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Showing posts from September, 2025

पटना जिले में 1.73 लाख मतदाता बढ़े: फुलवारीशरीफ में सबसे अधिक वृद्धि

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    पटना  - निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Summary Revision) के प्रकाशन के बाद पटना जिले में मतदाताओं की संख्या में 1.73 लाख की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है। इस वृद्धि के साथ, जिले में कुल मतदाताओं की संख्या अब 25 लाख 40 हजार 363 हो गई है। यह आंकड़ा जिले की चुनावी गतिशीलता को दर्शाता है। मतदाता सूची के महत्वपूर्ण आँकड़े मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद जिले के महत्वपूर्ण आँकड़ों में वृद्धि देखी गई है: विवरण पुराने आँकड़े नए आँकड़े कुल वोटर 23,67,294 25,40,363 पुरुष वोटर 12,71,858 13,57,515 महिला वोटर 10,95,307 11,82,824 ट्रांसजेंडर वोटर 129 24 सर्विस वोटर 8,881 10,813 दिव्यांग वोटर 2,778 3,175 18−19 वर्ष के नए मतदाता जिले में 18−19 वर्ष के आयु वर्ग के युवा मतदाताओं की संख्या में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। कुल 18−19 वर्ष के वोटर: 49,838 पुरुष वोटर: 31,175 महिला वोटर: 18,642 दिव्यांग वोटर: 21 इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जिले में विशेषकर युवा और महिला मतदाताओं ने चुनावी प्रक्रिया में अपना पंजीकरण कराया है, जो लोकतंत्र के लिए एक सकारात्म...

वेतन या टालमटोल? विरहित शिक्षकों को कमिटी के मकड़जाल में उलझाने की सरकारी साजिश! प्रो प्रसिद्ध कुमार Rlsy college, Anisabad.

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    इस नीति के विरोध में मोर्चा ने 03 अक्टूबर 2025 को राज्यव्यापी स्तर पर अधिसूचना की प्रति जलाने का किया  ऐलान !  एक बार फिर, बिहार सरकार ने प्रदेश के विरहित शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ न सिर्फ क्रूर मज़ाक किया है, बल्कि उनके वर्षों पुराने संघर्ष को टालमटोल की राजनीति में उलझाने की खुली कोशिश की है। इन शिक्षकों को अनुदान या सम्मानजनक वेतन देने के सीधे निर्णय के बजाय, सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक 'समीक्षा समिति' के गठन की घोषणा कर दी है। यह निर्णय नहीं, बल्कि साफ तौर पर आंदोलन की धार को कुंद करने और समस्या को अनिश्चितकाल के लिए टाल देने की एक शर्मनाक साज़िश है। कमिटी का मतलब: टालना और भूल जाना क्या सरकार को यह याद दिलाना ज़रूरी है कि 'कमिटी' बनाने का मतलब ही होता है किसी भी संवेदनशील और जटिल मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल देना? क्या अतीत में बनी अनगिनत कमेटियों का लेखा-जोखा सरकार के पास है? कितने प्रतिशत कमेटियाँ वास्तव में सफल हुई हैं? इतिहास गवाह है कि सरकारी मशीनरी में कमेटियों का गठन अक्सर 'हम काम कर रहे हैं' का भ्रम पैदा करने और ज़मीनी...

बाबूचक का दशहरा: जहाँ नाच उठी 'खांटी' लोक-संस्कृति!प्रो - प्रसिद्ध कुमार।

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    पटना जिले के फुलवारी शरीफ में एक ऐसी जगह है, जहाँ हर साल दशहरे की सप्तमी की रात ढलते ही, गाँव की मिट्टी की महक संगीत बनकर हवा में घुल जाती है—यह जगह है बाबूचक। इस वर्ष भी, बाबूचक में दशहरा की सप्तमी तिथि को पूरी रात एक ऐसा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जो आजकल के शोरगुल से अलग, अपनी 'खांटी' (शुद्ध) और सोंधी लोक-संस्कृति के लिए जाना जाता है। संगीत, सुर और मिट्टी की खुशबू यह महज़ कोई कार्यक्रम नहीं था; यह था हमारी जड़ों से जुड़ने का एक उत्सव! जब मुख्य गायक रामजी राय ने अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा, और उनके साथ प्रदीप कुमार, अर्जुन राय, सोहन लाल और अन्य कलाकारों ने सुर मिलाए, तो पंडाल में मौजूद हज़ारों दर्शक झूम उठे। पूरा समाँ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन से बंध गया। नाल पर अरुण कुमार और पप्पू पंडित की संगत ने ऐसी ताल दी कि पैर थिरकने लगे। वहीं, हारमोनियम पर सूत्रधार नाट्य संस्था के भोला सिंह ने अपनी उँगलियों का जादू बिखेर कर महफ़िल को एक नई ऊँचाई दी। भक्ति और लोक-गीतों का ऐसा अद्भुत संगम था कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। जब गायक ने गाया, "कौन रासिकवा देवी के मनावले ये ...

गाँव से वायुसेना मुख्यालय तक: 'नभः स्पृशं दीप्तम्' - एक पिता का स्वाभिमान !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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मेरे लिए आज का दिन वास्तव में गर्व का दिन है। जब मैंने इस तस्वीर को देखा, तो मेरा हृदय आत्म-गौरव से भर उठा। एक गाँव की मिट्टी से निकलकर मेरा छोटा पुत्र, इंजी.आशुतोष कुमार, देश की रक्षा की सर्वोच्च जिम्मेदारी संभालने वाले भारतीय वायु सेना प्रमुख और अन्य वीर अधिकारियों के साथ वायु सेना मुख्यालय, दिल्ली में एयरफोर्स डे के पूर्व चाय पार्टी में शामिल है। यह केवल एक टी पार्टी नहीं, बल्कि एक साधारण भारतीय परिवार के असाधारण सपने के सच होने का प्रमाण है। यह दृश्य भारतीय लोकतंत्र और उसकी सेना की समावेशी भावना को दर्शाता है, जहाँ योग्यता और समर्पण ही सफलता की सीढ़ी है। वायु सेना दिवस: शौर्य और संकल्प का पर्व हम सभी जानते हैं कि भारतीय वायु सेना दिवस (Indian Air Force Day) हर साल 8 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह वह ऐतिहासिक दिन है जब 8 अक्टूबर, 1932 को हमारी वायुसेना की स्थापना हुई थी। यह दिन उन वीर जवानों के साहस, शौर्य और बलिदान को याद करने का अवसर होता है, जो देश की आकाशीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर पल तत्पर रहते हैं। वायु सेना का आदर्श वाक्य 'नभः स्पृशं दीप्तम्' है, जिसका अर्थ है 'ग...

जय माँ विंध्यवासिनी! 🙏

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  पूजा की तैयारी अब हुई आसान! 🙌 क्या आप पटना/बिहटा के आस-पास हैं और अपनी पूजा, हवन या किसी भी अनुष्ठान के लिए पूरी सामग्री एक ही जगह पर, सबसे उचित दाम पर चाहते हैं? तो और कहीं मत जाइए! सीधे आइए 'हुमाद  घर एवं पूजा स्टोर'। ⭐ हमारे यहाँ क्या-क्या मिलेगा? सभी प्रकार की पूजन सामग्री: (धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर, जड़ी-बूटियाँ) हवन सामग्री का सम्पूर्ण सेट देवी-देवताओं के वस्त्र और शृंगार का सामान पवित्र प्रसाद और पैक्ड वस्तुएं और आपकी हर छोटी-बड़ी धार्मिक आवश्यकता! ✅ नोट: हमारे यहाँ सभी सामग्री उचित मूल्य पर उपलब्ध है— क्योंकि भक्ति अमूल्य है, पर सामग्री नहीं! 📍 हमारा पता: रेलवे बुकिंग ऑफिस के सामने, बिहटा (पटना)। 📞 अधिक जानकारी के लिए तुरंत कॉल करें: 9431490075 आज ही पधारें और अपनी पूजा को सफल बनाएं! ✨ #बिहटा #पटना #पूजासामग्री #हवन #बिहार #धार्मिकसामान #जयमाँविंध्यवासिनी # humadgharPujaStore 

🔥 तेजस्वी के लिए हुंकार! फुलवारी में उमड़ा महागठबंधन का 'जनसैलाब' 🔥

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   कल फुलवारी प्रखंड मुख्यालय में एक अख़बार के चौपाल कार्यक्रम का नज़ारा चुनावी मौसम से पहले ही गजब का उत्साह और ऊर्जा दिखा गया! मंच पर बेशक एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के नेता विराजमान थे, लेकिन अगर किसी का जलवा था, तो वह था इंडिया गठबंधन के जमीनी कार्यकर्ताओं का। ऐसा लग रहा था मानो पूरा प्रखंड मुख्यालय लाल और हरे रंग में रंग गया हो! 💥 जोश और जुनून की लहर 💥 चौपाल में दर्शक दीर्घा पूरी तरह से राजद और माले के कार्यकर्ताओं से खचाखच भरी थी। युवा हों या बुजुर्ग, हर कोई तेजस्वी यादव को बिहार के अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखने के लिए अपनी बात पुरजोर तरीके से रख रहा था। उनका यह जोश केवल नारों तक सीमित नहीं था; यह उनके चेहरे, हाव-भाव और बातचीत की आक्रामकता में साफ झलक रहा था। एनडीए के कार्यकर्ता कहीं-कहीं कुछ बोलने की कोशिश कर रहे थे, पर महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के इस अटूट संकल्प के सामने उनकी आवाज़ दबी-दबी सी लग रही थी। बहस इस पर नहीं थी कि कौन उम्मीदवार होगा, बल्कि संकल्प एक ही था: "बिहार का सीएम तेजस्वी यादव!" 🤝 समर्पण का अनूठा नज़ारा 🤝 इस कार्यक्रम की सबसे ख़ास बात थी कार...

शहीद कॉमरेड विजेंद्र प्रसाद: एक मशाल, जो आज भी जल रही है

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   आज, जब पुनपुन प्रखंड के बेहरावा शहीद चौक पर कदम रखे, तो हवा में केवल शांति नहीं थी। 21 साल पहले जिस माटी ने अपने वीर सपूत का लहू पिया था, आज भी वह मिट्टी उस शहीद कॉमरेड विजेंद्र प्रसाद के साहस की कहानी कह रही थी। यह केवल एक शहादत दिवस नहीं था; यह उन सपनों को फिर से जीने का दिन था जिनके लिए उन्होंने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। 21 साल बाद भी नाम अमर है 21वीं स्मृति दिवस पर, जब हमने शहीद के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित किए, तो हर फूल, हर माला एक मूक श्रद्धांजलि थी। भाकपा माले के वरिष्ठ नेता और हमारे प्रेरणास्रोत, कॉमरेड विजेंद्र प्रसाद को याद करते हुए, दो मिनट का मौन पूरी सभा पर छा गया। उस मौन में, हमने उनकी दहाड़ सुनी—वह दहाड़ जो गरीबों के मान-सम्मान के लिए उठी थी, वह दहाड़ जिसने सामंतियों को पुनपुन की धरती से खदेड़कर भगाने का काम किया था। आज, जब स्थानीय विधायक गोपाल रविदास जी सहित अन्य साथियों ने झंडोत्तोलन किया, तो लगा जैसे कॉमरेड का संकल्प हवा में लहरा रहा है। उनकी धर्म पत्नी, मझौला देवी, और पार्टी के अन्य वरिष्ठ साथियों को जब अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया, तो यह केवल उनक...

जीविका दीदियों को मिला ₹10,000: 'वोट गिफ्ट' या ब्याज वाला ऋण? मेरे सवाल पर एनडीए नेता हुए निरुत्तर! -प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    फुलवारी (पटना)। बिहार की राजनीति में इन दिनों एक सवाल खूब गरमा रहा है, जिसने फुलवारी प्रखंड मुख्यालय में आयोजित एक 'प्रभात खबर चौपाल' कार्यक्रम में एनडीए के नेताओं को सकते में डाल दिया। यह सवाल है जीविका दीदियों के बैंक खातों में बिहार सरकार द्वारा हाल ही में डाले गए ₹10,000 को लेकर। क्या यह एक चुनावी 'गिफ्ट' है, या फिर ब्याज सहित वसूली वाला सरकारी ऋण? चौपाल कार्यक्रम में मौजूद रहे पूर्व जदयू विधायक अरुण मांझी (एनडीए) को  मेरे सीधे और चुभते सवाल का सामना करना पड़ा। सवाल जिसने नेताओं को फंसाया प्रो. प्रसिद्ध कुमार ने अरुण मांझी से सीधा पूछा: "बिहार सरकार द्वारा अभी जीविका के खाते में 10-10 हजार रुपये दिए गए हैं। क्या इसे ब्याज सहित सरकार वसूलेगी या फिर यह वोट गिफ्ट है? स्पष्ट करें।" इस सवाल पर अरुण मांझी बुरी तरह फंस गए। उन्होंने जो जवाब दिया, वह तथ्य से परे था। उन्होंने दावा किया कि यह 'वोट गिफ्ट' है और इस पर कोई ऋण या ब्याज वसूली नहीं होगी। सच क्या है? 12% ब्याज का 'लोन'! मैंने  अपने ब्लॉग में स्पष्ट किया है कि एनडीए नेता का यह जवाब पूरी त...

2 जागो जनता जागो ! फुलवारी का 'जवाब-सवाल': वो 5 ज्वलंत मुद्दे, जिन पर जनता मांगेगी हिसाब!- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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आज दोपहर 3 बजे प्रखंड मुख्यालय पर निम्न सवालों को आप रखें। क्या विकास की रोशनी फुलवारी तक पहुंची है? राजधानी पटना से सटा होने के बावजूद, फुलवारी विधानसभा क्षेत्र  आज भी कई बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। चुनाव नजदीक आते ही, स्थानीय जनता अपने जनप्रतिनिधियों से उन सवालों का हिसाब मांगेगी, जो उनके दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं। यहाँ फुलवारी के 5 सबसे बड़े और ज्वलंत मुद्दे हैं, जिन पर हर उम्मीदवार को जनता के सामने स्पष्टीकरण देना होगा: 1. जीविका का 'वोट गिफ्ट' या ब्याज वाला ऋण? बिहार सरकार ने हाल ही में जीविका दीदियों के खाते में ₹10,000 की पहली किस्त भेजी है, जिसे 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के तहत दिया गया है। यह फैसला महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ी पहल है, लेकिन सवाल यह है: जनता का सवाल: बिहार सरकार द्वारा अभी जीविका के खाते में 10-10 हजार रुपये दिए गए हैं। क्या इसे ब्याज सहित सरकार वसूलेगी या फिर यह वोट गिफ्ट है? स्पष्ट करें। तथ्य क्या है? यह राशि ब्याज सहित चुकाने वाला ऋण (Loan) है, न कि सीधा 'गिफ्ट'। यह 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के तहत द...

🛑 1 जागो जनता जागो! 'धृतराष्ट्र' नेताओं से पूछो सीधे सवाल 📢 !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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क्या आपके नेता 'चमचों' और 'चाटुकारों' की मंडली में घिरकर धृतराष्ट्र बन गए हैं? यह कड़वा सच है कि राजनीति में अक्सर नेता अपने आस-पास चापलूसी करने वालों (जिन्हें आप 'चमचा' या 'दलाल' कह सकते हैं) का एक ऐसा 'सुरक्षा घेरा' बना लेते हैं, जो उन्हें ज़मीनी हकीकत से दूर कर देता है। ये चाटुकार उन्हें वही सुनाते हैं जो वे सुनना चाहते हैं, जिससे नेताजी भ्रम में रहते हैं कि सब ठीक है और उनकी जीत निश्चित है। मगर, यह केवल गलतफहमियाँ हैं! ये 'साये' की तरह चिपके रहने वाले लोग अक्सर खुद ही धोखाधड़ी, ठगी और फर्जीवाड़े में लिप्त होते हैं। इनकी यह बुरी संगत ही अंततः राजनेताओं की प्रतिष्ठा और राजनीतिक करियर को ले डूबती है। जब हार सामने आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। समय आ गया है कि जनता चुप न रहे! 🤫 अब आप 'सुनने वाले' नहीं, बल्कि 'सवाल पूछने वाले' बनिए! 🎯 सवाल पूछो, जवाब मांगो: एक जागरूक मतदाता की लिस्ट नेताओं को आमजन की भावनाओं और जमीनी हकीकत से अवगत होना चाहिए। वे जब आपसे वोट मांगने आएं, तो उनकी उपलब्धियों की लंबी-चौड़ी लिस्ट चुपचाप...

नीतीश के राज में 'परिवारवाद' की नई मिसाल? विकास की राह में अपनों का स्वार्थ!

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    परसा-संपतचक रोड विवाद: किसानों की जमीन बनाम मुख्यमंत्री के रिश्तेदार आज की धरना  चीख-चीख कर कह रही है कि बिहार में विकास की परिभाषा बदल गई है। यह अब जनता की भलाई नहीं, बल्कि 'अपनो' के स्वार्थ की पूर्ति है! "नया अलाईनमेंट चेंज करो संघर्ष समिति" के बैनर तले, परसा–संपतचक रोड के चौड़ीकरण को लेकर चल रहे तीन दिवसीय धरने का दूसरा दिन, एक बड़े राजनीतिक घोटाले की गवाही देता है। सत्ता के गलियारों से उठकर ज़मीन पर आए इस विवाद में, एक तरफ 17 बीघा ज़मीन खोने वाले बेबस किसान हैं, और दूसरी तरफ, कथित तौर पर मुख्यमंत्री के रिश्तेदार! विधायक गोपाल रविदास का विस्फोटक आरोप: "यह परिवारवाद नहीं तो और क्या है?" धरना स्थल पर पहुंचे विधायक गोपाल रविदास ने जो खुलासा किया है, वह राज्य सरकार की नीयत पर एक काला धब्बा है। उनका आरोप सीधा और तीखा है: पुराना अलाईनमेंट मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के प्रगति यात्रा के दौरान खुद उनके निर्देश पर स्वीकृत हुआ था। इस पर टेंडर भी स्वीकृत हो गया था और निर्माण शुरू होने वाला था। इसमें केवल 4 बीघा ज़मीन प्रभावित हो रही थी, और राजस्व का नुकसान भी क...

सहायता या सियासत: बिहार में कल्याणकारी योजनाएँ और शिक्षा की उपेक्षा!

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    बिहार सरकार के लिए  उच्च शिक्षा प्राथमिकता नहीं है।  बिहार में हाल ही में घोषित 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के तहत 75 लाख महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपए भेजने का निर्णय राज्य की महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। निश्चित रूप से, यह पहल उन परिवारों के लिए एक राहत हो सकती है जो आजीविका और रोज़गार के संघर्ष से जूझ रहे हैं। लेकिन, इस घोषणा का समय और संदर्भ इसकी मंशा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। विधानसभा चुनाव नज़दीक आने के साथ ही, यह घोषणा महज़ एक 'कल्याणकारी उपाय' है या सत्ता में वापसी के लिए बुना गया एक 'राजनीतिक ताना-बाना'? 'रेवड़ी' संस्कृति और चुनावी लाभ इस योजना को सीधे तौर पर 'कमज़ोर तबके' को रोज़ी-रोटी की उम्मीद दिलाने का प्रयास माना जा सकता है। सवाल यह है कि 10,000 रुपए की राशि इन गरीब परिवारों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है और इसे वे किस रूप में देखते हैं? यह सहायता राशि वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचेगी या नहीं, इसके लिए क्या कसौटियाँ तय की गई हैं? इन सवालों से अधिक महत्वपूर्ण सवाल है—बिहार सरकार को ठीक चुनावी ...

मेरे स्वतंत्र विचारों का सफर: 4068 ब्लॉग, 2.5 लाख+ दर्शक और 30 से अधिक देशों का साथ! प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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   आज एक बहुत ही खास मौका है जिसे आपके साथ साझा करते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है। मेरे ब्लॉगhttps://prasihyadavviews.blogspotएक नया मील का पत्थर पार किया गया है: 4068 ब्लॉग और हर समय 2.5 लाख से अधिक दर्शक ! यह यात्रा लगभग पांच साल पहले शुरू हुई थी। जब मुझे पत्रकारिता में "गुलामी वाली" की प्रवृत्ति महसूस हुई, तो मैंने उसे अपनी खुद की राह बना लिया - एक ऐसा ब्लॉग जो स्वतंत्र , मेरी अपनी तकनीक, ज्ञान और विचारधारा पर आधारित हो। मैंने इसे अपने सामने मॉस्क और पैशन से सींचा है, और आज यह परिणाम आपके पास है। वैश्विक पहचान: विचारधारा की कोई सीमा नहीं सबसे ज्यादा खुशी और गर्व की बात यह है कि मेरे विचारों को 30 से अधिक देशों के लोग  पढ़ते  हैं। यह देखकर आश्चर्य होता है कि एक स्वतंत्र विचार का संग्रह दुनिया भर के  30 से अधिक देशों के लोगों तक पहुंच सकता है। शीर्ष 15 दर्शक स्थान (Top Locations) 🌍  चित्र के अनुसार, ये वे देश हैं जहां के चित्र ने मेरे ब्लॉग को सबसे अधिक अंक दिए हैं: देश दर्शकों की संख्या (दर्शकों की संख्या) भारत 953 संयुक्त राज्य अमेरिका (संयुक्त राज्य अमे...

अंतरात्मा का सुकून: जब सही और गलत के पैमाने टूटने लगें !प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    यह मेरा फेवरेट ब्लॉग है।आप भी जरूर पढ़ें। (Inner Peace: When the Scales of Right and Wrong Begin to Break) क्या कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि आज के दौर में 'सही' क्या है और 'गलत' क्या? हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ जीवन के नियम, जो कल तक अटल माने जाते थे, आज धुँधले पड़ रहे हैं। जिस कसौटी पर हम सच्चाई को परखते थे—यानी, हमारे सदियों पुराने नैतिक और सामाजिक मूल्य—वो अब खोटी सिद्ध होने लगी है। चारों ओर शोर है, उलझन है, और हर तरफ विरोधाभास हैं। यह स्थिति किसी को भी बेचैन कर सकती है। जब दुनिया के नियम स्पष्ट नहीं रहते, जब हर निर्णय पर सवालिया निशान लगता है, तो इंसान सुकून की तलाश में कहाँ जाए? क्या करे? बाहर की दुनिया में उत्तर खोजना तो और भी मुश्किल है। "इस संदर्भ में सोचते और विचारते हुए संसार की वास्तविक स्थिति का आकलन करना आसान नहीं है।" यह पंक्ति सचमुच हमारे भीतर उतरती है। हम चारों ओर की जटिलताओं को सुलझाने में ही इतना समय लगा देते हैं कि अपने आप से दूर हो जाते हैं। बाहरी हल नहीं, भीतरी जवाब जब संसार की कसौटी टूट जाए, तब हमें एक ही जगह लौटना होता है...

खगौल के गौरव: रेखा सिन्हा और रणवीर प्रताप को सम्मान

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    सूत्रधार परिवार की ओर से इन दोनों ही महान विभूतियों को उनकी सफलता पर हार्दिक !  इन दोनों की उपलब्धियां खगौल के लिए गौरव का क्षण हैं।  खगौल, जो अपने गौरवशाली और ऐतिहासिक पहचान के लिए जाना जाता है, एक बार फिर अपने दो होनहार लोगों की वजह से चर्चा में है। कला, संगीत और समाज सेवा के क्षेत्र में यहां के लोगों ने न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश और दुनिया में अपना परचम लहराया है। इसी कड़ी में, हाल ही में खगौल के दो जीनियस  व्यक्ति  - रेखा सिन्हा और रणवीर प्रताप - को उनकी विशिष्ट भूमिका के लिए नामांकित किया गया है। समाज सेवा के नायक:रणवीर प्रताप ज्ञानपात्र फाउंडेशन के संस्थापक और युवा महान क्रांतिकारी प्रताप को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए हरियाणा में आयोजित 'वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस' सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें 'निफा' द्वारा प्रदान किया गया, जिसमें इंग्लैंड और यांग कंपनियों के निर्माता भी शामिल थे। इस कार्यक्रम में भारत के सभी 28 राज्यों के सामाजिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, और पूरे देश से क्रांतिवीर प्रताप को पटना, बिहार का प्रतिनिधित्व करने के लिए चु...

​जीवन की सुंदरता और सपनों की उड़ान !- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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  ​यह जीवन एक अनमोल तोहफा है, जो हमें मिला है। हर इंसान की अपनी एक दुनिया होती है, अपने सपने होते हैं और उनकी सीमाएं होती हैं। यही कारण है कि हमें हमेशा बड़े सपने देखने के लिए कहा जाता है। बड़े सपने देखने से हमारे अंदर चरित्र, मन और विचारों में एक नई ऊंचाई आती है। ​अपने सपनों को संजोना और उन्हें पूरा करने की कोशिश करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। लेकिन इस सफर में, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा दिल थोड़ा बड़ा हो। अपने दिल में दूसरों के लिए भी जगह रखें। ​जब हम दूसरों की मदद करते हैं, उनके सपनों का सम्मान करते हैं, तो जीवन और भी खूबसूरत हो जाता है। दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूँढना एक ऐसा अनुभव है, जो हमारे जीवन को एक नया अर्थ देता है। ​याद रखें, जीवन का असली सार सिर्फ अपने सपनों को पूरा करने में नहीं, बल्कि दूसरों के सपनों को भी पंख देने में है। इस यात्रा में, अपने सपनों को पूरा करें, लेकिन दिल में हमेशा दूसरों के लिए दया और प्रेम रखें। यही सच्ची सफलता और संतोष है।

पंख दो, उड़ान भरने दो! (Give them wings, let them fly!)- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    ​भारतीय समाज में सदियों से बेटियों को घर की लक्ष्मी और परिवार का गौरव माना गया है। लेकिन, विडंबना यह है कि इसी समाज का एक हिस्सा बेटियों की सुरक्षा का अर्थ जल्द विवाह से लगाता है। यह सोच एक गहरी जड़ वाली असुरक्षा को जन्म देती है, जो बेटियों के सपनों और उनके वास्तविक सामर्थ्य को कुचल देती है। ​सही मायने में सुरक्षा का अर्थ विवाह नहीं, बल्कि सशक्तिकरण है। एक बेटी तब सुरक्षित महसूस करती है, जब उसे शिक्षा के पंख मिलते हैं। जब वह पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर बनती है, अपने फैसले खुद लेने में सक्षम होती है, और जीवन की चुनौतियों का सामना अपने दम पर कर सकती है। असली सुरक्षा उसे अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाती है, न कि किसी और के सहारे जीना। ​बाल विवाह सिर्फ एक सामाजिक कुप्रथा नहीं, बल्कि हर बेटी के अधिकारों का हनन है। यह उसके बचपन को छीन लेता है, उसकी शिक्षा को बाधित करता है, और उसे एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में विकसित होने से रोकता है। इस समस्या से लड़ना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर माता-पिता, हर परिवार और समाज के हर व्यक्ति का नैतिक दायित्व है। ​हमें अपनी सोच को बदलना हो...

सेवा पखवाड़ा, 2025: बिजली उपभोक्ता शिकायत निवारण शिविर !

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    सेवा पखवाड़ा, 2025 के तहत, 25 सितंबर को पटना जिले के फुलवारी और नौबतपुर प्रखंड में बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को त्वरित राहत प्रदान करना और सरकारी योजनाओं की जानकारी देना है। शिविर में समाधान किए जाने वाले मुद्दे: स्मार्ट मीटर: स्मार्ट मीटर से संबंधित शिकायतें। बिजली आपूर्ति: बिजली की अनियमित आपूर्ति से जुड़ी समस्याएं। बिल सुधार: बिजली के गलत बिल को ठीक करना। भुगतान: भुगतान से संबंधित विवाद। नए कनेक्शन: नए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन। कृषि कनेक्शन: कृषि उद्देश्यों के लिए बिजली कनेक्शन। गलत रीडिंग: मीटर रीडिंग में त्रुटियां। खराब मीटर: खराब या निष्क्रिय मीटरों को बदलना। अन्य महत्वपूर्ण जानकारी: इन शिविरों के माध्यम से उपभोक्ताओं को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जाएगी: 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना: प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली की जानकारी। साइबर ठगी से बचाव: बिजली बिल से जुड़ी ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के उपाय। पी.एम. सूर्य घर योजना: इस योज...

विकास और पर्यावरण दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

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       वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 7 मिलियन लोगों की  मृत्यु होती है।     विकास और पर्यावरण को अक्सर एक-दूसरे का विरोधी समझा जाता है, लेकिन दोनों को साथ लेकर ही हम भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। वर्तमान में, पर्यावरण और प्रदूषण से संबंधित आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। पर्यावरण और प्रदूषण के आंकड़े आज दुनिया भर में प्रदूषण एक विकराल रूप ले चुका है, और इसके पीछे कई चौंकाने वाले आंकड़े हैं: वायु प्रदूषण: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 7 मिलियन लोगों की समय से पहले मृत्यु हो जाती है। वायु में मौजूद PM2.5 जैसे सूक्ष्म कण श्वसन और हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। जल प्रदूषण: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 80% से अधिक अपशिष्ट जल को बिना उपचारित किए सीधे नदियों और महासागरों में बहा दिया जाता है। इससे जलीय जीवन और मानव स्वास्थ्य दोनों को खतरा है। प्लास्टिक प्रदूषण: हर साल लगभग 12 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करता है, जिससे समुद्री जीव-जंतुओं का जीवन खतरे में है...

आधुनिकता का दिखावा और कबीर का सत्य!

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    आज की दुनिया में, जहाँ हर कोई अपने जीवन को सोशल मीडिया और बाहरी दिखावे की चमकदार दुनिया में कैद कर रहा है, वहाँ अक्सर हम अपने भीतर के सत्य से दूर हो जाते हैं।  "अगर दुनिया सच को दबाकर केवल दिखावे पर टिकी रहे, तो यह सभ्यता बिखर जाएगी।" यह एक गहरी सच्चाई है जो हमें आत्म-मंथन करने के लिए मजबूर करती है। हमारे समाज में दिखावे की चमक इतनी बढ़ गई है कि हम अक्सर भूल जाते हैं कि जीवन और समाज की असली सुंदरता, , आत्मीयता, सत्य और सादगी में निहित है। जब हम दिखावे की इस दुनिया में गहराई से देखते हैं, तो हमारी आत्मा सचमुच कांप जाती है। यह एक खालीपन का एहसास है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या यह दिखावा ही सब कुछ है? यह विचार कबीर दास जी की वाणियों से बहुत मेल खाता है, जिन्होंने हमेशा सादगी और आंतरिक सच्चाई पर जोर दिया। कबीर कहते हैं: "पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।" जिस तरह कबीर ज्ञान के दिखावे की बजाय प्रेम के ढाई अक्षरों को पढ़ने पर जोर देते हैं, उसी तरह आज हमें बाहरी चमक-दमक के बजाय जीवन की सादगी और आत्मीयता को अपनान...

युवाओं के लिए सुनहरा अवसर: LN मिश्रा इंस्टीट्यूट में NATS पर महत्वपूर्ण वर्कशॉप !-प्रो प्रसिद्ध कुमार, RLSY College, Anisabad, Patna.

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    पटना, बिहार - LN मिश्रा इंस्टीट्यूट में आज   बिहार के संबद्ध महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण NATS (National Apprenticeship Training Scheme) वर्कशॉप का आयोजन किया गया। अपने कॉलेज के तरफ से मैं शामिल हुए था। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार-उन्मुख प्रशिक्षण और अवसर प्रदान करने वाली NATS योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति इस वर्कशॉप में बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव, उप सचिव रामसागर, और DOPT के निदेशक एजाज अहमद सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इन सभी ने मिलकर छात्रों के लिए रोजगारपरक जानकारी साझा की। बैद्यनाथ यादव ने जोर देकर कहा कि हम सिर्फ डिग्री नहीं दे रहे, बल्कि NATS प्रशिक्षण के साथ-साथ युवाओं को समान अवसर पर जॉब भी उपलब्ध कराएगा। उन्होंने यह भी बताया कि 261 अंगीभूत कॉलेजों के प्रतिनिधि पहले ही NATS पोर्टल पर रजिस्टर हो चुके हैं, जो योजना की सफलता की दिशा में एक बड़ा कदम है। निदेशक एजाज अहमद ने बताया कि आजादी के बाद से चली आ रही बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने के लिए NAT...

विश्वास की महिमा: एक साहित्यिक विवेचन !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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   विश्वास, वह अदृश्य शक्ति है जो मनुष्य को कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करने का साहस देती है।  विश्वास इतना शक्तिशाली होता है कि इंसान उसके भरोसे ऊंचे पहाड़ की चढ़ाई भी कर लेता है। यह केवल बाहरी जगत में दिखने वाली दृढ़ता नहीं, बल्कि हमारे अंतर्मन में पनपने वाला एक आंतरिक खेल है। जब हम स्वयं पर या दूसरों पर विश्वास करते हैं, तो हमारे लिए असंभव से लगने वाले कार्य भी संभव हो जाते हैं। यह विश्वास ही है जो एक बीज को विशाल वृक्ष बनने का स्वप्न देता है और एक नन्ही सी चींटी को पहाड़ चढ़ने की हिम्मत देता है। विश्वास हमारे मन की बनाई दुनिया है, जिसकी शक्तियां सच में अद्भुत हैं। कबीर और विश्वास का मर्म संत कबीर दास ने भी विश्वास के इसी मर्म को अपनी वाणियों में गहराई से व्यक्त किया है। उनका एक प्रसिद्ध दोहा है, "जाको राखे साईयां मार सके ना कोई।" इसके अलावा, विश्वास की इसी अवधारणा को और अधिक सरल बनाते हुए वे कहते हैं, "मोको कहाँ ढूंढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में।" यहाँ 'मैं' ईश्वर के लिए प्रयुक्त हुआ है, और कबीर यह समझाते हैं कि ईश्वर को मंदिर, मस्जिद या किसी बाह...

अब राजनीति कहाँ रही वो 'सेवा' की बगिया? (व्यंग्य कहानी )- प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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    एक ज़माना था जब राजनीति एक तपस्या हुआ करती थी, जहाँ राजनेता नहीं, बल्कि राज-ऋषि होते थे। उनके पास पद की लालसा नहीं, बल्कि जनसेवा का संकल्प होता था। उनका चरित्र इतना उजला था कि मानो गंगा की धार भी फीकी पड़ जाए। वे कर्तव्यनिष्ठ, नीतिवान और फक्कड़ स्वभाव के थे, जिन्हें कुर्सी से ज्यादा जनता का स्नेह प्यारा था। वे जनता की सेवा को अपना धर्म मानते थे और उनके चेहरे पर धन-दौलत की नहीं, बल्कि सादगी की चमक होती थी। वे ऐसे थे जैसे कोई पेड़, जो फल से लदकर झुक जाए। लेकिन आज, राजनीति का वो पवित्र आँगन एक बाजार बन गया है। जहाँ ईमानदारी और सिद्धांतों की बोली नहीं लगती, बल्कि धन-बल, बाहुबल और झूठ-फरेब का सिक्का चलता है। यह अब सेवा नहीं, बल्कि एक धंधा बन गया है, जिसमें नेता अपनी आत्मा को गिरवी रखकर मुनाफा कमाते हैं। यहाँ राजनेताओं का अंतरात्मा नहीं, बल्कि मौसम बदलता है। गिरगिट तो फिर भी रंग बदलने में शर्म महसूस करता है, लेकिन यहाँ के नेता अपनी निष्ठा बदलने में पल भर भी नहीं हिचकिचाते। आज की राजनीति में उन्हीं का बोलबाला है जिनके पास सत्ता, पैसा, और कुर्सी है। यह उनके लिए धन-संग्रह का सबसे स...

खेल संघों ने बिहार में नियुक्ति नियमावली 2025 का विरोध किया

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    पटना में प्रेस वार्ता करते हुए, बिहार राज्य के विभिन्न खेल संघों ने राज्य सरकार की उत्कृष्ट खिलाड़ियों की नियुक्ति नियमावली 2025 का पुरजोर विरोध किया है। संघों के अधिकारियों के अनुसार, इस नई नियमावली ने जूनियर आयु वर्ग के विजेता खिलाड़ियों की सरकारी पदों पर नियुक्ति पर रोक लगा दी है, जिससे उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मुख्य बिंदु: नियुक्ति पर रोक: खेल संघों का कहना है कि सरकार की यह नीति प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों को हतोत्साहित करेगी। खेल संघों ने हमेशा राज्य में खेलों के विकास के लिए सरकार का सहयोग किया है और उनका मानना है कि खिलाड़ियों को मिलने वाले प्रोत्साहन को कम नहीं किया जाना चाहिए। वित्तीय अनुदान की मांग: संघों ने सरकार से 2022-23, 2023-24, और 2024-25 के लंबित वित्तीय अनुदान को संशोधित नियमावली के तहत जारी करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह राशि खेलों के विकास और खिलाड़ियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के लिए आवश्यक है। संशोधन की आवश्यकता: संघों ने उत्कृष्ट खिलाड़ी नियुक्ति नियमावली में तत्काल संशोधन की मांग की है, ताकि खिलाड़ियों को उनके प्रदर्...

जीएसटी दरों में बदलाव रेट से ही अब सामान मिलेगा !

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          जीएसटी दरों में बदलाव के बाद, उपभोक्ताओं को नए दामों पर ही सामान मिलेगा, भले ही उस पर पुराने दाम का स्टिकर लगा हो। यहाँ कुछ और मुख्य बातें दी गई हैं: 12% और 28% के जीएसटी स्लैब खत्म हो रहे हैं, जबकि 5% और 18% के स्लैब बने हुए हैं। सिगरेट, पान-मसाला और गुटखा जैसे उत्पादों पर 40% तक का टैक्स लगाया जा रहा है। यह नए नियम 22 सितंबर से लागू हो गया है। उपभोक्ताओं को सलाह दी जा रही है कि वे पुराने दाम वाले स्टिकर को न देखें और नए रेट के हिसाब से ही भुगतान करें। दुकानदार भी नए रेट लागू होने के बाद किसी भी उत्पाद को पुराने दामों पर नहीं बेच सकते हैं, चाहे उस पर पुराना एमआरपी (MRP) लिखा हो।

सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए NAAC से मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य है- UGC !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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        यूजीसी की यह पंक्ति "ज्ञान - विज्ञान विमुक्तये" का अर्थ है कि ज्ञान और विज्ञान ही मुक्ति (आज़ादी) दिलाते हैं. फिर पढ़े लिखे लोग पाखंड व अंधविश्वास क्यों?    भारत में कोई भी कॉलेज, विश्वविद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान NAAC (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद) से मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है। NAAC, UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) का एक स्वायत्त निकाय है, जो देश के उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करता है। UGC की नई गाइडलाइन के अनुसार, सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए NAAC से मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य है। उच्च रैंक पाने के लिए कॉलेज में क्या-क्या होना जरूरी है? NAAC रैंकिंग में उच्च ग्रेड (जैसे A++ या A+) प्राप्त करने के लिए, कॉलेज को कई मानकों पर खरा उतरना पड़ता है। NAAC मूल्यांकन करते समय निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है: शैक्षणिक गुणवत्ता (Academic Quality): पढ़ाने का तरीका और संकाय (Teaching and Faculty): योग्य और अनुभवी शिक्षकों का होना, उनके शोध कार्य (research papers), और पढ़ाने की गुणवत्ता। छ...

हरा सोना ( Green Gold ) है बांस !

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   भागलपुर (टीएनबी कॉलेज परिसर में देश का पहला बंबू टिशू कल्चर लैब है)। बांस को 'हरा सोना' (Green Gold) कहा जाता है क्योंकि यह कई मायनों में बहुत मूल्यवान है। यह बहुत तेजी से बढ़ता है, और इसे उगाना आसान है। यह एक टिकाऊ संसाधन है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बांस की उपयोगिता: छवि और उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बांस के कई उपयोग हैं: उत्पादों का निर्माण: कप, प्लेट, टूथब्रश, कंघे, और कूड़ेदान जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं को बनाने में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। फर्नीचर और सजावट: बल्ली, सीढ़ी, टोकरी, चटाई, और विभिन्न प्रकार के फर्नीचर बनाने में इसका उपयोग होता है। औद्योगिक उपयोग: बांस का उपयोग कपड़ा उद्योग, कागज बनाने, अगरबत्ती, पेंसिल, माचिस और हस्तशिल्प में भी होता है। कृषि और निर्माण: कृषि यंत्र और भूकंप-रोधी घर बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। औषधीय गुण: बांस की कोंपल (बांस के अंकुर) और पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं। इनका उपयोग मधुमेह, हृदय रोग, और सांस की बीमारियों में किया जाता है। पर्यावरण के लिए लाभकारी: बांस प्राकृतिक रूप से जीवाण...

अमेरिका ने वीजा पर कितना टैक्स लगाया?

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    $100,000 (लगभग 88 लाख रुपये) का शुल्क देना होगा। हाल ही में, अमेरिकी सरकार ने H-1B वीजा शुल्क में भारी बढ़ोतरी की है। 21 सितंबर, 2025 से प्रभावी, इस नए नियम के तहत, H-1B वीजा के लिए कंपनियों को प्रति आवेदन $100,000 (लगभग 88 लाख रुपये) का शुल्क देना होगा। यह शुल्क किसके लिए है? यह शुल्क केवल नए वीजा आवेदकों पर लागू होता है, मौजूदा वीजा धारकों या उनके नवीनीकरण पर नहीं। यह शुल्क कौन वहन करेगा? अमेरिकी कानून के अनुसार, इस वीजा शुल्क का भुगतान प्रायोजक कंपनी द्वारा किया जाता है, कर्मचारी द्वारा नहीं। प्रति वर्ष भारत से अमेरिका जाने वालों की संख्या कितनी है? राष्ट्रीय यात्रा और पर्यटन कार्यालय (National Travel and Tourism Office - NTTO) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष 22 लाख से अधिक भारतीयों ने अमेरिका का दौरा किया। इनमें से एक बड़ा हिस्सा H-1B वीजा पर काम करने वाले पेशेवरों का होता है। इस बोझ को कौन वहन करेगा? नया H-1B वीजा शुल्क बहुत अधिक है, और यह मुख्य रूप से अमेरिकी कंपनियों पर वित्तीय बोझ डालेगा। यह देखते हुए कि भारतीय पेशेवर H-1B वीजा धारकों का लगभग 70% हिस्सा हैं, इस कद...

एक हथौड़े की कीमत: अनुभव का महत्व !-कहानी

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      सिर्फ 20,000 डॉलर। एक बहुत बड़ा मालवाहक जहाज खुले समुद्र में फंसा हुआ था। उसका शक्तिशाली इंजन अचानक बंद हो गया और सभी प्रयास विफल हो गए। जहाज के मालिक ने कई विशेषज्ञ इंजीनियरों को बुलाया, लेकिन कोई भी समस्या का पता नहीं लगा सका। एक के बाद एक इंजीनियर आते गए, महीनों तक प्रयास करते रहे, पर सब बेकार था। जहाज के मालिक की चिंता बढ़ती जा रही थी, क्योंकि हर दिन का नुकसान लाखों का था। फिर किसी ने उन्हें एक बूढ़े अनुभवी मैकेनिकल इंजीनियर के बारे में बताया, जिनके पास 30 से ज़्यादा वर्षों का अनुभव था। वे अपने अद्भुत कौशल और शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे। जहाज के मालिक ने उन्हें आखिरी उम्मीद के तौर पर बुलाया। जब बूढ़े इंजीनियर जहाज पर पहुँचे, तो उन्होंने न कोई हड़बड़ी दिखाई और न ही बड़े-बड़े औजारों का ढेर लगाया। वह शांत मन से धीरे-धीरे पूरे इंजन का निरीक्षण करने लगे, मानो वे किसी पुरानी कहानी को पढ़ रहे हों। उन्होंने हर पुर्जे को देखा, हर आवाज को सुना और अपनी आँखें बंद करके कुछ देर सोचा। फिर उन्होंने अपने पुराने, घिसे हुए चमड़े के बैग से एक छोटा सा हथौड़ा निकाला। वहां मौजूद स...