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Showing posts from March, 2024

लालू यादव के राजनीतिक मूलमंत्र वंचितों को बराबरी में बैठने के लिए ही है।

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     जननायक कर्पूरी ठाकुर  जी के साथ ही लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न की उपाधि मिली। कर्पूरी ठाकुर वंचितों की आवाज  उठाते रहे।वही लालू यादव वंचितों को  बराबरी के हक हकूक के लिए अपनी आवाज वंचितों की आवाज बन गई। आडवाणी को भारत रत्न उनके घर जाकर देश की प्रथम नागरिक महामहिम द्रौपदी मुर्मू देती हैं।तस्वीर में बेशर्मी की तरह भारत रत्न लेने वाले व साथ मोदी कुर्सी पर बैठे हुए हैं और राष्ट्रपति चपरासी की तरह खड़ी हैं। राष्ट्रपति से देश में कोई बड़ा नहीं होता है।प्रोटोकॉल के हिसाब से भी।वे तीनों सेनाओं की प्रमुख भी होती है।देश में कहीं भी या देश में कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो राष्ट्रपति शासन ही लागू होती है।संसद की संयुक्त सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता भी राष्ट्रपति ही करती है।संसद में धन विधेयक या कोई भी अध्यादेश इनकी ही मर्जी से होती है।इतनी सारी ताकत को रहते हुए भी एक अनुसूचित जनजाति की महिला राष्ट्रपति को आडवाणी व मोदी के सामने हिम्मत नहीं हुई या जुर्रत नहीं हुई तो समझिए कि देश में ब्राह्मणवादी मनुवादी व्यवस्था अभी लागू है और ऐसे गैर बराबरी व्यवस्था में लालू यादव क...

पीपलावां पुलिस को सेवा से बर्खास्त व सलाखों में बन्द करना चाहिए !

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  बिहार के शायद ही कोई ऐसा थाना होगा ,जहाँ दलाल नहीं है और उसकी चलती न हो।पटना जिला के थाना प्रभारी की इतनी हिम्मत कि जघन्य अपराध को रफादफा करने का कुचक्र रचा। ऐसे पुलिस की अंतरात्मा तो मर ही गया है, कानून का भी भय नहीं है।ऐसे वर्दी को दागदार बनाने वाले को निलंबन ही पर्याप्त नहीं है बल्कि शीघ्र जांच कर सेवा से बर्खास्त कर सलाखों में डालने की जरूरत है। बिहार सरकार फ्रेंडली पुलिस की बात करती है और उल्टे वे लोग दानव बने हुए हैं। बिहार सरकार को अविलंब ऑउट ऑफ दलाल फ्रॉम थाना अभियान चलाना चाहिए।दलालों को चिन्हित कर कार्यवाही करना चाहिए। पुलिस को प्रशिक्षण में स्पष्ट बताया जाता है कि वे जनता के सेवक हैं, उन्हें जनता के साथ सलीके से व्यवहार करना चाहिए ताकि जनता निर्भीक होकर अपनी समस्याओं को रखें। पुलिस विवाद को केस दर्ज कर न्यायालय के हवाले कर देती है ताकि लोग वहां जाकर दलीलों ,गवाहों व साक्ष्यों के आधार पर न्याय पा सके ,लेकिन जब पुलिस अपराध को न्यायालय तक जाने ही न दे और पीड़ितों को डरा धमकाकर बयान बदल दे तब कोई न्याय की आशा कैसे कर सकता है? भला हो निर्भीक पत्रकारों को जो अपनी जिम्मेवारी...

भगवान राम के पास आशा थी, आस्था थी, प्रेम था, प्रोपकार था , धीरज था व सत्य था- प्रियंका गांधी वाड्रा

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         इन्होंने  आज भक्ति अंदाज में कहा कि इस रामलीला मैदान में बचपन से आती रही हूं. मैं छोटी थी तो इंदिरा जी के साथ आती थी.आज जो सत्ता में हैं, वो अपने आप को रामभक्त कहते हैं. उनको इस संदर्भ में कुछ कहना चाहती हूं. मुझे लगता है कि वो दिखावे में लिप्त हो चुके हैं. इसलिए मैं उन्हे याद दिलाना चाहती हूं कि भगवान राम जब लड़े तो उनके पास संसाधन नहीं थे. संसाधन रावण के पास थे, सेना रावण के पास थी. भगवान राम के पास आशा थी, आस्था थी, प्रेम था, प्रोपकार था और धीरज था. भगवान राम के पास सत्य था. कई बार से सत्ता में बैठे हुए मोदी जी को याद दिलाना चाहती हूं सत्ता सदैव  नहीं रहती. सत्ता आती है जाती है. अहंकार चूर-चूर होता है. यही संदेश था भगवान राम का. I.N.D.I.A गठबंधन की 5 सूत्री मांगे हैं- चुनाव आयोग को समान अवसर देना चाहिए. ED,सीबीआई और आईटी की कार्रवाई को रोकना चाहिए. सोरेन, केजरीवाल की तत्काल रिहाई की जाए. चुनावी बांड के जरिए बीजेपी द्वारा जबरन वसूली की जांच के लिए SIT गठन होना चाहिए.  INDIA गठबंधन की ‘महारैली’ को संबोधित करते हुए माकपा महासचिव सीताराम य...

ग्लोबल भुखमरी इंडेक्स में भारत 111 वें स्थान पर !

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     अमृत काल में भारत में  ग्लोबल हंगर इंडेक्स की 2023 की रिपोर्ट  में और पिछड़ गया है . इस साल 125 देशों में भारत 111वें नंबर पर है.  ग्लोबल हंगर इंडेक्स से पता चलता है कि किसी देश में भुखमरी और कुपोषण के कैसे हालात हैं? रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस मामले में भारत की स्थिति और खराब होती जा रही है. पिछले साल 121 देशों की रैंकिंग में भारत 107वें नंबर पर था. 2021 में 101वें और 2020 में 94वें नंबर पर था. इस साल भारत की रैंकिंग चार पायदान और गिर गई है. पड़ोसी मुल्कि पाकिस्तान (102वें), बांग्लादेश (81वें), नेपाल (69वें) और श्रीलंका (60वें) नंबर पर हैं. पर भारत की रैंकिंग में गिरावट क्यों हो रही है? ग्लोबल हंगर इंडेक्स को मापने का तरीका क्या है? बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश भारत से आगे क्यों हैं? ग्लोबल हंगर इंडेक्स दुनियाभर में भूख को मापने का जरिया है. इसे चार पैमानों पर मापा जाता है. इनमें कुपोषण, बच्चों में ठिगनापन (उम्र के हिसाब से कम हाइट), बच्चों का वजन (हाइट के हिसाब से कम वजन) और बाल मृत्यु दर (5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत) शामिल है. हंगर ...

83 फ़ीसदी बेरोजगार युवाओं का देश बन गया भारत।

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      ये आंकड़े देश की भयावह स्थिति को दर्शाता है। एक तरफ विकास की लंबी लकीर खिंची जाने की बात हो रही है तो दूसरी तरफ बेरोजगार युवाओं की लंबी फ़ौज खड़ी हो रही है।बेरोजगार युवाओं में घटते रोजगार के अवसर से निराशा हो रही है। कई युवा अवसादग्रस्त हो रहे हैं।भारत में बेरोजगारी अपने चरम पर पहुंच चुकी है. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन  की एक रिपोर्ट में भारत के अंदर रोजगार के परिदृश्य को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इसमें सबसे बड़ी बात जो सामने आई है, वह ये कि देश में कुल बेरोजगारों में से 83% युवा हैं.  आईएलओ ने इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट के साथ मिलकर ‘इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024’ पब्लिश की है. इसके हिसाब से अगर भारत में 100 लोग बेरोजगार हैं, तो उसमें से 83 लोग युवा हैं. इसमें भी अधिकतर युवा शिक्षित हैं. आईएलओ की रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि देश के कुल बेरोजगार युवाओं में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या भी सन 2000 के मुकाबले अब डबल हो चुकी है. साल 2000 में पढ़े-लिखे युवा बेरोजगारों की संख्या कुल युवा बेरोजगारों में 35.2 प्रतिशत थी. साल 2022 में ये...

चाणक्य की तपोभूमि व आर्यभट्ट की ज्ञान की भूमि को शुभम मंडल किया कलंकित!

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   दानापुर रेलवे रहती है मेहरबान!अपने जमीन में रखने देती है टेंट प्लान! पेशे से डॉक्टर, काम चोर का।  दानव के भेष में कोई हमारे इर्दगिर्द घूमते रहता है और हम पहचानने की बात तो दूर उसे अनजाने में लोग सम्मान देते हैं और सर पर चढ़ा कर रखते हैं। शुभम कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। इसके पिता खगौल में बहुत बड़ा टेंट हॉउस चलाते हैं और अपने इस बेटा को डॉक्टर बनाया।लेकिन कहावत है कि चोर की चोरी जाती है लेकिन हेराफेरी नहीं। शुभम का कुकृत्य इतना बड़ा है कि इसे कठोरतम सजा देने की जरूरत है।यह लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनों को धूमिल किया है। उत्तर प्रदेश पुलिस पेपर लीक  मामले में यूपी एसटीएफ  को बड़ी कामयाबी मिली है. सिपाही भर्ती का पेपर लीक करने वाले मुख्य आरोपी डॉक्टर शुभम मंडल को पुलिस ने मेरठ के कंकरखेड़ा से गिरफ्तार किया है. एसटीएफ की टीमें पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के बाद कई और लोगों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही हैं.यूपी पुलिस सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में शुभम मंडल ने ही अहमदाबाद में TCI के वेयरहाउस में पेपर बॉक्स को पेचकस से खोला था. शुभम मंडल को इस काम के एवज में 15 ...

सूत्रधार ने मनाया विश्व रंगमंच दिवस !-प्रसिद्ध यादव।

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                   खगौल ! सूत्रधार अपने कार्यालय जमालुद्दीन चक में  महासचिव नवाब आलम की अध्यक्षता में विश्व रंगमंच दिवस मनाया । कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार प्रसिद्ध यादव ने किया।  इस अवसर पर  ' इंटरनेट की दुनिया में रंगमंच ' बिषय पर परिचर्चा की गई।नवाब आलम ने रंगमंच की महत्ता को बताते हुए कहा कि ' रंगमंच जब सिनेमा का दौड़ आया तो भी महत्वपूर्ण था और आज इंटरनेट के जमाने में भी  यह जीवंत है। प्रसिद्ध यादव ने बताया कि रंगमंच हमे अभिनय के दुनिया में परफेक्ट होता है। नवाब आलम के बड़े भाई के इंतकाल होने के कारण यह कार्यक्रम बड़े पैमाने पर नहीं हो सका फिर भी आलम ने  रंगकर्मी धर्म का पालन करते हुए रंगमंच दिवस को शिद्दत से याद किये। मनोरंजन के दृष्टिकोण से विश्व रंगमंच दिवस अपना खास स्थान रखता है। हर साल 27 मार्च के दिन विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) का आयोजन किया जाता है। पूरे विश्व में रंगमंच को अपनी अलग पहचान दिलाने के लिए साल 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) ने इस दिन की नींव रखी थी।  रंगमंच या थ...

शत प्रतिशत मतदान करें!

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         स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए शत प्रतिशत मतदान जरूरी है। आपके मत से जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं और उन  जनप्रतिनिधियों के द्वारा    बहुमत की सरकार बनती है।  इसके बाद जो सरकार बनती है, उस सरकार की नीति व अन्य क्रिया  - कलापों से जनता प्रभावित होती है।  अगर ऐसे में कोई मतदान नहीं करता फिर भी उसे सरकार की फरमानों को मानने के लिए बाध्य होना पड़ता है। ऐसे में क्यों न शत प्रतिशत मतदान कर अपने मन की सरकार को चुनें। निर्वाचन आयुक्त के अनुसार  दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में 95 करोड़ से ज्यादा वोटर हैं. इनमें 45 करोड़ से ज्यादा महिला मतदाता हैं. पहले चुनाव में 45 फीसदी से बढ़कर वोट प्रतिशत अब 80 फीसदी तक पहुंच गया है.  30 फीसदी वोटर औसतन वोट नहीं कर पाते. उनको वोटिंग की सुविधा देने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है।     इस लोकसभा चुनाव में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का नतीजा बताता है कि छह फीसदी नए वोटर्स जुड़े हैं. इनमे महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा है. देश की कुल आबादी का 66.76 फीसदी युवा हैं...

लकरसुंघवा से होशियार रहें।

        दंगा फ़साद करने वाले मौके के तलाश में रहते हैं । ऐसे लोग छुपे रुस्तम होते हैं।अपने रिमोट से अनाड़ी लोगों से धर्म, मजहब के नाम पर नफरत फैलाने का काम करते रहते हैं।वे मानवता के दुश्मन हैं। यह  घटना सबजपुरा,फुलवारी शरीफ ,पटना की मस्जिद है,जिसमें 24/25.3.2024 की रात को असमाजिक तत्वों द्वारा होलीका दहन के उपरान्त, समाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की नियत से महान पर्व होली के शुभ अवसर इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया है। तत्काल मौके पर पहुँच, फुलवा सरी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए,कुछ लोगों को गिरफ्तार कर, स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस को ऐसे को चिन्हित करना चाहिए और इसकी पहचान बड़ी आसान है।इसके सोशल मीडिया के एक्टिविटी  से मालूम होता है। हर बात पर उन्माद रहती है। ऐसे इंसानियत के दुश्मन को रोकना हर व्यक्ति का फर्ज है । जब आग लगती है तो उसकी लपटें न धर्म देखती है, न जाति। विदित हो कि कुछ महीने पहले सबजपुरा,सती स्थान पर भी असमाजिक तत्वों द्वारा दशहरा के मौके पर इस्लामिक चादर फेंक कर सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया गया था;उस समय भी सबजपुरा गाँव के बुद्धिज...

वरिष्ठ रंगकर्मी, अधिवक्ता नवाब आलम के बड़े भाई मो.अजीमुद्दीन साहेब(78 वर्ष) का इंतकाल 😢!,

        धक से लगा , जब   मैं  प्रवेश करते कमरे में गया, जहां नवाब जी के बड़े भाई चौकी पर बैठकर कुछ न कुछ पढ़ते लिखते रहते थे।सबसे पहले इन्हीं से दुआ ,सलाम होता था। हालचाल, खैरियत पूछने के बाद मेरे कदम आगे बढ़ते थे।आज वो कमरा सुना था, मेरे पैर अचानक ठहर गया था। अंदर जाकर देखा लग रहा था मानो निद्रा में सोए हैं लेकिन वो तो चिर निद्रा में थे। वो वहाँ चले गए थे, जहां से कोई लौट कर नहीं आता है। नवाब भाई मेरे बगल में बैठे खुद को ढांढस बंधाया दिख रहे थे लेकिन मैं समझ रहा था कि इनके सर से बड़े भाई का हाथ उठ गया था। रात के 12 बजकर 58 मिनट हुआ था कि फुलवारी के पत्रकार अजित भाई का फोन आया।मै गहरे नींद में था,  फोन की घण्टी सुनकर कुछ अनहोनी लगा।इतने में यह मनहूस खबर मुझे मिली।इतनी रात को अजित भाई फुलवारी से जमालुद्दीन चक नवाब जी के घर आ गए थे और वहीं से बात किये और नवाब जी से बात करवाया। मुसीबत में जो साथ खड़े हो जाता है वही सच्चा हितैषी होता है।नवाब जी की यही इंसानियत, मुहब्बत, भाईचारे की कमाई थी।इनकी लोकप्रियता फुलवारी प्रखंड के गाँव गाँव तक थी। नवाब जी से बहु...

होली मिलन मनाते हुए "सूत्रधार" एवं "स्पेस" के संयुक्त तत्वाधान से आयोजित 30 दिवसीय नाट्य प्रशिक्षण नाट्य कार्यशाला संपन्न

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     नाटक के माध्यम से प्रदूषण मुक्त और फ्रेंडली होली मनाने का दिया गया संदेश। कलाकारों ने अभिनय की बारीकियों को सीखा ! खगौल। चर्चित रंग संस्था "सूत्रधार" एवं "सोसाइटी फॉर प्रोमोशन ऑफ़ आर्ट कल्चर एंड एजुकेशन" (स्पेस) का होली मिलन समारोह - सह - नाट्य कार्यशाला शनिवार को सम्पन्न हुआ। वायरस डांस अकैडमी, छोटी खगौल के प्रांगण में  संस्था द्वारा आयोजित वरिष्ठ रंगकर्मी नवाब आलम,  वरिष्ठ रंग निर्देशक उदय कुमार के मार्गदर्शन में 30 दिवसीय रंगमंच अभिनय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर नृत्य निर्देशक एवं रंगकर्मी राकेश कुमार के संयोजन में कार्यशालय में तैयार प्रदूषण मुक्त होलिका दहन एवं केमिकल रहित रंगभरी होली खेलने का संदेश नृत्य, होली एवं फाग गीतों से दिया| उदय कुमार ने होली गीत " होली खेले रघुवबिरा .. प्रसिद्ध यादव ने " सरयू तट राम खेले होली ... आज बृज में होली है रसिया . गाकर लोगो को झूमा दिया। इस अवसर पर उपस्थित जिले के गणमान्य अतिथियों में रंगकर्मी   अविनाश पिंटू ,प्रसिद्ध यादव, समाज सेवी चंदू प्रिंस , विष्णु गुप्ता , जमालुद्दीन चक पंचायत के सरपंच...

राजनीति दलों की दुर्गति का कारण कोर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा !- प्रसिद्ध यादव।

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   टिकट बंटवारे में जो दल कार्यकर्ताओं की अपेक्षा के अनुरूप टिकट न देकर अपने वीटो पावर को दिखाता है, उस पार्टी की दुर्गति होने से कौन रोक सकता है?  इंडिया गठबंधन में बिना सीट बंटवारे के टिकट देना यह धर्म का पालन नहीं है। टिकट भी दलबदलुओं को दिया जा रहा है और कार्यकर्ता मुँह ताक रहा है।नतीजा, कार्यकर्ता निराश होकर चुनाव में निष्क्रिय हो जाता है और परिणाम जीरो बट्टा सन्नाटा आता है। दल के नेता अपनी गलती को न देखकर चुनाव परिणाम बाद ईवीएम पर ठीकरा फोड़ते हैं। न किसी को धैर्य है ना ही किसी को कोई राजनीति धर्म है। अगर कोई प्रतिद्वंद्वी दल आरोप प्रत्यारोप लगता है तो यह पड़ताल करना चाहिए कि उसके आरोपों में कितना दम है।अगर आरोप सही है तो सम्भलने की जरूरत है न कि मौका देने की जरूरत है। विगत चुनाव में पाटलिपुत्र चुनाव में यही हुआ था, कोर कार्यकर्ता चुनाव में निष्क्रिय हो गए थे।इसके वजह को कोई भी जानने का प्रयास नहीं किया और कहीं ऐसा न हो कि इस बार भी पुनरावृत्ति हो जाये। पार्टी के टिकट बंटवारे में एकाधिकार बड़ी घातक साबित होता है।आखिर संसदीय बोर्ड क्यों बनाया जाता है?केवल खानापूर्ति के ...

सम्राट चौधरी की टिप्पणी शर्मनाक !एजाज अहमद

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सम्राट चौधरी ने लालू प्रसाद जी पर टिप्पणी करके पिता और पुत्री के रिश्ते को तार-तार किया है: एजाज अहमद बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री सम्राट चौधरी के द्वारा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद जी के संबंध में की गई टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की भाषा और अपसंस्कृति की बोली कहीं से भी क्षम्य नहीं है। और ऐसी भाषा बोल कर पिता-पुत्री के रिश्ते, स्नेह और प्यार को तार-तार किया है। और इससे प्रतीत होता है कि भाजपा को इंसान, इंसानियत और मानवता के लिए किए गए कार्यों और योगदानो को भी राजनीतिक दृष्टि से देखने की आदत सी बन गई है।        एजाज ने आगे कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद जी के द्वारा उपकृत किए गए सम्राट चौधरी राजद के पाठशाला से नाबालिग से बालिग हुए हैं और उन्हें राजद ने ही राजनीति में स्थापित होने का मौका दिया है तो वह उस समय क्या दिए थे यह बात भी स्पष्ट कर दें। उस समय इनके लिए लालू प्रसाद जी ने जो कार्य किए थे उस कार्यों को भी याद कर लिए होते, तो ...

संवैधानिक संस्थाओं की एकपक्षीय कार्यवाई लोकतंत्र के लिए घातक !

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        कानून अपना काम करते रहे, इससे भला किसी को क्या एतराज हो सकता है लेकिन जब यह करवाई सत्ता से प्ररित हो तो उंगलियां उठना लाजिमी है।  चुनाव के वक्त कुछ संस्थायें सक्रिय है लेकिन ज्यादातर विपक्ष पर ।चाहे ईडी का मामला हो आयकर का । भाजपा के कई प्रदेशों में आलीशान पार्टी दफ्तर बने हुए हैं लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है कि ये रुपये कहाँ से आये ? पक्ष हो या विपक्ष संस्थाओं की नजरिया बराबर होनी चाहिए। चुनाव से पूर्व कांग्रेस की बैंक खाता फ्रिज कर इसे आर्थिक रूप से पंगु बना दिया गया है। अगर यही स्थिति भाजपा के साथ होती तो क्या वो चुनाव लड़ लेती ?  भाजपा की 400 के पार का स्लोगन किसके भरोसे है? देश की जनता महंगाई, बेरोजगारी से तबाह है ।ऐसे में जनता का मूड भाजपा को उखाड़ फेंकने की है।भाजपा अंदर से डरी सहमी हुई है। इस बात की प्रमाणिकता है कि टिकट मिलने के बाद भी कैंडिडेट टिकट लौटा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, लोकतंत्र के लिए निष्‍पक्ष चुनाव होना जरूरी है. निष्‍पक्ष चुनाव के लिए लेवल प्‍लेइंग फील्‍ड होना जरूरी है. पिछली दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदे...

भारत में अरबपति राज का उदय ! क्या ऐसा ही था रामराज्य?

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          देश में 1 फ़ीसदी लोगों के पास देश के कुल सम्पत्ति के  40.1फ़ीसदी हो गई है।ऐसी  असमानता विश्व की कोई अन्य देशों में नहीं है। इन आंकड़ों को देखकर  भारत को समाजवादी लोकतांत्रिक देश कहने पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है। कहीं न कहीं कर ढांचे में सुधार की जरूरत है ताकि देश में भारी असमानता को कम की जाए । ये पूंजीपति हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी चंदा देकर प्रभावित कर रहे हैं। देश के बड़े बड़े विद्वान इनके चाकरी करने के लिए विवश हैं।  भारत की कर ढांचे में  निर्धन व्यक्तियों को भी नहीं बख्शा जा रहा है और इसके उलट पूंजीपतियों को राहत दी जाती है और करोड़ों अरबों की कर्ज  माफ़ी हो जाती है।  एक  कट्ठा जमीन वाले से भी केंद्र सरकार सेस के रूप में 29 रुपये कर वसूल रही है और दर्जनों एकड़ जमीन वाले किसानों से भी यही औसत से कर वसूल रही है।भारत में 2000 के दशक की शुरुआत से आर्थिक असमानता लगातार बढ़ रही है। यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है। इसके मुताबिक, 2022-23 में देश की सबसे अमीर एक फीसदी आबादी की आय में हिस्सेदारी बढ़कर 22.6 फीसदी हो...

बेमौसम बारिश से किसानों के फसल चौपट !

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      किसान तैयार फसलों को देखकर प्रफुल्लित थे, क्योंकि कुछ ही दिनों में रबी फसल खेत से कटकर खलिहान में आने वाले थे ।कुछ खलिहान में आ चुके थे सिर्फ घर में आना बाकी था कि बेमौसम बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। बारिश के साथ ओला वृष्टि फसलों को तहस नहस कर के छोड़ दिया। किसान कितने जतन से रबी फसलों को कीट ,पाला से बचाव के लिए महंगी दवाओं का छिड़काव किया था, नीलगाय से बचाव किया था लेकिन ये बारिश किसनों को कहीं के न छोड़ा । कर्ज लेकर किसान खेती करते हैं ताकि अच्छी फसलें हों तो उसे बेचकर कर्ज चुकता करें और घर का खर्च चले ।ये बारिश किसानों के लिए मुसीबत बन गई है. किसानों को अपनी फसलों की चिंता सता रही है. मौसम में अचानक आए बदलाव  से तेलहन का भी भारी नुकसान हुआ है। दरअसल, यह बारिश ऐसे वक्त हो रही है जब रबी की फसल कटाई के कगार पर है. गेहूं भी पकने के कगार पर है. वहीं किसान खेतों में लगी सरसों व मसूर की फसल को खलिहानों में भंडारण करने में जुटे हैं. ऐसे में इस बारिश का असर इन फसलों पर दिखेगा. कई खेतों में गेहूं पक चुका है. कहावत है कि सब धन गोबर वही हाल किसानों क...

बिहार सरकार कुम्भकर्ण नींद में और प्रिंटिंग प्रेस से ही प्रश्न पत्र आउट !

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  किस काम की सरकार और सुशासन?  प्रश्न पत्र आउट करने वाले को सरकार से, कानून से लेस मात्र का भी भय नहीं है। इससे पूर्व भी पुलिस परीक्षा में प्रश्न पत्र आउट हो गया था लेकिन सरकार इससे सबक नहीं ली बल्कि इस बार तो प्रिंटिंग प्रेस से प्रश्न पत्र आउट हो गया तथा  इस गोरखधंधे का दुष्परिणाम क्या होता है? सरकार को गहराई से सोचने की जरूरत है। प्रतियोगी दिन रात एक कर तैयारी करते हैं।दूर दराज परीक्षा केंद्र पर जाते हैं और परीक्षा देते हैं ,उसके बाद परीक्षा रदद् हो जाती है।   इसका भुक्तभोगी प्रतियोगी ही होते हैं, जबकि इसमें इसका कोई दोष नहीं होता है तथा समय और धन दोनों की बर्बादी होती है, जिसे सरकार को भरपाई करना चाहिए क्योंकि यह सरकार की निकम्मेपन को दिखाता है। गनीमत रही कि सेटर दबोचा गया नहीं तो सब फर्जी शिक्षक बन जाता है। पूर्व के प्रतियोगी परीक्षाओं से कितने फर्जी लोग सरकारी सेवा में आ गए होंगें ,वो ऊपर वाले ही जानें ।  प्रतियोगी युवाओं में निराशा हो गया है ।बिहार लोक सेवा आयोग  के द्वारा ली गई शिक्षक भर्ती परीक्षा के तृतीय चरण के पेपर लीक मामले की जांच का दायर...

मुकेश साहनी व पारस का मिजाज हुआ ठंढा !

   एक सन ऑफ मल्लाह ,दूसरा केंद्र के मंत्री । दोनोँ की हालत क्या से हो गया? जगजाहिर है। पारस के साथ कई सांसदों के भविष्य भी गर्त में चला गया। साहनी राजद को पिछली बार राजद को बोला था कि ये पीठ में खंजर भोंका है, अब सीने में खंजर घुस गई और उफ तक नहीं निकल रही है।साहनी का राजद से गठबंधन का रास्ता बंद है और ये सब साहनी के बचपना के कारण हुआ। मांझी व उपेंद्र कुशवाहा का भी मिजाज ठंढा हुआ है। अगली बारी है नीतीश की। इन सबों की दुर्गति के कारण खुद हैं। कुर्सी के लिए किसी भी समझौता कर लेना।खुद तो डूबे सनम ,दूसरों को भी ले डूबे वाली हालत हो गई है। आंधी की तरह आने वाले तूफान की तरह चले जाते हैं। जिसके पास अपना वजूद है वही राजनीति में टिक सकता है नहीं तो दूसरों के भरोसे राजनीति करने वाले कभी भी गर्दिश में जा सकते हैं। बहुत पुराने ,कई बार जनप्रतिनिधि रहने वाले भी अपनी पहचान नहीं बना सके ।सदन में मुखर होकर जनता की बात कहने की साहस नहीं जुटा पाता।ऐसे लोग सिर्फ दल की टिकट की रहमोकरम पर राजनीति कर रहे हैं।टिकट कट ,पत्ता कट। तोते की तरह रट्टा मारने से कोई नेता नहीं होता है, अपनी समझ ,विचारधारा जरू...

आज 57 वर्ष अपने जीवन की पारी को पूरा हुआ ! - प्रसिद्ध यादव।

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     " मन लगो मोरा यार फकीरी में   ...."   संत कबीर दास की अनमोल वाणी को आत्मसात किया   " जो दिल ढूंढा अपना मुझसे बुरा न कोई।" ये मेरे साथ चरितार्थ होता है। जीवन में कितने झंझावात आते हैं, चले जाते हैं लेकिन कुछ ज़ख्म दे जाते हैं।कभी धूप ,कभी छांव जीवन में आते जाते रहते हैं।मेरा अनुभव होता है कि अपने कर्तव्यों व दायित्वों को को निर्वहन करते रहें ,प्रकृति के साथ ,स्वच्छंद विचारों के साथ रहें ,सकारात्मक सोच, साहित्य,संगीत में रुचि के साथ जियें ।आज के अर्थ व्यापार युग में हर किसी से परमार्थ की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं लेकिन यह सबसे अलग बनाता है। नकरात्मक ,ईर्ष्यालु, नफरती,स्वार्थी तत्वों से जितनी दूरी रहेगी,उतना ठीक रहेगा। संगति का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है।इसलिए संगति भी सोच समझकर करना चाहिए क्योंकि इससे जीवन संवर सकता है और बिगड़ भी सकता है।एक बार भी गलती से बुरे लोगों की संगति हो गई तो सब बर्बाद, इससे अच्छा है कि अकेला रह लें।अपने अंदर संवेदनाओ को कभी खत्म न होने दें और संवेदनहीन लोगों से दूर रहें। बेवजह किसी से बहस करने से कोई फायदा नहीं है।सभी को न...

बहुजनों खुद गले में गुलामी की फंदे डालने पर आमादा ! - प्रसिद्ध यादव।

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   कहने को बहुजन 85 फ़ीसदी है लेकिन आज 15 फ़ीसदी के इशारों पर खुद पैरों में घुंघरू नाचने पर उतारू हैं। कभी अपने स्वतंत्र मत वोट डालने के लिए संघर्ष करते हिंसा होती थी।बूथ अलग करने की मुहिम चली थी,लेकिन समय राजनीति स्वार्थ में इतना बदल गया कि स्वतंत्र रूप से मतदान करने की व्यवस्था होने पर लोगों की मानसिकता गुलामी की ओर जा रही है।जब आदमी किसी का मानसिक गुलाम हो जाये तो उसे कुछ भी करवाना आसान हो जाता है, उस पर प्रभुत्व जमाना आसान हो जाता है। गुलाम लोगों को न रोजगार, न महंगाई, न नफरती बयान,न जुमले आदि दिखाई देते हैं, उसे बस धर्म की ध्वज दिखाई पड़ती है। ऐसे लोगों के हरकतों से  बहुजन कमजोर हो गए हैं। जिसके हाथों में सत्ता की बागडोर होनी चाहिए था, वो दूसरे के हाथों के खिलौने बने हुए हैं।  इस तरह ये अपने वजूद को मिटाने पर आमादा हैं। बड़ी मुश्किल से बहुजनों को अपनी पहचान मिली थी, सत्ता में भागीदारी मिली थी ,अब सिर्फ हाशिये पर ही नहीं, नेपथ्य में जाने की तैयारी कर लिया है। अभिजात्य वर्ग का संवैधानिक संस्थाओं पर तो कब्जा था,जिस पर बहुजन धीरे धीरे अपनी धाक जमाना शुरू किया था, अब राज...

मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा और एनडीए ने वैश्य समाज की पूरी तरह से उपेक्षा की है : रणविजय साहू

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  नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में मुसलमान प्रतिनिधित्व को नगण्य रखकर  भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं : एजाज अहमद  बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने कहा कि बिहार मंत्रिमंडल के विस्तार में एनडीए और भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से अवसरवादिता और वैश्य समाज की उपेक्षा की है उससे स्पष्ट  होता है कि इन लोगों की नीतियां रही हैं इस्तेमाल करो फेंक दो की राजनीति , वह आज स्पष्ट रूप से दिखा ।और वैश्य समाज को इस बार मंत्रिमंडल में पूरी तरह से उपेक्षित रखा गया और उनके साथ सौतेलेपन का व्यवहार किया गया है।  इन्होंने आगे कहा कि एनडीए और भारतीय जनता पार्टी ने पहले भी वैश्य समाज को पूरी तरह से ही दरकिनार करके छलावा और धोखा की राजनीति की है। और वैश्य समाज का  तो‌ वोट ले लेती  है, लेकिन कभी भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं देती है ।         इससे पहले जहां मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री वैश्य समाज के हुआ करते थे, लेकिन इस बार वैश्य समाज को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया गया है ,और इस बार 21 लोगों ने मंत्रिमंडल में शपथ ली है उसमें व...

चंदा के करने वाले धंधा ! ( कविता )- प्रसिद्ध यादव।

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   चोर ..है या चोरों का सरदार ! देश का विक्रेता है या है चंगेज खान ? क्या समझा है जनता को अंधा? चंदा के करने वाले धंधा ! चोर ..है या चोरों का सरदार ! ईडी का भयादोहन करके  माल खूब बनाया है  देश के हर शहर में   दफ़्तर आलीशान बनाया है। चंदा के करने वाले धंधा ! चोर ..है या चोरों का सरदार ! चुनावों में करता पैसों का खेल  विरोधी को भेजता केवल जेल  संवैधानिक संस्थाओं को बनाया रखैल  चंदा के करने वाले धंधा ! चोर ..है या चोरों का सरदार ! देश का कैसा अमृत काल है?  साहेब के यार मालामाल है । देश की 40 फ़ीसदी जनता कंगाल है । ये तो विष काल है। चंदा के करने वाले धंधा ! चोर ..है या चोरों का सरदार ! चंदा के बदले ईडी से राहत  बड़े - बड़े ठेके ,ऊंचे - ऊंचे ओहदे  जुबां पर सिर्फ़ नफरत ही नफ़रत  जुमले और फर्जी बात । चंदा के करने वाले धंधा ! चोर ..है या चोरों का सरदार ! कैसा आया रामराज्य ? राज के लिए राम का ब्यापार  फूंकता शंख करता ढोंग  भोलेभाले से करता जोक । चंदा के करने वाले धंधा ! चोर ..है या चोरों का सरदार ! जनता सब देख रही है तेरी करनी ...

ईडी के भय से खूब चंदा वसूली मोदी सरकार!

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        खाएंगे भी और खाने भी देंगें ! वसूली सरकार, मोदी सरकार !  मोदी सरकार कैसे नंगा हो गई ?  इसके लिए इलेक्ट्रोल बॉन्ड की लिस्ट ही काफी है। इसमें बड़ी कंपनियां छोटे छोटे फेक कम्पनी बनाकर मोदी को करोड़ों रुपये चंदा दिया।वैसे कम्पनी मात्र एक कमरे में चलती है। क्या यह सम्भव है कि छोटी छोटी कम्पनियां करोड़ों रुपए चंदा दे ! असल बड़ी कंपनियां खुद के नाम आने के भय से फेक कम्पनियों का सहारा लिया। जरा एक नज़र डालें काले करतूतों पर - 1. कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी ने भाजपा को 52 करोड़ की डोनेशन दी, भाजपा ने मुहमांगे दामों पर वैक्सीन खरीदी और बदले में पूनावाला से सीधे कमीशन ले लिया और ये वो रकम है जो बुक्स में दर्ज है जो प्रूडेंट के रास्ते गयी है जो सीधे या कैश गयी होगी उसका हिसाब खुलना बाकी है। 2. रुइया बंधुओं पर ईडी कारवाई करती है बदले में एस्सार ग्रूप 50 करोड़ देता है। 3. आर्सेलर मित्तल के मालिक सरकार से निवेदन करते हैं कि एस्सार मामले में जो जांच चल रही है उसमें उन्हें छूट दी जाये बाद में मित्तल ग्रूप अलग-अलग तारीखों में 120 करोड़ चंदा देता है। 4. भारती एयरटेल पर...

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पर्दादारी ठीक नहीं ! सुप्रीम कोर्ट नियुक्ति पर हस्तक्षेप करे।

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      जिनके कंधों पर देश की चुनाव करवाने की जिम्मेवारी है और अगर उसकी नियुक्ति जल्दबाजी में पर्दादारी हो तो यह लोकतंत्र की सफलता के लिए अच्छा संकेत नहीं है।  इस बार भी दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सिर्फ एक रात पहले उन्हें दो सौ बारह नामों की सूची दी गई। फिर इससे संबंधित बैठक शुरू होने के महज दस मिनट पहले सरकार की ओर से उनके पास छह नाम भेजे गए; इतने कम समय में सूचीबद्ध किए गए लोगों की ईमानदारी और तजुर्बे की जांच करना असंभव है। उन्होंने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए समिति में प्रधान न्यायाधीश को भी रखने की बात कही। अगर विपक्ष के नेता का आरोप सही है तो इसका मतलब यह है कि सरकार की ओर से शायद चुने गए नामों को लेकर आखिरी समय तक भ्रम की स्थिति बनाए रखने की कोशिश हुई। सवाल है कि देश में लोकतंत्र को जमीन पर उतारने का बड़ा दायित्व संभालने वाली जिस संस्था का गठन पूरी तरह पारदर्शी होना चाहिए, उसे लेकर किसी भी स्तर पर पर्दादारी क्यों बरती जाती है! चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर पहले भी सरकार की मंशा पर स...

ज्ञानेश्वर की डायरी बहुजनों को खलनायक बताने की कहानी है!

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   गौर से इसकी डायरी की कहानियों के एपिसोड को देखेंगे तो इसकी डायरी में अभिजात्य वर्ग की दबंगई की कहानी नहीं मिलती है। उस पुलिस अधिकारियों की बहादुरी बढ़ चढ़ कर बताता है कि मानो असली हीरो देश के वही है। आखिर दशकों पूर्व इन कहानियों को तोड़ मरोड़कर ,मिर्च मसाला डालकर परोसने का मकसद क्या है? मकसद एक ही है कि बहुजन अपराधी प्रवृत्ति के होते हैं और खुद बड़े बुद्धिमान। पुलिस अधिकारियों ने कैसे मानवाधिकार का उल्लंघन कर संविधान की धज्जियां उड़ाई थी ? यह जगजाहिर है। भले बहुजनों के खिलाफ मुहिम चलाकर महीने में लाखों कमाता है लेकिन पत्रकारिता के नाम पर घोर पक्षपात है। मैंने इसके फब पर इसी तरह का कॉमेंट किया था तो तिलमिला गया था और कोई जवाब नहीं दिया था।बहुजनों को इसकी चिकनी चुपड़ी डायरी को बायकॉट करना चाहिए। इसकी डायरी में केवल नकारात्मक असर होता है, जबकि सकारात्मक ऊर्जा समाज बदलता है। जिस पुलिस अधिकारी की वीरता कहते नहीं अघाते है, उसकी हेकड़ी शेरे बिहार राम लखन सिंह यादव ने तोड़ दिया था। एक जेल में बन्द कैदी को बिना बेल के बाहर जाने का फरमान मौखिक निकलवा कर जेल से भागने का मुठभेड़ की साजिश रची थी ...

पूर्व सीएम राबड़ी देवी सहित महागठबंधन के सभी उम्मीदवारों के निर्विरोध विधान पार्षद निर्वाचित होने एजाज अहमद ,रंगकर्मी नवाब आलम व प्रसिद्ध यादव ने बधाई दी है।

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आज महागठबंधन के सभी उम्मीदवारों के निर्विरोध विधान पार्षद निर्वाचित होने पर प्रदेश राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे महिला सशक्तिकरण  के साथ- साथ पार्टी का सभी वर्गों में विश्वास बढ़ा है।  प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने निर्विरोध विधान पार्षद चुने जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी, राष्ट्रीय प्रधान महासचिव श्री अब्दुलबारी सिद्दिकी, प्रदेश प्रवक्ता डाॅ0 उर्मिला ठाकुर, राष्ट्रीय महासचिव श्री फैसल अली सहित  भाकपा माले की काॅ शशि यादव को बधाई देते हो कहा कि इससे राष्ट्रीय जनता दल और महागठबंधन के प्रति लोगों का विश्वास और मजबूत हुआ है साथ ही लालू प्रसाद और तेजस्वी प्रसाद यादव के द्वारा सभी वर्गों को सम्मान देने की जो नीति है उसको मजबूती मिलेगी और महिला सशक्तिकरण के प्रति महागठबंधन का जो सच है उसको एक नया आयाम मिला है। 

अब लगातार हो रही लूट - हत्याएं नहीं दिख रही है!

   अब सब मजे में है।चारो तरफ लूट ,हत्या में भी मंगल ,रामराज्य दिख रहा है। दिखे भी क्यों नहीं? दिखाने वाले संजय और देखने वाले धृतराष्ट्र जो ठहरे। एक व्यवसायी की लूट और दिनदहाड़े गोली राजधानी की व्यस्तम क्षेत्र डाकबंगला पर घटी वो भी डिप्टी सीएम के काफिले के सामने ।अमूनन हर दिन दर्जनों लूट व गोली चलने की घटनाएं हो रही है लेकिन विधि व्यवस्था पर कोई चूं भी बोले ।मीडिया का ट्रेंड बदल गया है ।अखबार की हेड लाईन के ऊपर- मोदी की गारंटी ' जरूर देखने को मिलेगा।न्यूज़ चैनल का भी यही हाल है।ये सब विज्ञापन का पैसा कोई फकीर नेता कर सकता है क्या? ये पैसा किसका है? कल मालूम होगा।राजधानी पटना का क्षेत्र बिना हत्या का एक दिन भी नहीं गुजर रहा है।सुशील मोदी को एक बार फिर अपराधियों से आग्रह करना चाहिए था कि कम से कम होली तक वारदात को छोड़ दें, जैसा कि पहले खरमास तक बन्द करने का अपील माननीय अपराधी जी कह कर बोले थे।

राजनीति के भाँटगिरी! प्रशांत किशोर भाजपा का एजेंट है।

      इनके पूरे बिहार दौड़ा पर दिया गया बयान को देखें कि ये किस पर टारगेट किया है।सिर्फ और सिर्फ बहुजनो नेताओं पर ।लालू यादव, तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी आदि पर छींटाकशी किया है।सबसे बड़ी बात है कि इनका भ्रमण बहुजनो के क्षेत्रों में हुआ है और वही जाकर लोगों को ब्रेन वाश कर रहा है। दूसरा लक्ष्य इसका अधिक से अधिक बहुजनो को टिकट देना होगा ताकि भाजपा के विपक्षी दलों के वोट में सेंध लगे। ओबैसी के दूसरा रूप है प्रशांत किशोर।" भाजपा को बिहार में कोई और नेता नहीं मिला तो शकुनि के पुत्र को नेता मान लिया !" इस कथन का आशय क्या है? राजनीति के भाँटगिरी इससे अच्छा क्या हो सकता है? महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, नफरती बयान पर किशोर को सांप सूंघ गया है।

कितने पारदर्शी रहे होंगें बीयूरोक्रेट गंगोपाध्याय व गोयल ?

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       अब पूर्व जज व  पूर्व चुनाव आयुक्त लड़ेंगे  भाजपा से  चुनाव ! कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय की तरह बीजेपी के टिकट पर  लोकसभा चुनाव  लड़ने के लिए अरुण गोयल ने  चुनाव आयुक्त का पद छोड़ा है. कॉंग्रेस नेताओं का मानना है कि सम्भवतः ये दोनों भाजपा से लोकसभा के चुनाव लड़ें । सवाल है कि सेवा अवधि रहते पद त्याग कर सत्ता पक्ष की दरवारी करना लोकतंत्र के लिए कितना उचित है। लोगों के जेहन में यह सवाल उठने लगी है कि ये लोग पद पर रहते भाजपा को जरूर मदद किया होगा,जिसका ईनाम के रूप में  लोकसभा का टिकट है। पूर्व में भी जज को सेवा अवकाश के बाद राज्यपाल से नवाजा गया था। कहने के लिए लोकतंत्र जनता की शासन होता है लेकिन अब सरकार की यह रवैया देखकर लगता है कि जनता केवल वोट देने तक सीमित रह गई है, नुमाइंदे अब शक्तिशाली ही  बनेंगें।

मोदी सरकार विपक्षी नेताओं पर किया ईडी का खूब इस्तेमाल!

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         ईडी के डर से कई विपक्षी नेता भाजपा के दामन थाम लिया और अब चैन की बांसुरी बजा रहा है । ईडी की कार्यवाही कछुए की चाल हो गई है।  अपराध अपराध होता है फिर पक्ष व विपक्ष क्या ? अगर यही रवैया सरकार की रही तो यह सरकार की भेदभाव पूर्ण मनमानी है।साल 2014 से अब तक यानी पिछले आठ सालों में नेताओं के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल चार गुना बढ़ा है। इन वर्षों में 121 प्रमुख राजनेता जांच के दायरे में आए हैं, जिनमें से 115 विपक्ष के हैं। इस तरह एनडीए राज में ईडी की 95 प्रतिशत  कार्यवाही विपक्ष पर हुई। भाजपा और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाते रहे हैं। 3 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा में वोटिंग के दौरान विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन के नेताओं ने ED-ED (प्रवर्तन निदेशालय) के नारे लगाये थे। उनका आरोप था कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने प्रवर्तन निदेशालय के डर से भाजपा से हाथ मिलाया है। साल 2014 से अब तक यानी पिछले आठ सालों में नेताओं के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल चार गुना बढ़ा है। इन वर्षों में 121 प्रमुख राजनेता ज...

होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा। ( कविता ) -प्रसिद्ध यादव।

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   सेव जैसे लाल चेहरा बदरंग हो जायेगा। पाप का भरा   घड़ा फूट जाएगा। स्वर्ण लंका जल जाएगा,अहंकार टूट जाएगा। होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा। रस्सी जलने के साथ, ऐंठन भी छूट जायेगा  देश के जेबकतरे का पता चल जायेगा। रावण व धृतराष्ट्र जैसे परिवार को  नेसनाबूत करने वाले का पता चल जायेगा। होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा। न रहा है सब दिन हनक किसी का  न  चलती है चतुराई  जब लोग सजग हो जाये तब  लुटेरे धूर्त का पता चल जायेगा। होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा। दूध की रखवाली करती रही बिल्ली दूध क्या रहेगी सलामत ? बर्तन भी फूटी ,तब भी नहीं नींद टूटी । अब पहचान लेना चेहरे न आना कभी झाँसेराम की झांसे में  चिकनी -चुपड़ी बातों में  चेहरे के स्याह दिख जाएगा। होली से पहले चेहरे से नक़ाब उतर जायेगा।

सुप्रीम कोर्ट की पड़ी चाबुक ,एसबीआई दौड़ने लगी सरपट !

   सत्ता की हनक  - सनक  देशवासियों ने देखा । कैसे चुनावी चंदा देने वाले के नाम बताने में एसबीआई बहानेवाजी कर रही थी? आखिर किसके इशारे पर 1 अरब 40 करोड़ जनता से अधिक सरकार की परवाह कर रही थी। इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में ये लोगों को लाइव देखने को मिला. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की ना-नुकुर के बावजूद अब उसने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए एसबीआई को इसके लिए 12 मार्च तक का समय दिया था और अब चुनाव आयोग को ये सारा डेटा अपनी वेबसाइट पर 15 मार्च शाम 5 बजे तक लगाना है. मोटी रकम लेने वाले राजनीतिक दल इस खुलासा से सदमें में है, क्योंकि इससे राजनीतिक दल के चाल चलन पता चल जायेगा और इस इसका दुष्प्रभाव चुनाव में पड़ना तय है।एसबीआई देश की जनता को निरीह समझ कर सरकार को ही सर्वेसर्वा समझने की भूल कर रही थी।कोई भी सरकार या संवैधानिक संस्था अन्तोगत्वा जनता के प्रति ही जवाबदेह होता है।

लोकतंत्र पर धन हावी ! - प्रसिद्ध यादव।

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    चुनावी चंदे सिर्फ़ रुपये बनाने के लिए दिए जाते हैं। राजनीति पार्टियों को चुनावी चंदे सिर्फ मनमानी लाभ कमाने के लिए ,टेंडर लेने के लिए एवम पिछले दरवाजे से राजनीति में आने के लिए दिए जाते हैं। 1 अरब 40 करोड़ जनता पर चंद पूंजीपति कैसे हावी है? कैसे चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं? यह इलेक्ट्रोल बांड बता रहा है। जितने भी चंदे देने वाले हैं, उस पर सरकार किस कदर मेहरबान हुई ? यह  भी जांच का विषय है।सार्वजनिक क्षेत्र को निजी क्षेत्र में बदलकर कैसे चंदे देने वाले  कुंडली मारकर बैठा है?यह भी बताना चाहिए। आज भी देश में करोड़ों लोग फटेहाल जिंदगी जी रहे हैं।कुछ को छोड़ कोई एक रुपया का मदद करने वाले नहीं है।जरूरतमंद के लिए पूंजीपतियों की थैली की मुँह क्यों नहीं खुल रही है? ऐसे अरबों - खरबों के राजनीतिक दलों के सामने कोई गरीब व्यक्ति चुनाव लड़ने का साहस भी नहीं कर सकता है।क्या अब लोकतंत्र धन तंत्र बन गया है? आज पोर्ट ,एयरपोर्ट, रेल ,भेल,सेल सभी निजी हाथों में जा रहा है और देश के युवा इनके दरवारी बनने के लिए मजबूर हो रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, निर्माण आदि पर पूंजीपतियों का दबदबा बढ़ रह...

केंद्र सरकार ने मुद्दों से ध्यान भटकाने और‌ खबर की हेडिंग बदलने के लिए सीएए लागू करने की घोषणा की है :एजाज अहमद

     प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार ने मुद्दों से ध्यान भटकने तथा खबर की  हेडिंग बदलने के लिए सीएए की अधिसूचना जारी कर दी है, और इसे पूरे देश में  लागू  कर दिया गया है।        इसपर राजद की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है, प्रदेश राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि जब देश  का नौजवान रोजगार मांग रहा है,जब देश के लोग महंगाई से परेशान है, तब नरेंद्र मोदी के सरकार के पास इन सभी का जवाब का है सीजे।  केंद्र सरकार ने लोगों वादा किया था कि हर साल दो करोड़ नौकरी देने का,लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद भी केवल सात लाख  बाईस हजार तीन सौ ग्यारह लोगों को ही नौकरी दे पाए। और  अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रोल बॉन्ड के मामले में बीजेपी सरकार को घेरा तब हैडलाइन बदलने के लिए रातों-रात नरेंद्र मोदी सरकार ने सीजे  की अधिसूचना जारी कर दिया। जबकि सीएए  दोनों सदनों से साढे चार साल पहले  ही पास हो गया था तो यह चुनाव के ठीक पहले इसकी अधिसूचना जारी करके क्या नरेंद्र मोदी की सरकार एजेंडा सेट करना चाहती है ...

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रंगा सियार अब देखेगी दुनिया !

   सुप्रीम कोर्ट से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया  को झटका लगा है.कौन कितना देश के विकास के दौड़ लगा रहा है या सत्ता लपकने के लिए यह दुनिया जान जाएगी। इलेक्टोरल बॉन्ड  से जुड़ी जानकारी साझा करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की एसबीआई की मांग को खारिज कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से मंगलवार यानी 12 मार्च तक सारी डिटेल साझा करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसला देते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को 'असंवैधानिक' करार देते हुए रद्द कर था. साथ ही एसबीआई से 6 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग के पास जमा करने को कहा था. इस पर एसबीआई ने 30 जून तक का समय मांगा था.  चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है.  सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने एसबीआई की मांग को खारिज करते हुए 12 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया है. साथ ही चुनाव आयोग को ये सारी डिटेल 15 मार्च की शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है. साल 2017 में केंद्र सरकार ने इ...

पूर्व सीएम श्रीमती राबड़ी देवी सहित महागठबंधन के सभी उम्मीदवारो ने आज द्विवार्षिक एमएलसी चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया

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  बिहार विधान परिषद द्विवार्षिक चुनाव के लिए आज महागठबंधन के सभी उम्मीदवारो पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी, राष्ट्रीय प्रधान महासचिव श्री अब्दुलबारी सिद्दिकी, प्रदेश प्रवक्ता डाॅ0 उर्मिला ठाकुर, राष्ट्रीय महासचिव श्री फैसल अली ने राष्ट्रीय जनता दल की ओर से तथा भाकपा माले की काॅमरेड शशि यादव ने बिहार विधान सभा के सचिव सह निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष नामांकन पत्र दाखिल किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद, नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री श्री तेज प्रताप यादव, सांसद डाॅ0 मीसा भारती, कांगे्रस के प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश सिंह, भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष श्री अवध बिहारी चैधरी, पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता, समीर कुमार महासेठ, ललित यादव, डाॅ0 शमीम अहमद, अनीता देवी, सुरेंद्र राम, सुधाकर सिंह, राष्ट्रीय महासचिव श्री भोला यादव, प्रदेश प्रधान महासचिव श्री रणविजय साहू, मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, विनोद श्रीवास्तव, विधायक अख्तरूल इस्लाम शाहीन, भाई वीरेन्द्र, सुदय यादव,...

इकलौते निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा !

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      ये   गम्भीर मामले हैं।  सर पर चुनाव और निर्वाचन आयुक्त का इस्तीफा देना सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। 5 वर्ष पूर्व 10 मार्च को ही आचार संहिता लागू हुआ था ।चुनाव 11 अप्रैल से 9 मई तक हुआ था। निर्वाचन आयोग में 7 और 8 मार्च को ऐसा क्या हुआ कि उसी दिन निर्वाचन आयोग में इकलौते निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया? कुछ बहुत गंभीर बात हुई है जिसकी वजह से अपनी चार साल की सेवा को अरुण गोयल ने ठोकर मार दी. अगले चार साल में दो साल से ज्यादा गोयल  मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर रहते। गोयल के कुछ मुद्दों पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ मतभेद तो थे. ये अलग बात है कि अमूमन बड़े अधिकारियों के बीच इतने मतभेद तो चलते हैं रहते हैं, लेकिन छह और सात मार्च को आयोग में माहौल थोड़ा अलग महसूस किया गया. आठ मार्च को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला निर्वाचन सदन आए थे. अजय भल्ला ने निर्वाचन आयोग के अधिकतर राज्यों में चुनावी तैयारियों को समीक्षा के बाद आम चुनाव के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती और आवाजाही का प्लान चेक किया. इसका उद्देश्य था कि जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, झारख...

पैरामीटरप्लस इंटरनेशनल स्कूल में मनाया गया वार्षिकोत्सव सह परिणाम वितरण समारोह।

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  शिक्षा के कारण ही एक दाई के बेटा विधायक हुआ..... गोपाल रविदास। खगौल ! पैरामीटरप्लस इंटरनेशनल स्कूल,  जमालुद्दीन चक नहर रोड,खगौल का रविवार को वर्षोत्सव सह पुरस्कार वितरण समारोह धूमधाम से मनाया गया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक गोपाल रविदास ने विद्यालय प्रांगण में बच्चों व अविभावकों के बीच अपनी स्कूल और कॉलेज के दिनों के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि इनकी माता दाई की काम करती थी जो प्रसव करवाने की काम करती थी।पिता जी तारेगना स्टेशन पर कुली के काम करते थे।कभी घर में खाना होता,कभी भूखे सो जाना पड़ता था। भूख के कारण रोते थे और विद्यालय नही जाने दिया जाता था लेकिन दादी स्कूल में पहुंचा देती थी।इस गरीबी में भी वे तीन विश्विद्यालय मगध ,पटना व दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़े ।वे काफी में पढ़े जिसका नतीजा है कि वे आज एक विधायक हैं। विधायक को विद्यालय के निदेशक ई आफताब आलम प्राचार्य ने बुके व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ रंग निर्देशक  एवं सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम , अधिवक्ता ने बच्चों को प्यार से पढ़ाने और मोबाइल जैसी लानत से बचाने की सलाह ...

एसबीआई को चुनावी बॉन्ड बताने की लाचारी !

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     आज के आईटी युग में एक क्लिक करके पूरा डिटेल्स निकाला जा सकता है लेकिन चुनती बॉन्ड को बताने के लिए चुनाव बाद का समय मांगा है । चुनाव से पूर्व महादनियों के पोल खुलने से चुनाव पर असर पड़ना लाजमी था। देश की जनता आशा भरी नजरों से देख रही थी कि  दानियों की हकीकत को जानें ।अब इस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोहलत दे दिया गया तो अब कोई क्या करे? भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड के संबंध में जानकारी देने के लिए 30 जून 2024 तक समय बढ़ाने की मांग की है. अपनी याचिका में एसबीआई ने कहा कि इस कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश की तारीख 12 अप्रैल, 2019 से फैसले की तारीख 15.02.2024 तक दाता की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है. उस समयावधि में, बाईस हजार दो सौ सत्रह (22,217) चुनावी बॉन्ड का उपयोग विभिन्न राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया गया था. एसबीआई ने आगे कहा कि भुनाए गए बॉन्ड प्रत्येक चरण के अंत में अधिकृत ब्रांच द्वारा सीलबंद लिफाफे में मुंबई मुख्य ब्रांच में जमा किए गए थे. इस तथ्य के साथ कि दो अलग-अलग सूचना साइलो मौजूद हैं, इसका ...

हाय रे लिपिस्टिक ! लाचार,बेवस प्राणी हैं भुक्तभोगी!

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      लिपिस्टिक के चक्कर में पति पत्नी में तलाक की नॉबत आ जाये,अजीब सा लगता है। एक शख्स ब्रांडेड लिपिस्टिक लेकर नहीं आया तो मामला बिगड़ गया।दूसरा महंगा ले आया तो मामला बिगड़ा। बाल हट ,त्रिया हट औऱ साधु हट बड़ी मुश्किल खड़ी कर देती है।त्रिया हट से आदमी को दिन में तारे दिखने लगते हैं। इसके बावजूद स्त्री घर की लक्ष्मी होती है और हमें लक्ष्मी की तरह सम्मान करना चाहिए। दुख में सबसे ज्यादा साथ यही देती है, इसलिए इनकी भावनाओं को कद्र करना चाहिए। लिपिस्टिक की कहानी को जानें- यह   5  हज़ार साल पुरानी सभ्यता है । सुमेरियन सभ्यता के लोगों को लिपस्टिक के शुरुआती उपयोगकर्ताओं का श्रेय दिया जा सकता है। उस समय इसे बनाने के लिए फलों, मेहंदी, मिट्टी और यहां तक कि कीड़ों जैसी नैचुरल चीज़ों का भी उपयोग कर लिया जाता था। मेसोपोटामिया की महिलाएं इस मामले में कुछ ज़्यादा आगे थीं।     लिपस्टिक आमतौर पर  मोम, तेल, पिगमेंट और अन्य एडिटिव्स के मिश्रण को गर्म करके बनाई जाती है । मोम, कारनौबा मोम, अरंडी का तेल, और विभिन्न रंग एक साथ गर्म किए गए घटकों में से हैं और...