अजनबीपन की गहनता: आत्म-शुद्धि का सोपान पीड़ा का आईना और सच्चे संबंधों की परख !- प्रो प्रसिद्ध कुमार।
मानव जीवन के अनुभव-पथ पर 'अजनबीपन' (अलगाव) एक ऐसी गहन अनुभूति है, जो हृदय की कोमलता को विदीर्ण कर देती है। "अजनबीपन का दर्द गहरा होता है," और वास्तव में, इसकी वेदना मौन होती है, परंतु इसका प्रभाव जीवन की दिशा बदलने की क्षमता रखता है। यह एक ऐसा एकांत है जो बाहरी नहीं, बल्कि अंतर्मन की गहराइयों में महसूस होता है। अजनबीपन की पीड़ा: अजनबीपन का दर्द यह, अतिशय दारुण पीर। भीतर से जब टूटता, तब बहता नयनन नीर॥ परंतु, यह पीड़ा केवल कष्ट का पर्याय नहीं है। यह जीवन की कठोर पाठशाला है, जहाँ से ज्ञान का प्रकाश फूटता है। इसका सबसे बड़ा सकारात्मक पक्ष भी है—यह हमें आत्म-परीक्षण का अवसर देता है। यह हमारी आत्मा के सम्मुख एक ऐसा आईना दिखाता है जिसमें सामाजिक संबंधों की वास्तविक छवि स्पष्ट होती है। यह एकांत ही है जो हमें यह बोध कराता है कि "कौन हमारे लिए सही है और कौन केवल हमारी उपस्थिति का लाभ उठा रहा है।" जब हम स्वयं को भीड़ से हटाकर देखते हैं, तभी छद्म (झूठे) और सच्चे (निष्कपट) संबंधों का भेद सामने आता है। जो लोग केवल स्वार्थवश हमसे जुड़े हैं, वे इस अकेलेपन में छिटक जाते ह...