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Showing posts from October, 2023

बिहार सरकार जानबूझकर बीएडधारी अभ्यर्थियों को दी धोखा !-प्रसिद्ध यादव।

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  मैं शुरू से ही इस मुद्दे पर सरकार को चेतावनी दे रहा हूँ, अखबारों में भी मेरी बात आई थी लेकिन सरकार कान में तेल डालकर सो रही थी। बिहार सरकार के महाविद्वान शिक्षा मंत्री और सचिव के रहते और जानते हुए कि सुप्रीम कोर्ट राजस्थान के ऐसे डिग्रीधारकों को प्राथमिक शिक्षक के अयोग्य घोषित किया है और यह पूरे देश में लागू होगा फिर भी परीक्षा में दो दिनों तक शामिल कर आर्थिक ,मानसिक रूप से दोहण किया। सिर्फ इसलिए कि अगर परीक्षा में ऐसे अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया तो परीक्षा के नाम पर वसूली गई मोटी रकम अभ्यर्थियों को लौटानी पड़ेगी । राशि न लौटानी पड़े इसके लिए अभ्यर्थियों को और आर्थिक ,मानसिक शोषण की। इस पूरे प्रकरण में सिर्फ और सिर्फ बिहार सरकार दोषी है और सरकार अविलंब वैसे अभ्यर्थियों को परीक्षा शुल्क वापस करे। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले को एक साधारण सा व्यक्ति समझ रहा था कि सरकार भले ही वैसे 1 लाख 70 हजार अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल कर रही है लेकिन शिक्षक बनने से वंचित रह जाएंगे ,क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से कोई ऊपर नहीं है। बिहार सरकार अपनी विफलता छुपाने के लिए जनहित याचिका दायर कर ढोंग...

ए. के. खंडेलवाल बने पूर्व मध्य रेल के नए महाप्रबंधक !-वीरेन्द्र कुमार

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श्री ए. के. खंडेलवाल ने दिनांक 30.10.2023 को पूर्व मध्य रेल के नए महाप्रबंधक का पदभार ग्रहण कर लिया है । इसके पूर्व आप रेलवे बोर्ड में प्रमुख कार्यकारी निदेशक (गति शक्ति) के पद पर पदस्थापित थे  श्री ए. के. खंडेलवाल ‘‘भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग सेवा‘‘ (IRSE)  के 1987 बैच के एक ख्याति प्राप्त अधिकारी हैं । आपने एम.एन.आई.टी., जयपुर से सिविल इंजीनियरिंग संकाय में स्नातक तथा आई.आई.टी, रूड़की से एम.टेक की डिग्री प्राप्त किया है । 34 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ, श्री खंडेलवाल ने भारतीय रेलवे के बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आपकी देख-रेख में भारतीय रेल के कई महत्वपूर्ण पुलों, इमारतों और रेलवे ट्रैक सहित अन्य निर्माण परियोजनाओं को पूरा किया गया है । आपने दक्षिण मध्य रेलवे में एईएन/बेल्लमपल्ली के रूप में अपनी रेलसेवा शुरू की और उसके बाद आप दक्षिण रेलवे, उत्तर रेलवे, रेलवे बोर्ड तथा चुनौतीपूर्ण उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक प्रोजेक्ट में अपनी महत्वपूर्ण सेवा दे चुके हैं। आपने उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक प्रोजेक्ट के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी/नि...

न रहती सुकून से न दूसरों को रहने देती । - प्रसिद्ध यादव।

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   न रहती  सुकून से  न दूसरों को रहने देती  । न जानें कहाँ से ऐसी फ़ितरतें हैं पाई ? हम नयनन से घायल होने वाले को  खंज़र क्यों दिखाती है? तेरी लट में उलझा रहता हूँ फिर उलझन में क्यों डालती है? जब मुँह  खोले तब  ज़हर ही ज़हर चारों तरफ माहौल को विषैला ही बनाती है। इतनी नफ़रतें कहाँ से आई ? क्या ख़ुद अमर - अजर समझी है ?  या कोई अमरत्व का वरदान पाई है ? इस माटी का  है क्या मोल? फिर क्यों  है आग लगाई ? प्यार से नहीं  मिलकर रह सकती  बिना नफ़रत के भी रह सकती  मदद के लिए नहीं उठे हाथ बिना पैर खींचे भी रह सकती  स्वच्छंद गगन में उड़ने वाले को जाल क्यों बिछाई ? नहीं सुनी प्रेम धुन मोहन की  गीता सार ही सुन लेती  गोवर्धन पर्वत को उठाता हूँ चक्र सुदर्शन भी रखता हूँ शांति प्रिय का मतलब  कायर नहीं । जब चीर हरण का हुआ प्रयास महाभारत भी कर देता हूँ। मेरे अंदर भी है अंगड़ाई। न  रहती सुकून से  न दूसरों को रहने देती  । न जानें कहाँ से  ऐसी फ़ितरतें  हैं पाई ?

रचना ही अमर कृति है।-प्रसिद्ध यादव।

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   ( आज मेरा 2500 ब्लॉग्स पूरा हुआ। आप सभी को हृदय से आभार !) बड़े -बड़े राज राजवाड़े ,बादशाह चले गए । महल,अटारी कुछ खंडहर तो कुछ नेस्तनाबूद हो गए। पूरी उम्र जिसके लिए चोरी,डकैती, लूट,भ्रष्टाचार करते रहे, वो घर में एक तस्वीर भी नहीं टांग कर रखा है।कहाँ चले गए रियासत, रौब , हुक्म ? कोई नाम लेने वाले नहीं है। लेकिन  सदियों पूर्व आज भी दुनिया उन फकीरों को याद करती है जो इस दुनिया को अपने  कृत्यों ,रचनाओं, अनुसंधान, खोज ,कल्पनाओं ,आविष्कारों ,स्वर,चिंतन मनन ,योग्य,ध्यान,आध्यात्म ,विचारों, दर्शनों  से धन्य  कर दिया। इनके देन आज भी मील का पत्थर साबित है। आज हमारे सामने जो भी प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से मिला है, जिसका उपयोग, उपभोग कर रहे हैं, वे सभी उन मनीषियों की ही देन है जो परमार्थ में निरंतर काम किये थे। हर व्यक्ति के अंदर कुछ न कुछ मौलिक रचना करने की क्षमता होती है लेकिन आज अर्थोपार्जन के युग में यह प्रथमिकता में नहीं रहा।नतीजा, आज लोगों की खुशी लुप्त होती जा रही है। साहित्य,संगीत जीवन में ऐसा रस भर देता है कि जो इसका स्वाद चख लिया तब फिर इसके सामने सब फीका पड़ ...

भूमाफिया फर्जी जमाबंदी कायम कर बेच दी सरकारी जमीन

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     कैसे फर्जीवाड़ा कर के जमीन की जमाबंदी अपनों के नाम कर के दूसरे के जमीन पर कब्जा जमा रहा है लेकिन पकड़े जाने पर दांव उल्टा पड़ रहा है और सीधे सलाखों में जाने की तैयारी कर लेता है।इस फर्जीवाड़े में अंचलाधिकारी, कर्मचारी भी नहीं बच पाते हैं। कुछ तो कई दशकों से जमीन पर कब्जा होने की दावा करने से भी नहीं हिचकते हैं और पैसों के बल पर कुछ ग्रामीण और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लिखवा लेते हैं कि जमीन उनकी है।ऐसे में क्या निबंधन कार्यालय स्तित्वहीन हो जाएगा।अगर ऐसी अराजकता हो जाये तो कोई किसी की जमीन को हड़प सकता है। फिरहाल फर्जीवाड़ा कर  जमाबंदी कायम करने वाले को शामत आने वाली है।  बिहार में जमीन माफिया इस कदर बेखौफ हैं कि सरकार और रेलवे की जमीन को भी नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा मामला भागलपुर के साहेबपुर कमाल अंचल का है।  जमीन माफियाओं ने साहेबपुर कमाल अंचल के मल्हीपुर बरारी मौजा और मुंगेर जिला सीमा क्षेत्र के खेसरा नंबर 58 की 283 बीघा गैरमजरुआ जमीन को फर्जीवाड़ा करके अपने नाम जमाबंदी करा ली। यह मामला तब सामने आया, जब आरोपी अंबरीश चंद्र सिंह और अरविंद चंद्र सिंह ने उक्त ज...

दिल चुरा कर न हमको बुलाया करो - गोपाल सिंह नीरज ।

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   दिल चुरा कर न हमको बुलाया करो  गुनगुना कर न गम को सुलाया करो, दो दिलों के मिलन का यहाँ है चलन खुद न आया करो तो बुलाया करो, रंग भी गुल शमा के बदलने लगे तुम हमीं को न कस्में खिलाया करो, सर झुकाया गगन ने धरा मिल गई तुम न पलकें सुबह तक झुकाया करो, सिंधु के पार को चाँद जाँचा करे तुम न पायल अकेली बजाया करो, मन्दिरों में तरसते उमर बिक गई सर झुकाते झुकाते कमर झुक गई, घूम तारे रहे रात की नाव में आज है रतजगा प्यार के गाँव में दो दिलों का मिलन है यहाँ का चलन खुद न आया करो तो बुलाया करो, नाचता प्यार है हुस्न की छाँव में हाथ देकर न उँगली छुड़ाया करो

एक तिनका ( कविता ) मैं घमण्डों में भरा ऐंठा हुआ। -कवि अयोध्या सिंह हरिऔध ।

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   जो घमंड में चूर रहते हैं धन के, पद, पावर,बल ,छल के उन्हें आंखें खोलने के लिए कवि अयोध्या सिंह हरिऔध की 12 पंक्तियों की कविता ही काफी है।  घमण्डों में भरा ऐंठा हुआ। एक दिन जब था मुण्डेरे पर खड़ा। आ अचानक दूर से उड़ता हुआ एक तिनका आंख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा  लाल होकर आंख भी दुखने लगी  मूंठ देने लोग कपड़े की लगे ऐंठ बेचारी दबे पांवों भगी। जब किसी ढब से निकल तिनका गया  तब 'समझ' ने यों मुझे ताने दिए। ऐंठता तू किसलिए इतना रहा  एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

चाँद सी महबूबा हो मेरी... शरद पूर्णिमा पर चांद गीतों में।

           चंदा रे, मेरे भैया से कहना, ओ मेरे भैय्या से कहना बहना याद करे-२ ओ चँदा रे...   तुझे सूरज कहूँ या चंदा तुझे दीप कहूँ या तारा मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा... चाँद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीते मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद ..... चांद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा ...... मैंने पूछा चाँद से के देखा है कही मेरा यार सा हसीं चाँद ने कहा चाँदनी की कसम नहीं नहीं नहीं....... जाने कितने दिनों के बाद गली में आज चाँद निकला ..... ये मुखड़ा चांद का टुकड़ा..... चांदनी रात है तू मेरे साथ है हो चांदनी रात है तू मेरे साथ है.... आधा है चंद्रमा रात आधी ...... चांद पर न जाने कितने गीत ,शायरी,नज़्म लिखे गए हैं। साहित्य-संसार का शृंगार, संयोगियों का सुधासार, वियोगियो का विषागार, उपमाओं का भंडार एवं कल्पनाओं का आधार है । हमारे चंद्रमा का जन्म समुद्र से हुआ है। वह कुमुद-बांधव तथा रोहिणी-वल्लभ है। लक्ष्मी माता का सगा सहोदर होने से हम लोग उसे 'चंदा मामा' भी कहते हैं।    सोलह कलाओं के स्वामी  श्री ...

योगी को मुख्य यजमान न होने का मलाल !😢-प्रसिद्ध यादव।

   घोर कलियुग आ गया प्रभु! हे! धनुषधारी! आपकी प्राण प्रतिष्ठा हो आपके वंशज मुख्य यजमान, यजमान की बातें छोड़िए, अतिथि होने का भी सौभाग्य प्राप्त नहीं हो रहा है।प्रोटोकॉल के हिसाब से, ग्रंथों के हिसाब से मुझे मुख्य यजमान होना चाहिए था लेकिन हम वहां पर अतिथि भी नहीं बन रहे हैं।सबसे बड़ी विडंबना है कि जिसे हमारे धर्म ग्रंथों में छूत माना है, जिसे सन्यासी होने का अधिकार नहीं है वो मुख्य यजमान बन रहे हैं।घोर कलियुग!प्रभु। इतना कहते कहते उस फकीर योगी की आंखें डबडबा गई। उनके गुरु ने समझाते हुए कहा कि यह कलियुग का प्रभाव नहीं, अम्बेडकर का ,संविधान का प्रभाव है।फकीर ने कहा कि- इस पर धर्मशास्त्र होना चाहिए, चारों शंकराचार्य को विरोध करना चाहिए।यह धर्म, शास्त्र अनुकूल नहीं हो रहा है। गुरु ने कहा कि -अगर शास्त्र निकाल दिया तो तू भी यजमान के लायक नहीं रहेगा। वो कैसे गुरुवर? तुम क्षत्रिय हो ।तुम्हारा काम युद्ध करना था,न कि राज करना।राज करना हम श्रेष्ठ जनों मनुपुत्रों का है। बेचारा सुनकर सन्न रह गया।गुरु ने कहा कि याद करो जब देश के कलमजीवी राष्ट्रपति बने थे तब हमारे पुरखों ने शास्त्र निकाला था ...

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ की संघर्ष भरी जीवन 👌 !

 गरीबी, तंगहाली में भी अपनी प्रतिभा, संघर्ष के बदौलत कोई कैसे दुनिया में अपनी कामयाबी की झंडा फहरा सकता है ।यह इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के जीवन से हर किसी को प्रेरणा लेना चाहिए। कॉलेज के दिनों में उनके पास रहने के लिए ढंग का मकान नहीं था. वह हॉस्टल की फीस और दूसरे खर्चे जुटाने के लिए बस की बजाए खटारा साइकिल से कॉलेज आया-जाया करते थे.  होस्टल की फीस नहीं होने के कारण छोटे लॉज में रहकर पढ़े थे।इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ की आत्मकथा केरल स्थित लिपि प्रकाशन से प्रकाशित है।. यह किताब एक गरीब गांव के युवा की गाथा है, जिसमें उनकी इसरो के माध्यम से विकास, वर्तमान प्रतिष्ठित पद तक पहुंचने और चंद्रयान-3 प्रक्षेपण तक की उनकी यात्रा की कहानी है.   सोमनाथ ने बताया है कि उनकी आत्मकथा, वास्तव में एक साधारण ग्रामीण युवा की कहानी है, जो यह भी नहीं जानता था कि उसे इंजीनियरिंग में दाखिला लेना चाहिए या बीएससी में. वह युवा तमाम दुविधाओं से जूझता है और कई सही फैसले लेता है और अपना मुकाम बनाता है. उनका मानना है कि, ‘इस पुस्तक का उद्देश्य उनके जीवन की कहानी को पढ़ाना नहीं है, बल्कि इसका एकमात्र उद्द...

रिश्ते मिलावटी मिठाई की तरह हो गया है।

    ऐसे सम्बंध, रिश्ते को तिलांजलि दे दें। मन में कुछ और मुंह में कुछ और वाले से संभल कर रहें ,धोखा होना तय है। कोई भी त्योहार मुझे कैदी बना देता है। आम दिन मैं स्वच्छंद विचरण करने वाला व्यक्ति किसी भी त्योहार में मुझे कैदी बना देता है।मुझे भीड़भाड़ से सख़्त नफ़रत है।वो भीड़ जहां कुछ लेना न देना। आस्था को कब के तिलांजलि दे दिया। रत्ती भर भी मुझे कोई आस्था नहीं है।ये जीवन संघर्ष और ज्ञान से चलता है और आस्था काहिल ,निकम्मा बना देता है।मैं औरों को अपनी तरह नहीं बना सकता हूँ, लेकिन मैं औरों की तरह नहीं बन सकता हूँ।यह मेरे वश में है।जितनी सकून एकाग्रचित्त होकर,शांति से रहने में मिलता है, उतनी भीड़भाड़ में नहीं।बचपन से मेरी यही आदतें हैं।अनेक मित्र अपने पंडाल में आने के लिए आमंत्रित किए, लेकिन मैं अपने स्वभाव के कारण मजबूर हो जाता हूँ।इसे अन्यथा न लेंगें।मैं अपने मन के काम करता हूँ।यह जिद्दी स्वभाव के कारण किसी का नहीं सुनता हूँ।कोई मुझसे पंगा ले लिया तो अंतिम सांस तक उसे नहीं छोड़ता हूँ। यहां हम कट्टर हैं और मैं किसी भी कीमत पर कोई समझौता नहीं करता हूँ।सबसे बड़ी बात है डर।इसे एक बार मन से न...

पहले जातीय दंश को झेला, अब समाजवाद का मारा हूँ!-प्रसिद्ध यादव।

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   राजनीति संगठन और बोर्ड में दलबदलुओं की चलती हैं। कर्तव्यनिष्ठ  चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। इस दंश के भुगतभोगी देश में सदियों से करोड़ों लोग हैं और इस कुकृत्य को छुपाने के लिए धर्म की नॉटंकी होती है। जितनी भी सार्वजनिक क्षेत्र या निजी क्षेत्र हैं, वहां की स्थिति आज भी भयावह है। आज भी जिस सेवाओं में जाने के लिए साक्षात्कार है, उसमें बहुजनों को न्यूनतम अंक दिया जाता है, नतीजा या तो सेवा में आने से दूर हो जाते हैं या नीचे पायदान पर अपने कोटे में रहते हैं। सामान्य कटेगरी में आरक्षित वर्ग के कितने लोग पहुंच रहे हैं। ews 10 फ़ीसदी और सामान्य कटेगरी 50 फ़ीसदी कितनी हो जाती है? कांग्रेस हो या भाजपा दोनों के चाल चरित्र एक ही है और दोनों एक खास वर्ग के पोषक हैं। अरवल के इच्छनबिगह के बीरेंद्र राव साहेब जो लालू यादव के समधी हैं, आईएस के इंटरव्यू देने गये तो जाति पर सवाल करते हुए कहा था कि" अब यादव डीएम कलेक्टर बनेगा तो गाय ,भैंस कौन  चरायेगा ?अन्तोगत्वा, इनकम टैक्स कमिश्नर के पद पर संतोष करना पड़ा था, इन्ही की बहू रागिनी है जो लालू यादव को किडनी दी है। मैं लेक्चरर पद के लिए इंटरव्यू...

वर्तमान पत्रकार प्रवक्ता और पत्रकारिता विज्ञापन ! -प्रसिद्ध यादव।

       कुछ पत्रकार का सवाल जवाब से बड़ा होता है।यानी वो सवाल के माध्यम से किसी पार्टी विशेष का प्रवक्ता की तरह बोलते सवाल पूछता है। चतुर राजनेता इनके भाव को समझकर जवाब देते हैं तो ऐसे पत्रकारों के चेहरे का रंग उड़ जाता है।अभी हाल ही में एक तथाकथित अपने नाम के बाद डायरी के नाम से युट्यूबर है।जब राजद के नवमनोनित राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कुशवाहा से पाला पड़ी तो होश उड़ गए। बार बार 1990 के दशक को जंगल राज का हाई कोर्ट के हवाले से पूछ रहा था, क्या सटीक जवाब दिया, यह बहुजनों का स्वर्णिम काल था,जिसकी असर देश में दिखाई पड़ रही है। जब जज गवर्नर, राज्यसभा में जा रहा तो उसने कितना न्याय किया होगा?यह समझना चाहिए। वर्तमान पत्रकार दैनिक भोगी कर्मचारी बन कर रह गए।जो इनके मालिक का दिशा निर्देश होता है उन्हीं के अनुरूप खबरें छपती हैं।खबरों को तोड़ मरोड़कर पेश करना एक कला हो गया है।खबरों की प्रमुखता सरकार की नियंत्रण में हो गयी।पित्त पत्रकारिता का दौड़ है।खबरें बिकती हैं,खबरें छपे नही या प्रमुखता से न दिखे,इसकी भी कीमत मिलती है।मीडिया हाउस सरकार की इशारे पर नाचती है। यह जनता की आवाज न बनकर...

ग्रामीण कलाकारों ने बाबूचक में धूम मचाई!-प्रसिद्ध यादव

      तकनीकी खराबी के कारण फ़ोटो नही आ रहा है। आज जहाँ बड़े बड़े सेलेब्रिटीज़ के बीच ग्रामीण लोक कलाएं विलुप्त के कागार पर पहुंच रही है और कलाकार भी उपेक्षित हो रहे हैं।ऐसे में मेरा गांव बाबूचक में ग्रामीण कलाकारों की जुटान होती है।कल काल रात्रि के अवसर पर मेरे गांव की मंदिर में कलाकारों ने एक से लोक गीत ,संगीत की मिठास से वातावरण संगीतमय हो गया था।इस कार्यक्रम में मेरा और ग्रामीणों के  25 वर्षों से अनवरत प्रयास सफल है। कलाकारों में हमारे गांव के रामजी राय, अरुण कुमार, गोपाल राय, मैं और राजकीय कलाकार पुनपुन प्रखंड के बेहरावना के मंटू बाबा नाल ,हारमोनियम के साथ युगलबंदी करते हुए देवी भजन, पूर्वी की राग से लोगों को झूमा दिया।हारमोनियम वादक मंझौली निवासी बुधन शर्मा जी की उंगलियां हारमोनियम के रीढ़ पर पड़ती तो लगता कि  सातों सुर समा बांध दिया। एक महिला कलाकार और उनके साथ ढोलक पर दिनेश जी ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया। दानापुर दियारा से डंडन यादव पूर्वी और निर्गुण से मन मोह लिया।अंडा से विनोद यादव भी कई भजन सुनाये। शाहपुर थाना की पुलिस भी इस कार्यक्रम का लुफ्त उठाये...

गांधी जयंती समारोह में बद्री अहीर भी!-डॉ सकलदेव सिंह

    महंत बड़ाई दास नथुनी सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय जादोपुर बिहिया भोजपुर में  गांधी जयंती समारोह आयोजित  किया गया जिसमें उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए  प्रभारी प्राचार्य डॉ सकल देव सिंह ने कहा कि ब्रिटेन  के साम्राज्यवादी व्यवस्था के तले  हिंदुस्तान तबाह था,हिंदुस्तानियों को रक्त निचोड़ा जा रहा था, उस उपनिवेशवादी सिकंजों को तोड़ना  जरूरी था।जरूरत इस बात का था कि कोई मार्गदर्शक हो,उसी परिप्रेक्ष्य में महात्मा गांधी का पदार्पण २ अक्टूबर 1869 को हुआ।  अध्यापन के उपरांत  मात्र २४ वर्ष की अवस्था में दक्षिण अफ्रीका में जाते हैं जहां वे  वकील  का पेशा में लग जाते हैं।    विद्यालय से मात्र 3 किलोमीटर  की दूरी पर  हेतमपुर गांव प्रखंड  जगदीशपुर ,जिला शाहाबाद( अब भोजपुर) के मूलनिवासी  बद्री अहीर १८६०  में जन्मे,१८८२  में  गिरमिटिया  के रूप काम करने हेतु  दक्षिण अफ्रीका  पलायन कर चुके होते हैं।  बद्री अहीर की मुलाकात   मोहन दास करमचंद गांधी...

बिहार जातीय जनगणना और बिहार सरकार ! - डा सकलदेव सिंह।

 मौजूदा महागठबंधन सरकार की जितनी भी प्रशंसा की जाय बहुत ही कम होगी ।  बिहार में जनगणना  1931 में तब हुआ था जब       अखंड भारत पाकिस्तान  और बांग्लादेश सहित था और ब्रिटेन  का उपनिवेश था।  करीब 91 वर्ष  के   बाद जातीय  जनगणना रिपोर्ट  ऐतिहासिक  तिथि  2nd अक्टूबर 2023  को देशवासियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना अपने आप में एक "मिल  का पत्थर " साबित हुआ है। भारत के तमाम विरोधी के साथ ही साथ न्यायालय भी भी विरोध में था,लेकिन अंततः   जीत    जुझारू  सरकार की हुई। आरएसएस और बीजेपी ने  कोई कोर कसर नहीं छोड़  और विपरीत  परिस्थितियों में भी " "आम का आम और गुठली के दाम" सहित सफलता  हाथ लगी। आज  समाजवादी नेता डा  राम मनोहर लोहिया और बिहार लेनिन बाबू जगदेव प्रसाद का सपना साकार हुआ। वे  अर्द्ध शताब्दी पूर्व  ही डंके के चोट पर मांग  किया  था जो जनगणना रिपोर्ट में शत प्रतिशत सही आंकड़ा  निकला।  सरकार ने उनके सपनों के भारत ...

खाओ खूब रिश्वत की रोटी ( कविता ) -प्रसिद्ध यादव।

   खाओ खूब  रिश्वत की रोटी कम परे तो बेच दो  अपनी माँ बहन बेटी। भूखे पेट रहकर  पढ़ाये थे अविभावक क्या पता, ये होंगे नालायक, पढ़ने में कागज रिश्वत करने में  साइन रिश्वत  बनाने में बिल रिश्वत  भँजाने में चेक रिश्वत  चारो और गूंज रहे रिश्वत*******। मत लो हाय गरीबों की, उम्र हो जायेगी छोटी। मत खाओ **** रिश्वत को समझा मौलिक अधिकार, नैतिकता हो गई तार-तार। कमजोर को देते धक्के , माल बनाते मौके-बेमौके, खाके खजाना चमड़ी हो गई मोटी। मत खाओ******। देखो बेईमानो के बंगले, चमकती कारें, स्वर्ण से भरा शरीर। गुरुर में चूर , ना कोई सुरूर  इठला कर कहता-  क्या पाई है तक़दीर। बातें करते बड़ी-बड़ी, करनी कितनी खोटी। खाओ मत . रिश्वत की रोटी।  

भ्रष्ट आचरण गले का फांस !

   रसूख वाले कानून को कागज़ की पुड़िया और प्रशासन को हाथों की कठपुतली समझने वाले भ्रष्ट आचरण करने में माहिर होते हैं और इसके रुतवे ठाठ में अधिकारी तक फंस जाते हैं।अभी आजम खां के पुत्र डबल जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के कारण सलाखों में है ।इसी तरह एक ज़मीन के मोटेशन में  गड़बड़ी निकली है।पिता से पहले पुत्र का मोटेशन और बाद में पिता का।जमीन 20-22 डिसमिल और बढ़कर हो गया दोगुना।अब किस आधार पर हुआ । इस पैसे के खेल में भ्रष्ट आचरण करने वाले और करवाने वाले के गले में फंदे पड़ते नजर आ रहे हैं।न पैसा बचाएगा न ऊंचे रसूख ,क्योंकि साक्ष्य जो रह गया है।अब कहाँ से डीड आया और कैसे फर्जीवाड़ा हुआ,जवाब तो देना ही होगा।एक वेल एडुकेटेड की जिम्मेवारी तो बनेगी ही कि जिस चीज का विरोध करना चाहिए था या भ्रष्टाचार को पर्दाफाश करना चाहिए था, वो उसमें भागीदार बन गया। जबतक आंख कान नाक न डूब जाए तब तक खतरा नहीं मालूम होता है।

भ्रष्टाचारी के यहाँ नोटों के पहाड़ ! सोने का भंडार।

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        भ्रष्टाचारी कैसे अपने पुश्त दर पुश्त के एशोआराम के लिए देशद्रोही काम कर बैठता है और बेशर्म की तरह सीने तान कर चलता है।जब करतूते सामने आती है तो सब हेकड़ी बन्द हो जाती है।  ऐसे लोगों को न संतान सुख मिलता है, न धन सुख।हाँ जिंदगी नारकीय जरूर हो जाता है। ऐसे लोगों की हेकड़ी बन्द करने के लिए एक छोटा ढेला फेंकना काफ़ी है, पाप का घड़ा फुट जाता है।सीबीआई ने राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में एक सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारी के यहां छापा मारा। प्रमोद कुमार जेना के यहां अभी छापेमारी की जा रही है। इनके पास से अब तक कई किलो सोना और एक करोड़ 57 लाख से ज्यादा कैश बरामद हो चुका है। रिटायर्ड अधिकारी की संपत्ति को लेकर सीबीआई अधिकारी भी सदमे में हैं. भारतीय रेलवे यातायात सेवा के पूर्व अधिकारी प्रमोद कुमार जेना भारतीय रेलवे यातायात सेवा के 1989 बैच के अधिकारी हैं। सीबीआई द्वारा की गई छापेमारी के दौरान एक करोड़ 57 लाख रुपये से अधिक की नकदी बरामद की गई है।ऐसे लोगों पर देशद्रोह का मामल दर्ज होने चाहिए, साथ ही उसके संतानों पर भी जो इस पर राज किया और राज छुपाए रखा।

हँसना -हँसाना सब के वश की बात नहीं है !

   फूलों से नित्य हँसना सीखो। आज के तनाव भरी जिंदगी में लोगों के चेहरे से मुस्कान गायब हो गया है, फ्रस्ट्रेशन बढ़ गया है पाई पाई जोड़ने में। सुबह के मॉर्निंग वॉक में कई साथी हैं, उसमें महम्मदपुर में  सजिदनंद शर्मा जी और सांसद  बहन मीसा भारती जी के पति शैलेश जी के अपने मामा जमालुद्दीन चक के  तारकेश्वर यादव जी हास्य व्यंग्य से लौट पोट कर देते हैं।कभी कभी मेरी बारी सुनाने की आती थी और आज मैं ऐसा व्यंग्य सुनाया की लोग वही लोट -  पोट हो गए।सुबह में नेचुरल तरीके से हंसना बड़ी बात है।मुझे वाकिंग करते समय लोग रोक - रोककर व्यंग्य सुनते हैं।व्यंग्य सुनना एक कला है।जीवन में आप जैसे भी हैं हँसते रहते हैं तो आप फिट हैं, सुखी हैं।परिवार के लोगों से भी हँस कर मुस्कुरा कर बातें करें,घर परिवार बना रहेगा।शत्रु के सामने मुस्कुरा दिए तो उसे शामत आ जाती है। यह  प्रकृति का अनुपम उपहार है लेकिन यह सभी को नसीब नहीं होता है।मैं जीवन में हँसने के सिवाय और कुछ किया ही नहीं।आप भी मेरे साथ हँसते मुस्कुराते रहिये।

मंत्रिमंडल ने रेल कर्मचारियों के लिए 1968.87 करोड़ रुपये के उत्पादकता आधारित बोनस (पीएलबी) को मंजूरी दी

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सभी पात्र गैर-राजपत्रित रेल कर्मचारियों अर्थात् ट्रैक मेंटेनर, लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर (गार्ड), स्टेशन मास्टर, पर्यवेक्षक, टेक्नीशियन , टेक्नीशियन हेल्पर, प्वाइंट्समैन, मिनिस्ट्रियल स्टाफ और अन्य ग्रुप 'सी' कर्मचारियों (आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों के अतिरिक्त) को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 78 दिन के वेतन के बराबर उत्पादकता आधारित बोनस (पीएलबी) को मंजूरी प्रदान की। रेल कर्मचारियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को मान्यता देते हुए केंद्र सरकार ने 11,07,346 रेल कर्मचारियों को 1968.87 करोड़ रुपये के पीएलबी के भुगतान को मंजूरी प्रदान की है। वर्ष 2022-2023 में रेलवे का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। रेलवे ने 1509 मिलियन टन के रिकॉर्ड माल की ढुलाई की और लगभग 6.5 बिलियन यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया। इस रिकॉर्ड प्रदर्शन में कई कारकों ने योगदान दिया। इनमें रेलवे में सरकार द्वारा रिकार्ड पूंजीगत व्यय किए जाने के कारण बुनियादी ढांचे में सुधार, प्रचालनों में दक्षता और बेहतर प्रौद्योगिकी आदि शामिल हैं। पीएलबी का भुगतान रेलवे कर...

शत्रुओं को भी सम्मान दें,रस्सी जलने तक। -प्रसिद्ध यादव।

  जीवन में शत्रु न हो तो जीवन में जंग लग जाती है, ऊर्जा क्षय हो जाता है, गतिहीन हो जाता है। मित्र आपको  शब्बासी दे सकते हैं, मदद कर सकते हैं लेकिन क्षमतावान ,चौकन्ना तो आपको शत्रु ही बनाता है। आपके दिमाग की गुल बत्ती को वही जलाता है। इतिहास गवाह है कि कई लोग शत्रुओं, विरोधियों के कारण ही नायक बन गए। शत्रु आपको सोचने की क्षमता को बढ़ाने के लिए मजबूर कर देता है, बलशाली, हिम्मतवाला बना देता है और सबसे बड़ी बात कि वे आपकी कमियों को एक एक कर बता देता है। शत्रुओं से खतरा रहता है ।इसलिए शत्रुओं से दूर दूर तक कोई संबंध या संपर्क नहीं होना चाहिए। शत्रुओं को भी सम्मान करना चाहिए। शत्रुओं को थोड़ा सर पर चढ़ने दें,इससे वो उत्साहित होकर कुछ ऐसा गैर कानूनी काम कर बैठेगा कि उसे दबोचना आसान हो जाता है।वो अपने कुकृत्य का ऐसा छाप छोड़ देता है कि वही उसके गले की फांस बन जाती है।जब पूरी तरह गिरफ्त में आ जाये तो हिसाब किताब बराबर हो जायेगा। कोई मित्र से शत्रु व्यवहार से बन जाता है।शत्रु से मित्र बन सकता है लेकिन वो विश्वास योग्य नहीं होता है।एक बार कोई धोखा दे ,उस पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए, बल्कि ...

समझौतावादी नहीं ,आक्रमक बनें। -प्रसिद्ध यादव।

यही कारण है कि बहुत कम मेरे मित्र हैं।पता नहीं, जो हैं भी वो मुझे कितना झेलते होंगें,तभी वो मित्र बने हुए हैं। मेरे मित्र होने का मतलब मेरे विचारों के सहगामी ।यही कारण है कि मेरी पहचान किसी और से नहीं खुद से है।अच्छा हों या बुरा। संवेदनहीन लोग मुझे कतई बर्दाश्त नहीं होते हैं। निष्ठुर, क्रूर ,जालसाज,धोखेबाज, चापलूस से कोसों दूर रहता हूँ। मन को पढ़ने की कला को जानें।यह सब बता देता है।बॉडी लैंग्वेज सब कुछ कह देता है।एक अंधा आदमी किसी को भी उसके हरकत से बता देता था और वो सत्य होता था।राजा को यह जानकर आश्चर्य हुआ की यह कैसे संभव हो सकता है?वे अंधे को दरवार में बुलाया और अपनी पत्नी की पतिव्रता स्त्री पर सवाल पूछ दिया। अंधा ऐसे सवाल पूछने के लिए मना किया, लेकिन राजा ज़िद पर अर गया।अंधा व्यक्ति राजी हो गया और रानी को अपने साथ कमरे में भेजने के लिए बोला। कमरे में सिर्फ अंधा और रानी थी।अंधा रानी से बोला - आप मुझे छूने दें! इतना सुनते ही रानी उसे लात, जूते मारने लगी।अंधा किसी तरह घायल होकर कमरे से बाहर निकला।राजा ने सवाल का जवाब मांगा तो अंधा बोला-आपकी पत्नी पतिव्रता स्त्री नहीं है! वो कैसे?राजा ...

डेंगू पीड़ितों के दूत !मिश्र रंजीत!- प्रसिद्ध यादव।

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   खगौल नगर परिषद को ऐसे कर्मयोगी को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाना चाहिए। बिहार में डेंगू का प्रकोप बढ़ा हुआ है, कुछ कल्वित भी हुए ।ऐसे में कोई निस्वार्थ भाव, निशुल्क पीड़ितों को घर पर बकरी के दूध पहुंचा दे।ये कोई मामूली बात नहीं है।ये कोई कर्मयोगी दूत ही कर सकता है।मिश्रा जी दूसरे विचारधारा के हैं इसलिए हम दोनों में कभी पटती नहीं है, नोकझोंक होते रहते हैं लेकिन हम दोनों में एक समानता है कि हम दोनों भ्रष्टाचार के प्रबल शत्रु हैं।मिश्र जी की ये नेक काम मीडिया जगत के लिए खबरें नही हो सकती हैं लेकिन मेरे लिए यह खबरों की जान है। मिश्र जी को सरकार सम्मानित करे या न करे लेकिन खगौलवासियों को जरूर करना चाहिए ताकि ऐसे आमजन के संकट में काम करने वाले को हौसला अफजाई हो। बकरी की दूध डेंगू पीड़ित के लिए काफी  फायदेमंद होता है।यह शरीर में प्लेटलेट्स को गिरने से रोकता है जो बहुत जरूरी है।यह दूध काफी महंगी मिलती है और ये सुदूर गांवों से रुपये खर्च कर संग्रह करते हैं।क्या इस पुण्य कार्य के लिए कोई डोनर ,स्पॉन्सर नहीं है?कम से कम कुछ दिनों के लिए ही खर्च के जिम्मा उठा लें। आज फजूल के कामों में अने...

काले धन का वृक्ष से पीढ़ी दर पीढ़ी कायाकल्प !- प्रसिद्ध यादव।

   पीढ़ी दर पीढ़ी के आर्थिक समृद्धि, संपन्नता के लिए काले धन के बृक्ष लगाने की प्रचलन बढ़ गया है। इसका समूल्य नाश निश्चित है इसके विपरीत   कल्पवृक्ष से जिस वस्तु की भी याचना की जाए, वही यह दे देता है। इसका नाश कल्पांत तक नहीं होता।   कायाकल्प प्राचीन काल में आयुर्वेद में कायाकल्प चिकित्सा का महत्वपूर्ण स्थान था। जो व्याधि विविध चिकित्साविधियों से दूर नहीं हो पाती वह कायाकल्प चिकित्सा से समूल नष्ट हो जा सकती है, ऐसा कुछ चिकित्सकों का विश्वास था। काला धन के वृक्ष  ऐसा है कि रोपने वाले स्वर्ग भी सिधार जाये तो भी उनके बाल बच्चे इसके स्वादिष्ट फल खाते रहते हैं।ऐसे वृक्ष रोपने वाले आस्तीन के सांप होते हैं।सांप का काटा हुआ कोई बच सकता है लेकिन आस्तीन के सांप  का नहीं।यह  वृक्ष किसी न किसी दूसरे के खेतों में रोप देते हैं जो सिर्फ रोपने वाले को ही मालूम होता है, जिसके खेतों में रोपा जाता है, उसे मालूम नहीं होता और उनके बच्चों को एकदम नहीं। ऐसे पेंड़ रोपने वाले और जिसके खेतों में रोपा गया हो, दोनों गुजर गए तो मामला बड़ा दिलचस्प हो जाता है। काला धन के संतान ...

नवरत्नपुर खगौल की हिचकोले सड़क !

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   गर्भवती महिलाओं को जाना वर्जित है। ठीक ठाक लोग भी ऑटो में जाने से हिचकोले के कारण हाथ पैर सिर में चोटिल हो जाते हैं। नवरत्न पुर से खगौल जाने में सड़क की दुर्दशा के कारण लोगों के आना जाना दूभर हो गया है, इस बीच में सड़क में कितने गढ़े है सही सही गिनती नही हो सकती है। करीब एक दर्जन गांवों के लोगों को आना जाना रहता है।कई बार  ऑटो, ई रिक्शा पलट गई है, लोग घायल हो गए हैं। हर साल सरकारी खजाने को लूटने के लिए मरम्मत होती है, तीन चार महीने लोग इस सड़क के सुखद अनुभव लेते हैं, इसके बाद धीरे धीरे सड़क पर चलने वाले हिचकोले खाने लगते हैं। धीरे धीरे सड़कों पर अतिक्रमण बढ़ाना जारी है लेकिन इसकी सुध किसी को नही है। दूसरा वैकल्पिक मार्ग जमालुद्दीन चक खगौल है लेकिन यह भी जमालुद्दीन चक स्कूल के पास नाली विवाद में अपने गढ़ों में जलमग्न रहती है। इधर से भी आना जाना दूभर है।इस सड़क की कायाकल्प के लिए ग्रामीण कई बार पहल किये हैं लेकिन  बाधा नाला निर्माण है।गांव के नाला निर्माण का भुक्तभोगी अन्य हजारों राहगीर हैं।बड़ी खगौल से मोतिचौक होते खगौल थाना तक सड़क नहीं सब्जी मंडी बन गई है।मोतिचौक पर स्थायी ...

उत्पाद विभाग का उत्पात ! मुर्गा होता हलाल!

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    थाना पुलिस हो या उत्पाद विभाग की पुलिस इसकी नज़र सिर्फ़ शराबियों पर है।ये अच्छी पहल है लेकिन पुलिस शराबियों को अपने आय का साधन मानकर इसे बड़ी ईमानदारी से करती है।ऐसे भी जितनी ईमानदारी बेईमानी के कामों में होती है, उतनी कहीं नहीं। राह चलते राहगीरों को रोककर मुँह सूंघना पुलिस की आदत बन गई है।मुँह से वाश आया तो डील शुरू होती है।दस हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक वसूली होती है और ये सारे रुपये सरकारी खजाने में न जाकर निजी पॉकेट में चली जाती है।पुलिस की की पॉकेट गरम गरम हो जाती है। आय दिन आबकारी पुलिस पर हमले की खबरें आती हैं।इसकी वजह है कि आम आदमी यह जान गया है या धारणा बन गया है कि वे वर्दी में लुटेरे हो गए हैं।जब पुलिस को अपनी छवि की चिंता नहीं है, उसे पैसे प्यारी है तो कौन क्या करे? भ्रष्ट पुलिस अभी निडर है, उसे नॉकरी की परवाह नहीं है।नया शराबबंदी कानून में धारा 37 ए बी सी थीं,वह धारा 37 हो गया है।जिसमें शराब पीने पर पकड़े जाने पर दो से पांच हजार रुपये का जुर्माना या तीस दिनों के कारावास की सजा है।अगली बार पकड़े जाने पर एक साल की कारावास की सजा का प्रावधान है। इस नियम का पालन...

भ्रष्ट पुत्र- लक्ष्मी पुत्र का पहले फुलवारी में स्वागत था,अब होगी खोज!

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   अब ऐसे लोगों को बेसब्री से खोजा जा रहा है अंदर करने के लिए। भ्रष्ट तरीके से किसी की भी जमीन पर जमाबंदी कायम करना है, कब्जा करना है तो फुलवारी शरीफ प्रखंड आ जाइये।स्वागत है। पूर्व अंचलाधिकारी, कर्मचारियों, चमचों ने खूब  गुल खिलाया है? लक्ष्मी यहां चलकर नहीं उड़कर आती थी।लक्ष्मीपुत्र फर्जीवाड़े को अपनी काबलियत समझता था।मैं जब फुलवारी अंचल के कुछ कारनामों को देखा तो मैं दंग रह गया।मेरी पारखी नजर एक - एक सबूत साक्ष्य को इकट्ठा किया।इस कुकर्मों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी भरपूर सहयोग रहा।सभी को मन , धन,तन, भी समर्पण किया गया। शराब, शबाब ,कवाब के संगम में इंसान पिस कर रह गया।कुछ तो भ्रष्ट कायर हकदारों को चुनौती दे डालता है। हकदार ने ऐसे कायरों को कितनी बार बचाया होगा,वही जानता होगा ,लेकिन लगता है वो दिन खुद जल्द लाने वाला है।बिहार सरकार के फर्जीवाड़ा के खिलाफ सख्ती से होश उड़ गये  है। अब फर्जीवाड़े को लगने लगा है कि वो जल्द भीतर ठेलाने वाला है। इसकी करामात ही इसे सलाखों में पहुंचाएगा।जरूरत है संयम की।कमजोर लोगों को जीना दूभर हो गया था।चारो तरफ दबंगई, हेराफेरी, फर्जीवाड़ा...

बेशर्म भ्रष्टाचारियों को कील ठोक देना चाहिए! - प्रसिद्ध यादव

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         अकूत संपति ही भ्रष्टाचारी की पहचान है। आय से अधिक संपत्ति बनाने वाले निश्चित रूप से भ्रष्टाचारी है। अनगिनत जमीन के भूखंड खरीद कर सात पुश्तों की बिना कमाए जीवन यापन की व्यवस्था कर देता है। भले ही जिसके लिए किया वो मुँह में मूत दे ,फिर भी कोई बात नहीं है। भ्रष्टाचारी के संतान उस संपदा को पैतृक संपत्ति समझ कर काले धन  को बेचकर उजला धन बनाने के लिए नई संपदा खरीद लेता है लेकिन भ्रष्टाचारी को नहीं भूलना चाहिए कि जैसे कर्जदार के मरने के बाद कर्ज खत्म नहीं होता है और इसकी वसूली इसके वारिस से होता है।वैसे ही काले धन  की वसूली भ्रष्टाचारी के मौत के बाद उसके वारिस से होता है।  ऐसे लोग देशद्रोही होते हैं और इसे सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए।बिहार आर्थिक अपराध इकाई ने भ्रष्टाचार के आरोपित एक अधिकारी के यहां शुक्रवार बड़ी कार्रवाई की है. EOU ने बिहार राज्य खाद्य निगम के सहायक प्रबंधक सह उप-महाप्रबंधक शिशिर कुमार वर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की है. उनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का आरोप है. इसी को लेकर शिशिर कुमार वर्मा के विरूद्ध आर्थिक अ...

फर्जी जमाबंदी होगी रद्द ,दोषियों पर होगी कार्यवाही।

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       बिना मोल के बिक जइबू... माया के बजरिया में  पैसों से अक्ल नहीं आती,डिग्रियां जरूर मिल सकती है। अधिक पैसों से सुख भी नहीं होता है। धूर्तता मूर्खता है यानी खुद के लिए गढ़े खोदना। सत्य के बहुत कम शब्द होते हैं लेकिन झूठ की केवल दलीलें ही होती है।  बोलने से अधिक सुनने की आदत डालनी चाहिए। एक झूठा कितनों की जीवन खतरे में डाल सकता है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। पारखी नजरों के सामने झूठ नहीं चलती है। झूठ बोलने वाले पर मुझे तरस आता है कि कैसे अपने हाथों नंगे होने के लिए तैयार हो जाता है। ऐसे लोगों को अंतरात्मा धिक्कारता है कि नहीं?  आइये एक बानगी से समझें -  एक जमीन की पूरा क्षेत्रफल 50 डिसमिल दो व्यक्ति लेकर खरीदा। दोनों आदमी अपने अपने हिस्से का दाखिल ख़ारिज करवा लिया। दूसरा आदमी उस पलो5 के पूरे क्षेत्रफल बाप बेटा मिलकर 50 डिसमिल करवा लिया।नतीजा वर्तमान में 50 डिसमिल क्षेत्रफल की जमीन 75 डिसमिल हो गया क्योंकि तीनों  का लगान लग रहा है। अब जालसाजी का आलम यह है कि जालसाज सीने ठोककर शपथ के साथ कह रहा है कि हम सही है अगला गलत है। पीड़ित केवल ए...

नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस दुर्घटना में स्थानीय लोगों के मानवीय संवेदना !

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          मानवीय संवेदना मानव की अमूल्य संपदा है। किसी भी  विपदा -आपदा में सबसे पहले रक्षक होता हैं। यही हमारी राष्ट्रीयता, देशभक्ति ,व धर्म है।विषम परिस्थितियों में मदद करने में कोई जाति,धर्म,क्षेत्र नहीं देखते हैं ,सिर्फ मानवता दिखाई पड़ती है।ऐसी ही मानवीय संवेदना नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के रघुनाथ पुर में दुर्घटना होने स्थानीय लोगों ने दिखाया।अगर सैंकड़ों  स्थानीय लोग दौड़ कर राहत बचाव नही करते तो हताहत और अधिक होती ।   नई दिल्ली से कामाख्या जा रही नॉर्थ  ईस्ट एक्सप्रेस बुधवार की रात बिहार में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसा बक्सर जंक्शन से ट्रेन खुलने के कुछ ही देर बाद रघुनाथपुर पूर्वी गुमटी के पास हुआ। अबतक प्राप्त सूचना के अनुसार ट्रेन की 24 बोगियां बेपटरी हुई हैं, जिनमें से दो बॉगी पलट गई। एक बोगी बेपटरी होने और दूसरी से टकराने के बाद किनारे गिर गई है। पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों ने अभी घायलों के संबंध में कोई पुख्ता जानकारी नहीं होने की बात कही है। ट्रेन की कितनी बोगियां बेपटरी हुई हैं, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है। जिला प्र...

जमीन में फर्जीवाड़ा करने वाले को अब खैर नहीं !- मंत्री आलोक मेहता !

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         जो लोग अपने रुपये ,बाहुबल, पावर के बल पर दूसरे की ज़मीन को अपना बनाने की स्वप्न देखा है, उनकी जगह अब सलाखों में होगी।साथ ही इसमें शामिल लोगों को भी खैर नहीं।  एक सच को झूठ बनाने में 100 झूठ का सहारा लेना पड़ता है और यही झूठ उसकी पोल खोल देती है। फर्जीवाड़ा करने वाले वास्तविक स्वामी के साथ सरकार की भी ऊर्जा और समय बर्बाद करता है। मंत्री अपने विभाग के ऑनलाइन होने के फायदे के बारे में बुधवार को विस्तृत जानकारी मीडिया से साझा की. उन्होंने कहा कि विभाग में लगातार हम समीक्षा बैठक कर रहे हैं. आज भी अधिकारियों से हमने बैठक की है. वैसे जमीन का दाखिल खारिज 75 दिन के अंदर होगा. जिसको लेकर कोई भी आदमी अगर ऑब्जेक्शन करता है. वैसे अब 35 दिनों में ही दाखिल खारिज हो जाया करेगा.आलोक मेहता ने बताया कि "विभाग ऑनलाइन होने से लोगों को काफी मदद मिल रही है. कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है. अब जमीन संबंधी अधिकांश कागज ऑनलाइन उपलब्ध हो जाते हैं. हमने विभाग के अधिकारियों को भूमि संबंधी विवाद को जल्द से जल्द निपटारा करने का निर्देश दिया है. हमें उम्मीद है कि जिस तरह से...

झूठों से रहें सौ कोस दूर ! -चाणक्य।

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     झूठे की दलील व  झूठे साक्ष्यों को  सत्यता के साथ प्रमाणित कर नंगा करना चाहिए और दंड का भागीदार बनाना चाहिए। कई लोग व्यक्तित्व के विकारों (abnormalities of personality) की वजह से भी झूठ बोलते हैं। यहां तक कि वे अपने झूठ को सच ठहराने के लिए कई तरह की दलीलों, फर्जी दस्तावेजों और अन्य लोगों का सहारा लेने से भी नहीं चूकते। झूठ बोलने वाले व्यक्ति को सबसे पहले सीआरपीसी (CRPC) की धारा (section)-344 के तहत नोटिस (notice) जारी किया जाता है। इसके पश्चात इस पर सुनवाई (hearing) होती है। यदि संबंधित व्यक्ति पर झूठ साबित होता है तो उसे 6 महीने की कैद के साथ ही उस पर 500 रुपए से लेकर 1,000 रुपए तक का जुर्माना (penalty) किया जा सकता है। वहीं, यदि किसी ने अपने शपथ पत्र (affidavit) में झूठी जानकारी दी है तो उस पर सीआरपीसी (CRPC) की धारा (section)- 340 के तहत केस दर्ज किया जाता है। झूठा शपथ पत्र (false affidavit) देने के मामले में यदि दोष सिद्ध (prove) होने पर 7 वर्ष की सजा (punishment) का प्रावधान (provision) किया गया है। चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति को हमेशा अच्छी आदतों को ...

हँसी-ठिठोली के बीच 50 गालियां !-प्रसिद्ध यादव।

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   सुबह की मॉर्निंग वॉक में हंसी ठिठोली, हास्य व्यंग्य न हो तो फिर टहलने का क्या फायदा? सुबह अपने घर से करीब 5 किमी की मॉर्निंग वॉक में जाता हूँ। मूलतः 5-6गांव के लोग मिलते हैं और कुछ खगौल के लोग।मुलाकात होते ही अपने अपने हिसाब से अभिवादन होता है।ज़्यादा तर मैं गुड मॉर्निंग का ही प्रयोग करता हूँ, लेकिन कोई मुझे जय श्री कृष्ण, जय श्री राम बोलते हैं तब मुझे बुद्धाय नमो कहना पड़ता है। इसी अभिवादन में पहचान, विचार भी मालूम हो जाता है।कोई जय भीम,कोई वाले कुम सलाम भी बोलते हैं। एक मेरे मित्र के बहनोई जमालुद्दीन चक के हैं।बड़े ही जेंटल है।उनके साथ एक मौलवी साहब घूमते हैं।मेरे गांव के पहले तक घूम कर लौट आते हैं।एक दिन हम अपने टोली के साथ घूम रहे थे ,उसमें महम्मदपुर के कई शर्मा जी भी थे।मैं उस मित्र के बहनोई की ओर इशारा करते हुए मौलवी साहब को चेतावनी भरे लहजे में कहा - मौलवी साहब! आदमी देखकर घुमा करिए नहीं तो इस आदमी के चक्कड़ में आप भी 50 गली सुन जाएंगे। इतना सुनते ही सब लोग दंग रह गए।हम अपने टोली के साथ आगे बढ़ गए और मौलवी साहब भी दोस्त के साथ निराश मन से आगे बढ़ गए।शायद ये सोचते हुए की ऐस...

शत्रु को हमेशा अपनी शक्ति का अहसास कराते रहना चाहिए.-चाणक्य।

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       चाणक्य की बातें आज भी प्रासंगिक हैं और इसे अपने जीवन में गांठ बांध लेनी चाहिए। छल कपट में आदमी अपने मित्र को शत्रु और शत्रु को मित्र समझ लेता है।शत्रु के प्रति कभी भी दया भाव नहीं रखना चाहिए न अपने आसपास उसे फटकने देना चाहिए। अगर उससे आप सहज ,सरल बन जाते हैं तो उसका मन बढ़ जाता है और यह घातक साबित होता है।रणक्षेत्र में अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उपदेश हमेशा याद रखना चाहिए।शत्रुओं पर प्रहार करते समय कभी हाथ नहीं कांपना चाहिए और उसे लेस मात्र भी अपना नहीं समझना चाहिए।ऐसे लोगों को इस धरती पर कोई पराजित नहीं कर सकता।बशर्ते युद्ध सत्य के लिए हो।       सच्चा मित्र-  चाणक्य नीति कहती है कि सच्चे मित्र को कभी नहीं भूलना चाहिए. चाणक्य के अनुसार सच्चा मित्र जीवन में उपहार की तरह होता है, इसका ध्यान रखना चाहिए. जो मित्र बुर वक्त में आपका साथ निभाए, ऐसे मित्र को कभी नहीं भूलना चाहिए. ऐसे मित्र की कड़वी बातों को भी स्वीकार करना चाहिए. इसके साथ ही जो मित्र सही सलाह दे और बुरी आदतों पर ठेके ऐसे मित्र को भी सम्मान प्रदान करना चाहिए. शत...

कहो ठगेन्द्र ! क्या हाल है? ( कविता ) -प्रसिद्ध यादव।

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   चारों तरफ फैला झूठा लवार है। धर्म की पट्टी बांधों आंखों पर नफ़रत निकले जुबां पर  न याद आये बेरोजगारी  न जिल्लत, न भुखमरी  न शिक्षा ,न चिकित्सा   हाथों में कलम की जगह बरछी कटार है। चारों तरफ फैला झूठा लवार है। अपनी जूती, अपने सर  ऐसा उपाय है  जो समझाये इन मूर्खों को उसके लिए सलाखें तैयार है। चारों तरफ फैला झूठा लवार है। सदियों से है राज हमारा  कैसे जाने दें ,वर्चस्व हमारा  जाति ,धर्म में बांट - बांटकर  सबको बंटाधार करो  कुछ गुल खिलाएंगे नया इसके लिए तैयार है। चारों तरफ फैला झूठा लवार है। सपने दिखाओ बड़ी -  बड़ी  फिर मारो लात  सबको लो विश्वास  फिर करो विश्वासघात । हम जुमलेन्द्रों की यही है इतिहास  झूठ ,कपट ,पाखंड ,स्वांग  बसते अंग  - अंग  रोम  - रोम में है विष भरा  हम माफिवीर ,मुखबिर , तमाशबीन  छल कपट का संसार है। चारों तरफ फैला झूठा लवार है।

भाजपा के रग - रग में झूठ कहाँ से आई !

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    एक समय था जब भाजपा के बाजपेयी, आडवाणी, जोशी जैसे विद्वानों के लोग कायल थे। वाक्यपटुता ,तार्किकता, सत्यता का कोई सानी नहीं था लेकिन आज क्या हो गया?झूठ की बुनियाद पर राजनीति महल कितने दिन टिकेंगे? अब भाजपा को झूठा कहने में और सुनने में भी मायूसी लगती है। यह इतनी बार झूठ बोल दी है कि गिनती करना नामुमकिन है। लगता है कि ऊपर से नीचे तक सभी को एक ही ट्रेनिंग दी गई है।अब इनकी झूठ कॉमेडी शो की तरह लगता है। पीएम दरभंगा  में एम्स पर इतना  कॉन्फिडेंस से बोले कि लोगों को लगा कि कहीं स्वप्न तो नही देख रहे। पटना की सभा में बिहार में तक्षशिला विश्वविद्यालय होने की बात बताकर जीके पढ़ने वाले का सर चकरा गया था। अभी हाल ही में इंदौर में रानी दुर्गावती रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने की घोषणा की तो रेलवे के उच्च अधिकारी व जनता को समझ नहीं आई की यह स्टेशन कहाँ है? इनके जोड़ी शाह पूर्णिया में एयरपोर्ट से उड़ान भरने की सुखद यात्रा वृतांत सुना दिया। अब एयरपोर्ट कहाँ है?कोई समझ नहीं पा रहे थे।बाकी कसर राजस्थान में कॉमेडी शो के क्लाइमेक्स तक पहुंचा दिया।जो किसान कर्ज ही नहीं लिया,उसकी जमीन...

कष्टप्रद भावनाओं को शब्दों में जिक्र करने वाले जॉन फॉसे को मिला साहित्य में नोबल पुरस्कार।

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        आज  अंतिम पायदान के लोगों की  व्यथा ,कथा,कहानी देखने को कम मिलती है।मुंशी प्रेमचंद के बाद अब हृदयस्पर्शी कहानियां नहीं मिलती है लेकिन  इस वर्ष के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन फॉसे ने उपन्यासों को एक ऐसी शैली में लिखा है जिसे 'फॉसे मिनिमलिज्म' के नाम से जाना जाता है। इसे उनके दूसरे उपन्यास 'स्टेंग्ड गिटार' (1985) में देखा जा सकता है। फासे अपनी लेखनी में उन कष्टप्रद भावनाओं को शब्दों में जिक्र करते हैं, जिसे सामान्य तौर पर लिखना मुश्किल होता है। स्टेंग्ड गिटार में उन्होंने लिखा कि एक नौजवान मां कूड़ा-कचरा नीचे फेंकने के लिए अपने फ्लैट से बाहर निकलती है, लेकिन खुद को बाहर बंद कर लेती है, जबकि उसका बच्चा अभी भी अंदर है। उसे जाकर मदद मांगनी है, लेकिन वह ऐसा करने में असमर्थ है क्योंकि वह अपने बच्चे को छोड़ नहीं सकती। जबकि वह खुद को, काफ्केस्क शब्दों में, 'कानून के सामने' पाती है। अंतर स्पष्ट है: फॉसे रोजमर्रा की ऐसी स्थितियों को प्रस्तुत करता है जिन्हें हमारे अपने जीवन से तुरंत पहचाना जा सकता है। जॉन फॉसे और नॉर्वेजियन नाइनोर्स्क साहित्य...

मूढ़ी को कौन समझाये ? ( कविता ) -प्रसिद्ध यादव।

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   मूढ़ी को कौन समझाये ? जो समझाये  उसी से उलझ जाये। आत्मसमर्पण करने वाले को आत्मसम्मान कहाँ से आये ? जो स्वाभिमान को गिरवी रख आये। न पूछो उसका हाल  जो चरणों में किसी के नतमस्तक है। आंसुओं बहाते ज़मीर बेच दी। पद के लिए कुछ भी कर लोगे  अपनों को कोठे पर रख दोगे! गर्व से मुझे सीने मत दिखाओ  कहीं जाकर चुल्लू भर पानी में डूब जाओ। कितनी कीमत मिलती है कोठे की ? मेहनतकश के जाकर ठाठ को देखो। कैसे आजाद विचरण करते हैं  आजादी की फिजाओं में । वो तोड़ दी है मानसिक गुलामी की बेड़ियाँ  स्वच्छंद ,आनंद पल को बिताए  मूढ़ी को कौन समझाये ? बहकावे में आकर   पुनरावृत्ति मत करवाओ  कीड़े मकोड़े की तरह जिंदगी को न बनाओ। याद करो उन पुरखों को  तेरे ही लिए बलि हो गए रैदास को टुकड़े टुकड़े कर दिए  खता क्या थी इनकी  पाखंडियों की पोल खोल दी। हजारों बौद्ध भिक्षुओं को किसने  मौत के घाट उतारा काशी छोड़ कबीर मगहर क्यों गये थे?    जगदेव बाबू ,गौरी लंकेश   रोहित विमुला, दाभोल, पंसारी को किसने मारा ? अम्बेडकर ,कर्पूरी जी को  किसने अपमान...

मनुराज की आहट ! खुशियों से नाचो। फुटबॉल की तरह फ़ेंकाओ! -प्रसिद्ध यादव।

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       बड़ी मुश्किल से सदियों की  मनुवाद की गुलामी की बेड़ियों से हमारे महापुरुषों ने मुक्ति करवाया था लेकिन आज धर्म के बहकावे में आकर कोई खुद कटने मरने के लिए तैयार है तो उसे कौन समझा सकता है। छुआछूत, भेदभाव, ऊंचनीच ,अमानवीय कुकृत्य ही पसंद है, उसके मानसिक गुलामी से कौन मुक्त कर सकता है।हिन्दू धर्म के आर में ब्राह्मण राज की स्थापना करने की  साजिश एक अदना सा आदमी समझ रहा है लेकिन तथाकथित बुद्धिजीवी अपने पद की लीलुप्ता में अनेक को झांसे में डाले हुए हैं। मंदिर के पुजारी में सौ फीसदी आरक्षण सिर्फ ब्राह्मणों को सदियों से मिला हुआ है लेकिन ये दिखाई नहीं देता है। कुछ बहुजन अपनी दुर्दशा की पुनरावृत्ति करने पर उतारू हैं तो क्या करे? बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, ज्योति बा फुले ,सावित्री बाई, कबीर,रैदास के विचारों का, संघर्षों का ऐसे लोगों के लिए कोई महत्व नहीं है।खुद गुलामी की जिंदगी जियेगा और आनेवाली पीढ़ियों को भी रसातल में भेजेगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी और सेवादार कर्मचारियों को अब सरकारी कर्मचारियों की तरह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। उनके वेतन में वृद्धि होन...

फल विक्रेता की सुपुत्री ऐश्वर्या मिश्रा ने जीती पदक।-प्रसिद्ध यादव।

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    कहते हैं होनहार  बिरवान के होत  चिकने पात। ऐसा ही कर के दिखाई ऐश्वर्या मिश्रा । जो जिद पर एक बार ठान ले तो गरीबी भी साथ दे देती है।     भारत की इस बेटी का नाम ऐश्वर्या मिश्रा है, जिन्होंने एशियन गेम्स में, 4×400 मीटर की दौड़ में सिल्वर मेडल जीतकर अपने परिवार के साथ-साथ पूरे देश का नाम रौशन कर दिया है.   ऐश्वर्या मिश्रा के पिता का नाम कैलाश मिश्रा है, जो असल में उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, लेकिन मुंबई के दहिसर इलाके में रहते हैं. कैलाश मिश्रा फल और सब्जी की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं, लेकिन उनकी ख्वाहिश अपनी बेटी को ओलंपिक गेम तक पहुंचाने की है. उन्होंने शुरू से अपनी बेटी को एथलीट बनाने का हर संभव प्रयास किया, जो अब रंग लाता दिख रहा है.  मुंबई में 10 बाय 10 के एक छोटे से कमरे में अपने परिवार के साथ रहने वाले कैलाश मिश्रा ने अपनी बेटी ऐश्वर्या को पैसे उधार लेकर एक महंगा जूता खरीदकर दिया था, ताकि उनकी बेटी उसे पहनकर दौड़ने का अभ्यास कर सके. ऐश्वर्या उस जूते के फटने के बाद भी उसे पहनकर अभ्यास किया करती थी, और फिर उसने एक दिन गोल्...

" क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?” - मुंशी प्रेमचंद

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   पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन!   आज यह सवाल हर जगह है। डर से, भय,से,लोभ लालच से अब ईमान की बातें करना  बेमानी हो गया है। ईमान दफ्तर से लेकर चौक चौराहे पर बिकते हैं। बेहाया व बेशर्मी से बेईमानी की बातें होती हैं। झूठ के पर उग आए हैं। चारों तरफ बेईमानों की बोलबाला है ,बहुमत है, निर्णय लेने की क्षमता है। ईमानदारी कोने में दुबके सिसक रहा है। यह एक ऐसा सवाल है, जो आज हम सब से पूछा जा रहा है, पूछा जाना चाहिए। ख़ासकर मीडिया से, लेकिन... कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद का मशहूर कथन है कि-- “क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?” यह एक ऐसा सवाल है, जो आज हम सब से पूछा जा रहा है, पूछा जाना चाहिए। ख़ासकर मीडिया से। मीडिया आज जैसा सत्ता का भोंपू बन गया है, और सही सवाल पूछने की बजाय प्रोपेगेंडा में मशगूल है। अब बेईमान झूठे नैरेटिव गढ़ कर समाज में नित्य नफ़रत के बीज बो रहे हैं और धर्मों की दुहाई दे रहे हैं। बेईमानों के चेहरे पर नकाब लगे हुए हैं, बहिरूपीए बन घूम रहे हैं। हमें प्रेमचंद के संदेश से सीख लेने चाहिए और  आत्मसात करना चाहिए।

श्रीनाथ का कुली से आईएस होने का सफ़र!-प्रसिद्ध यादव।

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         कहते हैं सच्चे मन से किया   गया कार्य निष्फल नहीं होता है।माना कि आर्थिक तंगी जीवन में अनेक बाधाएं उत्पन्न करती है लेकिन कोई दरवाजा बंद हो जाये ये कदापि नहीं होता है। सिविल सेवा की परीक्षा यानी  यूपीएससी एक चक्रव्यूह की ताह है तो श्रीनाथ वो  योद्धा हैं जो बिना किसी की मदद के ना केवल इस चक्रव्यूह में घुसे बल्कि इसे पास भी किया. एक तरफ जहां हर साल लाखों लोग इस कठिन परीक्षा को पास करने के एक से बढ़ कर एक कोचिंग इंस्टिट्यूट का सहारा लेते हैं.  वहीं केरल के श्रीनाथ ने इस कठिन परीक्षा को बिना किसी कोचिंग के ही पास कर लिया था. इससे भी बड़ी बात ये है कि श्रीनाथ ने जब इस कठिन परीक्षा की तैयारी शुरू की तब वह  रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करते थे. पहले केरल पब्लिक सर्विस कमीशन और फिर  यूपीएससी में कामयाबी पाने वाले श्रीनाथ मुन्नार के मूल निवासी हैं. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में जन्मे श्रीनाथ ने अपना श्रीनाथ कोचिंग सेंटर की फीस नहीं दे सकते थे और उनके मन में यही बात थी कि बिना कोचिंग सेंटर के वह इस कठिन परीक्षा को पास ना...

माँ चेहरे को पढ़ लेती है !-प्रसिद्ध यादव।

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   ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते हम अपने सभी भाइयों में अधिक मातृत्व की छांव में रह रहा हूँ। सुबह उठते माँ पर नजरें पड़ जाने के बाद फिर कोई अन्य देव की जरूरत मुझे नहीं पड़ती है।आज माँ इस उम्र में भी हमलोगों के लिए जिउतिया व्रत उपवास रखी थी।सुबह सुबह गले में माला अपने हाथों से पहनाई ।इस अलौकिक सुख को मैं व्यक्त नहीं कर सकता हूँ।आज जो भी कुछ हूँ।माँ के बदौलत हूँ वरना मेरी हस्ती ही क्या है?यह सुख आजीवन मिलती रहे यही कामना है। माँ भले ही अनपढ़ ही क्यों न हो, लेकिन वो अपने संतान की चेहरे देखकर पढ़ लेती है कि उसकी संतान खुशी में है कि गम में है, खाये है कि नहीं,पॉकेट में पैसे है कि नहीं।शायद इतनी पारखी नज़र और किसी मे नही होती है। बहुतेरे संतान माँ की ममत्व की छाँव से दूर कहीं और भौतिक सुखों में तल्लीन रहते हैं ,माँ याद भी नहीं आती होगी,बात करना तो दूर की बात है लेकिन माँ हर समय अपने संतान की फिक्र में रहती है।किसी न किसी सूत्र से वो उसकी ख़बर लेते रहती है। माँ की हाथों के स्पर्श मात्र से मन प्रफुल्लित हो जाता है। माँ की नज़र औरों की तरह बेटे की जेब पर नहीं होती है, बल्कि उसकी सेहत और सीरत पर...