एक ही चर्चा थी, और वो थी तीन मासूमों की असमय मृत्यु। ​मधु राय, जिन्होंने अपनी आँखों के सामने अपने कलेजे के टुकड़ों को खो दिया था, रात में ही अपने हाथों से तीनों पोतों के शवों को गंगा में प्रवाहित कर घर लौटे थे। घर तो वही था, लेकिन बच्चों की चहचहाहट और खिलखिलाहट की जगह एक गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था। ​सफेद धोती और उतरी पहने, हाथ में चाकू लिए मधु राय अपने घर के आगे नित्य दिन की तरह गाय-भैंसों को चारा डलवा रहे थे। उनके चेहरे पर दुख की कोई लहर नहीं थी, मानो उन्होंने अपने कलेजे को पत्थर कर लिया हो। पोतों के वियोग में उनकी आँखें पथरा गई थीं, और आँसू भी गायब हो गए थे। शायद इस गहरे सदमे ने उनके भीतर के हर भाव को सुन्न कर दिया था। ​सगे-संबंधी और ग्रामीण उन्हें ढांढस बंधा रहे थे, लेकिन शायद इसकी भी ज़रूरत नहीं थी। मधु राय का दर्द इतना गहरा था कि कोई भी सांत्वना उसे कम नहीं कर सकती थी। ​यह ह...

​बाबूचक का वो मनहूस दिन: तीन मासूमों का दर्दनाक अंत!😢😢-प्रसिद्ध यादव।

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    ​पटना के बाबूचक मेरा गांव में आज का दिन दोपहर की धूप हमेशा की तरह तेज थी। घर के आंगन में बच्चों की हंसी गूंज रही थी, लेकिन किसी को क्या पता था कि शाम होते-होते यह हंसी हमेशा के लिए खामोश हो जाएगी। ​मधु राय के तीन पोते, 12 साल का आयुष, 10 साल का बजरंगी और 8 साल का पंकज, अक्सर एक साथ खेलते और मस्ती करते थे। उस दिन भी वे खेलने निकले, लेकिन घर से कुछ दूरी पर एक खेत में बने पानी से भरे गड्ढे ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया। यह गड्ढा अवैध मिट्टी खनन से बना था, जो अब एक खामोश जल समाधि बन चुका था। तीनों मासूमों को क्या पता था कि यह पानी उनके लिए मौत का कुआँ बन जाएगा। ​शाम को जब उन्हें ट्यूशन पढ़ाने के लिए टीचर आए, तो घर में उनकी खोजबीन शुरू हुई। एक चरवाहे ने बताया कि उसने बच्चों को उसी गड्ढे में नहाते देखा था। यह सुनते ही पूरे परिवार के दिल की धड़कनें तेज हो गईं। जब परिजन उस गड्ढे के पास पहुंचे, तो किनारे पर रखे उनके कपड़े मिले। कपड़ों को देखकर मधु राय वहीं छाती पीटकर रोने लगे, "बजरंगिया रे! बजरंगिया! आयुष हो! आयुष! पंकज हो पंकज!" उनकी चीख पुकार से पूरा माहौल गमगीन हो गया। ​ग्रामीणों...

प्रो. प्रसिद्ध कुमार, राम लखन सिंह यादव कॉलेज के नए एनएसएस समन्वयक नियुक्त !

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​NSS, भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय की एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।   राम लखन सिंह यादव कॉलेज ने प्रो.  प्रसिद्ध कुमार को तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) समन्वयक नियुक्त किया है। वे अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख भी हैं। ​कॉलेज के प्राचार्य, प्रो. सुरेंद्र प्रसाद द्वारा जारी एक नियुक्ति पत्र में, प्रो. कुमार को उनकी नई भूमिका की जानकारी दी गई। इस पद पर उनकी मुख्य जिम्मेदारियों में एनएसएस गतिविधियों, शिविरों की योजना बनाना और उन्हें लागू करना, स्वयंसेवकों का प्रबंधन करना और विश्वविद्यालय एवं क्षेत्रीय एनएसएस प्राधिकरणों के साथ समन्वय स्थापित करना शामिल है। ​प्राचार्य ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रो. कुमार का नेतृत्व और समर्पण कॉलेज की एनएसएस इकाई के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा और उनके मार्गदर्शन में राष्ट्रीय सेवा योजना के लक्ष्यों को प्राप्त किया जाएगा। कॉलेज प्रशासन  एवम  उप प्राचार्य प्रो शिव शंकर साह ,प्रो अनिल कुमार , प्रो घनश्याम चौधरी ,प्रो उस्मानी ,प्रो अरुण कुमार ,प्रो रामजीवन सिंह , प्रो एस एन राय , इंदुभूषण यादव  ने प्रो. प्रस...

*सहकारिता विभाग की योजनाओं का नुक्कड़ नाटक से प्रचार*

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*योजनाओं का लाभ उठाने को किया जागरूक*  सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने स्वयं नुक्कड़ नाटक देखा। *पटना*। सहकारिता विभाग, बिहार सरकार के सौजन्य से आज मंगलवार  को पटना, बिहार की चर्चित रंग संस्था सूत्रधार के कलाकारों द्वारा किसान सहकारिता चौपाल में नुक्कड़ नाटक "सहकारिता का चमत्कार" का प्रदर्शन, पटना  जिला अंतर्गत घोषवरी प्रखंड के कुम्हार पैक्स, त्रिमोहन पैक्स एवं खुसरूपुर प्रखंड के हरदासबीघा पैक्स,  बैकठपुर पैक्स, पालीगंज प्रखंड के मेरा पटोना पैक्स, कटका पैगंबरपुर पैक्स, जम्हारू इमामगंज पैक्स में प्रभावशाली प्रदर्शन किया गया। यह नाटक बिहार कला पुरस्कार से सम्मानित एवं चर्चित निर्देशक नवाब आलम द्वारा निर्देशित है। इसके पूर्व सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने सूत्रधार टीम का नुक्कड़ नाटक स्वयं देखे सराहा और कुछ सुझाव के साथ  टीम को पटना जिला के लिए रवाना किया। मौके पर विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। नुक्कड़ नाटक में खाद्यान्न अधिप्राप्ति योजना, बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण विपणन योजना, सहकारी बैंक, कॉमन सर्विस सेंटर, बिहार राज्य फसल सहायता योजना, मुख्यमंत्री हरित कृषि संयं...

तेजस्वी यादव सीएम की पहली पसंद: महागठबंधन को 126 सीटों के साथ बहुमत का आंकड़ा पार कर सकता है।

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     बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की संयुक्त यात्राओं को लेकर मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों में अलग-अलग राय है। इन यात्राओं का मकसद आगामी विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के पक्ष में माहौल बनाना है। मीडिया में सामने आए कुछ सर्वे और विश्लेषणों के आधार पर स्थिति का आकलन इस प्रकार किया जा सकता है: सर्वेक्षणों के प्रमुख बिंदु महागठबंधन को बढ़त: कुछ प्रमुख ओपिनियन पोल (जैसे पोल ट्रैकर) के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन को बहुमत मिलने की संभावना है। इन सर्वे में महागठबंधन को 126 सीटों के साथ बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए दिखाया गया है, जबकि एनडीए को 112 सीटें मिल सकती हैं। तेजस्वी यादव सीएम की पहली पसंद: कई सर्वेक्षणों में तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे लोकप्रिय चेहरा बनकर उभरे हैं। एक सर्वे के मुताबिक, बिहार के 32.1% मतदाता तेजस्वी यादव को अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि 25% लोगों की पसंद नीतीश कुमार हैं। वोट शेयर: सर्वेक्षणों में महागठबंधन को 44.2% वोट मिलने का अनुमान है, जबकि एनडीए को 42.8% वोट मिल सकते हैं। यह अंतर बहुत कम...

कृतज्ञता का जादू: जीवन को देखने का एक नया नज़रिया

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    क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप किसी को 'धन्यवाद' कहते हैं, तो सिर्फ़ एक शब्द नहीं कहते, बल्कि एक भावना व्यक्त करते हैं? यह भावना है कृतज्ञता - एक ऐसा जादू जो हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। जरा कल्पना कीजिए: एक माली जिसने अपने बगीचे में हर पौधे को सींचा, उसकी देखभाल की और फिर जब उसमें फूल खिले, तो वह उन फूलों की सुंदरता देखकर मुस्कुराया। वह मुस्कुराया क्योंकि उसने अपने परिश्रम का फल देखा, लेकिन वह उन बीजों के लिए भी कृतज्ञ था जिन्होंने उसे यह ख़ूबसूरत बगीचा दिया। हमारी ज़िंदगी भी उस बगीचे की तरह है। हम कड़ी मेहनत करते हैं, लक्ष्य तय करते हैं और उन्हें पाने के लिए दौड़ते हैं। लेकिन इस दौड़ में हम अक्सर उन छोटी-छोटी चीज़ों को भूल जाते हैं जो हमारे जीवन को आसान बनाती हैं। वह कप कॉफ़ी जो हमें सुबह उठकर ताजगी देती है, वह दोस्त जो हमारे दुखों में साथ देता है, या वह सूरज की किरण जो हमें एक नए दिन की शुरुआत का एहसास कराती है। जब हम इन सब के लिए कृतज्ञता महसूस करते हैं, तो हमारे मन में एक शांति का अनुभव होता है। यह शांति हमें बताती है कि हम अकेले नहीं हैं और हमारी सफलता सिर्फ़ हमारी...

बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री के निबंधन में जमीन की प्रकृति में हेराफेरी एक गंभीर समस्या !

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      जिससे राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। भू-माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में कई स्तरों पर लापरवाही और भ्रष्टाचार देखा जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप न सिर्फ सरकार को आर्थिक हानि होती है, बल्कि आम नागरिकों और पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचता है। हेराफेरी का तरीका और उसके परिणाम बिहार में भू-माफिया व्यावसायिक और आवासीय भूमि को कृषि भूमि के रूप में निबंधित कराते हैं। ऐसा करने का मुख्य कारण कृषि भूमि पर स्टाम्प ड्यूटी और निबंधन शुल्क का कम होना है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यावसायिक भूमि का वास्तविक मूल्य ₹50 लाख है, तो उस पर लगने वाला शुल्क ₹3.5 लाख या उससे भी अधिक हो सकता है। इसी भूमि को यदि कृषि भूमि के रूप में दिखाया जाए, तो शुल्क काफी कम हो जाता है, जिससे सरकार को प्रति लेन-देन लाखों रुपये का नुकसान होता है। इस तरह की धोखाधड़ी के कारण केवल राजस्व का नुकसान ही नहीं होता, बल्कि इसके कई अन्य गंभीर परिणाम भी सामने आते हैं: अवैध कॉलोनियों का विकास: कृषि भूमि पर आवासीय भवन बनाए जाते हैं, जिससे अवैध...

​पटना पुलिस: अब आसानी से नए नम्बरों के साथ करें संपर्क!

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  ​फुलवारी: 9031825911 , ​खगौल: 9031825917  ​पटना पुलिस ने आम जनता की सुविधा के लिए अधिकारियों और थानों के नए मोबाइल नंबर जारी किए हैं। अगर आपको कोई आपातकालीन सहायता चाहिए या किसी जानकारी के लिए पुलिस से संपर्क करना हो, तो ये नए नंबर आपके बहुत काम आएंगे। ​ये नंबर आईजी सेंट्रल से लेकर पटना जिले के विभिन्न थानों तक के लिए जारी किए गए हैं। ​नीचे दी गई सूची में अधिकारियों और थानों के नए मोबाइल नंबर दिए गए हैं: ​पटना के महत्वपूर्ण पुलिस अधिकारियों के नए मोबाइल नंबर ​आईजी सेंट्रल: 9031825811 ​एसएसपी पटना: 9031825812 ​एएसपी (मध्य) पटना: 9031825813 ​एएसपी (पूर्वी) पटना: 9031825814 ​एएसपी (पश्चिमी) पटना: 9031825815 ​एएसपी (ग्रामीण) पटना: 9031825816 ​एएसपी (ट्रैफिक) पटना: 9031825817 ​एएसपी (एडमिन) पटना: 9031825818 ​एएसपी (क्राइम) पटना: 9031825819 ​एएसपी (लॉ एंड ऑर्डर) पटना: 9031825820 ​एसडीपीओ-  01 सदर: 9031825821 ​एसडीपीओ-02 सदर: 9031825824 ​एसडीपीओ-01 टाउन: 9031825826 ​एसडीपीओ-02 टाउन: 9031825827 ​एसडीपीओ-01 लॉ एंड ऑर्डर: 9031825828 ​एसडीपीओ-01 सिटी: 9031825829 ​एसडीपीओ-02 सिटी: ...

"इंजीनियर की पत्नी रात भर नोटों को जलाती रही।"- प्रसिद्ध यादव।

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      ​धन का दीपक, भ्रष्टाचार की बाती और कबीर की वाणी ! दानव का हुलिया अब स्मार्ट हो गया है, उसे मेरी नजरों से देखें। ​कबीर कहते हैं, "माटी कहैं कुम्हार सों, तू क्या रौंदै मोय। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय।" पर आज के ज़माने में माटी की भी हैसियत बदल गई है। अब माटी नहीं, नोट बोलते हैं। एक इंजीनियर साहब थे, जिन्होंने जनसेवा का पद पाया था, पर मन में सिर्फ 'लूट-सेवा' ही भरी थी। गिट्टी, बालू, अलकतरा सब डकार गए, पर कहते हैं न, पाप का घड़ा एक दिन भरता है, और जब भरता है तो फूटता भी है। ​आजकल यही हुआ। जब भ्रष्ट कर्मों की जांच की आंच उन तक पहुंची, तो उनकी पत्नी ने अपनी कमाई हुई दौलत को जलाना शुरू कर दिया। रात भर नोटों की होली खेली। घर के शौचालय और बाथरूम के पाइप नोटों की राख से ऐसे जाम हो गए, मानो खुद पाप की गंदगी भी रास्ता खोज रही हो। कबीर ने कहा था, "कबीरा यह तन जात है, सकै तो लेइ बहोरि। नातरि हाथ मलोगा, जैसे बालक छोरि।" पर यहां तो शरीर के साथ-साथ आत्मा भी गल गई, और अंत में सिर्फ राख बची। ​यह कैसा जीवन है? यह कैसी इंजीनियरिंग की पढ़ाई है? जिसने इतना पैसा कमाया कि...

अहंकार की पराकाष्ठा "मुझे आपका वोट नहीं चाहिए " - मंत्री अशोक चौधरी !

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   खुले मंच से जनता को धमकी !विनाश काले विपरीत बुद्धि ! जैसे ही सांसद शांभवी चौधरी संबोधन के लिए पहुंचीं, ग्रामीणों ने हाथों में 'शांभवी वापस जाओ' और 'रोड नहीं तो वोट नहीं' लिखी तख्तियां उठाकर नारेबाजी शुरू कर दी. मंत्री चौधरी गुस्से में एसडीपीओ को निर्देश देते हुए बोले, “इनका फोटो लीजिए और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में कार्रवाई कीजिए.” मंच से सत्ता का रौब दिखाते हुए उन्होंने दोहराया, “मुझे आपका वोट नहीं चाहिए.”   ऐसे में, जब ग्रामीण अपना दर्द बयां करते हैं और बदले में उन्हें धमकी मिलती है, तो यह लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाना है। यह घटना सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि नेताओं के लिए एक सबक है कि जनता अब जागरूक हो चुकी है। ​क्या धमकी देना सही है? ​सार्वजनिक मंच पर जनता को धमकी देना और उनकी शिकायतों को नजरअंदाज करना किसी भी तरह से उचित नहीं है। ऐसे बयानों से जनता का विश्वास सरकार और नेताओं से उठ जाता है। अगर मंत्री अशोक चौधरी ने ग्रामीणों की बात सुनी होती और समाधान का आश्वासन दिया होता, तो शायद स्थिति इतनी खराब नहीं होती। ​लोकतंत्र में जनता मालिक होती है, और नेताओं ...

शिक्षा को अनदेखा करती बिहार सरकार: कब जागेगी? -प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    सुप्रीम कोर्ट का एक हालिया फैसला उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले गुजरात में  संविदा सहायकों के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया है। यह निर्णय पूरे देश के लिए मान्य होगा। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि संविदा पर काम करने वाले सहायक प्रोफेसर भी स्थायी प्रोफेसरों के समान वेतन के हकदार हैं। यह फैसला सिर्फ एक कानूनी जीत नहीं, बल्कि शिक्षा और शिक्षकों के सम्मान को स्थापित करने वाला एक ऐतिहासिक कदम है। कोर्ट ने कहा है, "शिक्षकों को सम्मानजनक पारिश्रमिक न देना ज्ञान के महत्व को कम करता है।" यह बात हर उस राज्य सरकार के लिए एक आईना है जो शिक्षा को सिर्फ एक बोझ मानती है, खासकर बिहार सरकार के लिए। बिहार में वित्तरहित शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों की हालात यही है। पटना उच्च न्यायालय में वित्तरहित कर्मचारियों के कुछ कॉलेज के सुनवाई में पटना उच्च न्यायालय ने इनके पक्ष में फैसला सुनाया था लेकिन ,शिक्षा विरोधी सरकार ने अंतिम समय में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर शिक्षकों व कर्मचारियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। बिहार का ढुलमुल रवैया बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति किसी से छुपी नहीं...

मौजूदा 4-स्तरीय जीएसटी स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) करने का प्रस्ताव ! -प्रो प्रसिद्ध कुमार ,अर्थशास्त्र, विभाग।

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  गब्बर सिंह टैक्स ऐसे ही नही कहा जाता था।4 स्लैब का जीएसटी कुछ  अव्यवहारिक था और लोगों को दुविधा में डाले रखा ।कई सालों तक लोग समझ नहीं पा रहे थे कि उनके कारोबार किस स्लैब में है।अब सरकार की नींद खुली है।     हाल ही में जीएसटी दरों को और आसान बनाने के लिए मंत्रियों के समूह (GoM) ने एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है। इस सिफारिश के तहत, मौजूदा 4-स्तरीय जीएसटी स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर केवल दो स्लैब (5% और 18%) करने का प्रस्ताव है। फिलहाल, यह सिर्फ एक सिफारिश है, जिस पर अभी जीएसटी परिषद (GST Council) को अंतिम फैसला लेना बाकी है। अगर परिषद इसे मंजूरी दे देती है, तो यह जीएसटी प्रणाली में एक बड़ा बदलाव होगा। नया प्रस्तावित जीएसटी स्लैब प्रस्तावित नए स्लैब कुछ इस प्रकार काम करेंगे: 5%: इसमें वे सभी आवश्यक वस्तुएं शामिल होंगी जो फिलहाल 12% के स्लैब में आती हैं। इससे आम आदमी के लिए रोजमर्रा की कई चीजें सस्ती हो जाएंगी, जैसे कपड़े, जूते और कुछ घरेलू सामान। 18%: यह एक स्टैंडर्ड दर होगी जिसमें वे सभी वस्तुएं और सेवाएं शामिल होंगी जो अभी 12% और 28% के स्लैब में आती हैं...

प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध , राजनीतिक प्रतिशोध का 130वां संशोधन विधेयक है !

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   नीतीश ,नायडू अब टस से मस नहीं होंगें। तेजस्वी, स्टालिन, ममता ,अखिलेश , मायावती  नेताओं के गर्दन पर कभी भी तलवार चल सकती है।     "दोषी साबित होने तक निर्दोष" सिद्धांत का उल्लंघन: यह विधेयक भारतीय न्याय प्रणाली के मूल सिद्धांतों में से एक का उल्लंघन करता है। किसी व्यक्ति को केवल आरोप के आधार पर पद से हटाना, बिना किसी न्यायिक निर्णय के, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है। यह राजनीतिक प्रतिशोध का एक उपकरण बन सकता है, जहाँ विरोधियों को झूठे आरोपों में फंसाकर उन्हें पद से हटाया जा सकता है। मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के लिए अलग नियम: विधेयक में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के लिए अलग-अलग नियम हैं, विशेष रूप से तब जब मुख्यमंत्री सलाह देने में विफल रहते हैं। मुख्यमंत्री के पद के लिए स्वतः समाप्ति का प्रावधान और अन्य मंत्रियों के लिए राज्यपाल पर निर्भरता एक असमानता पैदा करती है। यह सवाल उठाता है कि क्या यह प्रावधान सत्ताधारी दल को अपने विरोधियों को कमजोर करने का एक तरीका है। सत्ता केंद्रीकरण की चिंता: आलोचकों का मानना है कि यह विधेयक सत्ता को केंद्र में और...

​संयुक्त परिवार का टूटना और एकल परिवार की चुनौतियाँ !- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    ​हम सबने अपनी-अपनी वैकल्पिक दुनिया रच ली छोटे-छोटे घोंसलों में, लेकिन घोंसले बनाकर हम भूल गए कि कब, कहां, क्यों रचा था यह संसार। यह पंक्ति आज के समाज में बढ़ती एकल परिवार की प्रवृत्ति और संयुक्त परिवारों के विघटन को बखूबी दर्शाती है। ​कभी भारतीय समाज की पहचान माने जाने वाले संयुक्त परिवार, जहां दादा-दादी, चाचा-चाची और भाई-बहन एक छत के नीचे रहते थे, अब एक दुर्लभ दृश्य बन गए हैं। शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता की चाह और आर्थिक मजबूरियों ने लोगों को अपने मूल परिवार से दूर कर दिया है। परिणामतः, एकल परिवारों का चलन बढ़ा है, जहाँ पति, पत्नी और उनके बच्चे ही होते हैं। ​लेकिन क्या ये एकल परिवार हमें वह सुरक्षा, भावनात्मक सहारा और सामाजिक जुड़ाव दे पा रहे हैं, जो संयुक्त परिवार देते थे? जवाब अक्सर 'नहीं' होता है। ​एकल परिवारों की कमियाँ: ​भावनात्मक अलगाव: एकल परिवारों में बच्चे अक्सर अकेले महसूस करते हैं। दादा-दादी की कहानियों और अनुभवों से वंचित, वे अपने बड़ों के ज्ञान और संस्कारों से दूर हो जाते हैं। माता-पिता दोनों के कामकाजी होने पर बच्चों को अक्सर अकेलेपन का...

संविधान का 130वां संशोधन विधेयक: एक विवादित कदम !- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    भारत में राजनीति और कानून के बीच एक नया टकराव सामने आया है, जिसमें संविधान के 130वें संशोधन विधेयक को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है। यह विधेयक गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को उनके पद से हटाने का प्रस्ताव रखता है। जहां सरकार इसे राजनीतिक शुचिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बता रही है, वहीं विपक्षी दल इसे लोकतंत्र और संघवाद पर एक बड़ा हमला करार दे रहे हैं। विधेयक के प्रमुख प्रावधान यह विधेयक उन मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान करता है, जिन पर 5 साल या उससे अधिक की सज़ा वाले गंभीर अपराधों का आरोप है और वे लगातार 30 दिनों से हिरासत में हैं। विधेयक के तहत: प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री: यदि कोई केंद्रीय मंत्री 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे पद से हटा सकते हैं। मुख्यमंत्री और राज्य के मंत्री: यदि कोई राज्य मंत्री 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर उसे हटा सकते हैं। यदि मुख्यमंत्री 30 दिनों के भीतर सलाह नहीं देते हैं, तो मंत्री का पद स्वत...

बढ़ता शहरीकरण: प्रकृति से बढ़ती दूरी !

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    आज दुनिया तेज़ी से शहरीकरण की ओर बढ़ रही है. गाँव शहर बन रहे हैं और शहर महानगर. यह विकास का एक अनिवार्य हिस्सा है, लेकिन इस विकास की कीमत क्या है? हम एक ऐसी दुनिया बना रहे हैं जो आधुनिक सुख-सुविधाओं से तो भरी है, लेकिन प्रकृति और पर्यावरण से दूर होती जा रही है. जिस तरह से हमारे शहर बढ़ रहे हैं, हरियाली का दायरा सिकुड़ रहा है और कंक्रीट के जंगल बढ़ रहे हैं. इसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है. बिगड़ता पर्यावरणीय संतुलन, जलवायु परिवर्तन, और मौसम के चक्र में आ रहे बदलाव के कारण पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की कई प्रजातियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. पर्यावरण का संबंध मानव जीवन से अटूट है. हम सब प्रकृति के ही अंग हैं. अगर प्रकृति स्वस्थ नहीं रहेगी, तो हम भी स्वस्थ नहीं रह सकते. ऐसा लगता है कि विकास की अंधी दौड़ में हमने पर्यावरण को हाशिये पर धकेल दिया है, जबकि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. हमें यह समझना होगा कि सतत विकास का मतलब केवल आर्थिक प्रगति नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा विकास है जो हमारी प्रकृति और भावी पीढ़ियों का भी ध्यान रखे. हमें ऐसे शहर बनाने होंगे जहाँ हरियाली और कंक्रीट, द...

पंचतत्व में विलीन हुई अलका रजक! -प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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       @ जनार्दन घाट ! दीघा ! यह जीवन कागद की पुड़िया, बूंद पड़े गल जाना है। जीवन का सत्य यही है - एक दिन सबको पंचतत्व में विलीन हो जाना है। बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक की जीवनसंगिनी, अलका रजक, भी इसी अंतिम सत्य से रूबरू हुईं और मुक्तिदायनी गंगा के तट पर अपनी अंतिम यात्रा को पूरा किया। पटना के दीघा स्थित जनार्दन घाट पर, जहाँ जेपी सेतु के नीचे पवन गंगा अपने पूरे वेग में बह रही थी, मानो अलका जी को अपनी गोद में लेने के लिए आतुर हो। शाम ढल रही थी, सूर्य अस्ताचल की ओर जा रहा था, और जीवन का एक अध्याय समाप्त हो रहा था। यह दृश्य जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु के अटल सत्य का मूक गवाह था। श्याम रजक ने भारी मन से अपनी जीवनसंगिनी को मुखाग्नि दी, जिसके साथ ही उनका जीवन एकाकी हो गया। आरा गार्डन, जो कभी अलका जी की मौजूदगी से गुलजार रहता था, अब उनकी अनुपस्थिति में वीरान हो गया है। शुभचिंतकों और मित्रों का तांता लगा रहा, जो इस दुखद घड़ी में ढांढस बंधाने के लिए आए थे। पूर्व मंत्री रामकृपाल यादव , मंत्री नीतीश मिश्रा , एमएलसी गुलाम गौस ,राजद नेता बिनु यादव ,श्रवण यादव, पूर्व प्रमुख ...

बेच दी क्यूँ ज़िंदगी दो-चार आने के लिए - ग़ज़ल ,कभी फुर्सत के क्षण में सुनना भी चाहिए।

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     एक दो लम्हा तो रखता मुस्कुराने के लिए दौड़ कर दफ़्तर गए भागे वहाँ से घर गए लंच में फ़ुर्सत नहीं है लंच खाने के लिए किस लिए किस के लिए टट्टू बने हो रात दिन आज भी रोया है बच्चा गोद आने के लिए गाँव में माँ-बाप तुम को याद करते हैं बहुत वक़्त थोड़ा सा निकालो गाँव जाने के लिए कुछ समय घर के लिए भी अब निकालो दोस्तो दिन बहुत थोड़े बचे हैं घर बचाने के लिए स्रोत -वेव 

भावपूर्ण श्रद्धांजलि: अलका वर्मा जी को नमन !😢😢

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         पूर्व मंत्री श्याम रजक जी की जीवनसंगिनी अलका वर्मा जी नहीं रहीं!😢😢     मेरे लिए इस समय शब्दों को ढूंढना मुश्किल हो रहा है। दिल भारी है और मन व्यथित है। श्री श्याम रजक जी की फेसबुक पोस्ट पर यह दुखद समाचार देखकर मन को गहरा आघात लगा है। एक तरफ हमारे क्षेत्र के प्रिय नेता और दूसरी तरफ उनकी जीवनसंगिनी का असमय निधन, यह असहनीय पीड़ा है। आज, जब श्री श्याम रजक जी की पत्नी, हमारी आदरणीय श्रीमती अलका रजक जी, अब हमारे बीच नहीं रहीं, तो एक गहरा शून्य महसूस हो रहा है। अलका जी सिर्फ एक नेता की पत्नी नहीं थीं, बल्कि उनका अपना एक विशिष्ट व्यक्तित्व था। उन्होंने पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में एक वकील भी थीं।। उनकी कानूनी समझ, उनकी तर्कशीलता और समाज के प्रति उनका समर्पण हमेशा प्रेरणादायक रहा है। हमलोगों को भैया ही कहकर संबोधित करती थी। इनके हाथों से श्याम जी के साथ खाने का भी अवसर मिला।  इनकी तबियत खराब होने की पहली बार ख़बर करीब एक साल पहले मिली थी, जब वो राजेश्वरी हॉस्पिटल पटना में भर्ती थी।मैं सुनकर वहां गया था ,इसके बाद इनके बारे में गम्भीरवस...

भारतीय चुनाव आयोग: चुनौतियाँ और आलोचना!- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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   आज देश की प्रतिष्ठित व निर्भीक the Hindu अंग्रेजी अखबार मेंभी  आज Ec को आड़े हाथों लिया है। जब संवैधानिक संस्थाएं सरकार की गिरफ्त में हो , उस देश की व्यवस्था का हाल क्या होगा ? भारतीय चुनाव आयोग  को भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इसकी कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं।  मतदाता सूची में गड़बड़ी चुनाव आयोग की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ी है। बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में कई 'गोस्ट' वोटर्स हैं, यानी ऐसे मतदाता जिनका कोई अस्तित्व नहीं है। यह दावा किया गया कि 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम गायब थे, जबकि 8.07 लाख 'मिसिंग' मतदाता पाए गए। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले की सुनवाई में चुनाव आयोग से मतदाता सूचियों में सुधार और दोहरी प्रविष्टियों को हटाने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा था। प्रवासन (Migration) और दोहरी प्रविष्टियाँ प्रवासी मतदाताओं की समस्या भी एक गंभीर चुनौती है। चुनाव आयोग के अनुसार, प्रवासी म...

जब शिक्षा के मंदिरों में लगे दीमक ! प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    बिहार राज्य के 216 संबद्ध डिग्री कॉलेजों में हुआ खुलासा ! शिक्षा, किसी भी समाज की रीढ़ होती है, और शिक्षण संस्थान उसके मंदिर। लेकिन क्या हो जब इन मंदिरों की आंतरिक व्यवस्था में ही दीमक लग जाए? जब उन संस्थानों के प्रबंधन से ही पारदर्शिता और ईमानदारी गायब हो जाए, तो इसका खामियाजा किसे भुगतना पड़ता है? हाल ही में, बिहार राज्य के 216 संबद्ध डिग्री कॉलेजों में हुआ यह खुलासा इसी बात का ज्वलंत उदाहरण है। इन कॉलेजों ने अपनी आंतरिक आय की राशि में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बिहार सरकार के स्पष्ट आदेश के बावजूद, इन कॉलेजों ने अपनी आंतरिक आय का 70% हिस्सा शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन भुगतान पर खर्च नहीं किया। यह सिर्फ पैसों के लेन-देन की बात नहीं है, यह उस भरोसे की बात है जो एक व्यवस्था पर टिका होता है। जब कॉलेज अपनी आंतरिक आय को छिपाते हैं या उसका दुरुपयोग करते हैं, तो वे न केवल अपने शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रहे होते हैं, बल्कि वे उन छात्रों के भविष्य को भी खतरे में डाल रहे होते हैं, जो इन संस्थानों में एक बेहतर कल की उम्मीद लिए आत...

मानवता के लिए सबसे अधिक उपयोगी है: भगवद् गीता का उपदेश।

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      कर्म योग (निस्वार्थ कर्म),ज्ञान योग (सत्य का ज्ञान),भक्ति योग (पूर्ण समर्पण),धर्म और अधर्म का ज्ञान, संतुलन और वैराग्य आदि। जानें विस्तार से।       श्रीकृष्ण के जीवन का एक ऐसा प्रसंग जो मानवता के लिए सबसे अधिक उपयोगी है, वह है भगवद् गीता का उपदेश। यह प्रसंग महाभारत युद्ध के आरंभ में आता है। जब कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में अर्जुन अपने सामने अपने गुरुओं, भाइयों, और रिश्तेदारों को देखते हैं, तो उनका मन विचलित हो जाता है। वे युद्ध करने से इनकार कर देते हैं और कहते हैं कि वे अपने ही परिजनों को मारकर राज्य नहीं चाहते। इस समय, भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी के रूप में उन्हें जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और गहन उपदेश देते हैं। यह उपदेश न केवल अर्जुन के लिए था, बल्कि यह संपूर्ण मानवता के लिए एक मार्गदर्शक है। भगवद् गीता के उपदेश से मानवता को क्या मिलता है? 1. कर्म योग (निस्वार्थ कर्म): श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करने पर है, उसके फल पर नहीं। यह उपदेश सिखाता है कि हमें अपना कर्तव्य बिना किसी स्वार्थ या फल की इच्छा के करना चाहिए। यह ...